केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नक्सल प्रभावित नौ राज्यों को एक साल में पांच टॉप नक्सली नेताओं को मार गिराने का लक्ष्य दिया है। इसमें
गृह मंत्रालय उन्हें अर्द्धसैनिक बल के साथ ही हर संभव तकनीकी सहायता
देगा। जिन नक्सलियों को निशाने पर रखा गया है उनमें मुपाला लक्ष्मण राओ
उर्फ गणपति (इनाम 15 लाख), नवाला केशव राव उर्फ बसब राज (इनाम 10 लाख),
थीपड़ी तिरुपति उर्फ देवजी (इनाम 10 लाख), बालमुरी नारायण राव उर्फ प्रभाकर
(इनाम 10 लाख), सोमजी उर्फ सहदेव (इनाम 5 लाख) शामिल हैं। बुधवार को आंतरिक सुरक्षा सम्मेलन के बाद नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों व प्रतिनिधियों की बैठक में यह निर्णय किया
गया। बैठक की अध्यक्षता गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने की। सूत्रों के
मुताबिक बैठक के दौरान सभी राज्य नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाने,
दबिश तेज करने, आंध्र प्रदेश की तर्ज पर नक्सलियों के खिलाफ विशेष बल
बनाने तथा ग्रीन हंट जैसे अभियान को सतत रूप से चलाने पर सहमत थे। बैठक में
इस बात पर भी चर्चा हुई कि कुछ राज्यों ने नक्सल समस्या को लेकर अपने
पड़ोसी राज्यों से सूचना का आदान-प्रदान बंद कर दिया है। हालांकि बैठक में
इस बात पर यह सहमति बनी कि आरोप-प्रत्यारोप की जगह आगे से मिलकर कार्य करने
की योजना बनाई जाए। बैठक में सभी राज्य सहमत थे कि राज्यों में राजनीतिक गतिविधियां जारी
रखी जाएं जिससे स्थानीय लोग लोकतांत्रिक व्यवस्था में हिस्सा ले सकें और
नक्सलियों के दबाव में न आएं।
गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों को अधिक से अधिक राजनीतिक गतिविधियां चलाने के
लिए प्रेरित करते हुए उन्हें कहा कि वे सभी दलों के प्रमुख नेताओं को
पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें जिससे नक्सली छत्तीसगढ़ जैसी घटना को फिर
अंजाम न दे पाएं।
बालमुरी नारायण राव को नक्सली प्रभाकर के नाम से जानते हैं। वह आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले के बीरपुर गांव का रहने वाला है। उसकी उम्र के बारे में देश की सुरक्षा एजेंसियों को कोई जानकारी नहीं है। बालमुरी के सिर पर दस लाख का इनाम है। हाल ही में कोलकाता की एनआईए कोर्ट के आदेश पर करीमनगर जिला प्रशासन ने प्रभाकर की एक एकड़ से ज्यादा जमीन जब्त कर ली है। शीर्ष नक्सली नेताओं में सिर्फ प्रभाकर ही ऐसा है जिसके नाम पर संपत्ति रजिस्टर्ड थी।
गणपति के इशारे पर चल रही नक्सलियों की हूकुमत
नक्सलियों के सुप्रीम कमांडर और सीपीआई (माओवादी) के महासचिव मुपल्ला
लक्ष्मण राव के एक इशारे पर नक्सली किसी की जान ले भी सकते हैं और अपनी जान
दे भी सकते हैं। गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड में मुपल्ला लक्ष्मण राव को
'गणपति' के नाम से जाना जाता है। गणपति की उम्र करीब 62 साल बताई जाती है।
चश्मा पहनने वाला यह 'क्लीन शेव' नक्सली देश के 20 राज्यों के हजारों वर्ग
किलोमीटर जमीन पर अपनी समानांतर सरकार चला रहा है। 70 के दशक के शुरुआती
