Tuesday, March 30, 2010

मर्ज के नासूर बनने का इंतजार

सतीश पाण्डेय
रायपुर। क्या पुलिस जिला बनाने से ही गरियाबंद क्षेत्र नक्सली आतंक से मुक्त हो जाएगा। बस्तर, नांदगांव में मर्ज के नासूर बन जाने के बाद जिस तरह से आपरेशन ग्रीनहंट शुरू किया गया है क्या वैसे ही हालात गरियाबंद क्षेत्र में पुलिस जिले के पूरी तरह अस्तित्व में आते तक नहीं बन जाएंगे। हाल ही में नक्सलियों के दो दिवसीय बंद को यहां जिस व्यापक पैमाने पर सफलता मिली उसे देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में पहचान बना चुके गरियाबंद को पुलिस जिला बनाए जाने की कवायद राज्य शासन ने शुरू कर दी है। गृह विभाग के प्रस्ताव पर सरकार ने बजट में प्रावधान कर इसकी स्वीकृति भी दे दी है। संभावना है कि अप्रेल में शासन की अंतिम मुहर लगते ही गरियाबंद पुलिस जिले के रूप में अस्तित्व में आ जाएगा। गरियाबंद पुलिस जिले में कुल 11 थाने होंगे, इनमें कुछ नए सृजित थाने और पुलिस चौकियों का थाने में उन्नयन होना प्रस्तावित है। रायपुर जिले के अंतर्गत गरियाबंद इलाका पिछले साल भर से नक्सली हिंसा की चपेट में है। जिला मुख्यालय से दूर होने के कारण इस इलाके में नक्सली तेजी से पांव पसारने लगे हैं। सरपंच की हत्या और नगरी सिहावा क्षेत्र में हुई बड़ी नक्सली वारदात के बाद से प्रशासन गरियाबंद की सुरक्षा को लेकर अलर्ट है। हार्डकोर नक्सली गोपन्ना उर्फ गजाला उर्फ गोपाल मंडावी उर्फ सत्यम रेड्डी के गरियाबंद में पकड़े जाने तथा इसी तरह भिलाई में रहने वाले कामरेड विजय रेड्डी उर्फ सुधीर चौधरी उर्फ गुड़सा उसेंडी वर्ष 2008 में छेड़े गए शहरी नक्सली अभियान के दौरान फरार होने में कामयाब हो गया था। हाल ही में मैनपुर में नक्सली कमांडर रेनु मंडावी की गिरफ्तारी के बाद से क्षेत्र में तेजी से नक्सलियों की आमदरफ्त बढ़ी है। वहीं इस क्षेत्र के हीरा खदानों पर भी नक्सलियों की नजर है। पूर्व में केन्द्रीय समिति के सदस्यों की इस इलाके में हुई गिरफ्तारी से नक्सली बदले की भावना रखते है। ऐसे में नगरी सिहवा की तर्ज पर नक्सली कभी भी पुन: अटैक करने के फिराक में लगे हुए है। इसकी सूचनाएं भी खुपिया विभाग को मिलती रही है। सूत्रों का दावा है कि नक्सलियों ने खदानों पर कब्जा जमा लिया है। इस बिगड़ते हालात के मद्देनजर नक्सली गतिविधियों पर लगाम कसने गरियाबंद को पुलिस जिला बनाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। गरियाबंद में थाना आजाक, यातायात तथा महिला थाना भी खोला जाना प्रस्तावित है।
राजिम से शुरू होगी सीमा
गरियाबंद पुलिस जिले का सीमा क्षेत्र राजिम से शुरू होगा। इसमें फिंगेश्वर, गरियाबंद, छुरा, मैनपुर, देवभोग के इलाके शामिल होंगे। नवसृजित होने वाले थानों में पीपरछेड़ी, फिंगेश्वर, इन्दागांव, पायलीखंड, शोभा, अमलीपदर शामिल हैं। नवीन थाना खोलने के साथ ही पुलिस चौकी बिन्द्रानवागढ़ को भी थाने के रूप में उन्नयन करना प्रस्तावित किया गया है। वर्षों से आवश्यक संसाधन और बल की कमी से जूझते आ रहे नक्सल प्रभावित गरियाबंद को पुलिस जिला बनाए जाने से प्रशासन को नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने में काफी मदद मिलेगी।
ये हैं प्रभावित इलाके
पाण्डुका- राजिम एवं गरियाबंद के मध्य में राजिम से 25 किमी दूर पर पाण्डुका स्थित है। यह इस क्षेत्र का बड़ा ग्राम है। यहां पुलिस थाना खोले जाने से आसपास के ग्रामीणों को थाने से संबंधित कार्य के लिए दूर जाने की आवश्यकता नहीं होगी, साथ ही क्षेत्र में असामाजिक तत्वों पर भी प्रभावी नियत्रंण किया जा सकता है।
खडमा- फिंगेश्वर एवं छुरा के मध्य स्थित खडमा गांव की दूरी फिंगेश्वर से 25 किमी की है। यह भी इस क्षेत्र का बड़ा गांव है।
बेहराडीह -मैनपुर से देवभोग के मध्य स्थित बेहराडीह की दूरी मैनपुर से 15 किमी है। बेहराडीह-से धमतरी जिला जाने का मार्ग हैं। यहां पुलिस थाना खुलने से अपराध नियत्रंण पर प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी।
बल में इजाफा
गरियाबंद पुलिस जिले में गरियाबंद, छुरा, राजिम, फिंगेश्वर तथा नवनिर्मित होने वाले पीपरछेड़ी, इंदागांव, अमलीपदर में अनुपूरक अनुदान के तहत पुलिस बल की वृद्धि हो चुकी है। शेष थाना देवभोग, मैनपुर में बल वृद्धि की आवश्यकता महसूस की जा रही है। ंसंसाधन की दरकार गरियाबंद पुलिस जिला के अस्तित्व में आते ही एसपी का प्रशासकीय व अवासीय भवन, डीआरसी लाइन, कंट्रोल रूम भवन, आवासीय भवन, वाहन, आर्म्स, दूरसंचार यंत्र, कार्यालयीन उपकरण, फर्नीचर, थाना-चौकी हेतु भवन, अस्पताल यूनिट, डॉग एवं कैनन, फ्लाइंग, एमएसएल यूनिट, सोलर लाइट, वाटर टैंक, हैण्डपंप, पुलिस स्टेशन एप्रोच रोड, आंतरिक विद्युतीकरण आदि संसाधन पूरा करने की जिम्मेदारी शासन की होगी। बल की मांग
गरियाबंद पुलिस जिले के विभिन्न नवीन थानों व पुलिस चौकी से थाने के रूप में उन्नयन होने वाले थाने में पर्याप्त संख्या में बल की पूर्ति करने पर विभाग ने जोर दिया है। जानकारी के मुताबिक पाण्डुका, मैनपुर, बेहराडीह, बिन्द्रानवागढ़ थाने में निरीक्षक से लेकर कुक, चालक, स्वीपर के पद की पूर्ति करने के साथ ही आजाक, यातायात, महिला थाना के लिए भी अलग से बल उपलब्ध कराने के लिए शासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया है।
बस्तर में आपरेशन ग्रीन हंट के बाद नक्सलियों पर लगातार दबाव बढ़ा है। इसके बाद से वह गरियाबंद और धमतरी की तरफ आ गए हैं। इसे देखते हुए सरकार ने गरियाबंद को पुलिस जिला बनाने की घोषणा कर दी है। प्रशासनिक कार्रवाई जल्द ही पूरी होने वाली है। -विश्वरंजन, डीजीपी









Monday, March 29, 2010




बाहरी उठाईगिरों से पुलिस हलकान

रायपुर। सावधान...खबरदार... होशियार...। राजधानी में राह चलते किसी अनजान व्यक्ति या बालक की आवाज सुनकर उस पर अमल करना खतरनाक साबित हो सकता है। पिछले तीन माह के भीतर हुए दर्जनभर से अधिक उठाईगिरी की बड़ी वारदातों में शामिल गिरोह के तौर-तरीकों से पुलिस हलकान है। उठाईगिरी बढ़ने से दूसरे शहरों, प्रदेशों से यहां खरीददारी करने आने वाले व्यापारी दहशत में हैं। पुलिस को लगातार चुनौती देकर एक के बाद एक वारदात कर रहे उठाईगिरों के बुलंद हौसले को देखने के बाद भी लाखों रुपए दोपहिया की डिक्की में रखकर चलने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं। राजधानी में पिछले लंबे अर्से से उड़ीसा,आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा छग के महासंमुद जिले के भीमखोज व पत्थलगांव, रायगढ़ के कापू क्षेत्र तथा सरगुजा के बतौली, सीतापुर के शातिर उठाईगिर रोज किसी न किसी व्यापारी, नौकरीपेशा व अन्य लोगों को अपना शिकार बनाने के फिराक में लगे रहते हैं। विशेष जनजाति व घूंमतु प्रवृत्ति के इन उठाईगिरों का परम्परागत काम यही होता है। यही वजह है कि ये आसानी से पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाते। वारदात को अंजाम देकर दूसरे शहर की ओर रुख करने की वजह से पुलिस को उनके लोकेशन की सही जानकारी नहीं मिल पाती। बावजूद कई शातिर उठाईगिर क्राइम ब्रांच के फंदे में फंसे हैं। पिछले कुछ सालों में राजधानी में हुई उठाईगिरी की घटनाओं की लंबी फेहरिस्त पर नजर डालें तो पता चलता है ज्यादातर शातिर उठाईगिर बंगाल और आंध्रप्रदेश से यहां आकर वारदात को अंजाम देते हैं। इनमें कई पकड़े भी जा चुके हैं। हाल ही में उठाईगिरी की तीन वारदातों में शामिल आंध्रप्रदेश का एक शातिर बाल उठाईगिर इजराइल पेंटल 26 मार्च को क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा था। उसके पास से 45 हजार पांच सौ रुपए बरामद किए गए थे, जबकि उसका साथी राहुल भाग निकलने में सफल रहा। पूछताछ में क्राइम ब्रांच को अन्य कई वारदातों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है, जिसके आधार पर गिरोह के अन्य सदस्यों को पकड़ने की तैयारी की जा रही है।
तीन माह की बड़ी घटनाएं
11 फरवरी-लीली चौक मुख्य मार्ग में गुलाब ज्वेलर्स का संचालक प्रकाश सोनी दुकान खोलकर काउंटर पर थैले व बैग में भरे 40 तोला सोना और 14 किलो चांदी को रखकर झाडू लगा रहा था तभी उठाईगिर ने मौका पाकर जेवर का थैला उड़ा लिया।
3 फरवरी- राजिम निवासी बीमा एजेंट भीखूराम साहू का दो लाख से भरा अटैची कचहरी चौक स्थित ग्रीन पर्ल्स लाइफ इशोरेंस कंपनी के कार्यालय से पार ।
6 मार्च- अग्रसेन चौक में उरला थाना क्षेत्र के ग्राम तेंदुआ निवासी भोलाराम साहू की बाइक की डिक्की खोलकर चार लाख की चोरी।
27 मार्च-बूढ़ापारा प्राथमिक स्कूल के पास से एक्टीवा की डिक्की से २.75 लाख लेकर बाइक सवार उठाईगिर फरार

