Saturday, August 31, 2013

kumar satish







kumar satish

Friday, August 30, 2013




मैना, गिद्ध, गौरैया की प्रजातियों पर संकट
00- छत्तीसगढ़ शासन करा रही गिद्ध पर रिपोर्ट तैयार
00- भोजन और आवास न मिलने से पक्षियों का पलायन

छत्तीसगढ़ में गिद्धों के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है। लगभग यही स्थिति देश के अन्य राज्यों की भी है, यही वजह है कि केंद्र से जारी निर्देश के बाद राज्य सरकार गिद्धों की वर्तमान स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार करा रही है। इसके अलावा करीब दर्जनभर पक्षी ऐसे हैं, जो या तो खाना या फिर आवास (हेबिटेट) न मिलने पर पलायन को मजबूर हैं। इनमें प्रमुख हैं, गौरेया, हुम्मा (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) और प्रदेश का राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना भी शामिल हैं। शहर के पक्षी विशेषज्ञ, जिन्हें शासन ने गिद्धों पर रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी है, बताया कि 1980 में अकेले रायपुर में ही 150 से अधिक गिद्धों को आसमान पर मंडराते हुए गणना की थी, लेकिन आज एक भी नजर नहीं आ रहे।

प्रमुख चार पक्षियों, आखिर किन कारणों से पहुंचे विलुप्ति के कगार पर-
1- गिद्ध (वल्चर)- देश में गिद्ध की 95 फीसदी आबादी समाप्त हो चुकी है। जो बची है, उसे बचाने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें सिर्फ कागजों में खानापूर्ति करने में लगी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक पालतू जानवरों को लगने वाला डायक्लोफेनक नामक इंजेक्शन गिद्धों की मौत का सबसे बड़ा कारण था, जिसे केंद्र सरकार ने भारी दबाव के बाद वैन कर दिया। शोध में यह तथ्य भी निकलकर सामने आया है कि पहले मवेशी पालने वाले अपने मवेशियों को अंतिम वक्ततक साथ रखते थे और उनके मरने के बाद उन्हें गांव के बाहर छोड़ देते थे, जो गिद्धों का भोजन बनते थे, लेकिन अब मवेशी दूध देना बंद कर देता है या फिर वह किसी उपयोग का नहीं रह जाता है तो उसे कसाईखाने भेज दिया जाता है। गिद्धों के भोजन का एक प्रमुख स्रोत छिन गया। गिद्ध साल में एक ही अंडा देता है, उनकी सुरक्षा भी नहीं हो पा रही है। गिद्ध की तीन प्रजातियां वाइट रंप, लोंग बिल्ड और किंग वल्चर सभी खतरे में है। हालांकि डोंगरगढ़, डोंडी, पिथौरा, लवन, कोरबा, अंबिकापुर और अचानक मार्ग सेंचुरी में इन्हें एका-दुक्का लोगों ने देखा है।
2- पहाड़ी मैना- प्रदेश का राजकीय पक्षी मैना, जिसका खाना, आवास और प्रजनन के लिए वातावरण सबकुछ उसके मुताबिक होना जरूरी है। आज पहाड़ी मैना की संख्या घटने का प्रमुख कारण उसके क्षेत्र में छेड़छाड़ है। पक्षी विशेषज्ञ एएमके भरोस का कहना है कि मैना पर थाइलैंड ने 10 साल और अमेरिका ने 12 साल के शोध के बाद प्रजनन करवाने में सफलता हासिल की। करीब 2 साल पहले मैना की गिनती की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन जिस क्षेत्र में मैना पाई जाती हैं, वह नक्सल प्रभावित क्षेत्र और वहां तक फिलहाल नहीं पहुंचा जा सका है। मैना के घोसले ही नहीं मिल रहे हैं।
3- गौरेया (हाउस स्पैरो)- गौरेया का मुख्य भोजन है, किचन से निकला वेस्ट मटेरियल। शहरों से इस पक्षी की विलुप्ति की यह मुख्य वजह है, क्योंकि अब घर से गारबेज कलेक्शन शुरू हो चुका है। इसके अलावा जहां ये घोंसला बनाती हैं, लोग पसंद नहीं करते और नष्ट कर देते हैं। इनकी संख्या बीते पांच से तेजी से घटी है।
4- हुम्मा (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड)- तिल्दा, चंद्रखुरी में यह पक्षी करीब 30 साल पहले देखा गया था, लेकिन इन क्षेत्रों में सीमेंट फैक्टरियां, कारखाने बन जाने के कारण यह पलायन कर गया। हुम्मा सुखे क्षेत्र में रहने वाला पक्षी है, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र जैसे सुखे प्रदेश में भी इसके अस्तित्व पर खतरा घोषित हो चुका है। 'हुम्म" की आवाज के निकालने के कारण इसका स्थानीय नाम हुम्मा पड़ा।

पुराने पेड़ों पर बनते हैं घोंसला- पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकांश पक्षी पुराने और ऊंचे पेड़ों पर घोंसला बनाते हैं, लेकिन विकास के नाम पर पुराने पेड़ों की बली दी जा रही है। यही वजह है कि वे घोंसला नहीं बना पा रहे। पुराने पेड़ों को काट उनकी जगह-जगह सुंदरता के नाम पर झातिम, पाम, यूकोलिप्टिस के पौधे लगाए जा रहे हैं, जो इन पक्षियों के घोसलों के लिए मुफीद नहीं। गिद्ध जैसे विशाल पक्षी ऊंचे पेड़ पर घोंसला बनाते हैं, ताकि उनके बच्चों को उडने के लिए जमीन से एक लंबी ऊंचाई मिल जाए, लेकिन ऊंचे पेड़ या तो जंगल में या फिर गांवों में ही बचे हैं।

जनमानस का जुड़ना जरूरी
बीते 10साल में ही अकेले रायपुर शहर में 25 हजार पेड़ काट दिए गए, उनकी जगह पर जिन पौधों को लगाया गया, वह पक्षियों के आवास के लिए उपयुक्त ही नहीं है। शासन ने मुझे एक प्रोजेक्ट दिया है, जो गिद्धों से जुड़ा हुआ है। अगर इन पक्षियों को बचाना है तो जनमानस का जुड़ना बेहद जरूरी है। पानी दें, इनके बनाए घोंसलों को नुकसान न पहुंचाएं, शिकारियों पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
एएमके भरोस, पक्षी विशेषज्ञ और अध्यक्ष छत्तीसगढ़ वाइल्ड लाइफ सोसाइटी
 

सोने के अवैध कारोबार में फंसे 70 फीसदी सराफा व्यवसायी


0 राजधानी में एमसीएक्स का पांच साल में व्यापक फैलाव हुआ
0 रोज तीन करोड़ के सोने की अवैध ट्रेडिंग
0 सोना ट्रेडिंग का 70 फीसदी कारोबार अवैध चल रहा
0 रोजाना ढाई से तीन करोड़ की होती है बुकिंग
0 16 से 50 साल की उम्र वाले फंस चुके हैं जाल में

