Saturday, June 29, 2013

छत्तीसगढ़ में माओवादियों की बढ़ रही सैन्य ताकत


0 दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी में सदस्यों की संख्या 4500-5000
0 सेंटर फार लैंड वारफेयर स्टडी का खुलासा ,भारतीय सेना की तरह प्रशिक्षण पा रहे माओवादी
राजनैतिक गण-हत्याओं के दम पर  समूचे रेड कारीडोर पर कब्जा करने का स्वप्न देख रहे माओवादियों ने दंडकारण्य में अपनी ताकत में जोरदार इजाफा किया है । शेष भारत के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की तुलना में, बस्तर में माओवादी कैडरों की संख्या आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ी है। 'सेंटर फार लैंड वारफेयर स्टडी" ने माओवादियों की बढती ताकत का खुलासा करते हुए कहा है कि आज छत्तीसगढ़ में अपने आतंक की वजह से चर्चित और सुकमा हमले के लिए जिम्मेदार दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी में सदस्यों की संख्या 4500-5000 तक पहुंच गई है, वहीं आन्ध्र उड़ीसा बार्डर स्पेशल जोनल कमेटी  में सदस्यों की संख्या घट कर 175-200 तक रह गई है जो एक वक्त एक जहार से ज्यादा थी। सेंटर का कहना है कि माओवादियों की ट्रेनिंग लाइन पूरी तरह से भारतीय सेना के नक़्शे कदम पर हो रही है ,ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उन्हें कुछ सेवानिवृत कर्मियों का सहयोग मिल रहा हो।
जम्मू से दिल्ली तक माओवादियों के ठिकाने
चाहे हथियारों के प्रशिक्षण का मामला हो या फिर बस्तर  में माओवादियों की बढ़ रही ताकत का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि हाल के दिनों में न सिर्फ आन्ध्र प्रदेश से बल्कि बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ से बड़े संख्या में माओवादियों का पलायन बस्तर की और हुआ है, मौजूदा समय में बिहार-झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी  में कैडरों की संख्या घटकर 2500-3000 के बीच रह गई है। सेंटर ने पश्चिम बंगाल राज्य कमेटी में 450-500, पंजाब राज्य कमेटी में 200 और महाराष्ट्र राज्य कमेटी में 100 सदस्य हैं।इन बड़े राज्यों में कैडरों की संख्या औसत तौर पर 9 हजार से 10 हजार के बीच है इसके अलावा तमिलनाडु, केरल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में इनकी संख्या 30-50 और हरियाण ,जम्मू कश्मीर और दिल्ली में इनकी संख्या 15-30 है।
दंडकारण्य कमेटी में गुरिल्लाओं की 10 कम्पनियां
सुकमा में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुआ हमला हो या 2010 में सीआरपीएफ के जवानो पर माओवादियों की लौमहर्षक कार्यवाही ,इसके पीछे न सिर्फ माओवादियों की बढती जा रही सैन्य ताकत थी बल्कि उनका जबरदस्त इंटेलिजेंस भी था। सेंटर के अध्ययन में कहा गया है कि आज दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी में छापामार गुरिल्लाओं की 10 कम्पनियां मौजूद हैं, जिसमें 23 पलाटून और 40 मिलिशिया पलाटून हैं। माओवादियों द्वारा किये जाने वाले एम्बुश आपरेशन के बारे में सेंटर ने रिटायर्ड ब्रिग्रेडियर के एस दलाल के माध्यम से कहा है कि पुलिस बल की अक्षमता का फायदा उठाते हुए माओवादियों ने एम्बुश लगाने के नए-नए तरीके जैसे मोबाइल एम्बुश और वन प्वाइंट एम्बुश जैसी तकनीक इजाद कर ली है, वो हर हमले को सफल बनाने और  अधिकतम नुकसान पहुंचाने की योजना पर काम कर रहे हैं। सेंटर का कहना है कि आज माओवादी गुरिल्लाओं की प्रत्येक कंपनी में 25 से 30 की संख्या में ए के -47 ,इंसास और एसएलआर राइफल्स हैं, इसके अलावा उन्होंने बड़े हमलों को अंजाम देने के लिए स्पेशल गुरिल्ल्ाा स्क्वाड भी बना लिए हैं।


 

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