Sunday, March 28, 2010

चोरों से सात लक्जरी वाहन बरामद







चैन स्नेचिंग की वारदात में भी थे शामिल

रायपुर। पखवाड़े भर पूर्व रायपुर से लक्जरी वाहन चुराने के मामले में भिलाई क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े चार आरोपियों से राजधानी पुलिस ने पूछताछ और निशानदेही के आधार पर पचास लाख के सात लक्जरी वाहन टाटा विस्टा, इंडिका कार, दो इंडिगो, दो बोलेरो, एक एसेंट कार और तीन सोने की चैन समेत चोरी की दो पल्सर बाइक, एक टीवीएस अपाचे बरामद किया है। आरोपियों ने वाहन चुराने के साथ डीडीनगर क्षेत्र में चैन स्नेचिंग की तीन वारदातों को भी अंजाम दिया था। संपन्न परिवार से तालुकात रखने वाले चारों आरोपियों ने स्वीकारा कि ये सब धंधे पैसे बनाने की धुन और मौजमस्ती की जरूरत को पूरा करने के लिए किया करते थे। एएसपी सिटी रजनेश सिंह ने बताया कि खुशी एनक्लेव अमलीडीह निवासी मनोज अग्रवाल वल्द अशोक अग्रवाल(24), संतोष भगत वल्द देवसाय(34), डीडीनगर सेक्टर वन निवासी मुख्तार अहमद उर्फ बाबू वल्द रसीद(28) तथा कोटा कालोनी के पीछे तालाबपार निवासी राजेश धीवर उर्फ बंटी वल्द महरा धीवर(28) ने मिलकर राजधानी के विभिन्न थाना क्षेत्र से पिछले साल 19 लक्जरी वाहन चुराकर उड़ीसा, यूपी, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र के अलावा नेपाल में भी खपाए हैं। अवंती विहार कालोनी से 21 जनवरी को डॉ।अशोक दुबे की पत्नी परमजीत दुबे की इंडिगो कार क्रमांक सीजी 04 एचबी 3754 को चोरी कर भिलाई में खपाने की तैयारी कर रहे मनोज अग्रवाल, संतोष भगत, राजेश धीवर को सुपेला पुलिस ने पखवाड़ेभर पहले होटल ग्रांड ढिल्लन के पास पकड़ा था। बाद में गिरोह के सरगना मुख्तार अहमद की गिरफ्तारी हुई। दुर्ग जेल में बंद चारों आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट के आधार पर डीडीनगर पुलिस शनिवार को राजधानी लेकर पहुंची। न्यायाधीश पंकज आलोक तिर्की की अदालत में पेश कर चारों को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया। पूछताछ में अतंर्राज्जयीय वाहन चोर गिरोह के चारों सदस्यों ने दुर्ग से 8 और राजधानी से 19 वाहन चुराकर छत्तीसगढ़ समेत दीगर प्रांतों में खपाए जाने की जानकारी दी।



एमटेक है संतोष



मूलत: मनेन्द्रगढ़(कोरिया) निवासी संतोष भगत कृषि विवि में एमटेक कर चुका है। उसके पिता देवसाय भगत डिप्टी रेंजर है। शादीशुदा संतोष की पत्नी डा।सुलेखा बीएमएचएस चिकित्सक है। फिलहाल दोनों के बीच तलाक हो चुका है। टाटीबंद स्थित हुंडई शोरूम के वर्कशॉप में कार्यरत मैकेनिक राजेश धीवर उर्फ बंटी के पास अक्सर अपनी गाड़ी बनवाने संतोष आता था। इसी दौरान दोनों में परिचय हुआ। राजेश ने बताया कि शोरूम में चार माह का पगार न मिलने से उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी। पैसे बनाने के लालच में आकर उसने चार पहिया वाहनों का लॉक खोलने का काम शुरू किया। बंटी ने किसी भी लक्जरी वाहन का लॉक खोल देने की जानकारी संतोष को दी थी। इसके एवज में उसने 20-25 हजार रूपए लेने की बात कही थी। संतोष का पूर्व से वाहन का व्यवसाय कर रहे गिरोह के सरगना मुख्तार अहमद से गाड़ी चुराकर बेचने के संबंध में बात हो चुकी थी। इस काम में मुख्तार का भाई मुस्ताक भी शामिल था जो फिलहाल फरार है। मुख्तार की मौदहापारा में डेली नीड्स की एक बड़ी दुकान भी है। जहां से वह गाड़ी चुराने का प्लान तैयार करता था। मुख्तार के पास कई लक्जरी वाहन हैं जो विभिन्न सरकारी कार्यालयों में किराये पर अटैच है। सात अप्रैल को उसकी शादी एक प्रतिष्ठित परिवार की लड़की से होने वाली थी, जो अब टूट चुकी है। मूलत: महासंमुद निवासी मनोज अग्रवाल ने जोरा में अपनी बुआ के पास रहकर 12 वीं तक की पढ़ाई की है। कृषि विवि के सामने वह बुआ की कैंटीन चलाता है। प्रतीक, समीर, आदर्श शर्मा, चोपू, शाहिद के अलग-अलग नामों से परिचित मनोज ने वाहन चोरी करने के साथ चैन स्नेचिंग की वारदात को भी अंजाम दिया है। डीडीनगर क्षेत्र से इस गिरोह ने एक एसेंट कार उड़ाया था, जो पसंद न आने पर बाद में लावारिश हालत में छोड़ दिया था। एएसपी ने बताया कि अवंति विहार से चोरी गई राइट्स इंजीनियर की गाड़ी प्रतापगढ़ यूपी में बरामद हुई है। जबकि मनोज द्वारा अंबिकापुर क्षेत्र के लखनपुर में बेचे गए एक वाहन को बरामद कर लिया गया है। मुख्तार के सभी वाहनों की जांच पड़ताल करने के साथ ही चोरी का वाहन खरीदने वालों की गिरफ्तारी भी की जाएगी। आरोपियों ने सुंदरनगर में दो महिलाओं और रोहणीपुरम में एक महिला के गले से सोने का चैन लूटना बताया है। इनके पास से पांच तोला वजनी सोने के तीन चैन पुलिस ने बरामद कर लिए हैं। राजधानी से चोरी गए अन्य वाहनों के बारे में आरोपियों से जानकारी ली जा रही है। परिवहन विभाग से पता लगाया जा रहा है कि चोरी की वाहनों का नया रजिस्टेÑशन कराने एनओसी मांगी गई है या नहीं।



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Wednesday, March 24, 2010











विकास की रोशनी बहुत धीरे पहुंच रही गांवों तक

गांवों के आगंन में विकास की बिजली गिरी
किसी ने कहा था गांव में भारत बसता है लेकिन गांवों की वर्तमान हालात काफी बदतर हो चली है। गांव वालों की जिंदगी की हकीकत स्वयं सरकार के आकंड़े बयां कर रहे है। ग्रामीण आबादी को अधिकतर बुनियादी सुविधाएं ही मयस्सर नहीं हैं। खुद सरकार का ही आंकड़ा कह रहा है कि 10 फीसदी ग्रामीण महज 400 रुपये के प्रति माह खर्च पर जिंदगी गुजार रही है। यह राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की ओर से देश में घरेलू खर्चे की स्थिति पर जारी रिपोर्ट का आंकड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक आधी ग्रामीण आबादी कच्चे या अध-पक्के मकानों में रहने को विवश है। रिपोर्ट के आंकड़े साबित करते हैं कि आर्थिक विकास दर में काफी तेजी होने के बावजूद ग्रामीणों के जीवन स्तर में बहुत सुधार नहीं हो रहा है। 65 फीसदी ग्रामीणों के खर्चे राष्ट्रीय औसत से भी कम है। गांव वालों के खर्चे का 56 फीसदी हिस्सा खाने-पीने में ही चला जाता है। गांवों में अब भी 77 फीसदी परिवार खाना बनाने के लिए लकड़ी या उपले पर निर्भर हैं। एनएसएसओ ने वैसे तो यह रिपोर्ट वर्ष 2007-08 में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर जारी की है। लेकिन इससे साफ पता चलता है कि सरकार की आर्थिक नीतियों का फायदा गांवों की सरहदों के भीतर दाखिल नहीं हो पा रहा है। यह अलग बात है कि तंबाकू और मांसाहार के मामले में ग्रामीण अपने शहरी भाइयों से आगे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 61 फीसदी ग्रामीण तंबाकू सेवन करते हैं जबकि शहरी क्षेत्र में यह आंकड़ा 36 फीसदी का है। ग्रामीण भारत के 62 फीसदी परिवारों ने 30 दिनों के अंतराल पर मांस, मछली या अंडे का सेवन किया है, जबकि केवल 59 फीसदी शहरी परिवार ही इस श्रेणी में आते हैं। सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि केवल दस फीसदी ग्रामीण आबादी ऐसी है, जिसका औसतन मासिक खर्च 1229 रुपये से ज्यादा है। शहरी क्षेत्रों में भी स्थितियों में बहुत अंतर नहीं है। दस फीसदी शहरी आबादी अभी भी महीने में केवल 567 रुपये खर्च करती है। ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी आबादी के खर्चे का 40 फीसदी हिस्सा ही खाने-पीने पर जा रहा है। एनएसएसओ के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006-07 से 2007-08 के बीच ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति ग्राहक खर्च में 2।2 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि शहरों में यह बढ़ोतरी 5.4 फीसदी की रही है। शहरों में केवल 62 फीसदी घरों में ही रसोई गैस पर खाना पकाया जा रहा है। वहीं 20 फीसदी शहरी आबादी लकड़ी या उपले का उपयोग कर रही है। इस मामले में गांवों में तो स्थिति और भी खराब है। वर्ष 2007-08 तक केवल नौ फीसदी ग्रामीण आबादी को ही एलपीजी सुविधा मिली हुई थी। रोशनी के लिए 39 फीसदी ग्रामीण परिवार अभी भी मिट्टी तेल (किरोसिन) पर निर्भर हैं।