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में सोने का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है। बोलचाल में डिब्बा ट्रेडिंग कहे जाने वाले इस कारोबार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां रोजाना ढाई से तीन करोड़ के सोने की अवैध ट्रेडिंग होती है। हालत यह है कि लगभग 70 फीसदी छोटे-बड़े सराफा कारोबारी एमसीएक्स के जाल में फंस चुके हैं। इसमें 16 से लेकर 50 साल की उम्र वाले लोग शामिल हैं। पिछले सात-आठ सालों में एमसीएक्स के जरिए साढ़े तीन सौ करोड़ से अधिक रकम यहां से बाहर जा चुकी है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज का काम करने के लिए लाइसेंस जारी होता है। बिना लाइसेंस के यह काम अवैध है। लेकिन इसके अवैध कारोबार की जड़ें राजधानी में काफी फैल चुकी हैं। एमसीएक्स को बोलचाल में डिब्बा ट्रेडिंग कहा जाता है। न केवल सराफा कारोबारी, बल्कि जमीन कारोबारी, कुछ नेता, बिल्डर और अन्य लोग भी एमसीएक्स में एक झटके में करोड़ों का वारान्यारा करने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं, जो इस सपने में फंसकर बर्बाद होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। न केवल उन्हें, बल्कि परिवार के लोगों को भी अब कई तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है। तगादेदार अलग घर में आकर धमकी दे रहे हैं। एमसीएक्स का रोज का कारोबार पांच साल पहले तक लाखों में होता था। लेकिन अब करोड़ों में पहुंच गया है।
पूरा कारोबार टैक्स चोरी के लिए
एमसीएक्स का अवैध कारोबार टैक्स चोरी के लिए चल रहा है। एमसीएक्स पूरा कारोबार कच्चा होता है। इसकी कोई लिखा-पढ़ी नहीं होती है। यह काम आपसी विश्वास पर होता है। ग्राहक बाजार देखकर बुकी को सोना बेचता या खरीदने के लिए लाट बुक कराता है। दाम घटने या बढ़ने पर ग्राहक का नफा-नुकसान तय होता है। बुकी तो किसी भी तरह अपनी रकम ग्राहक से निकाल लेते हैं, लेकिन अगर उसे ग्राहक को देना हो तो कई बार मुकर जाते हैं। एमसीएक्स बाजार में ऐसी काफी शिकायतें हैं।
गुजरात है एमसीएक्स का हब
जानकारों के अनुसार स्टॉक मार्केट की तरह एमसीएक्स का बड़ा बाजार गुजरात है। वहीं से एमसीएक्स के भाव बुकियों तक पहुंचते हैं। एमसीएक्स के बुकियों को हर तरह से ऐश कराया जाता है। मालूम हुआ है कि कुछ समय पहले गोवा में देशभर के बुकियों की पार्टी रखी गई थी। रायपुर के भी कुछ बड़े बुकी उसमें शामिल हुए थे। इस पार्टी में बुकियों को विदेशी कॉलगर्ल उपलब्ध कराई गई थीं।
केवल सोना नहीं और भी बहुत कुछ
एमसीएक्स में केवल सोने पर पैसा नहीं लग रहा है। अनाज, दूसरी धातु और प्रोडक्ट्स का भी एमसीएक्स होता है। इस कारोबार में पैसा लगाने वालों को डुबाने के लिए डिमांड बढ़ाकर सामान का दाम एकदम ऊंचाई पर पहुंचा दिया जाता है। फिर एक झटके से दाम तोड़ देते हैं। इससे पैसा लगाने वाले डूब जाते हैं।
पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही
वर्ष 2011 में एमसीएक्स के खिलाफ राजधानी पुलिस ने पहली कार्रवाई की थी। तत्कालीन सीएसपी कोतवाली श्वेता सिन्हा के नेतृत्व में रामसागर पारा के एक ट्रैवल कारोबारी के कार्यालय में छापा मारा गया था। तब न केवल शहर, बल्कि प्रदेश के कई बड़े शहरों में अवैध रूप से चल रहे एमसीएक्स कारोबार का भंडाफोड़ हुआ था। लेकिन उसके बाद पुलिस हाथ पर हाथ धरकर बैठी रही। एमसीएक्स बाजार के बड़े मगरमच्छों तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं हुई।
दो इनामी बुकी अब तक गिरफ्त से बाहर
राजधानी में मन्न्ू उर्फ अभिनंदन नत्थानी और नितिन चोपड़ा के नाम तीन-चार सालों से चर्चा में हैं। दोनों एमसीएक्स बुकी हैं। इन्होंने वसूली के लिए गुंडे हायर किए। इनके खिलाफ कई शिकायतें हैं। इस कारण पुलिस ने दोनों पर दस-दस हजार स्र्पए के इनाम की घोषणा भी की है। दोनों अंडरग्राउंड रहकर एमसीएक्स का कारोबार चला रहे हैं। मन्न्ू खुद को लाइसेंसी एमसीएक्स कारोबारी बताता था। उसके एजेंट के रूप में अनिल भंडारी, सन्न्ी नायडू, जीतू कोचर और प्रशांत कोचर काम करते थे।
गुंडागर्दी पर उतरे
एमसीएक्स के कारोबार में खुलेआम गुंडागर्दी चल रही है। पैसा वसूली के लिए गुंडे हायर किए जा रहे हैं। पहले लोकल और अब एक-डेढ़ साल से बाहर के गुंडों को भी वसूली का ठेका दिया जाने लगा है।
घटना-1- अक्टूबर-नवंबर 2011 में देवेंद्रनगर के एक एमसीएक्स कारोबारी से 35-40 लाख स्र्पयों की वसूली करने के लिए एमसीएक्स बुकी नितिन चोपड़ा ने स्टेशन इलाके के गुंडे गुड्डा उर्फ रविंद्र पांडे और पिंकू उर्फ पंकज दास को हायर किया था। इन्होंने एमसीएक्स कारोबारी के कार्यालय में तोड़फोड़ की थी।
घटना-2- पंडरी के टाइल्स कारोबारी अमित शेरवानी से एमसीएक्स के ढाई लाख स्र्पए वसूलने के लिए एमसीएक्स बुकी मन्न्ू नत्थानी ने तीन लोकल गुंडों को हायर किया था। इन गुंडों ने पुराना बस स्टैंड में एएसपी सिटी के पुराने ऑफिस के सामने अमित से मारपीट की थी।
घटना-3- विपुल जैन से पांच लाख स्र्पए की वसूली के लिए बुकी की तरफ से उसे लगातार धमकियां मिल रही थीं। तब, लगभग पौने दो साल पहले उसके पिता विमल जैन ने सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
घटना-4 - जमीन कारोबारी अभय नाहर पर एमसीएक्स कारोबारी ने डेढ़ करोड़ की देनदारी निकाल दी थी। लगभग एक करोड़ उसने ज्वलेरी और अपने प्लॉट बेचकर दिए थे। 50 लाख की वसूली के लिए अभय का अपहरण कर मारपीट की गई थी।
एमसीएक्स ने कई को डुबाया
घटना-1- डॉल्फिन स्कूल के संचालक राजेश शर्मा के 120 करोड़ स्र्पए एमसीएक्स में डुबने की चर्चा है। बुकियों से धमकी मिलने के कारण ही वह पत्नी उमा और बच्ची के साथ यहां से भाग गया।
घटना-2- कुछ माह पहले एक कारोबारी ने अपनी कार को महादेव घाट के किनारे छोड़कर खास्र्न नदी में छलांग लगा दी थी। वह अब तक नहीं मिला है। चर्चा है कि एमसीएक्स में उसके सात करोड़ डूब गए थे।
घटना-3 - एमसीएक्स में डूबने के कारण सदर बाजार का सोनू उर्फ शशिकांत पवार अंडरग्राउंड हुआ तो उसके भाई दिलीप पवार पर बुकियों ने दबाव बनाया। तब दिलीप को खुदकुशी करनी पड़ी।

