केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार की तरह सीआरपीएफ भी नक्सलियों के लिए सरेंडर नीति बना रही है । इसके तहत पिछले दिनों बीजापुर में सरेंडर करने वाले दंपत्ति को सीआरपीएफ ने 5 लाख रूपए और रोजगार की सुविधा दी है । सीआरपीएफ के आईजी ने घोषणा की है कि अगर कोई नक्सली उनके किसी भी कैम्प में सरेंडर करना चाहता है तो उसे सरकार की तर्ज पर हर सुविधा दी जाएगी ।छत्तीसगढ़ पुलिस की तर्ज पर अब सीआरपीएफ भी नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश में जुट गई है...। इसके लिए सीआरपीएफ भी केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार की तरह अपनी सरेंडर नीति बना रहा है...। सीआरपीएफ ने अपनी नई रणनीति के तहत काम करना शुरू भी कर दिया है... । इसी कवायद के तहत सीआरपीएफ के अफसर पिछले दिनों नक्सली जगत लेकाम और उसकी पत्नी विमला लेकाम को बीजापुर कैम्प में सरेंडर करा चुके हैं...। इन दोनों को ढाई- ढाई लाख रुपए भी दिए गए हैं...। सीआरपीएफ के अफसरों के मुताबिक उनके कैम्प में सरेंडर करने वाले नक्सलियों को नकदी के अलावा रोजगार भी दिया जाएगा।सूत्रों से पता चला है कि सीआरपीएफ की सरेंडर नीति में केन्द्र और छत्तीसगढ़ सरकार की तुलना में अधिक मुआवजा राशि का
प्रावधान किया गया है। अभी छत्तीसगढ़ में एलएमजी के साथ सरेंडर करने वाले नक्सली को साढ़े 4 लाख रूपए, AK-47 के साथ सरेंडर करने वाले को 3 लाख रूपए, एसएलआर के साथ डेढ़ लाख रूपए, थ्री नॉट थ्री के साथ 75 हजार रूपए और 12 बोर की बंदूक के साथ सरेंडर करने वाले को 30 हजार रूपए मुआवजा राशि के रूप में मिलता है । जबकि सीआरपीएफ ने बिना हथियार के सरेंडर करने वाले नक्सली दंपत्ति को पांच लाख रूपया दिया है । अब देखना है कि सीआरपीएफ की सरेंडर पॉलिसी नक्सलियों का दिल जीतने में कितनी कारगर साबित होती है।
प्रावधान किया गया है। अभी छत्तीसगढ़ में एलएमजी के साथ सरेंडर करने वाले नक्सली को साढ़े 4 लाख रूपए, AK-47 के साथ सरेंडर करने वाले को 3 लाख रूपए, एसएलआर के साथ डेढ़ लाख रूपए, थ्री नॉट थ्री के साथ 75 हजार रूपए और 12 बोर की बंदूक के साथ सरेंडर करने वाले को 30 हजार रूपए मुआवजा राशि के रूप में मिलता है । जबकि सीआरपीएफ ने बिना हथियार के सरेंडर करने वाले नक्सली दंपत्ति को पांच लाख रूपया दिया है । अब देखना है कि सीआरपीएफ की सरेंडर पॉलिसी नक्सलियों का दिल जीतने में कितनी कारगर साबित होती है।
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