0 देश में पुलिस के खिलाफ शिकायतों के 50 हजार से ज्यादा मामलों में 53 फीसदी फर्जी घोषित
पिछले वर्ष देश में पुलिस फायरिंग की सर्वाधिक घटनाएं छत्तीसगढ़ में घटीं, वहीं पुलिस के खिलाफ शिकायतों के मामले में मध्य प्रदेश अव्वल रहा है। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों से न सिर्फ देश में पुलिस के खिलाफ देश की जनता के उबाल का पता चलता है, बल्कि यह भी पता चलता है कि आतंकवाद पर माओवाद भारी पड़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2012 में पुलिस फायरिंग की देश में सर्वाधिक 195 वारदात छत्तीसगढ़ में हुई, जबकि समूचे देश में पुलिस फायरिंग की 523 घटनाएं घटीं, जिनमें 78 आम नागरिक और 43 पुलिसकर्मी मारे गए। इस दौरान मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मियों के खिलाफ सर्वाधिक 12412 शिकायतें यानी औसतन लगभग 34 शिकायतें रोज प्राप्त हुईं। हालांकि इनमें से 11 हजार से अधिक को फर्जी घोषित कर दिया गया। इसी वर्ष पूरे देश में पुलिस के खिलाफ की गई कुल शिकायतों की संख्या 57हजार 363 रही, जिनमें से लगभग 53 फीसदी मामले फर्जी पाए गए
सर्वाधिक मौत हुई पुलिस कर्मियों कीपुलिस मुठभेड़ में मानवाधिकारों की बानगी तलाशने वालों को एनसीआरबी के ताजा आंकड़े चौंका सकते हैं। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ में हुई 195 मुठभेड़ में 3 आम नगारिकों और 29 पुलिसकर्मियों की मौत हुई, वहीं 70 लोग घायल हुए। इसी दौरान जम्मू और कश्मीर में पुलिस फायरिंग की 103 घटनाएं घटीं, तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र रहा । नक्सल प्रभावित अन्य राज्यों को देखा जाए तो आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बीस से कम मामले सामने आये।
पुलिस के खिलाफ 1918 शिकायतों में 1622 फर्जी घोषितपुलिस के खिलाफ शिकायतों के मामले में मध्य प्रदेश और दिल्ली आसपास रहे। दिल्ली में पुलिस के खिलाफ कुल 12342 शिकायतें प्राप्त हुईं। मध्य प्रदेश में पुलिस के खिलाफ प्राप्त शिकायतों में से 794 में विभागीय जांच बैठा दी गई, दो मामलों में मजिस्ट्रीयल जांच भी हुई। पिछले वर्ष के दौरान ही छत्तीसगढ़ पुलिस के खिलाफ कुल 1918 शिकायतें आईं, जिनमें से 863 में विभागीय जांच कराई गई और 1622 को फर्जी घोषित कर दिया गया। अगर पुलिस के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की संख्या के लिहाज से माओवाद प्रभावित अन्य राज्यों को देखा जाए तो आन्ध्र प्रदेश में 614, बिहार में 18, ओड़िशा में 35 और पश्चिम बंगाल में 48 मामले सामने आए।
पुलिस के खिलाफ 262 मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाईवर्ष 2012 में पुलिस के खिलाफ छत्तीसगढ़ में 262 मामलों में और मध्य प्रदेश में 131 मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। छत्तीसगढ़ में 12 तो मध्य प्रदेश में 274 मामलों की फाइल बंद कर दी गई। छत्तीसगढ़ में 53 मामलों में बड़ी कार्रवाई और 118 मामलों में छोटी कार्रवाई हुई, जबकि मध्य प्रदेश में 84 मामलों में बड़ी और 148 मामलों में छोटी कार्रवाई हुई। आश्चर्यजनक ये है कि पिछले वर्ष समूचे देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों का कोई भी रिकार्ड एनसीआरबी के पास मौजूद नहीं है। इन आंकड़ों को शून्य दर्शाया गया है।
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