डिब्बा ट्रेनिंग में डूबे साढ़े तीन सौ करोड़
0 राजधानी में एमसीएक्स का पांच साल में व्यापक फैलाव हुआ
0 सोना ट्रेडिंग का 70 फीसदी कारोबार अवैध चल रहा
0 रोजाना ढाई से तीन करोड़ की होती है बुकिंग
0 16 से 50 साल की उम्र वाले फंस चुके हैं जाल में
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में सोने का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है। बोलचाल में डिब्बा ट्रेडिंग कहे जाने वाले इस कारोबार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां रोजाना ढाई से तीन करोड़ के सोने की अवैध ट्रेडिंग होती है। हालत यह है कि 65 से 70 फीसदी छोटे-बड़े सराफा कारोबारी एमसीएक्स की जाल में फंस चुके हैं। इसमें 16 साल की उम्र के किशोर भी शामिल हैं। इसी कारण पिछले सात-आठ सालों में एमसीएक्स के जरिए साढ़े तीन सौ करोड़ से अधिक रकम यहां से बाहर जा चुकी है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज का काम करने के लिए लाइसेंस जारी होता है। बिना लाइसेंस के यह काम अवैध है। लेकिन इस अवैध कारोबार की जड़ें राजधानी में काफी फैल चुकी हैं। एमसीएक्स को बोलचाल में डिब्बा ट्रेडिंग कहा जाता है। न केवल सराफा कारोबारी, बल्कि जमीन कारोबारी, कुछ नेता, बिल्डर और अन्य लोग भी एमसीएक्स में एक झटके में करोड़ों का वारान्यारा करने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं, जो इस सपने में फंसकर बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। न केवल उन्हें, बल्कि परिवार के लोगों को भी अब कई तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है। तगादेदार अलग घर में आकर धमकी दे रहे हैं। एमसीएक्स का रोज का कारोबार पांच साल पहले तक लाखों में होता था। लेकिन अब करोड़ों में पहुंच गया है।
पूरा कारोबार टैक्स चोरी के लिए
एमसीएक्स का अवैध कारोबार टैक्स चोरी के लिए चल रहा है। एमसीएक्स पूरा कारोबार कच्चा होता है। इसकी कोई लिखा-पढ़ी नहीं होती है। यह काम आपसी विश्वास पर होता है। ग्राहक बाजार देखकर बुकी को सोना बेचता या खरीदने के लिए लाट बुक कराता है। दाम घटने या बढ़ने पर ग्राहक का नफा-नुकसान तय होता है। बुकी तो कैसे भी अपनी रकम ग्राहक से निकाल लेते हैं, लेकिन अगर, उसे ग्राहक को देना हो तो कई बार मुकर जाते हैं। एमसीएक्स बाजा में ऐसी काफी शिकायतें हैं।
गुजरात है एमसीएक्स का हब
जानकारों के अनुसार स्टॉक मार्केट की तरह एमसीएक्स का बड़ा बाजार गुजरात है। वहीं से एमसीएक्स के भाव बुकियों तक पहुंचते हैं। एमसीएक्स के बुकियों को हर तरह से ऐश कराया जाता है। मालूम हुआ है कि कुछ समय पहले गोवा में देशभर के बुकियों की पार्टी रखी गई थी। रायपुर के भी कुछ बड़े बुकी उसमें शामिल हुए थे। इस पार्टी में बुकियों को विदेशी कॉलगर्ल उपलब्ध कराई गई थीं।
केवल सोना नहीं, और भी बहुत कुछ
एमसीएक्स में केवल सोने पर पैसा नहीं लग रहा है। अनाज, दूसरी धातु अ ौर प्रोडक्ट्स का भी एमसीएक्स होता है। इस कारोबार में पैसा लगाने वालों को डुबाने के लिए डिमांड बढ़ाकर सामान का दाम एकदम ऊंचाई पर पहुंचा दिया जाता है। फिर एक झटके से दाम तोड़ देते हैं। इससे पैसा लगाने वाले डूब जाते हैं।
पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही
वर्ष 2011 में एमसीएक्स के खिलाफ राजधानी पुलिस ने पहली कार्रवाई की थी। तत्कालीन सीएसपी कोतवाली श्वेता सिन्हा के नेतृत्व में रामसागर पारा के एक ट्रैवल्स कारोबारी के कार्यालय में छापा मारा गया था। तभी, न केवल शहर, बल्कि प्रदेश के कई बड़े शहरों में अवैध रूप से चल रहे एमसीएक्स कारोबार की भंडाफोड़ हो गया था। लेकिन, उसके बाद पुलिस हाथ पर हाथ धरकर बैठी रही। एमसीएक्स बाजार के बड़े मगरमच्छों तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं हुई।
दो इनामी बुकी अब तक गिरफ्तार नहीं
राजधानी में मन्न्ू उर्फ अभिनंदन नत्थानी और नितिन चोपड़ा का नाम तीन-चार सालों से चर्चा में है। दोनों ही एमसीएक्स बुकी हैं। इन्होंने वसूली के लिए गुंडे हायर किए। इनके खिलाफ कई शिकायतें हैं। इस कारण पुलिस ने दोनों पर दस-दस हजार स्र्पए के इनाम की घोषणा भी की है। दोनों अंडरग्राउंड रहकर एमसीएक्स का कारोबार चला रहे हैं। मन्न्ू खुद को लाइसेंसी एमसीएक्स कारोबारी बताता था। उसके एजेंट के रूप में अनिल भंडारी, सन्न्ी नायडू, जीतू कोचर और प्रशांत कोचर काम करते थे।
गुंडागर्दी पर उतरे
एमसीएक्स के कारोबार में खुलेआम गुंडागर्दी चल रही है। पैसा वसूली के लिए गुंडे हायर किए जा रहे हैं। पहले लोकल और अब एक-डेढ़ साल से बाहर के गुंडों को भी वसूली का ठेका दिया जाने लगा है।
- अक्टूबर-नवंबर 2011 में देवेंद्रनगर के एक एमसीएक्स कारोबारी से 35-40 लाख स्र्पयों की वसूली करने के लिए एमसीएक्स बुकी नितिन चोपड़ा ने स्टेशन इलाके के गुंडे गुड्डा उर्फ रविंद्र पांडे और पिंकू उर्फ पंकज दास को हायर किया था। इन्होंने एमसीएक्स कारोबारी के कार्यालय में तोड़फोड़ की थी।
- पंडरी के टाइल्स कारोबारी अमित शेरवानी ने एमसीएक्स में ढाई लाख स्र्पए वसूलने के लिए एमसीएक्स बुकी मन्न्ू नत्थानी ने तीन लोकल गुंडों को हायर किया था। इन गुंडों ने पुराना बस स्टैंड में एएसपी सिटी के पुराने ऑफिस के सामने अमित से मारपीट की थी।
- विपुल जैन से पांच लाख स्र्पए की वसूलने के लिए बुकी की तरफ से उसे लगातार धमकियां मिल रही थीं। तब, लगभग पौने दो साल पहले उसके पिता विमल जैन ने सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
- जमीन कारोबारी अभय नाहर पर एमसीएक्स कारोबारी ने डेढ़ करोड़ की देनदारी निकाल दी थी। लगभग एक करोड़ उसने ज्वलेरी और अपने प्लॉट बेचकर दिए थे। 50 लाख की वसूली के लिए अभय का अपहरण कर मारपीट की गई थी।
एमसीएक्स ने कई को डुबाया
- डॉल्फिन स्कूल के संचालक राजेश शर्मा के 120 करोड़ स्र्पए एमसीएक्स में डुबने की चर्चा है। बुकियों से धमकी मिलने के कारण ही वह पत्नी उमा और बच्ची के साथ यहां से भाग गया।
- कुछ माह पहले एक कारोबारी ने अपनी कार को महादेव घाट के किनारे छोड़कर खास्र्न नदी में छलांग लगा दी थी। वह अब तक नहीं मिला है। चर्चा है कि एमसीएक्स में उसके सात करोड़ डूब गए थे।
- एमसीएक्स में डुबने के कारण सदर बाजार का सोनू उर्फ शशिकांत पवार अंडरग्राउंड हुआ तो उसके भाई दिलीप पवार पर बुकियों ने दबाव बनाया। तब, दिलीप को खुदकुशी करनी पड़ी।
फ्लाइट से भेजे जाते थे बॉक्स में पैसे
सराफा कारोबारियों के बीच चर्चा है कि अशोक गोलछा की एक निजी एयरलाइंस कंपनी से सांठगांठ थी। गोलछा एमसीएक्स के करोड़ों स्र्पयों को इस एयरलाइंस की फ्लाइट्स से दिल्ली भेजता था। स्र्पयों को बॉक्स में पार्सल की तरह बंद करता था। उस बॉक्स की न यहां और न ही दिल्ली के एयरपोर्ट में चेकिंग होती थी। बॉक्स सीधे स्कैनर से पार हो चुके दूसरे लगेज तक पहुंचाए जाते थे।
महाराष्ट्र से पुलिस पर दबाव
इस बात की चर्चा है कि महाराष्ट्र के कुछ बड़े राजनेताओं के कॉल यहां की पुलिस को आ रहे हैं। इनमें एक मंत्री भी शामिल है। पुलिस पर पवार परिवार के पक्ष में कार्रवाई करने का दबाव लगातार बनाया जा रहा है।

देश में पुलिस फायरिंग की सर्वाधिक घटनाएं छत्तीसगढ़ में

-2012 में मध्य प्रदेश पुलिस के खिलाफ सर्वाधिक शिकायतें, 89 फीसदी फर्जी घोषित
-देश में पुलिस के खिलाफ शिकायतों के 50 हजार से ज्यादा मामलों में 53 फीसदी फर्जी घोषित