सालों में गणपति आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले में स्कूल टीचर था। गणपति
साइंस ग्रैजुएट है और उसके पास बीएड की डिग्री भी है। वह आज भी क्लास लेता
है। लेकिन फर्क यह है कि अब उसकी क्लास के विद्यार्थी छापामार युद्ध की
रणनीति सीखते हैं। गणपति ने पीपल्स वॉर ग्रुप के संस्थापक कोंडापल्ली
सीतारमैया की जगह पार्टी का महासचिव 1991 में बना था। गणपति के बारे में
कहा जाता है कि वह जल्दी-जल्दी अपना लोकेशन बदलता रहता है। लेकिन वह सिर्फ
जंगलों में नहीं रहता है। बल्कि इंटेलीजेंस एजेंसियों की रिपोर्ट बताती है
कि उसे हैदराबाद, कोलकाता, कोच्चि जैसे शहरों में देखा गया है।
नंबाला केशव राव उर्फ बासवराज
नंबाला केशव राव को नक्सली कॉमरेड बासवराज के नाम से जानते हैं।
बासवराज का जन्म 1955 में आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियानापेट
गांव में हुआ था। उसके सिर पर एनआईए ने दस लाख रुपये का इनाम रखा है।
बासवराज नक्सलियों की सशस्त्र सेना यानी पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी
(पीएलजीए) को पीपल्स लिबरेशन आर्मी में तब्दील करने की रणनीति पर काम कर
रहा है। आंध्र प्रदेश के रहने वाला बासवराज ने पिछले साल नक्सलियों की
रणनीति के बारे में बात करते हुए छापामार हमले की जगह मोबाइल हमले और
गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की जगह पीपल्स लिबरेशन आर्मी बनाने की वकालत की
थी। बासवराज ने दंडकारण्य और बिहार-झारखंड को आजाद इलाके में तब्दील करने
की भी बात की थी। कॉमरेड बासवराज ने यह भी कहा था, 'पीएलजीए राजनीतिक,
सांगठनिक, रक्षा और अफवाह तंत्र जैसे कामों के लिए अच्छा औजार साबित हुआ
है। नक्सली आंदोलन बंदूक के इर्द गिर्द घूम रहा है और इसी किस्मत बंदूक पर
ही निर्भर है।
सोमजी सजदेव उर्फ सहदेव
सोमजी सजदेव उर्फ सहदेव छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के अलदंड गांव का
रहने वाला है। उसकी उम्र के बारे में देश की सुरक्षा एजेंसियों को कोई
अंदाजा नहीं है। एनआईए ने उसके सिर पर पांच लाख रुपये का इनाम रखा है।
थीपड़ी तिरुपति उर्फ देवजी
देवजी आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले के अंबेडकर नगर का रहने वाला है।
एनआईए ने उसके सिर पर दस लाख रुपये का इनाम रखा है। 1980 के दशक में जब वह
पहली बार गिरफ्तार किया गया था तब उसके परिवार वाले उससे मिलने गए। देवजी
ने अपने परिवार वालों से कहा कि वह अपनी संपत्ति अनाथालय को दान करना चाहता
है। इस बात पर उसके घर वालों ने विरोध किया था।
बालमुरी नारायण राव
बालमुरी नारायण राव को नक्सली प्रभाकर के नाम से जानते हैं। वह आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले के बीरपुर गांव का रहने वाला है। उसकी उम्र के बारे में देश की सुरक्षा एजेंसियों को कोई जानकारी नहीं है। बालमुरी के सिर पर दस लाख का इनाम है। हाल ही में कोलकाता की एनआईए कोर्ट के आदेश पर करीमनगर जिला प्रशासन ने प्रभाकर की एक एकड़ से ज्यादा जमीन जब्त कर ली है। शीर्ष नक्सली नेताओं में सिर्फ प्रभाकर ही ऐसा है जिसके नाम पर संपत्ति रजिस्टर्ड थी।
No comments:
Post a Comment