Saturday, June 8, 2013

शादी से पहले चुकानी पड़ती है बड़ी कीमत

प्यार और संबंध बनाने को लेकर नक्सलियों को अपने कानून है। संबंध बनाने को लेकर जहां खूली आजादी है, वहीं प्रेम करने पर पूरी पाबंदी। फिर भी जिस किसी ने भी प्यार किया उसे इसकी पूरी कीमत वसूली जाती है। 
इस बात का रहस्योघाटन छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में नक्सली कमांडर रहे सुनील मतलाम ने की है। कुछ समय पहले ही सुनील ने आत्म समर्पण किया है। सुनील ने कहा कि संगठन की तुगलकी फरमान नहीं मानने वालों के साथ पहले आंध्र प्रदेश के वरीय साथी बुरा बर्ताव करते हैं। फिर भी जो बात नहीं मानते हैं उनकी हत्या तक कर दी जाती है। सुनील मतलाम को भी अपने प्रेम की कीमत कुछ इसी अंदाज में चुकानी पड़ी। अपनी प्रेम कहानी की चर्चा करते हुए सुनील ने कहा कि जंगलों की खाक छानने के क्रम में में कब प्यार हुआ,इसका हमें पता ही नहीं चला। बात तब कि है जब हम चेतना नाटय मंडल में थे। इसी में हमारे साथ कमांडर जैनी उर्फ जयंती कुरोटी भी थी। पहले तो काम के सिलसिले में हमें इनसे जान पहचान हुई। फिर ये जान पहचान कब दोस्ती और फिर प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला। प्रारंभ में तो यह सिलसिला तीन चार साल तक बिना रोक टोक के चलता रहा। परेशानी तब शुरू हुई जब हमने अपने प्यार पर संबंधों का चादर डालने का प्रयास किया। संगठन में इसका विरोध शुरू हो गया। तुगलकी फरमान तक सुना दिया गया। बावजूद जब हमने अपना इरादा नहीं बदला तो फिर एक शर्त के साथ हमें इसकी अनुमति मिली।शर्त कोई नया नहीं था। इससे पहले भी जिस किसी ने अपने प्यार को संबंध की चादर डालने का प्रयास किया उसे ये शर्त माननी पड़ी थी ।
पहले तो हमने विरोध किया लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई। औरों की तरह हमें भी प्यार करने की सजा मिली और मुझे शादी करने से पहले अपनी नसबंदी करवानी पड़ी। यही स्थिति रामदास और जयलाल की भी है । उन्हें भी प्रेम करने की इजाजत तो दी गई लेकिन जब शादी की बारी आई तब उनकी नसबंदी कर दी गई ।
 
बंगाल से आते हैं डाक्टर
जंगल में नसबंदी करने के लिए बंगल से डाक्टरों को बुलाया जाता है। नसबंदी के क्रम में वे कई लोग गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं और समुचित इलाज के अभाव में उनकी मौत तक हो जाती है। नसबंदी पुरूषों की जाती है क्योंकि वे शीघ्र स्वस्थय हो जाते हैं। महिलाओं को स्वस्थय होने में काफी समय लग जाता है।         
 
 
 

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