नई दिल्ली। पिछले वर्ष देश में पुलिस फायरिंग की सर्वाधिक घटनाएं छत्तीसगढ़ में घटीं, वहीं पुलिस के खिलाफ शिकायतों के मामले में मध्य प्रदेश अव्वल रहा है। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों से न सिर्फ देश में पुलिस के खिलाफ देश की जनता के उबाल का पता चलता है, बल्कि यह भी पता चलता है कि आतंकवाद पर माओवाद भारी पड़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2012 में पुलिस फायरिंग की देश में सर्वाधिक 195 वारदात छत्तीसगढ़ में हुई, जबकि समूचे देश में पुलिस फायरिंग की 523 घटनाएं घटीं, जिनमें 78 आम नागरिक और 43 पुलिसकर्मी मारे गए। इस दौरान मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मियों के खिलाफ सर्वाधिक 12412 शिकायतें यानी औसतन लगभग 34 शिकायतें रोज प्राप्त हुईं। हालांकि इनमें से 11 हजार से अधिक को फर्जी घोषित कर दिया गया। इसी वर्ष पूरे देश में पुलिस के खिलाफ की गई कुल शिकायतों की संख्या 57हजार 363 रही, जिनमें से लगभग 53 फीसदी मामले फर्जी पाए गए
सर्वाधिक मौत हुई पुलिस कर्मियों की
पुलिस मुठभेड़ में मानवाधिकारों की बानगी तलाशने वालों को एनसीआरबी के ताजा आंकड़े चौंका सकते हैं। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ में हुई 195 मुठभेड़ में 3 आम नगारिकों और 29 पुलिसकर्मियों की मौत हुई, वहीं 70 लोग घायल हुए। इसी दौरान जम्मू और कश्मीर में पुलिस फायरिंग की 103 घटनाएं घटीं, तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र रहा । नक्सल प्रभावित अन्य राज्यों को देखा जाए तो आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में बीस से कम मामले सामने आये।
पुलिस के खिलाफ 1918 शिकायतों में 1622 फर्जी घोषित
पुलिस के खिलाफ शिकायतों के मामले में मध्य प्रदेश और दिल्ली आसपास रहे। दिल्ली में पुलिस के खिलाफ कुल 12342 शिकायतें प्राप्त हुईं। मध्य प्रदेश में पुलिस के खिलाफ प्राप्त शिकायतों में से 794 में विभागीय जांच बैठा दी गई, दो मामलों में मजिस्ट्रीयल जांच भी हुई। पिछले वर्ष के दौरान ही छत्तीसगढ़ पुलिस के खिलाफ कुल 1918 शिकायतें आईं, जिनमें से 863 में विभागीय जांच कराई गई और 1622 को फर्जी घोषित कर दिया गया।  अगर पुलिस के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की संख्या के लिहाज से माओवाद प्रभावित अन्य राज्यों को देखा जाए तो आन्ध्र प्रदेश में 614, बिहार में 18, ओड़िशा में 35 और पश्चिम बंगाल में 48 मामले सामने आए।

इनसेट-
पुलिस के खिलाफ 262 मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई
वर्ष 2012 में पुलिस के खिलाफ छत्तीसगढ़ में 262 मामलों में और मध्य प्रदेश में 131 मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। छत्तीसगढ़ में 12 तो मध्य प्रदेश में 274 मामलों की फाइल बंद कर दी गई। छत्तीसगढ़ में 53 मामलों में बड़ी कार्रवाई और 118 मामलों में छोटी कार्रवाई हुई, जबकि मध्य प्रदेश में 84 मामलों में बड़ी और 148 मामलों में छोटी कार्रवाई हुई। आश्चर्यजनक ये है कि पिछले वर्ष समूचे देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों का कोई भी रिकार्ड एनसीआरबी के पास मौजूद नहीं है। इन आंकड़ों को शून्य दर्शाया गया है।
ललित की दो फैक्ट्रियों में पड़ा था छापा
सेल की विजलेंस टीम की शिकायत पर पुलिस ने दो अप्रैल को ललित की ग्राम गुमा रोड बोरझरा थाना उरला स्थित अलंकार एलायज प्राइवेट लिमिटेड में छापा मारा था। इसमें उरला पुलिस ने ललित और प्रदीप को आरोपी बनाया। ललित और उसके बेटे पंकज के नाम की फैक्ट्री पंकज स्टील्स गोगांव में भी है। वहां भी पुलिस ने छापा मारा था। यह मामला गुढ़ियारी थाने में दर्ज है। दोनों फैक्ट्रियों से दो करोड़ का सरिया जब्त किया गया था। साथ ही सेल के आठ नकली डाई भी मिले थे।
 