नशेड़ी नहीं,सेहतमंद बनाएगा महुआ


महुआ का मतलब अभी तक सीधे-सीधे दारू-शराब से था। मगर एक नए प्रयास ने इसे पौष्टिक आहार का स्वरूप दे दिया है। यानी, महुआ के बिस्किट, पौष्टिक स्वीटनर, चॉकलेट, जूस, पाचक चूर्ण के साथ और भी बहुत कुछ। ग्रामीण विकास एवं प्रौद्योगिकी केंद्र, नई दिल्ली में कार्यरत प्रोफेसर डॉ. एसएन नायक ने महुआ से कई पौष्टिक खाद्य पदार्थ तैयार किए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है। इस तकनीक का पेटेंट भी करा लिया गया है। डॉ. नायक ने बताया कि इन चीजों को तैयार करने के लिए एक से डेढ़ लाख रुपए में मशीन लगाई जा सकती है। महुआ से बने खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता को विशेषज्ञों ने भी परखा है। गांव-कस्बों में महुआ का पिट्ठा पहले से बनता रहा है। आधुनिक परिवेश और बाजार के हिसाब से अब बिस्किट आदि का निर्माण भी होगा। छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिले सरगुजा-बस्तर समेत अन्य जिलों में महुआ की बहुतायत के कारण इसे व्यापक बाजार मिलने की भी गुंजाइश है। इस तकनीक को छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में के गांव-गांव तक पहुंचाने का प्रयास स्वयंसेवी संस्था वनवासी कल्याण केंद्र कर रही है। इस तकनीक के जन्मदाता डॉ. नायक समूहों को खुद प्रशिक्षित कर रहे हैं। पहले चरण में विभिन्न जिलों के 26 प्रतिभागियों को महुआ से खाद्य सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व सांसद मोरेन सिंह पूर्ति कहते हैं कि आदिवासी बहुल इलाकों के लिए महुआ अब अभिशाप नहीं, वरदान है। नए प्रयोग में नाबार्ड भी सहयोग कर रहा है। आयुर्वेद में भी कई औषधीय प्रयोग महुआ कई औषधीय गुणों से युक्त है। संस्कृत में मधुक के नाम से प्रचलित महुआ का जैविक नाम बासिया लैटिफोलिया है। यह दर्जनों बीमारियों के इलाज में कारगर है। महुआ फूल का रस त्वचा रोग तथा सिरदर्द में प्रयोग किया जा सकता है। स्नायु की परेशानी, डायरिया, पेचिश, निर्जलीकरण, अस्थमा, ज्वर, मासिक के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव सहित कई बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग आयुर्वेद में वर्णित है।

Tuesday, March 23, 2010

सेलून संचालक के हत्यारे पकड़े गए



लूटपाट का विरोध करने पर की थी हत्या


रायपुर। सप्ताह भर पहले डंडाखार में हुई एक सेलून दुकानदार की हत्या का मामला क्राइम ब्रांच व टिकरापारा पुलिस ने मिलकर सुलझा लिया है। लूटपाट के दौरान विरोध करने पर लुटेरों ने सेलून संचालक की धारदार हथियार मारकर हत्या करना कबूल कर लिया है। घटना में प्रयुक्त बाइक, कटार समेत नकदी नौ हजार आठ सौ, दो मोबाइल, पर्स तथा लूटे गए सामान आरोपियों से बरामद कर ली गई है। क्राइम ब्रांच निरीक्षक रमाकांत साहू, टीआई टिकरापारा आरके दुबे ने बताया कि दावड़ा कालोनी सांई मंगलम के पास किराए के मकान में रह रहे दीपेन्द्र सिंह ठाकुर उर्फ दीप वल्द देवेन्द्र सिंह ठाकुर(20) तथा चौरसिया कालोनी संतोषीनगर जनता क्वार्टर मदनी चौक संजयनगर निवासी मोहम्मद आसिफ वल्द स्व.मो.फारूख (19) पिछले कुछ माह से लूटपाट की वारदात कर रहे थे। सर्वप्रथम 14 मार्च की रात में संतोषीनगर से घर लौट रहे बोरियाकला निवासी मकसूदन साहू वल्द भागीरथी (27) को चाकू दिखाकर धमकाते हुए दोनों ने उससे मोबाइल व पर्स लूटा था। दूसरे दिन रात नौ बजे बलराम सेन(23) को छोटे बोरिया से सेलून दुकान बंदकर घर लौटते समय डूंडाखार में रोककर दोनों ने चाकू दिखाते हुए पैसे मांगे। इस बीच बलराम को भागते देख आरोपियों ने उसे पकड़ लिया, तभी बलराम ने आसिफ को एक झापड़ मारा। दीपेन्द्र ने बलराम को पकड़ा और आसिफ ने उसके पीठ में चाकू से दो वार कर दिया। इससे बलराम वहीं ढेर हो गया। हत्यारे तत्काल उसकी जेब से तीन हजार रूपए निकाल कर होण्डा स्टेन बाइक क्रमांक सीजी 04 डीई 8877 से भाग निकले। रात के समय ही गांव के नारायण भट्ट ने बलराम को घायल पड़ा देखकर इसकी जानकारी उसके बड़े भाई नरसिंह को दी। परिजनों ने रात में ही बलराम को रामकृष्ण अस्पताल में दाखिल कराया, जहां उसकी मौत हो गई। हत्या की इस वारदात के दूसरे दिन 16 मार्च को पाटन थाना क्षेत्र के जमराव निवासी मनोज साहू को बाइक से घर लौटते समय केशरी बगीचा भाठागांव में रोककर उसके जांघ में चाकू मारकर नकदी दस हजार, मोबाइल, एटीएम कार्ड आदि लूट लिया था। इसके आलावा एक लूना सवार को भी केशरी बगीचा के पास इन लोगों ने लूटा था। आरोपियों ने सेलून दुकानदार की हत्या के साथ लूट की तीन वारदात करना कबूल कर लिया है। जुए की लत ने बनाया अपराधीलूटपाट के साथ हत्या के मामले में गिरफ्तार दीपेन्द्र सिंह ठाकुर को जुए की लत लग गई थी। वह जुए में घर के पैसे हारने के बाद आसिफ के संगत में आकर बिगड़ गया। उसके पिता की देवपुरी में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय है, वहीं आसिफ की आटो पार्ट्स की दुकान है।

Sunday, March 21, 2010



Saturday, March 20, 2010





डॉन गु्रप: पुलिस पर उठी उंगलियां

रायपुर। कथित डॉन गु्रप की गिरफ्तारी को लेकर राजधानी पुलिस की कार्रवाई संदेह के दायरे में आ गई है। पकड़े गए युवकों के परिजनों का आरोप है कि मारपीट कर उनके बच्चों को पुलिस फंसा रही है। वहीं पुलिस ने दावा किया है कि किसी तरह की सख्ती नहीं की गई है। इधर कोर्ट में पेश किए गए आरोपियों ने चोट के निशान दिखाते हुए मेडिकल कराए जाने की मांग की, जिस पर कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट सोमवार को पेश करने का आदेश दिया है। सालभर पहले बूढ़ा तालाब के किनारे सीमेंट की कुर्सी के नीचे सुतली बम फोड़ने की घटना के बाद एकात्म परिसर के सामने खड़ी एक बस में दूसरी दफे बम विस्फोट कर शहर में सनसनी फैलाने वाले डॉन गु्रप को पकड़ने हवा में हाथ पैर मार रही राजधानी पुलिस ने आखिरकार पिछले दिनों समता कालोनी व प्रेस काम्प्लेक्स के पास खड़ी वाहनों में हुए सुतली बम विस्फोट मामले को भी डॉन गु्रप से जोड़कर जिन चार युवकों को पकड़ा था, उसे लेकर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। अर्जुननगर, समता कालोनी के चार युवकों को डॉन गु्रप का सदस्य बताकर पुलिस ने जिस अंदाज में गिरफ्तारी की कार्रवाई की है वह वाकई चौंकाने वाला है। हाल के विस्फोट की घटना के दौरान पुलिस की उदासीनता को लेकर बिफरे डीजीपी को खुश करने लिए चार युवकों को डॉन बताते हुए अफसरों ने केवल अपनी पीठ थपथपाने का ही काम किया है। गिरफ्तार युवकों के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटे को बुरी तरह पीटकर फंसाया है। शनिवार को कोर्ट में आरोपी बनाए गए युवकों के वकील ने उनके शरीर में आए चोट के निशान दिखाते हुए अदालत से मेडिकल कराने की मांग की थी जिस पर अदालत ने सोमवार को मेडिकल रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। फिलहाल चारों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। जानकारी नहीं: एसपी : इस संबंध में एसपी अमित कुमार ने बताया कि आरोपियों के परिजनों ने पुलिस पर फंसाए जाने के आरोप लगाया है, इसकी जांच कराई जाएगी। कोर्ट से मेडिकल कराने जैसे आदेश के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है।
कई सवाल सुलगे

बूढ़ा तालाब और एकात्म परिसर के सामने दिनदहाड़े किए गए बम विस्फोट की घटना की जिम्मेदारी डॉन गु्रप ने लेते हुए हस्त लिखित पत्र छोड़ा था, जिसे पुलिस ने बरामद किया था। लेकिन पिछले दिनों रात के समय विस्फोट हुआ था, यहां से डॉन गु्रप का लिखा कोई पत्र नहीं मिला था। पुलिस का यह दावा कि डॉन गु्रप ने चारों विस्फोट छोटी घटनाओं का बदला लेने की नियत से किया था, यह सवालों के घेरे में है। यही नहीं, आरोपी बनाए गए सृजन बाघ का नाम डॉन के पत्र में लिखे होने पर अचानक पुलिस की नजर कैसे टिक गई।

बम कांड के आरोपी गए जेल

पुलिस ने शनिवार को डॉन गु्रप के सभी सदस्यों को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें एक अप्रैल तक न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया गया। पुलिस ने मौदहापारा और समता कॉलोनी समेत पिछले साल डॉन गु्रप के नाम से हुए दो बम विस्फोट के आरोपियों सोनू (19) पिता भारचंद देशमुख, भीम उर्फ भुवनेश्वर (24) पिता केदार बाघ, सृजन (18) उर्फ सोना बाघ पिता रामलाल और किशन जगत (17) को जेएमएफसी मधु तिवारी की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 1 अप्रैल तक न्यायिक रिमांड में भेज दिया गया।

बेवजह फंसा रही है पुलिस

परिजनों को आरोप है कि पुलिस बीते बुधवार की सुबह कारों में हुए बम विस्फोट की किरकिरी से बचने और इस मुद्दे के विधानसभा में उठने के कारण खानापूर्ति करने में जुट गई है। उन्होंने बताया कि पुलिस एक साल से डॉन गु्रप तक पहुंचने में नाकाम रही है, इसलिए वह अपना बचाव करने के लिए बेकसूरों को फंसाने में तूल गई है। पुलिस महज इस आधार पर उन्हें डॉन गु्रप से जुड़ा बता रही है कि वे अपने दोस्तों के नाम के साथ डॉन लिखा करते थे। परिजनों से बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत राज्य मानव अधिकार आयोग से की है। हीनों से जांच पड़ताल में यह बात सामने नहीं आ पाई थी।

