मानसून आने की जहां सभी दूर खुशी मनाई जाती है लेकिन एक इलाका ऐसा भी है
जहां मानसून आते ही मौत का तांडव सिर पर नाचने लगता है। हम बात कर रहे हैं
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की। यह देश का नागलोक कहलाता है और मानसून आने के
साथ ही यहां भयंकर सांपों की हरकतें बढ़ जाती हैं।
मानसून आने में महज कुछ ही दिन बचे हैं। मानसून की पहली फुहार के साथ ही जिले में विषधरों का तांडव शुरू हो जाएगा। अगर लोग जरूरी सावधानी बरतें तो सर्पदंश की घटनाओं में कमी आ सकती है। जशपुर जिले में अब तक 6 लोग सर्पदंश के शिकार हो चुके हैं। जिसमें एक की मौत हो चुकी है।
मानसून आने में महज कुछ ही दिन बचे हैं। मानसून की पहली फुहार के साथ ही जिले में विषधरों का तांडव शुरू हो जाएगा। अगर लोग जरूरी सावधानी बरतें तो सर्पदंश की घटनाओं में कमी आ सकती है। जशपुर जिले में अब तक 6 लोग सर्पदंश के शिकार हो चुके हैं। जिसमें एक की मौत हो चुकी है।
जिले
के फरसाबहार, पत्थलगांव, तपकरा, बागबहार, कोतबा, कांसाबेल व बगीचा क्षेत्र
में सांप बहुतायत में पाए जाते हैं। यहां कॉमन करैत, बैंडेड करैत, नाग,
वाइपर सहित विषैले सांपों की करीब 6 प्रजाति पाई जाती है, जिनमें करैत और
नाग की संख्या अधिक है। हर साल इन क्षेत्रों में सर्पदंश से औसतन 60-70
व्यक्तियों की मौत हो जाती है।सर्पदंश से औसतन 60-70 व्यक्तियों की मौत हो जाती है। जानकारों के मुताबिक
कुछ जरूरी सावधानियां अपनाकर सर्पदंश से बचा जा सकता है। और होने वाली
मौतों की संख्या में कमी लाई जा सकती है। सर्प विशेषज्ञ डॉ. अजय शर्मा ने
बताया कि जिले के 99 प्रतिशत मामलों में जमीन पर सोने वाले ग्रामीण सर्पदंश
के शिकार होते हैं।उनका मानना है कि ऐसा नहीं है कि आर्थिक अभाव के कारण ग्रामीण जमीन पर सोते
हैं, वास्तव में जमीन पर सोने की उनकी आदत हो चुकी है। इसमें वे आराम
महसूस करते हैं। इसके अलावा सांप के डसने के बाद समय पर अस्पताल नहीं पहुंच
पाना भी सर्पदंश से होने वाली मौत का बड़ा कारण है।उन्होंने बताया कि अभी भी क्षेत्र के कई गांवों में बिजली नहीं है। रात के
अंधेरे में सांप नहीं दिखते और ग्रामीणों के पैरों के नीचे आने से वे
ग्रामीणों को डंस लेते हैं। इसके अलावा खेत व घर में काम करते वक्त भी छिपे
सांप ग्रामीणों को डंस लेते हैं। ग्रामीणों को सर्पदंश से बचाव के उपाय
बताने के लिए प्रशासन द्वारा प्रचार-प्रसार के दावे जरूर किए जाते रहे हैं,
पर सर्पदंश के मामलों में इससे कोई बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ा।
ऐसे बरतें सावधानी
- जमीन पर न सोएं। सोने के लिए ग्रामीण खाट का प्रयोग करें।
- घर के बाहर ग्रामीण नमक की रेखा खींचकर घेरा बना लें, इससे सांप घर में प्रवेश नहीं करते।
- ञ्च अंधेरे में बाहर न निकलें। टार्च का उपयोग करें। घरों में भी रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था करके रखें।
- ञ्च नीम की पत्ती व खल्ली जलाकर धुंआ करने से भी सांप आस-पास नहीं आते।
- सांप के डसने पर मरीज को तत्काल अस्पताल ले जाएं। झाड़-फूंक की चक्कर में न पड़ें।
- प्राथमिक उपचार के तौर पर काटे हुए स्थान से कुछ इंच ऊपर रस्सी या कपड़ा बांध दें। बंधन अधिक कड़ा नहीं होना चाहिए और अधिक ढीला भी नहीं होना चाहिए।
- डंसे हुए स्थान पर चीरा न लगाएं, यह खतरनाक भी हो सकता है।
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