नक्सली मददगारों के पुलिस वालों से भी संबंध

0 काल डिटेल से खुले कई राज
0 वन अफसरों, ठेकेदारों और कारोबारियों पर शिकंजा कसना शुरू
शहरी नक्सली नेटवर्क से जुड़े  दो मददगारों की गिरफ्तारी के बाद राजधानी पुलिस को अब दूसरे मददगारों की तलाश है। मददगारों से जब्त मोबाइल के काल डिटेल खंगालने पर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। मददगारों के तार कुछ पुलिसकर्मियों से भी जुड़े निकले हैं। उनसे लगातार बातचीत भी होने के क्लू मिले हैं। इसके आधार पर आईबी व पुलिस की टीम हिटलिस्ट में आए वन अफसरों, ठेकेदारों और कारोबारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। खबर है कि इसी के तहत शुक्रवार रात को पुलिस ने छापामार कार्रवाई कर कुछ संदेहियों को हिरासत में लिया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि जांच-पड़ताल में कई ऐसे नाम सामने हैं, जिनके जरिए शहरी नक्सली नेटवर्क से जुड़े मददगारों के बारे में पुख्ता जानकारी मिल सकती है। बाबूलाल शर्मा व तारक कुंडु से जब्त मोबाइल के काल डिटेल खंगालने पर तीन पुलिस कर्मियों के नंबर मिले हैं। पुलिस यह पता लगा रही है कि बाबूलाल और तारक से इन पुलिस वालों से किस तरह के संबंध थे। कहीं ये लोग भी नक्सली मददगार तो नहीं हैं? मददगारों से आईबी और एसआईबी की टीम लगातार पूछताछ कर रही है। उनकी निशानदेही पर महासमुंद के दो ट्रांसपोर्टरों को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। पुलिस को उम्मीद है कि उन लोगों से कई और जानकारी मिल सकती है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि राजधानी व आसपास के जिलों से सालाना कितनी रसद और विस्फोटक नक्सली इलाकों में पहुंचाया जाता है। पुलिस अफसर पहले दिन से यह कह रहे हैं कि बरामद विस्फोटक व अन्य सामान से यह आशंका है कि नक्सली ट्रेनिंग कैम्प में इन सामान का इस्तेमाल करते होंगे।
गौरतलब है कि और मौसम के मुकाबले बारिश के दिनों में नक्सली गतिविधियां बहुत कम हो जाती हैं, लेकिन अफसरों का कहना है कि नक्सलियों ने अपनी रणनीति बदल दी है। बारिश में भी उनकी गतिविधियां तेज हैं। पिछले हफ्तेभर से सुरक्षा बल पर घात लगाकर किए गए हमले यह साबित कर रहे हैं कि जंगलों में नक्सलियों का ट्रेनिंग कैम्प चल रहे हैं।
मददगारों के ठिकाने पहुंची पुलिस
कॉल डिटेल खंगालने के बाद अन्य मददगारों के जो नाम सामने आए हैं, उनके ठिकानों तक पहुंचने की कोशिश आईबी की टीम कर रही है। शुक्रवार रात को कुछ मददगारों के ठिकाने तक (अंदरूनी इलाकों में) पुलिस पहुंच भी गई। छापामार टीम में शामिल एक अफसर ने नईदुनिया को बताया कि देर रात तक कुछ और नक्सली मददगारों की गिरफ्तारी की जा सकती है। बस्तर के जिन इलाकों में बाबूलाल और तारक गए थे, उसका लोकेशन ट्रेसआउट कर कॉल डिटेल निकाला जा रहा है, ताकि यह अंदाजा लगाया जा सके कि वे कहां-कहां जाते रहे हैं। इससे बाबूलाल और तारक की पहुंच किन-किन लोगों तक थी, इसका आसानी से पता लगाया जा सकेगा।
हाथ नहीं आया ठेकेदार
पुलिस सूत्रों ने बताया कि शंकरनगर सेक्टर वन स्थित एचबी कॉलोनी के थ्री बीएचके वाले जिस निजी मकान में रुककर बाबूलाल शर्मा व तारक ने शहर से तबाही का सामान खरीदे थे, वह मकान मप्र में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एसपी सिंह का है। हालांकि इस मकान को तीन साल से उन्होंने तेंदूपत्ता ठेकेदार कमल किशोर व्यास को किराए पर दे रखा है। इसे ठेकेदार ने अपना दफ्तर और रेस्टहाउस बना रखा है। बाबूलाल से उसके पुराने संबंध रहे हैं। पुलिस कमल किशोर व्यास की तलाश कर रही है। आने वाले समय में वन अफसर से भी पूछताछ की जा सकती है।
संदेहियों से पूछताछ, क्लू मिले
खबर है कि राजनांदगांव, कांकेर, महासमुंद, धमतरी, दुर्ग सहित राजधानी के आउटर में आधा दर्जन से अधिक संदेही नक्सली मददगारों के ठिकानों पर पुलिस टीम ने दबिश दी है। एक टीम गिरफ्तार दोनों मददगारों को लेकर कांकेर भी गई है। वहां से कुछ लोगों को गिरफ्तार कर राजधानी लाया जाएगा उसके बाद स्थानीय स्तर पर और लोगों की गिरफ्तारी की जाएगी। हालांकि इसका खुलासा करने से पुलिस अफसर बच रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि बाबूलाल शर्मा के मोबाइल के हर कॉल का डिटेल खंगाला गया है। जिन नंबरों पर संदेह है, उनकी पूरी जानकारी निकाली जा रही है। इसके अलावा संदेही मोबाइल नंबरों का उपयोग करने वाले कारोबारियों का पुराना रिकार्ड भी पुलिस खंगाल रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि कॉल डिटेल में सामने आए नंबरों से मददगारों को तलाशने में आसानी होगी। सूत्रों ने दावा किया है कि कॉल डिटेल में बाबूलाल शर्मा से लंबी बातचीत करने वाले छह संदेहियों से पूछताछ की जा रही है, इनसे मिले महत्वपूर्ण क्लू के आधार पर ही छापे की कार्रवाई चल रही है।
दिल्ली, कोलकाता से भी जुड़े तार
पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि बाबूलाल के लिंक दिल्ली, कोलकाता से भी जुड़े हुए हैं। पुलिस का दावा है कि बाबूलाल के पकड़ में आने से नक्सलियों के मल्टी एजेंसी नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सकता है। उसके पास से जब्त डायरी में करीब छह वन अफसरों, दस तेंदूपत्ता ठेकेदारों, तीन सड़क ठेकेदारों, दो इंजीनियरों तथा कुछ ट्रांसपोर्टरों से लेनदेन का हिसाब-किताब मिला है।