अवैध हथियारों का ठिकाना बनी राजधानी

बिहार, यूपी से लाकर खपाया जा रहा पिस्टल, कट्टा और कारतूस
रायपुर। राजधानी में अवैध हथियार बेचने का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है। पड़ोसी राज्यों से यहां बड़े पैमाने पर पिस्टल, कट्टा और कारतूस की चोरी-चुपके सप्लाई जारी है। इस मामले में पुलिस अब तक छोटी मछलियों को ही पकड़ पाई है।अवैध हथियारों की सप्लाई राजधानी तक पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश, झारखंड, बिहार से हो रही है। खरीद व बिक्री के कारोबार में शामिल लोग ज्यादातर बेरोजगार हैं। वहीं कुछ बदमाश किस्म के लोग भी सक्रिय होकर मोटी कमाई के चक्कर में हथियार लाकर यहां खपा रहे हैं। पिछले साल हथियारों की सौदागरी के कई मामले क्राइम ब्रांच की टीम ने पकड़े थे। जब्त किए गए हथियारों में अच्छी गुणवत्ता के पिस्टल, रिवाल्वर को जब्त करने में पुलिस को सफलता मिली थी। इन हथियारों को बीस से पचास हजार रुपए तक बेचा जा रहा था। अवैध हथियारों की आपूर्ति करने वाले सौदागर ज्यादातर यात्री बसों का उपयोग करते हैं क्योंकि यह सबसे महफूज साधन होता है। हलांकि ट्रेन रूट से भी हथियारों को लाए जाने की जानकारी क्राइम ब्रांच को है, लेकिन अभी तक सौदागर पुलिस की पकड़ में नहीं आए हैं। बिहार व उत्तरप्रदेश से सीधे कई एक्सप्रेस ट्रेनें राजधानी से होकर गुजरती हैं, इसका फायदा सौदागर उठाते हैं। वहीं आधा दर्जन से अधिक यात्री बसें राज्य के सीमावर्ती जिले सरगुजा के रामानुजगंज, वाड्रफनगर, बसंतपुर की ओर से अंबिकापुर होते हुए पहुंचती हैं। यह इलाका पड़ोसी राज्य झारखंड, यूपी और बिहार से लगे होने के कारण अतिसंवेदनशील हैं। इसी मार्ग से हथियारों को बस से आसानी से बिलासपुर से होते हुए रायपुर पहुंचाया जाता है। अवैध हथियारों को राजधानी तक पहुंचाने में बस कर्मियों की भूमिका संदिग्ध बताई जाती है। बिलासपुर व रायपुर की ओर आने वाली बसों में अधिकतर चालक व परिचालक बिहार, झारखण्ड व यूपी के होते हैं। सूत्र बताते हंै कि सौदागरों के साथ बस कर्मियों के बगैर मिलीभगत से हथियारों की आपूर्ति हो ही नहीं सकती। इसके एवज में उन्हें मोटी रकम मिलती है। यही वजह है कि यात्री बस में काम करने की आड़ में वे हथियार का कारोबार आसानी से कर लेते हैं। पुलिस व लोगों की नजरों से बचने के लिए हथियारों से भरे बैग को बस के केबिन, बर्थ या सीट के नीचे लावारिस छोड़ दिया जाता है ताकि कहीं कोई गड़बड़ी होने पर सौदागर चुपचाप बच निकले। इसमें बस कर्मचारी सब कुछ जानते हुए भी अनजान बन जाते हैं। ऐसे कई मामले पहले सामने आ चुके हैं। क्राइम ब्रांच व पुलिस ने संयुक्त रुप से पिछले साल अवैध हथियारों के दर्जन भर से अधिक मामले पकड़े थे। इस कारोबार में शामिल एक कांग्रेस नेता को भी पकड़ा गया था। क्राइम ब्रांच से मिली जानकारी के अनुसार आर्म्स एक्ट के 25 मामलों में 25 लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर 15 पिस्टल, 252 कारतूस जब्त किया गया। पकड़े गए आरोपियों में रावांभाठा निवासी राजा उर्फ बेअन्त सिंह गिल से एक देशी कट्टा 315 बोर व एक जिंदा कारतूस, चांदनी चौक, नेहरू नगर के नसीम खान से 32 बोर का एक देशी कट्टा, एक कारतूस खोखा,गभरापारा, टिकरापारा के प्रमय तिवारी से एक रिवाल्वर, 6 कारतूस, एक खाली खोखा, पचपेड़ी नाका के कृष्णकांत उर्फ श्रीकांत उर्फ राजा वर्मा से एक देशी पिस्टल, एक खाली खोखा सहित ब्राम्हणपारा के दीपक पांढकर, कुशालपुर पुरानी बस्ती के नीरज उर्फ जग्गु ठाकुर, सुभाष नगर, कुकरीपारा के संदीप धुर्वे, सौरभ मिश्रा, इम्तियाज खान इंदिरानगर, राजनांदगांव के कब्जे से संयुक्त रूप से एक सूटकेस में रखा तीन रिवाल्वर, करीब दस पिस्टल, तीन खाली मैग्जीन तथा 239 कारतूस, चाकू, आल्टो कार बरामद किया गया था। इसके अलावा यासीन अली इरानी डेरा व अन्य से एक देशी पिस्टल, पांच जिंदा कारतूस तथा कृष्णा उर्फ कृष्णानंद त्रिवेदी निवासी कृष्णानगर के पास से एक पिस्टल, एक देशी कट्टा, पांच जिंदा कारतूस शामिल है। इनमें अधिकतर आरोपी अवैध हथियारों की खरीद-बिक्री में लिप्त हैं। दो साल पहले शहरी नक्सली नेटवर्क का भंडाफोड़ कर पुलिस ने हथियारों का जखीरा पकड़ा था। मामले में नक्सली समर्थक प्रफुल्ल झा, असित सेन, सिद्धार्थ शर्मा, मीना, मालती सहित दर्जनों लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इसी तरह लाल गंगा काम्प्लेक्स,एमजी रोड में नीरज ठाकुर उर्फ जग्गु कुशालपुर ब्राम्हणपारा, संदीप धुर्वे कुकरीपारा तथा जिला सहकारी बैंक में निम्न श्रेणी कर्मचारी दीपक पाडुंलकर के कब्जे से पांच नाइन एमएम का पिस्टल, प्वाइंट थ्री एमएम के तीन कट्टा तथा 239 नग जिंदा कारतूस पकड़े गए थे। ये हथियार शिव पटेल व लाल प्यारे ने मिलकर सप्लाई किए थे। सभी जब्त हथियार अच्छी गुणवत्ता के थे।
अनेक सौदागर सक्रिय
पिछले साल दुर्ग-अंबिकापुर एक्सप्रेस ट्रेन हथियार की सप्लाई करने के लिए राजधानी पहुंचे सरगुजा जिले के बतौली थाना अतंर्गत ग्राम पार्वतीपुर निवासी प्यारेलाल बरगाह (24) को पुलिस ने पकड़ा था। उसके पास से सेवन प्वाइंट सिक्स एमएम का पिस्टल तथा उसमें लोड कारतूस जब्त किए गए थे। पूछताछ में आरोपी ने जानकारी दी थी कि यह हथियार बतौली क्षेत्र के बरगीडीह निवासी शिव पटेल ने उसे बेचने के लिए दिए थे। पहले भी वह दो बार यहां आकर ऐसे हथियार खपा चुका है। राजधानी सहित अन्य शहरों के अलावा मप्र में शिव पटेल ही हथियारों की सप्लाई करता है। खबर है कि लंबे समय से पड़ोसी राज्य झारखंड के गढ़वा, पलामू से हथियार लाकर शिव पटेल ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में बेरोजोगार युवकों के माध्यम से हथियारों की सप्लाई करता रहा है। क्राइम ब्रांच को इसकी जानकारी है परंतु काफी प्रयासों के बाद भी वह अब तक पकड़ में नहीं आ सका है।

