माओवादी हमले के नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। कभी बारूदी सुरंग लगा
कर जवानों को मौत के घाट उतार रहे हैं तो कभी घात लगा कर पूरे के पूरे
नेताओं के काफिले को निशाना बना रहे हैं। इस बार तो नक्सलियों ने और भी हद
कर दी। चलती ट्रेन को निशाना बनाया और निर्दोष पैसें जर्स सहित
पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी की। बिहार के जमुई में धनबाद-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस में धमाके कर
नक्सलियों ने गोलीबारी की और फिर जवानों से हथियार लूट कर वापस जंगल में
भाग गए। छत्तीसगढ़ और बिहार में हुए नक्सली हमलों में एक खास बात देखने को
मिली है। दोनों ही हमले में महिला नक्सलियों की संख्या ज्यादा बताई जा रही
है।जानकारों की मानें तो दोनों ही हमले में एक समानता यह देखने को मिल
रही है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं के काफिले को रोकने के लिए पुरुष
नक्सलियों ने मोर्चा संभाला था और इसके बाद महिला नक्सलियों ने बर्बरता
दिखाई थी। ठीक उसी तरह धनबाद-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस जमुई में रोकने के
लिए पुरुष नक्सलियों ने धमाके किए और फिर महिला नक्सलियों ने गोलीबारी
शुरू कर दी। इस नई रणनीति के साथ नक्सलियों ने हमले के भी नए-नए तरीके ईजाद कर लिए
हैं साथ ही छत्तीसगढ़ के सुकमा में मौके पर लैपटॉप जैसी आधुनिक संचार के
साधन के साथ भी देखे गए थे।
15 मई 2012
11 जनवरी 2013
बेली बम शहीद जवान बाबूलाल पटेल के शरीर के अंग निकालकर उसमें 2.75
किलोग्राम की आइईडी लगा दी थी। इस आइईडी को बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय
किया।
8 जनवरी 2013
बॉडी बम अमवाटीकर जंगल में एक मुठभेड़ के बाद शहीद हुए 10 जवानों में
से एक शव को उठाने के दौरान विस्फोट से 3 ग्रामीण मरे, जवान के शरीर में बम
बांध दिया गया था।
15 मई 2012
इंजन बम नक्सलियों ने ट्रेन को अपने कब्जे में लेकर उसके इंजन पर एक
किलो का बम लगा दिया। इसे 15 किलोमीटर दूर मनोहरपुर स्टेशन पर निष्क्रिय
किया गया।
19 मार्च 2012
लातेहार के हुटार गांव में दूध के बर्तन में 5 किलोग्राम की एक आइईडी बरामद की गई।
16 दिसंबर 2011
असामान्य जगहें रामगढ़ में जानवरों के शव और कपड़े में बांधकर पेड़ों
पर बम फिट कर दिए गए। जिन्हें सुरक्षाकर्मियों ने निष्क्रिय किया।
26 जनवरी 2011
खौफनाक उकसावा नक्सली धमकी लिखे झंडे को उतारते ही विस्फोट, कोई पुलिसकर्मी हताहत नहीं।
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