पुलिस टीम गिरफ्तार मददगारों को साथ लेकर कांकेर गई हुई है, वहां से वापस लौटने के बाद जांच में तेजी आएगी।
डा.लाल उमेद सिंह
एडिशनल एसपी, सिटी
पहले भी हो चुका है माओवादी के शहरी नेटवर्क का खुलासा
रायपुर (निप्र)। राजधानी में इससे पहले भी माओवादियों के शहरी नेटवर्क का भंडाफोड हो चुका है। इससे पहले दो मामले में कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।
हथियार का जखीरा बरामद
21 जनवरी 2008 की शाम डंगनिया मोड़ पर सेंट्रो कार  सीजी 04-बी 4628 से सात बैग उतारे गए थे। उन बैगों को माओवादी की दूसरी पार्टी को उठाकर ले जाना था। लेकिन दूसरी पार्टी के पहुंचने से पहले लावारिस हालत में सड़क पर बैगों को देखकर भीड़ जमा हो गई। कुछ लोगों ने बैग को खोलकर देखा तो दंग रह गए। बैगों में 81 देसी कट्टा, 22 केनवुड कंपनी के वायरलेस सेट, चार्जर और एरियल भरे थे। मौके पर ही एक लेडीस बैग भी मिला। उसकी तलाशी लेने पर केएस शांतिप्रिया का ड्राइविंग लाइसेंस और दो पत्र मिले थे। पत्र में नक्सलियों द्वारा जारा घाटी में पुलिस पार्टी पर हमला और उसके लिए हथियारों की जल्द सप्लाई की बात लिखी थी। एक किताब सेंट्रल मिलिट्री कमीशन की मिली, जिसमें सरकार के खिलाफ युद्ध व षड्यंत्र लिखा हुआ था। ड्राइविंग लाइसेंस के आधार पर पुलिस शांतिप्रिया की तलाश में लगी थी। तभी, मुखबिर की सूचना पर महाराष्ट्र मंडल के महिला छात्रावास में छापा मारा और शांतिप्रिया व मीना को गिरफ्तार किया था।
जिंदा कारतूस के साथ पकड़ाए दो
मई 2012 में रावणभाठा और सरोना से कोंटा निवासी मुजिब खान और अंजली को माओवादी सहयोगी के लिए गिरफ्तर किया गया था। उनके पास से जिंदा कारतूस बरामद किए गए थे। कारतूस को माओवादियों इलाके में भेजा जाना था। इससे पहले पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अंजली कोंटा में शिक्षा कर्मी थी। पुलिस कार्रवाई के दूसरे दिन अंजली के पति अनवर को भ्ाी गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया था कि तीनों माओवादी सहयोगी के रूप में कई सालों से कोंटा में काम कर रहे थे।
वीआईपी इलाके में फिर पकड़े दो
25 मई रविवार को राजधानी पुलिस ने वीआईपी इलाका शंकर नगर जहां विधानसभा अध्यक्ष, संस्कृति मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, वनमंत्री, कृषि मंत्री, नेताप्रति पक्ष और आईजी ऑफिस के पास दो माओवादी सहयोगी को पकड़ा है।  इससे राजधानी में हड़कंप मच गया है। वीआईपी की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे है। माओवादी और उनके सहयोगी बेखौफ होकर वीआईपी इलाको और शहरी क्षेत्र में घुम रहे है। जबकि हालाही में माओवादी में हमले में कई नेताओं की जान चली गई है।
राजधानी में दो नक्सली सहयोगी गिरफ्तार, भारी विस्फोटक मिला
- डायनामाइट, जिलेटिन और जिंदा डेटोनेटर बरामद
- नक्सली कमांडर के नाम एक पत्र भ्ाी बरामद
- रायपुर से विस्फोटक सहित अन्य सामान जाना था कांकेर
रायपुर(निप्र)। राजधानी पुलिस ने  शंकरनगर स्थित एक मंत्री के बंगले के पास रविवार को बोलेरो सवार दो नक्सली सहयोगियों को पकड़ा। आरोपियों- कांकेर के ग्राम बांदे निवासी बाबूलाल शर्मा (52) पिता लाल शर्मा और तारक कुंडू (42) पिता हरिकृष्ण कंुडू के पास से 32 जिंदा डेटोनेटर, डायनामाइट के 10 राड और 7 जिलेटिन सहित अन्य सामान बरामद हुए हैं। इन चीजों को कांकेर के धूर नक्सली इलाके में भेजने की तैयारी थी। आरोपियों के पास से एक नक्सली कमांडर के नाम पत्र भी बरामद हुआ है, जिसमें गोला- बारूद भेजे जाने का जिक्र है। सिविल लाइन पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर इन्हें घेराबंदी कर पकड़ा। सूत्रों के अनुसार दोनों आरोपी  यहां एक बड़े आदिवासी नेता के यहां आए थे, उसी के यहां ठहरे थे। पुलिस ने इस मामले में कुछ अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया है।
पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश पाल ने बताया कि बाबूलाल और तारक को शंकरनगर रेलवे क्रॉसिंग के पहले दबोचा गया। दोनों बोलेरो क्र. सीजी 19 बीसी 4087 में सवार थे। बोलेरो में कई तरह के विस्फोट थे। पुलिस ने बताया कि बाबूलाल बांदे ट्रांसपोर्टएसोसिएशन का अध्यक्ष और तेंदूपत्ता ठेकेदार है। कांकेर में आरोपी के कई ट्रक चलते हैं। तारक फड़ मुंशी का काम करता है। दोनों रविवार को राजधानी पहंुचे थे। बोलेरो बाबूलाल की है।
बोलेरो से ये बरामद
पुलिस के अनुसार बोलेरो से दो सिलेंडर, आक्सीजन गैस, रांगा गलाने का सामान, 32 डेटोनेटर, 10 डायनामाइट रॉड, 7 जिलेटिन, छोटी-बड़ी बैटरी, नट बोल्ट, टॉर्च के छोटे बल्ब, खाली सीडी, तांबे के तार, कटर सहित कुछ अन्य सामान और स्टेशनरी सामान की सूची मिली है। बाबूलाल के पास कांकेर के नक्सली कमांडर विनय के नाम एक पत्र मिला, जिसमें लिखा है कि सारी चीजें भेजी जा रही हैं।
पहले भ्ाी आया था नाम
दो साल पहले राजधानी पुलिस ने आमानाका इलाके में पॉलट्रांसपोर्ट गोदाम से भारी मात्रा में राकेट लांचर के कलपुर्जे जब्त किए थे। उस समय भ्ाी बाबूलाल का नाम सामने आया था। बाबूलाल शर्मा का माल उसी ट्रांसपोर्ट में उतरा था, जिसे बाद में पखांजूर भेजा गया था। तब पुलिस ने पूछताछ कर उसे छोड़ दिया था।
तारक ले जाता गाड़ी
पुलिस ने बताया कि बरामद सभी सामान को बोलेरो में लेकर तारक यहां से जाने वाला था। बाबूलाल कुछ काम से यहां स्र्कने वाला था। इसीलिए नक्सली कमांडर विनय के नाम एक पत्र तारक को दिया गया था। पुलिस जांच कर रही है कि बरामद चीजों की खरीदी आरोपियों ने कहां से की है। 
महाराष्ट्र सीमा पर स्थित है बांदे गांव
पुलिस ने बताया कि बांदे गांव पखांजूर ब्लॉक के अंतर्गत आता है, जो छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है। यह घोर नक्सली क्षेत्र है। सिविल लाइन पुलिस की एक टीम बांदे गांव रवाना हो गई है, वहां अरोपियों के बारे में पड़ताल की जाएगी। 
ट्रेनिंग कैप ले जाने का संदेह
पुलिस के अनुसार आरोपी सभी सामान को ट्रेनिंग कैंप भेजने वाले थे। यह अंदेशा इसलिए लगाया जा रहा है कि आरोपियों के पास से एक सूची मिली है, जिसमें स्टेशनरी सामान लिखे हुए हैं। इसमें बोर्ड, डस्टर, मार्कर जैसे चीजें शामिल हैं।
हो सकता है बड़ा विस्फोट
पुलिस ने बताया कि आरोपियों से जो सामान बरामद हुआ है, उससे बड़ा विस्फोट किया जा सकता है। बरामद चीजें बम बनाने में इस्तेमाल होती हैं। 
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नक्सली कमांडरों से जुड़े मददगारों के लिंक
0 पुलिस रिमांड पर लिए गए, पूछताछ में अहम खुलासे की उम्मीद
0 कई और नक्सली मददगारों के नाम सामने आए