Monday, March 15, 2010

सिखा रहे सेक्स से पैसा कमाना

राजधानी में चल रहे रेकेट सेक्स
आवश्यकता है राजधानी के प्रसिद्ध ब्यूटी पार्लर को यंग और स्मार्ट लड़के और लड़कियों की जिन्हें अपने काम का ज्ञान हो। इच्छुक व्यक्ति स्वयं मिले। जैसे विज्ञापन आजकल विभिन्न समाचार पत्रों में रोज ही देखने को मिल जाते हैं। इन विज्ञापनों में युवक और युवतियों को मोटी कमाई का लालच भी दिया जाता है। यह मोटी कमाई कैसे हो सकती है, यह जानने के लिए आठ पार्लर संचालकों से फोन पर बात की तो कई आश्चर्यजनक बातों का खुलासा हुआ। जिन पार्लर से संपर्क किया गया उनमें से किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं कि फोन करने वाली को ब्यूटीशियन के काम की कितनी जानकारी है। उनका पूरा जोर पहले ही कांटेक्ट में फोन करने वालों की उम्र और कद- काठी की जानकारी लेने पर विशेष रहा। फोन पर जब इस काम में कमाई की सीमा जानने की कोशिश की तो जबाब में बताया गया कि यह आपकी सुंदरता और स्मार्टनेस पर डिपेंड है। इसके आगे फोन पर ज्यादा बातें करने के बजाए फेश टू फेश मिलने को कहा गया। इसलिए इस मोटी कमाई का राज जानने के लिए जब इन पार्लर पर जाकर उनके संचालकों से मुलाकात की तो मौके पर जो देखा वह सब कुछ चौंकाने और डराने वाला था। मालवीयनगर स्थित एक पार्लर में उस समय दो लड़के और दो लड़कियां मौजूद थे। कमरे में अन्दर बैठे पार्लर प्रतिनिधि ने शुरूआत ही इस सवाल से की क्या आपकी शादी हो गई? जवाब में हां सुनकर उसका कहना था गुड, इस काम के लिए शादीशुदा लड़कियां ही हमारी पहली पसंद हैं। पार्लर में क्या-क्या काम कर सकती हो जैसा जरूरी सवाल, अन्य अनेक द्विअर्थी सवाल के संतोषजनक जवाब पाने के बाद पूछा गया। जब उन्हें यकीन हो गया की वाकई में सामने वाले को पैसों की जरूरत है, तब वह अपने असली रंग में आए। इसके लिए वो जानना चाहते थे कि क्या आप वाकई में ढेर सारे रुपए, कम समय में कमाना चाहती है? जब इस सवाल का जवाब भी उन्हें हां में मिला तो उन्होंने कहा, ठीक है इसके लिए आपको पार्लर में आने वाले जेंट्स क्लाइंट्स को फुल बॉडी मसाज देने में अगर कोई एतराज न हो तो आपको हम प्रति दिन दस से 15 हजार रूपए तक दे सकते हैं। यह काम आप जितने फ्रेंकली करेंगी, पैसा उतना ही अधिक। साथ ही अगर आपको मसाज देने के लिए क्लाइंट के घर भेजा जाएगा तो आने जाने का खर्च भी दिया जाएगा। वैसे होम सर्विस में हम आपको ज्यादा पे करेंगे, वैसे भी होम सर्विस ज्यादा इंज्वायविल और सेफ होती है। उनकी बात का पूरा इशारा समझने के बाद भी जब हमारी प्रतिनिधि ने काम करने में रुचि दिखाई तो महोदय न केवल अश्लीलता पर उतर आए बल्कि उसी समय पार्लर में घुसे एक ग्राहक के लिए तत्काल सेवा देकर नौकरी की शुरूआत करने का आफर भी दे डाला। इसलिए स्थिति को खतरनाक होते देख प्रतिनिधि ने वह स्थान ही छोड़ने में भलाई समझी। इसके बाद प्रतिनिधि एक अन्य नामी पार्लर में गई, तो वहां भी ज्यादातर कॉलेज के छात्रों को सर्विस लेते पाया। इस पार्लर में भी वही सब सवाल किए गए जो पहले पार्लर में पूछे गए थे। हां यहां सुरक्षा की दृष्टि से सवाल सीधे तौर पर न करके घुमा कर किए गए। लेकिन अंग्रेजी जानने और का शौक रखने वाली लड़कियों को यहां काम के बदले में ज्यादा कमीशन देने की बात कही गई। काम वहीं जेंट्स मसाज, जैसी ग्राहक चाहे। इस पार्लर में पैकेज टूर की सुविधा भी है इसलिए प्रतिनिधि से यह भी पूछा की आपको क्लाइंट के साथ बाहर जाने में कोई दिक्कत तो नही है? जब प्रतिनिधि ने एक दो दिन के लिए बाहर जाने में सहमति दिखाई तो उन्होंने दिलासा दी की आपको जगहों पर जाना पड़ सकता है। बाहर जाने पर दैनिक वेतन 20 से 25 हजार रुपए देने की बात कही गई। जिसमें शर्त यह थी कि आपको कितने क्लाइंट को सर्विस देनी होगी यह हम तय करेंगे, जो आपको माननी ही होगी हां समय सीमा जरूर तय थी, चौबीस घंटे। फ्री होकर काम करोगी तो कम समय में ढेरों कमाओगी। चौका देने वाली बात तो यह है कि इस तरह की सेवा देने वाले सारे पार्लर एक सिंडीकेट की तरह अपना जाल फैलाए हैं। हमारे प्रतिनिधि की और किन-किन पार्लर में काम को लेकर चर्चा हुई यह जानकारी दूसरे पार्लर वालों को थी। दूसरी चौकाने वाली बात यह है कि इन लोगों का यह व्यापार बड़े पैमाने के साथ-साथ आस-पास के जिलों में भी चल रहा हैं। सभी पार्लर वालों ने यह विश्र्वास दिलाया कि उनके ग्राहक शहर के ही नहीं बल्कि प्रदेश के बड़े-बड़े रईस, राजनेता और असरदार अफसर हैं जिनको सेवा देने में पैसा तो मिलेगा ही अगर वो मेहरबान हो गए तो अन्य सुविधाएं उनसे ले लेना आपकी काबलियत में निर्भर है। इनका यह भी दावा था कि उनसे जुड़ी लड़की पर हाथ डालने की हिम्मत किसी शहर की पुलिस में नहीं है इसलिए जितना बिंदास होकर काम करोगी उतना ही अधिक कमाओंगी यहीं नहीं काम के लिए दूसरी लड़कियां लाने पर उनकी सुंदरता के हिसाब से प्रतिमाह उनकी कमाई में से कमीशन देने की बात भी कही गई। जब उनसे भोले बनकर यह कहा गया कि अरे लड़कियों को मैं कहां से लाऊंगी तो तुरंत ही रास्ता बताते हुए राजधानी के विभिन्न कोचिंग क्लासेस में बाहर के शहरों से पढ़ने आई लड़कियों से दोस्ती बढ़ाने की सलाह भी दे डाली गई और यह भी कहा गया कि अगर आप हमारे लिए काम करेंगी तो जल्द ही जान जाओगी की इस काम में कैसे-कैसे परिवारों की हाईली क्वीलीफाइड और हाई प्रोफाइल लड़के, लड़कियां तथा आंटी जुड़ी हैं। यह तस्वीर राजधानी के कुछ गिने-चुने नामी पार्लर को छोड़कर लगभग हर पार्लर की है जहां पुरुषों को मसाज देने के नाम पर लड़कियों को गलत काम में ढकेला जा रहा है। अनेकों बार पुलिस ने ऐसे पार्लर पर छापे डालकर देह-व्यापार होते रंगे हाथों पकड़ा है उसके बाद भी चल रहे ऐसे पार्लर की बड़ी संख्या यह बताती है कि अब कहीं न कहीं पुलिस और प्रशासन की मिली भगत से ही यह धंधा सरे आम फल फूल रहा है।

Saturday, March 13, 2010

आईपीएल में सट्टा, चार गिरफ्तार


रायपुर। आईपीएल-थ्री के मैच के शुरू होते ही राजधानी में एक बड़े हाईटेक सट्टेबाजी का पुलिस ने खुलासा किया। पंडरी थाना क्षेत्र के अवनी विहार स्थित एक आलीशान बंगला में बुकिंग का नया तरीका इजाद कर मोबाइल के स्थान पर इंटरनेट चैटिंग से लाखों का सट्टा लगाते दो पार्टनर समेत चार लोग पकड़े गए। मौके से नकदी एक लाख, 26 मोबाइल, दो लैपटॉप, टीवी, चार पेटी शराब, इनकमिंग कनेक्टिंग मशीन तथा 50 लाख के हिसाब-किताब की पर्ची आदि पुलिस ने बरामद की है। एएसपी सिटी रजनेश सिंह ने बताया कि अवनी विहार स्थित एक आलीशान बंगले में हाईटेक तरीके से आईपीएल के हर मैच पर सट्टे का दांव लगाने की सूचना मिली थी। शनिवार की शाम 6 बजे सादे वर्दी में पुलिस टीम ने वहां छापा मारा। नागपुर से संचालित किए जा रहे सट्टेबाजी के खेल में शामिल कटोरा तालाब गली नंबर पांच निवासी अनिल जयसिंघानी, एमजी रोड निवासी प्रमील सग्गर, गुढ़ियारी के पारसमणि मानिकपुरी तथा छोटा नहर, दानापुर(बिहार) निवासी गोंविद साहनी को पकड़ा गया। अनिल जयसिंघानी, प्रमील सग्गर पार्टनर हैं। मौके से नकदी एक लाख, दो लैपटॉप, 26 मोबाइल, 40 मैचों की वाइस रिकार्डिंग व खाली कैसेट, दो वाकमैन, चार पेटी शराब तथा 50 लाख के हिसाब-किताब मिले, जिसे जब्त कर लिया गया।
बाथरूम का दरवाजा तोड़कर घुसी पुलिस
आलीशान बंगले के भीतर चल रहे हाईटेक सट्टेबाजी के खेल का पर्दाफाश करने जब शाम 6 बजे पुलिस टीम अवनी विहार पहुंची तो दरवाजे के बाहर ताला लगा था। दीवार फांदकर बाथरूम में प्रवेश करने के बाद पुलिस ने दरवाजा तोड़कर एक कमरे में क्रिकेट मैच पर दांव लगा रहे सट्टेबाजों को धर दबोचा। उस समय सट्टेबाजों को जरा भी अहसास नहीं हुआ कि पुलिस ने छापामार कार्रवाई की है।
कोडवर्ड में दांव
आईपीएल सीजन-थ्री के शुरू होते ही बुकियों ने इंटरनेट चैटिंग के जरिए पहली बार भाव बताने के लिए फर्जी ई-मेल आईडी बना ली थी। आईपीएल के हर मैच का हरेक पाइंटर को कोडवर्ड में रोज का हिसाब-किताब भेजना होता है। मैच समाप्ति के बाद हवाला के जरिए पैसे बुकियों तक पहुंचा दिया जाता है। एएसपी सिटी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अवनी विहार में बड़े पैमाने पर चल रहे सट्टेबाजी के खेल में के.एल कोडवर्ड का पता लगा। पूछताछ में खाईवाल ने के-खाया और एल का मतलब लगाया बताया है।

Friday, March 12, 2010

सरगुजा को मिली नई ट्रेन की सौगात

मुख्यमंत्री ने झंडी दिखाकर किया रवाना
जबलपुर एक्सप्रेस हुई रवाना
अम्बिकापुर। बहुप्रतीक्षित अम्बिकापुर-जबलपुर एक्सप्रेस ट्रेन 12 मार्च २०१० से शुरू हो गई। राज्य के मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने अपार जनसमूह की उपस्थिति में स्थानीय रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर इस ट्रेन को रवाना किया। दुल्हन की तरह सजी यह ट्रेन शाम 5।30 बजे जबलपुर के लिए जैसे ही रवाना हुई, लोगों के चेहरे खुशी से खिल उठे। वर्षों से रेल सुविधाओं से उपेक्षित सरगुजावासियों ने इस एतिहासिक पल को तालियों की गड़गड़ाहट से यादगार बना दिया। पहली ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों तथा उपस्थित लोगों ने एक दूसरे को हाथ हिलाकर अभिवादन किया। मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह ने स्टेशन परिसर के सभा स्थल से बटन दबाकर ट्रेन का शुभारम्भ किया। सभा स्थल से ही हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को रवाना किया गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सरगुजा के लिए ऐतिहासिक क्षण बताते हुए इस सौगात के लिए जिलेवासियों को बधाई दी।
विकास का नया अध्याय
उन्होनें कहा कि अम्बिकापुर-जबलपुर एक्सपे्रस क्षेत्र के विकास में नई दिशा व अध्याय तय करेगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ करवट बदल रहा है। विकास के क्षेत्र में राज्य आगे बढ़ रहा है। अम्बिकापुर-जबलपुर एक्सप्रेस ट्रेन इस बात की गवाह है। इस ट्रेन के शुरू हो जाने से यहां के लोग सीधे जबलपुर व नर्मदा की सैर कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी ने जिस सोच के साथ राज्य का निर्माण किया था, आज वह सपना पूरा होता दिख रहा है। शांति के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। सरकार 50 वर्षों को ध्यान में रखकर कार्ययोजना के तहत काम कर रही है। देखेंगे आगे आने वाले समय में छत्तीसगढ़ हर क्षेत्र में आगे होगा। उन्होंने कहा कि सरगुजा में आने वाले समय में रेल का जाल होगा। हमने यहां की सम्पदाओं का उल्लेख करते हुए रेल मंत्रालय से अम्बिकापुर को अन्य राज्यों से रेल सुविधाओ से जोड़ने की मांग की है, और उम्मीद है कि हमारी मांग पूरी होगी। मुख्यमंत्री ने इस सौगात के लिए सरगुजा के जनप्रतिनिधियों तथा लोगों की सराहना की। विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि सरगुजा के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। वनवासी क्षेत्रों में जहां प्रचुर मात्रा में कोयला है, ऐसे क्षेत्र पिछड़े हुए थे। राज्य की भाजपा सरकार राज्य स्तर पर हर क्षेत्र में जहां विकास कर रही है, वहं केन्द्र से मिलने वाली सुविधाओं के लिए सतत प्रयत्नशील है। उन्होंने इस सौगात के लिए मुख्यमंत्री तथा जनप्रतिनिधियों की प्रशंसा की। कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री रामविचार नेताम, सांसद, संसदीय सचिव सिद्धनाथ पैकरा, भैयालाल राजवाड़े, सांसद मुरारीलाल सिंह, विधायक टीएस सिंहदेव, रविशंकर त्रिपाठी, महापौर प्रबोध मिंज आदि उपस्थित थे।