रायपुर(निप्र)। राजधानी में पकड़े गए नक्सली मददगारों के लिंक नक्सलियों के कमांडरों से होने का खुलासा हुआ है। पूछताछ में नक्सली समर्थकों ने कुछ और नाम बताए हंै, जो समर्थकों के माध्यम से नक्सलियों तक सामान पहुंचाने के साथ ही आर्थिक भी मदद करते आ रहे हैं। अब पुलिस की नजर उन लोगों पर टिकी है, जो नक्सली और उनके समर्थकों की मदद करते हैं। सोमवार दोपहर एसपी ओपी पॉल ने पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर उन्हें घटनाक्रम की जानकारी दी। मददगारों के लिंक किस-किस से जुड़े हुए हंै। इसकी पूरी जानकारी खुफिया विभाग के अधिकारी जुटा रहे हैं। फिलहाल पुलिस अफसरों ने अधिकृत तौर पर इसका खुलासा नहीं किया है। सोमवार को दोनों मददगारों को कोर्ट में पेशकर पुलिस रिमांड पर लिया गया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि बाबूलाल शर्मा और तारक कुंडु से लगातार पूछताछ चल रही  है। उनसे अधिक से अधिक जानकारी जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। दोनों ने पहले भी विस्फोटक सामान जंगलों में ले जाने की बात कबूल की है। अब पुलिस का यह जानने की कोशिश में है कि छत्तीसगढ़ में और कितने लोग नक्सलियों की मदद कर रहे है। राजधानी रायपुर के अलावा और कहां-कहां नक्सलियों का नेटवर्क फैला हुआ है। बाबूलाल और तारक से पुलिस को कई अहम जानकारियां मिली हंै।  सूत्रों के मुताबिक बाबूलाल ने कई ट्रांसपोर्ट और व्यापारियों के नाम उगले हैं, जो उसे सामान मुहैया कराते थे। उसने पुलिस को ट्रांसपोर्ट के जरिए जाने वाले माल की भी जानकारी दी है। बाबूलाल शर्मा की राजधानी के कई कारोबारियों से सेटिंग का खुलासा भी हुआ है, इससे पुलिस को आशंका है कि नक्सलियों तक यहां से पैसे भी पहुंचाए जाते होंगे। पैसों के लेनदेन के संबंध में भी बाबूलाल ने कई राज खोले हैं। गौरतलब है कि शनिवार को बाबूलाल शर्मा और तारक कुंडु शंकर नगर स्थित एक तेंदूपत्ता कारोबारी के रेस्ट हाउस में ठहरे थे। दोनों के यहाँ ठहरे होने की जानकारी मिलते ही पुलिस ने रातभर रेस्ट हाउस की निगरानी की। सुुबह-सुबह जैसे ही बाबूलाल और तारक कुंडू कांकेर जाने के लिए बोलेरो से निकले। पुलिस व खुफिया विभाग की टीम ने घेराबंदी कर उन्हें मौके पर ही डेटोनेटर, डाइनामाइट के राड आदि विस्फोटकों के साथ गिरफ्तार कर लिया था।
 तीन एकाउंट नंबर किसके?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक बाबूलाल शर्मा ने बैंक तीन एकाउंट नंबर भी पुलिस को बताए हैं, जिनमें पैसा जमा किया जाता था। ये एकाउंट किसके नाम पर  हंै, इसका पता लगाया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि नक्सलियों को सप्लाई किए जाने वाले सामान का पूरा खाका तैयार होता था। बाबूलाल कुछ सालों से लगातार राजधानी से सामान लेने आता रहा है। उसके साथी पहले से स्थानीय कारोबारियों को सामानों की सूची देकर चले जाते थे और बाद में आकर सामान ले जाते। बहुत सारा सामान ट्रांसपोर्ट के जरिए भी राज्य के अलग-अलग इलाकों में भेजने की जानकारी सामने आई है।
शहर में नक्सलियों के अड्डे, फैक्ट्री तो नहीं! 0 नक्सलियों का शहरी नेटवर्क फिर फूटा
रायपुर(निप्र)। नक्सलियों के लिए राजधानी सेफ जोन बनती जा रही है। पिछले कुछ सालों में नक्सलियों का शहरी नेटवर्क काफी तगड़ा हुआ है। पांच साल पहले डगनिया में मिले हथियारों का जखीरा, डेढ़ साल पहले सरस्वतीनगर थाने से लगे ट्रांसपोर्ट गोदाम में राकेट लांचर व मोर्टार जैसे घातक हथियार का सामान मिलने के बाद रविवार को डेटोनेटर व डाइनामाइट राड के साथ दो नक्सली मददगारों की गिरफ्तारी यह साबित करती है कि नक्सलियों के शहर में कई अड्डे हैं। जगदलपुर, कोलकाता, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, झारखंड और बिहार से आने-जाने वाले वाहनों की नियमित चेकिंग न होने का फायदा नक्सलियों को अपनी गतिविधि के विस्तार में मिल रहा है। एक के बाद एक शहरी नक्सली नेटवर्क के खुलासे ने पुलिस व खुफिया विभाग की नींद उड़ाकर रख दी है। शहर से जंगल तक आतंक का सामान आसानी से पहुंचने से खुफिया विभाग को आशंका है कि विस्फोटक बनाने वाली फैक्ट्री भी शहर के आउटर में ही होगी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार शहरी नेटवर्क से जुड़े माओवादी  समर्थक हथियारों की आपूर्ति राजधानी के रास्ते बस्तर के जंगलों में कर रहे हैं। डेढ़ साल पहले सरस्वतीनगर थाना के नजदीक स्थित दो ट्रांसपोर्ट गोदामों में तबाही का जखीरा मिलने के बाद इस आशंका को बल मिला था कि आउटर इलाके में नक्सलियों की हथियार फैक्ट्री संचालित हो रही है। हालांकि अब तक पुलिस उसे खोज नहीं पाई है।
वीआईपी इलाके से दो नक्सली मददगारों की गिरफ्तारी ने पुलिस की चिंता और बढ़ा दी है। पकड़े गए मददगारों से कई राज खुलने की संभावना है। प्रारंभिक पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि कांकेर में तेंदूपत्ता की ठेकेदारी करने वाला बाबूलाल शर्मा के तार कई नक्सली कमांडरों से जुड़े हैं। वह पहले नक्सली कमांडरों को तेंदूपत्ता का लेवी देता था। बाद में कमांडरों के कहने पर लेवी के बजाय विस्फोटक सामाग्री की सप्लाई करने लगा। राजधानी के शंकरनगर और पंडरी में उसके आलीशान फ्लैट भी हैं, जहां वह अक्सर आता-जाता है। पुलिस ने उसका पूरा रिकार्ड खंगालना शुरू कर दिया है। 
      बारूद भरे ट्रक का नहीं खुला राज
अप्रैल 2009 में जशपुर जिले के लोदाम चेक पोस्ट पर पकड़े गए बारूद-भरे ट्रक के मामले में भी राजधानी के एक ट्रांसपोर्टर का नाम सामने आया था, लेकिन उस समय ट्रांसपोर्टर पर क्या कार्रवाई हुई, इसका खुलासा पुलिस ने आज तक नहीं किया है। ट्रांसपोर्टर के तार बस्तर में सक्रिय माओवादियों से जुड़े निकले थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक बारूद से भरा ट्रक पटना (बिहार) से रायपुर के लिए रवाना हुआ था। रांची, गुमला होते हुए ट्रक जब छत्तीसगढ़ सीमा में प्रवेश करने लोदाम बेरियर में खड़ा हुआ तो चेकिंग के दौरान पकड़ा गया था। मामले में ट्रांसपोर्टर राज किशोर की गिरफ्तारी हुई थी। यह बारूद रायपुर पंडरी के किसी सीताराम गौरीशंकर के नाम पर बुक की गई थी। सीताराम कौन है और कहां रहता है, फिलहाल इसकी जानकारी सामने नहीं आ पाई है। मामले में आरोपी बनाए गए पटना निवासी ट्रांसपोर्टर अरविंद शर्मा व ट्रक चालक, क्लीनर का भी चार सालों में कोई सुराग नहीं मिल पाया है। 
मंत्री बंगले के पास नक्सली सहयोगी गिरफ्तार
- डायनामाइट, जिलेटिन और जिंदा डेटोनेटर बरामद
- नक्सली कमांडर के नाम एक पत्र भ्ाी बरामद
- रायपुर से विस्फोटक सहित अन्य सामान जाना था कांकेर
रायपुर(निप्र)। राजधानी के शंकरनगर स्थित मंत्री बंगला के पास रविवार को बोलेरो सवार दो नक्सली पकड़े गए हंै। इनके पास से 32 जिंदा डेटोनेटर, डायनामाइट के 10 राड और 7 जिलेटिन सहित अन्य सामान मिले हंै। इने सभी सामानों को कांकेर के घोर नक्सील इलाके में भेजने की तैयारी कर रहे थे। आरोपियों से एक नक्सली कमांडर के नाम पर पत्र भी बरामद हुआ है। जिसमें सभी सामान को भेजे जाने की जानकारी है। सिविल लाइन पुलिस की टीम ने  मुखबिर की सूचना पर दो व्यक्ति को घेराबंदी कर दबोच लिया। सूत्रों की माने तो दोनों आरोपी एक बड़े आदिवासी नेता के यहां आए थे। उसी के यहां ठहरे हुए थे। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है।
पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश पाल ने बताया कि कांकेर के ग्राम बांदे निवासी बाबूलाल शर्मा (52) पिता श्री लाल शर्मा व तारक कुंडू(42) पिता हरिकृष्ण कंुडू को शंकरनगर रेलवे क्रॉसिंग के पहले मंत्री बंगले के पास से पकड़ा गया। दोनों बोलेरो सीजी 19 बीसी 4087 में सवार थे। बोलेरों में कई तरह के विस्फोट सामान रखे हुए थे। पुलिस ने बताया कि बाबूलाल शर्मा  बांदे ट्रांसपोर्ट एसोशिएसन का अध्यक्ष और तेंदूपत्ता ठेकेदार है। आरोपी की कांकेर में कई ट्रके चलती है। वहीं तारक कुंडू फड मुंशी का काम करता है। दोनों रविवार को राजधानी पहंुचे थे। बोलेरो बाबूलाल शर्मा का है। उसमें दो सिलेंडर, आक्सीजन गैस, सांगा गलाने के सामान, 32 डेटोनेटर, 10 डायनामाइट रॉड, 7 जिलेटिन, छोटे-बडे बैटरी, नट बोल्ट, टॉर्च के छोटे बल्ब, ब्लैंक सीडी, तांबे के तार और एक स्टेशनी की सूची मिली है। बाबूलाल के पास कांकेर के नक्सली कमांडर विनय के नाम पर एक पत्र मिला है। जिसमें लिखा है कि जारी चीजे भेजी जा रही है।
पहले भ्ाी आया था नाम
दो साल पहले राजधानी पुलिस ने आमानाका इलाके में पॉल ट्रांसपोर्ट से भारी मात्रा में राकेट लांचर के कलपुर्जे बरामद किए थे। जो नक्सलियों को बताया जा रहा था। उस समय भ्ाी बाबूलाल का नाम सामने आया था। बाबूलाल शर्मा का माल भी वहीं उतरा हुआ था। जिस बाद में पंखाजूर भेजा गया था। पुलिस ने उससे पूछताछ कर छोड़ दिया था।