Thursday, March 11, 2010

दो कैदी फरार,जेल का बैंड बजा


वैवाहिक कार्यक्रम में बैंड बजाते समय भागे सजायाफ्ता कैदी

रायपुर। बुधवार की रात एक वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान बैंड पार्टी में शामिल होकर बैंड बजा रहे सेन्ट्रल जेल के दो कैदी कालीबाड़ी चौक से जेल प्रहरियों को चकमा देकर भाग निकले। घटना की सूचना पर कोतवाली पुलिस ने अपराध दर्ज कर फरार कैदियों की तलाश शुरू कर दी है। जेल के कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शासन स्तर पर विभिन्न रोजगारमूलक कार्यक्रम चलाए जा रहे है। इसी क्रम में बैंडपार्टी गठित कर इसमें प्रशिक्षित कैदियों को जेल की चाहर दीवारी के बाहर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भेजा जाता है। पुलिस ने बताया कि बुधवार को शीतला कालोनी पंडरी निवासी नंदकुमार डोंगरे ,सुनील डोंगेरे के यहां वैवाहिक कार्यक्रम आयोजित था। इसमें जेल की आस्था नामक बैंडपार्टी की बुकिंग की गई थी। तयशुदा कार्यक्रम के तहत शाम से ही बैंड बजाने के लिए पूरे साजों-सामान के साथ जेल के 16 कैदियों को पंडरी लाया गया था। कैदियों के साथ उन पर नजर रखने कुछ प्रहरियों को भी जेल प्रशासन ने भेजा था। पंडरी से कालीबाड़ी चौक के बीच निकली बारात में बैंड बजाते हुए सभी कैदी पहुंचे। इस बीच रात 8.30 बजे मौका पाकर बलवंत सारथी वल्द कदम (45) तथा गोपी उर्फ रागोपाल सिंह वल्द धरम सिंह (43) नामक कैदी मौका पाकर प्रहरियों को चकमा देकर भाग निकले। कैदियों के गायब होने का पता उस वक्त लगा जब समारोह खत्म हो जाने के बाद रात 10 बजे जेल वाहन से बैंडपार्टी के कैदियों को वापस लाया गया। गिनती में दो कैदियों को कम पाकर प्रहरियों के होश उड़ गए थे। वरिष्ठ अधिकारियों को जब यह सूचना मिली तो हड़कंप मच गया। फरार कैदी बलवंत सारथी मूलत: बीरगांव व्यास तालाब के पास खमतराई हाल मुकाम जवाहरपारा ,बालौद,दुर्ग का निवासी है। दुर्ग न्यायालय से उसे हत्या के मामले में 2 जनवरी 2001 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वही मूलत: ग्राम राजाडेरा,पिथौरा,महासंमुद निवासी गोपी उर्फ रामगोपाल सिंह को अनाचार व हत्या के प्रयास के मामले में 8 अक्टूबर 08 को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया गया था। तब से दोनों सेन्ट्रल जेल में सजा काटते आ रहे थे। बहरहाल दौ कैदियों के फरार होने के मामले में कोतवाली पुलिस ने जेल अधीक्षक की ओर से रमेश साहू (43) की रिपोर्ट पर मामले में धारा 224 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है। जेल प्रशासन के साथ पुलिस ने मिलकर फरार कैदियों की सरगर्मी से तलाश शुरु कर दी है। उनके घरों में भी दबिश दी गई लेकिन कही कोई पता नही चल पाया।
दो प्रहरियों के भरोसे थे 16 कैदी

बैंडपार्टी में कुल 16 कैदी शामिल थे। इनकी ज्यादा संख्या होने के बावजूद जेल प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था को नजर अंदाज करना भारी पड़ गया। कैदियों को लाने और ले जाने के लिए मात्र दो प्रहरी राधेश्याम गोरे,जितेन्द्र मसीह तथा वाहन चालक रसीद खान की ड्यूटी लगाई गई थी। बताया गया कि कैदियों के फरार होने का पता कालीबाड़ी चौक में ही प्रहरियों को लग गया था, बावजूद उन्होंने जेल अधिकारियों को तत्काल इसकी जानकारी नहीं दी। इसका पता न चल सके, इसलिए फरार कैदियों की तलाश स्वयं प्रहरी करते रहे। लेकिन जब उनका कोई पता नहीं चला तब प्रहरियों ने यह जानकारी वरिष्ठ अफसरों को दी।

निलंबित किए गए प्रहरी

सेन्ट्रल जेल अधीक्षक डा।केके गुप्ता ने बताया कि बैंडपार्टी के दो कैदियों के फरार होने की जानकारी विलंब से देने के मामले राधेश्याम गोरे और जितेन्द्र मसीह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। फरार कैदियों की तलाश की जा रही है।

Monday, March 8, 2010

थाने में नहीं मिली टीआई तो निलंबित, जो ड्यूटी पर पहुंचा ही नहीं उसे बख्शा

ये कैसी पुलिसिया न्याय व्यवस्था
रायपुर। होली के दौरान ड्यूटी से कुछ घंटों के लिए नदारत रहने वाली टीआई को अफसरों ने तत्काल निलंबित कर दिया लेकिन कप्तान कार्यालय में पदस्थ एक बाबू को पूरे 24 घंटे ड्यूटी से गायब रहने के बावजूद न तो निलंबित किया गया और न ही उसे किसी तरह की सजा दी गई। दोहरेपन की इस कार्रवाई की पुलिस महकमे में इन दिनों जमकर चर्चा है। होली के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर में पुलिस कर्मियों की विभिन्न थाना क्षेत्रों में ड्यूटी लगाई गई थी। एसपी कार्यालय में पदस्थ 30 बाबुओं में पांच बाबुओं को भी ड्यूटी में तैनात किया गया था। इनमें से एक एएसआई(एम) पवन बांधे की ड्यूटी होली के एक दिन पहले निर्धारित की गई थी, लेकिन श्री बांधे को होली के दिन तक यह पता नहीं था कि उनकी ड्यूटी लगाई गई है। इससे बेफ्रिक श्री बांधे माना स्थित अपने आवास में दिनभर आराम फरमाते रहे। आश्चर्य की बात तो यह है कि आला अफसरों के औचक निरीक्षण के बावजूद बांधे ड्यूटी पर हैं या नहीं, इसकी भनक किसी को नहीं लगी और न ही संबंधित थाने में उनकी आमद और रवानगी के संबंध में अफसरों ने पता करना मुनासिब समझा। होली पर ड्यूटी में तैनात पुलिस कर्मचारियों पर नजर रखने आईजी और एसपी भ्रमण करते हुए पुरानी बस्ती थाना पहुंचे थे। थाना प्रभारी लता चौरे को ड्यूटी से नदारद देख अफसरों ने जानकारी ली। पता चला कि वे घर पर हैं। बस फिर क्या था, तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित कर लाइन अटैच कर दिया गया। बताया गया है कि ड्यूटी के दौरान लता चौरे आधे घंटे के लिए खाना खाने घर गई हुई थीं, लेकिन नाखुश मातहत कर्मचारियों ने अफसरों के कान में यह फूंक दिया था कि मैडम के साथ कई अन्य कर्मचारियों का घंटों से कोई अता-पता नहीं है। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए थाना प्रभारी चौरे समेत अन्य छोटे कर्मचारियों पर निलंबन की गाज गिराकर अफसरों ने यह संदेश देने का प्रयास किया था कि ड्यूटी में लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह कार्रवाई अपनी जगह पर सही है लेकिन जब कुछ घंटे गायब रहने पर थानेदार को निलंबित करने में अफसरों ने जरा भी देर नहीं की, तो पूरे 24 घंटे तक ड्यूटी से नदारद रहने वाले एएसआई को आखिर क्यों बख्श दिया गया? यह सवाल पुलिस महकमे में उठने लगा है। सूत्रों ने बताया कि एसपी कार्यालय का बाबू होने के कारण पवन बांधे को सजा देने में अफसर असहाय हो गए। दोहरेपन की इस कार्रवाई को लेकर अनुशासन में बंधे छोटे पुलिसकर्मियों ने चुप्पी तो साध ली है लेकिन खुसुर-फुसुर तो चल ही रहा है।

Sunday, March 7, 2010


कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर से भुगतान

कोतवाली सीएसपी को मिला गुमनाम पत्र,मामले की जांच शुरू
रायपुर। पांच साल पूर्व अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति के माध्यम से ट्रैक्टर ट्राली की खरीदी में कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर कर एजेंसी को 24 लाख रुपए का भुगतान करने का एक मामला सामने आया है। कोतवाली सीएसपी को एक गुमनाम पत्र में यह शिकायत मिली है। जिस पर पुलिस जांच कर रही है। कोतवाली सीएसपी मनीषा ठाकुर ने बताया कि उन्हें एक गुमनाम पत्र मिला है। इस पत्र में शिकायतकर्ता ने कलेक्टोरेट स्थित अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति के माध्यम से ट्रैक्ट्रर ट्राली की वर्ष 2004-05 में खरीदी में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया है। पत्र में कहा गया है कि समिति के माध्यम से तत्कालीन तत्कालीन कलेक्टर सीके खेतान के अनुमोदन पश्चात 17 ट्रैक्टर ट्राली की खरीदी की गई थी। चयनित किए गए हितग्राहियों को यह ट्राली देना था। उस समय कलेक्टर श्री खेतान ने हितग्राहियों को ट्राली का वितरण करने के बाद ही संबंधित ट्राली एजेंसी को राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि भुगतान करने से पहले इस संबंध में उनसे चर्चा अवश्य कर ली जाए। लेकिन कलेक्टर के इस निर्देश की अवहेलना कर उनके अनुमति के बगैर फर्जी हस्ताक्षर के जरिए नोटशीट चलाया गया। बाद में संबंधित एजेंसी को 23 लाख 90 हजार रुपए का भुगतान भी कर दिया गया। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब पिछले दिनों किसी ने अंत्यावसायी के सीईओ पीके शर्मा को एक गुमनाम पत्र भेजकर ट्रैक्टर ट्राली खरीदी में लाखों की हेराफेरी की शिकायत की। श्री शर्मा ने इस शिकायत पत्र को पुलिस के हवाले कर दिया है। बताया गया कि कलेक्टर का फर्जी हस्ताक्षर समिति के तत्कालीन सीईओ ने करते हुए लाखों रुपए निकाल लिए थे। बहरहाल जांच उपरांत प्रमाण मिलने पर आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया जाएगा।

Saturday, March 6, 2010


kumar satish

पिस्टल उड़ाने वाले एएसआई को जबरिया सेवानिवृत्ति


पांच साल पहले थाने के शस्त्रागार से गायब हुआ था पिस्टल, अब तक नहीं मिला

सतीश पाण्डेय

रायपुर। नए कारनामों के लिए हमेशा विवाद मिश्रित सुर्खियों में रहने वाले पुलिस विभाग ने इस बार सारे रिकार्ड तोड़ डाले हैं। एक सहायक उपनिरीक्षक द्वारा पांच साल पूर्व शस्त्रागार से लिए गए पिस्टल और कारतूस के गायब होने के संगीन मामले में लंबी विभागीय जांच पड़ताल के बाद लीपापोती कर दी गई। आरोपी एएसआई को ऐच्छिक सेवानिवृत्ति की सजा देकर अफसरों ने बख्श दिया। बात-बात पर अपने कर्मचारियों को सस्पेंड और लाइन अटैच करने के लिए कुख्यात विभाग ने शासकीय संपत्ति की खयानत करने वाले इस एएसआई को न तो कभी निलंबित किया और न ही थाने से हटाया। शुक्रवार पांच फरवरी तक वह मंदिर हसौद थाने में सीना तानकर ड्यूटी बजा रहा था। खबर है कि शनिवार को दी गई सजा के मुताबिक उसे ऐच्छिक सेवानिवृत्ति देकर विभाग से विदा कर दिया गया। मिली जानकारी के अनुसार महासमुंद पुलिस थाने में पदस्थ तत्कालीन सहायक उपनिरीक्षक उदयपाल सिंह भदौरिया ने 21 जून 2005 को ड्यूटी के नाम पर माल मोहर्रिर दाऊराम सागर व मददगार आरक्षक की मौजूदगी में शस्त्रागार से रिवाल्वर बट नंबर 06(175) बाडी नंबर 97665 व पांच नग जिंदा कारतूस लिए। इस दौरान एएसआई ने शस्त्र पावती रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं किया। यही नहीं, रोजनामचा सान्हा क्रमांक 1094 में रवानगी और वापसी की दर्ज रिपोर्ट में भी प्रधान आरक्षक कृष्ण कुमार वर्मा ने एएसआई के कहने पर शस्त्र व कारतूस की प्राप्ति तथा जमा का कोई उल्लेख नहीं किया। एएसआई ने मददगारों को ड्यूटी में जल्दी पहुंचना है, आकर हस्ताक्षर कर दूंगा, कहकर भरमा दिया था। मामले में निरीक्षक प्रेमकांत अवस्थी, एएसआई उदपाल सिंह भदौरिया, प्रधान आरक्षक दाऊराम सागर क्रमांक 15, प्रधान आरक्षक कृष्ण कुमार वर्मा क्रमांक 32 तथा आरक्षक शिवचरण नेताम क्रमांक 112 के खिलाफ षड़यंत्र के तहत शासकीय संपत्ति की खयानत करके घोर अनुशासनहीनता और लापरवाही बरतने की विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू की गई। जांच अधिकारी तत्कालीन एसपी महासमुंद डॉ।आनंद छाबड़ा ने पांचों पुलिस कर्मचारियों पर लगाए गए आरोप को पूर्णरूप से प्रमाणित पाया था। आरोपी बनाए गए निरीक्षक प्रेमकांत अवस्थी ने अपने अभ्यावेदन में बताया कि पिता का निधन हो जाने के कारण वे 1 जून से 21 जून 05 तक अवकाश पर थे। इस दौरान उपनिरीक्षक सहदेव ठाकुर थाने के प्रभार में थे। घटना दिनांक को प्रधान आरक्षक दाऊराम सागर के निर्देश पर आरक्षक शिवचरण द्वारा रिवाल्वर व कारतूस एएसआई भदौरिया को दिया गया था, जिसका उल्लेख उसने शस्त्र वितरण रजिस्टर में किया है, परंतु बट नंबर का उल्लेख नहीं है और न ही भदौरिया से पावती ली गई। रोजनामचे में भी इसका कोई जिक्र नहीं है। शस्त्र वितरण रजिस्टर में इस रिवाल्वर की वापसी नहीं दर्शाई गई और न ही 21 जून के बाद भदौरिया को रिवाल्वर, कारतूस इश्यू हुआ है। थानेदार ने साफ कहा है कि भदौरिया ने या तो शस्त्र गुमा दिया या कोई और बात हो सकती है। जबकि एएसआई भदौरिया का कहना था कि उसे षड़यंत्रपूर्वक फंसाया जा रहा है, उसे शस्त्र इश्यू ही नहीं किया गया था। एसपी के वार्षिक निरीक्षण के दौरान रिवाल्वर गुमने की बात सामने आई थी। प्रधान आरक्षक वर्मा ने बताया कि वारंटी को पकड़ने वह राजनांदगांव जाने के लिए वाहन में स्टाफ के साथ बैठ गए थे, उसी समय उससे रवानगी डालने कहा गया। शस्त्र के बारे में किसी ने कुछ नहीं बताया था, इसलिए उसका उल्लेख रवानगी में नहीं है। वहीं माल मोहर्रिर दाऊराम ने अपने आप को निर्दोष बताते हुए कहा है कि एएसआई को छेदीलाल, वर्मा व नेताम द्वारा शस्त्र इश्यू किया गया था। एएसआई को ड्यूटी पर जाते समय शस्त्र के साथ अन्य कर्मचारियों ने देखा था। आरक्षक शिवचरण का कहना था एएसआई को शस्त्र मैंने दिया था, लेकिन उन्होंने जल्दीबाजी में हूं कहकर पावती नहीं दी। वरिष्ठ अधिकारी होने के कारण वह पावती के लिए जिद नहीं कर सका। सभी आरोपी पुलिस कर्मचारियों के अभ्यावेदन उपरांत मामले में 23 फरवरी 2010 को आईजी दुर्ग क्षेत्र द्वारा 253 पन्ने के फैसले में निरीक्षक अवस्थी को जहां कर्तव्यपालन में लापरवाही बरतने का आरोपी पाकर एक हजार रुपए का अर्थदंड दिया, वहीं एएसआई भदौरिया को इस गंभीर त्रुटि के लिए सेवा से बर्खास्त करना उपयुक्त मानते हुए भी आदेश में कहा गया कि लंबी सेवा अवधि को दृष्टिगत रखते हुए और मानवीय आधार पर विचार करने के बाद बाध्य सेवानिवृत्ति का दंड और गायब शस्त्र की कीमत उसके देय स्वत्वों से वसूली करने, प्रधान आरक्षक दाऊराम को जुलाई माह में देय एक वेतनवृद्धि एक साल तक रोकने के आदेश के साथ प्रधान आरक्षक कृष्ण कुमार वर्मा तथा शिवचरण की इस मामले में कोई गंभीर त्रुटि न पाकर इनके खिलाफ आदेशित विभागीय जांच नस्तीबद्ध कर दिया गया।

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-शस्त्रागार से पिस्टल,कारतूस लेकर वापस न लौटाने के मामले में एएसआई उदयपाल सिंह भदौरिया समेत अन्य पुलिस कर्मियों को दोषी पाया गया था। मैंने जांच रिपोर्ट आईजी कार्यालय को सौंप दी थी। इसमें आगे क्या कार्रवाई हुई इसकी जानकारी मुझे नहीं है।

-डॉ.आनंद छाबड़ा पुलिस अधीक्षक (तत्कालीन जांच अधिकारी)

विभागीय जांच में मंदिर हसौद थाने में पदस्थ एएसआई उदयभान सिंह भदौरिया को दोषी पाकर उसे जबरिया सेवानिवृत्त कर दिया गया है। गायब शस्त्र की कीमत उसके देय स्वत्वों से वसूला जाएगा। दोषी को पर्याप्त सजा दी गई है या नहीं, यह तो सजा देने वाले का आउटलुक है।

-अमित कुमार (एसपी,रायपुर)

-आईजी दुर्ग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, फिलहाल मैं अभी नौकरी में हूं। मुझे साजिश के तहत फंसाया गया है।

-उदयपाल सिंह भदौरिया (सहायक उपनिरीक्षक )


अपराध की कटीली राहों पर बढ़ती कमसिन बालाएं




सत्रह साल की लड़की अपनी सहेली को धोखे से शराब के नशे में मस्त अपने तीन दोस्तों को केवल इसलिए सौंप देती है ताकि वे सब उसके साथ मस्ती कर सकें। संपन्न और सुशिक्षित परिवार की इस शिक्षित लड़की का यह व्यवहार सामान्य नहीं कहा जा सकता। संपन्न परिवार के चिराग उस युवती को जबरन शराब पिलाकर उसके साथ बलात्कार की कोशिश करते हैं और असफल रहने पर उसे रात के दो बजे सुनसान सड़क पर चलती गाड़ी से फेंक देते हैं। इसी तरह मध्यम वर्ग की दो नाबालिग लड़कियां रांग नंबर से आए फोन पर अंजान लड़कों से मस्ती के लिए उनसे यू आसानी से दोस्ती कर लेती है कि जैसे यह सब उनके लिए कोई नई बात नहीं। इतना ही नहीं दोनों लड़कियां उन अंजान लड़कों के बुलावे पर उनके सुनसान घर में अकेले जाने में भी नहीं हिचकती और फिर एक सहेली, दूसरी सहेली का, उसके बॉय फ्रेंड के दोस्त के साथ अंतरंग पलों का एमएमएस बना लेती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि बाहर कमरे में बैठी लड़की की मदद वह युवक करता है खुद जिसकी प्रेमिका अंदर के कमरे में उसके ही दोस्त के साथ एकांत में पल बिता रही थी। यह वे घटनाएं है जो पिछले एक पखवाड़े में राजधानी में घटित हुई और पुलिस के लिए सरदर्द बनी हुई हैं। अपनी ही सहेली को दोस्तों के हवाले करने वाली युवती जहां अब तक पुलिस की पकड़ से दूर है वहीं पुलिस के अनुसार दूसरे मामले में खुद पीडि़त लड़की ही अपने वास्तविक प्रेमी को बचाने के लिए बार-बार बयान बदल कर रोज नए संकट पैदा कर रही है। पुलिस का मानना है कि अब ऐसी लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिन्हें अपराध में अब भय नहीं रोमांच नजर आने लगा है। ऐसी घटनाएं बताती हैं कि अब प्रदेश की अधिकांश लड़कियों की मानसिकता में व्यापक बदलाव आया है। युवतियों को समाज तथा परिवार से अधिक अपने व्यक्तिगत सुख की चिंता अधिक है और इसके लिए वह अपराध की किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार है । प्रदेश की युवतियों में बढ़ रही हर कीमत पर सब कुछ पाने की प्रवृति का सबसे सटीक उदाहरण हैं। लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं की केवल उच्च और मध्यम वर्ग की युवतियों में ही यह प्रवृति बढ़ रही है। जब निम्न वर्ग की दो लड़कियों मस्ती के लिए अपने प्रेमियों के साथ भाग गई और पकड़े जाने पर खुद अपने ही पिता के खिलाफ ही उनके बेचे जाने का आरोप लगाकर पिता को गलत और अपने प्रेमियों को सही ठहराने पर तुल गई थी। कहना नहीं होगा की प्रदेश की युवतियों की सोच में अब व्यापक परिवर्तन आता जा रहा है। महानगरों की तरह प्रदेश के छोटे-छोटे नगरों में भी सेक्स से जुड़े ऐसे अपराध देखने में आने लगे हैं जिनमें कहीं न कहीं युवतियों की भी भूमिका भी रही है। यही नहीं महानगरों की तरह युवतियों में समलैंगिक संबंध भी प्रदेश में नई बात नहीं रहे। पिछले वर्ष जहां युवकों में समलैगिकता का केवल एक मामला आया था,इसी तरह प्रेमियों के साथ मिलकर आपराधिक घटनाओं में भाग लेने वाली युवतियों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है।


गलती आखिर किसकी?


हर माता-पिता अपने बच्चों को विद्यालय व कॉलेज इसलिए भेजते हैं कि वहां पढ़ लिखकर वह अपने भविष्य को उह्ववल बना सके। शिक्षण संस्थानों में किसी लड़के व लड़की का दोस्त होना आज आम बात हो गई है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही मालूम होती है। एक छात्र ने अपनी प्रेमिका छात्रा का अश्लील एमएमएस बनाया। इतना ही नहीं उस एमएमएस को इंटरनेट तक पर डाल दिया जाता है। ऐसी अवस्था में समाज के डर से लड़की के परिजन पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाने से भी घबराते हैं। अंत में झेलना केवल उस लड़की व उसके माता-पिता को पड़ता है। कई बार तो इस संबंध में नाबालिग लड़कियों के गर्भवती होने तक की खबरें भी आई हैं। समझ में नहीं आता कि यहां गलती किसकी मानें? यदि विद्या के मंदिर में भक्तों के अंदर स्वच्छ मन की श्रद्धा नहीं होगी तो कैसे ज्ञान प्राप्त किया जाएगा? जिस दिन छात्र-छात्राएं कोई कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोचने लगेंगे, उस दिन से ही इन नादानियों का स्तर गिरने लगेगा। भ्रूण हत्या को रोके नारी सरकार द्वारा अपने स्तर पर कन्या भू्रण हत्याओं का विरोध किया जाता रहा है, लेकिन लोग अपनी करतूतों से बाज नहीं आते हैं। हर साल नवरात्रों में हमारे कुछ धर्म भी कन्या पूजन की महत्ता का गुणगान करते हैं। नवरात्रों का धार्मिक ज्वर उतर जाने के बाद, अल्ट्रासाउंड व स्कैनिंग के शब्द प्रचलित हो उठते हैं। कम से कम हमारी उन महिलाओं को तो इस रक्षा अभियान में सरकार को सहयोग करना चाहिए, जिनकी स्त्री शक्ति में आस्था है। आज हम यूएसए के मंच पर 100 देशों को संबोधित करती हुई युगरत्‍‌ना को देख कर खुश होते हैं। यह अमानवीयता बंद होनी चाहिए, कानून को ठेंगा दिखाने वाले कुछ डाक्टर आज भी भू्रण हत्या का प्रोत्साहन देकर पेशे को दागदार बना रहे हैं। लेकिन कहीं न कहीं इसमें नारी भी जिम्मेदार है इसलिए नारियों को इसका विरोध करना होगा तभी यह भ्रूण हत्याएं रुक सकेंगी।
( कुमार सतीश)


गुरुकुल आश्रम संचालक नारायण राव जेल दाखिल




रायपुर। गुरुकुल बाल आश्रम से बच्ची बेचने के मामले में गिरफ्तार आश्रम संचालक नारायण राव को 14 दिन के न्यायायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को उसे अदालत में पेश किया था, जहां राव की ओर से स्वयं के जमानत और आश्रम के बच्चों की सुपुर्दगी के लिए अलग-अलग आवेदन लगाए गए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने दोनों आवेदनों को खारिज कर न्यायायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। इधर गुरुवार की रात में आश्रम में पहुंचे पुलिस और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी ने जांच के दौरान दो अन्य बच्चों को गायब पाया था। नारायण की पत्नी ने अधिकारियों को आश्रम में कुल 52 बच्चों के होने की जानकारी दी थी जबकि नारायण ने 51 बच्चे होने की बात कही थी। दोनों के बयान विरोधाभाषी होने पर दस्तावेजों की जांच में 49 बच्चे दर्ज पाए गए। इससे अधिकारियों ने दो अनाथों के गायब होने की जानकारी देकर मामले में नया मोड़ ला दिया था। लेकिन इसी बीच पता चला कि एक बालिग हो चुकी बच्ची की शादी हो चुकी है जबकि दूसरी बच्ची नीलम(18) को समिति का सदस्य बनाया गया है। इस तरह आश्रम के रिकार्ड अपडेट पाये जाने की पुष्टि अफसरों ने की है। बहरहाल पूरे मामले को पुलिस ने समाज कल्याण विभाग को सौंप दिया है। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग के सचिव एमपी बेहार का कहना है आश्रम के बच्ची को बेचने का मामला संगीन अपराध है। इसकी जांच चल रही है। आश्रम के रिकार्ड खंगाले जा रहे है। पुष्टि होने पर संस्था का लायसेंस निरस्त कर मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने बताया कि बाल आश्रम के संचालन और बच्चों को रखने का लायसेंस दत्तक अभिकरण प्रमाणन द्वारा दिया जाता है। इससे किसी बच्चे को गोद देने की पात्रता होती है। आश्रम में रहने वाले अनाथ बच्चों के परवरिश,शिक्षा और बालिग होने पर शादी का खर्च शासन उठाता है। उन्होंने बताया कि केन्द्र और राज्य शासन द्वारा हरेक बाल आश्रमों को पर्याप्त मात्रा में अनुदान की राशि दी जाती है। संस्था के स्टीमेट के आधार यह राशि उपलब्ध कराया जाता है। बावजूद बाहरी लोगों से चंदे के रुप में राशि लेना उचित नही है।

Friday, March 5, 2010


Thursday, March 4, 2010

मासूम बच्ची को बेचने वाला गिरफ्तार







सतीश पाण्डेय



गुरुकुल बाल आश्रम में चल रहा था खेल



रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अनाथ हुए बच्चों की देखभाल करने वाली संस्था गुरुकुल आश्रम में मासूमों की खरीद-फरोख्त किए जाने का खुलासे के बाद आश्रम संचालक नारायण राव के खिलाफ उरला पुलिस ने जुर्म दर्ज कर उसे हिरासत में ले लिया है। एक निजी टीवी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग आपरेशन में यह तथ्य उजागर हो चुके हैं कि आश्रम में मात्र 2 से 3 लाख रुपए के भीतर कोई भी व्यक्ति आसानी से बच्चों को खरीद सकता है। आश्रम संचालक पर दुर्ग के अस्पताल से लाई गई एक 20 दिन की बालिका को 2.50 लाख रुपए में बेचने का गंभीर आरोप है। बालिका का स्वाथ्य बेहद खराब होने के बाद भी पैसे के लोभ में संचालक ने यह करतूत की। पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है। एएसपी सिटी रजनेश सिंह ने बताया कि ग्राम हथबंद नंदनवन के करीब बने गुरुकुल आश्रम में बच्चे गोद देने के के एवज में चंदे या दान के रूप में आश्रम प्रबंधन द्वारा बड़ी रकम की मांग करने की शिकायत वैशालीनगर,गुढ़ियारी निवासी योगेश्वर राव गोत्रे ने सहारा टीवी चैनल के ब्यूरो प्रमुख रुचिर गर्ग से की थी। चैनल द्वारा स्टिंग आॅपरेशन में इस सौदेबाजी का खुलासे के बाद उरला पुलिस ने मामले में धारा 372 आईपीसी के तहत अपराध दर्ज कर गुरुवार को तिलकनगर,गुढ़ियारी निवासी आश्रम संचालक नारायण राव (43) को हिरासत में ले लिया है। फिलहाल उससे पूछताछ की जा रही है। एएसपी ने बताया कि देर रात आश्रम में छापामार कार्रवाई करने पुलिस की टीम रवाना की गई है। उन्होनें कहा कि छापे में दस्तावेज जब्त कर यह जानकारी हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है कि कही और मासूमों को तो बेचा नही गया है। उरला पुलिस ने बताया कि वैशालीनगर,गुढ़ियारी निवासी योगेश्वर राव गोत्रे 23 फरवरी को गुरुकुल आश्रम में बच्ची को गोद लेने की मंशा से पहुंचे थे। उन्होंने संचालक नारायण से मिलकर एक बच्ची गोद लेने की इच्छा जाहिर कर दो सौ रुपए का रजिस्टेÑशन फार्म भरकर जमा किया। उक्त फार्म में उसने मंदिर हसौद का पता दिया था। दुर्ग जिले के भिलाई सेक्टर चार निवासी रिक्शा चालक जागोदीप ने पत्नी की मौत के बाद अपनी एक माह की बच्ची को गुरुकुल आश्रम में परवरिश के लिए छोड़ रखा था। उक्त बच्ची को गोद देने के नाम पर सौदेबाजी की गई। शुरुआत में संचालक ने पांच लाख की मांग की थी लेकिन बात ढ़ाई लाख में जाकर तय हुई। पुलिस ने आगे बताया कि आश्रम संचालक ने (सीडब्ल्यूसी) बालक कल्याण समिति माना में राजेन्द्र गौतम का रजिट्रेशन फार्म भेजे बगैर ही 2 मार्च को बच्ची को अनाधिकृत रुप से सौंप दिया था। इससे यह साफ हो गया कि मात्र 2.50 लाख में कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से इस आश्रम के बच्चों को बिना किसी दस्तावेजी कार्रवाई के खरीद या गोद ले सकता है। पूरे प्रकरण में बच्चा गोद लेने वाले ने पहले ही योगेश्वर राव ने यह शर्त रखी थी कि वह गोद लेने की प्रक्रिया के दौरान होने वाली दस्तावेजी कार्रवाई वह नहीं कराना चाहता है, क्योंकि इसमें समय व्यर्थ होता है। मामले का भंडाफोड़ करने राजीव बिग्रेड के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल,बलवीर सिंह,आशीष तिवारी के साथ सहारा टीवी की टीम खुफिया कैमरे से लैस होकर योगेश्वर राव के साथ आश्रम पहुंची। साहरा टीवी चैनल के ब्यूरो प्रमुख रुचिर गर्ग ने सौदे के अनुसार नारायण राव के नाम पर आईसीआईसी बैंक का एक हस्ताक्षरयुक्त सेल्फ चेक खाता क्रमांक 016101507444 का योगेश्वर के माध्यम से नारायण को सौंपा था। चेक का भुगतान न करने बैंक प्रबंधन को पहले से ही चेता दिया गया था।



एएसपी को चैनल ने सौंपा सीडी



टीवी चैनल की टीम ने गुरुवार को एएसपी सिटी रजनेश सिंह से भेंटकर उन्हें स्टिंग आपरेशन की सीडी सौंपी। सीडी की रिकार्डिंग में नारायण राव ने स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि यदि बड़ी रकम मिले, तो वह आश्रम के 2-4 बच्चों को बिना किसी दस्तावेजी कार्रवाई के ही गोद दे सकता है। वही स्टिंग आपरेशन के खुलासा के बाद नारायण राव ने अपना बचाव करते हुए उरला थाने में शिकायत दर्ज कराई। उसका कहना था कि बच्ची बेहद कमजोर स्थिति में थी। गोद लेने वाले व्यक्ति के आग्रह पर उसे दिशा-निर्देश देकर उपचार कराने बच्ची को दिया गया था। फिलहाल अम्बेडकर अस्पताल की नर्सरी में बच्ची का उपचार चल रहा है।