तारक को ले जाना था गाड़ी
पुलिस ने बताया कि सभी माल को बोलेरो में लेकर तारक  को जाना था। बाबूलाल कुछ काम से यहां स्र्कने वाला था। इसीलिए नक्सली कमांडर विनय के नाम पर एक पत्र तारक को दिया गया था। पुलिस अभी इस चीज की जांच कर रही है। कि आरोपियों ने सामान कहां से खरीदा था। माल को कहां देना था।
बोर्डर पर स्थित है बांदे गांव
पुलिस ने बताया कि बांदे गांव पखांजूर ब्लॉक के अंतर्गत आता है। जो छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बुल्कुल बोर्डर पर स्थित है। जो घोर नक्सली क्षेत्र है। सिविल लाइन पुलिस की एक टीम बांदे गांव रवाना हो गई है। वहां अरोपियों के बारे में पड़ताल की जा रही है।
ट्रेनिंग कैप ले जाने का संदेह
पुलिस की माने तो आरोपी सभी सामानों को ट्रेनिंग कैंप भेज रहे थे। आरोपियों के पास से एक सूची मिली है। जिसमें स्टेशनी सामान लिखे हुए है। इसमें बोर्ड, डस्टर, मार्कर जैसे चीजे शामिल है।
हो सकता है बड़ा विस्फोट
पुलिस ने बताया कि आरोपियों से जो सामान बरामद हुआ है। उससे एक बड़ा विस्फोट किया जा सकता है। इसमें रांगा गलाने के उपकरण और कई चीजे मिले है। जो बम बनाने के काम आता है। इसके अलावा कटर सहित अन्य सामान बरामद हुआ है।
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मददगारों ने सदर, गोलबाजार से खरीदा था सामान 00 अभी और लोगों की होगी गिरफ्तारी
0 आईबी व एसआईबी अफसरों ने की घंटों पूछताछ
0 महासमुंद का एक ट्रांसपोर्टर भी मददगार
रायपुर(निप्र)। विस्फोटक के साथ पकड़े गए नक्सली मददगारों से कई खुलासे हुए हैं। इसके आधार पर पुलिस ने कुछ और लोगों की गिरफ्तारी के संकेत दिए हैं। ट्रांसपोर्टर बाबूलाल शर्मा व तारक कुंडू ने सदर बाजार और गोलबाजार की दुकानों से स्टेशनरी व अन्य सामान खरीदने की जानकारी दी है। उन्होंने गोलाबाजार के कुछ कारोबारियों के नाम भी बताए  हैं, जहां से उन्होंने सामान खरीदा। पुलिस इन व्यापारियों से भी पूछताछ कर सकती है। नक्सली समर्थकों ने बताया कि उनके द्वारा नक्सलियों को भेजा जाने वाला ज्यादातर सामान राजधानी के मुख्य बाजार से ही खरीदा गया है और वे हर बार एक ही दुकान से सामान खरीदते आ रहे हैं। मंगलवार को आईबी और एसआईबी की टीम ने गिरफ्तार नक्सली समर्थकों से घंटों पूछताछ की। पूछताछ में शहर में मौजूद नक्सली समर्थकों के नाम  सामने आए हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक नक्सली समर्थकों को शिनाख्ती के लिए शहर और आसपास के कई इलाकों में ले जाने की तैयारी की जा रही है। इसके बाद उन संदेहियों की गिरफ्तारी की जाएगी।
सात दिन की पुलिस रिमांड में रखे गए बाबूलाल शर्मा व तारक कुंडू की निशानदेही पर पुलिस व खुफिया विभाग नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को ध्वस्त करने की कोशिश में लग गया है, इसलिए दोनों से ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक बाबूलाल ने महासमुंद के एक ट्रांसपोर्टर का नाम लिया है, जो लंबे समय से नक्सलियों का मददगार रहा है। उस ट्रांसपोर्टर की तलाश शुरू हो गई है। महासमुंद पुलिस की मदद से उसे पूछताछ के लिए राजधानी तलब किया गया है। हालांकि अफसरों ने अभी तक उस ट्रांसपोर्टर के नाम का खुलासा नहीं किया है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि विस्फोटक या अन्य सामान के बारे में अहम जानकारी मिली है, लेकिन डेटोनेटर, डाइनामाइट राड आदि के बारे में अभी पूछताछ करना बाकी है। दोनों से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि वे डेटोनेटर कहां से लाते थे।
ठेकेदार पर नरमी क्यांे?
एएसपी सिटी डॉ.लाल उमेद सिंह ने बताया कि तेंदूपत्ता ठेकेदार कमल किशोर व्यास को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या उसे हिरासत लिया जाएगा, इस पर उनका कहना था कि मामले में उसकी संलिप्तता है या नहीं, फिलहाल सबूत नहीं मिले हंै, इसलिए पूछताछ करने बुलाया गया है। वन अफसर के मकान को किराए पर लेने वाले ठेकेदार के प्रति पुलिस के नरम रवैए की शहरभर में चर्चा है। वहीं मकान मालिक वन अफसर के नाम का खुलासा करने से भी पुलिस साफ बच रही है। शंकरनगर स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के उस थ्री बीएचके स्वतंत्र बंगले का मालिक कौन है, यह आसपास के रहने वाले लोग भी अनभिज्ञ हैं।
वन अफसर के घर रुककर नक्सली मददगारों ने खरीदा था तबाही का सामान
0 31 अगस्त तक पुलिस रिमांड पर लिए गए, पूछताछ में अहम खुलासे
0 कई और नक्सली मददगारों के नाम सामने आए
0 नक्सली कमांडरों से जुड़े मददगारों के लिंक
रायपुर(निप्र)। राजधानी में पकड़े गए नक्सली मददगारों के लिंक नक्सलियों के कमांडरों से होने का खुलासा हुआ है। पूछताछ में नक्सली समर्थकों ने कुछ और नाम बताए हंै, जो समर्थकों के माध्यम से नक्सलियों तक सामान पहुंचाने के साथ ही आर्थिक भी मदद करते आ रहे हैं। अब पुलिस की नजर उन लोगों पर टिकी है, जो नक्सलियों और उनके समर्थकों की मदद करते हैं। पुलिसिया जांच में यह बात सामने आई है कि शंकरनगर सेक्टर वन स्थित एचबी कॉलोनी के थ्री बीएच के जिस निजी मकान में रुककर तबाही के सामान की खरीददारी की गई थी, वह मकान एक वन अफसर का है, जो मप्र में पदस्थ हैं। हालांकि इस मकान को तेंदूपत्ता ठेकेदार कमल किशोर व्यास ने वन अफसर से तीन साल से किराए पर लेकर उसे दफ्तर और रेस्टहाउस बना रखा है। अब पुलिस कमल किशोर व्यास की तलाश कर रही है। सोमवार दोपहर एसपी ओपी पॉल ने पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर घटनाक्रम की जानकारी दी। नक्सली मददगारों के लिंक किस-किस से जुड़े हुए हंै। इसकी पूरी जानकारी खुफिया विभाग के अधिकारी जुटा रहे हैं। फिलहाल पुलिस अफसरों ने अधिकृत तौर पर इसका खुलासा नहीं किया है। सोमवार को दोनों मददगारों को कोर्ट में पेशकर 31 अगस्त तक पुलिस रिमांड पर लिया गया।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि बाबूलाल शर्मा और तारक कुंडु से लगातार पूछताछ चल रही है। उनसे अधिक से अधिक जानकारी जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। दोनों ने पहले भी विस्फोटक सामान जंगलों में ले जाने की बात कबूल की है। अब पुलिस यह जानने की कोशिश में है कि छत्तीसगढ़ में और कितने लोग नक्सलियों की मदद कर रहे हैं। राजधानी रायपुर के अलावा और कहां-कहां नक्सलियों का नेटवर्क फैला हुआ है। बाबूलाल और तारक से पुलिस को कई अहम जानकारियां मिली हंै। सूत्रों के मुताबिक बाबूलाल ने कई ट्रांसपोर्ट और व्यापारियों के नाम उगले हैं, जो उसे सामान मुहैया कराते थे। उसने पुलिस को ट्रांसपोर्ट के जरिए जाने वाले माल की भी जानकारी दी है। बाबूलाल शर्मा की राजधानी के कई कारोबारियों से सेटिंग का खुलासा भी हुआ है, इससे पुलिस को आशंका है कि नक्सलियों तक यहां से पैसे भी पहुंचाए जाते होंगे। पैसों के लेनदेन के संबंध में भी बाबूलाल ने कई राज खोले हैं।
मकान चौकीदार हिरासत में 
एएसपी सिटी डॉ.लाल उमेद सिंह ने नईदुनिया को बताया कि शुक्रवार को बाबूलाल शर्मा और फंडमुंशी तारक कुंडू तेंदूपत्ता ठेकेदार कमलकिशोर व्यास के शंकरनगर स्थित रेस्टहाउस में आकर रुके थे। यह हाउसिंग बोर्ड का मकान है। मूलत: घिधाड़ी, गोरेगांव, गोंदिया(महाराष्ट्र) निवासी मकान के चौकीदार गंजानंद कटरे पिता विश्राम कटरे(35) को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उसने वन अफसर का मकान होना बताया है, लेकिन पुलिस अफसर वन अफसर का नाम बताने से परहेज कर रहे हैं। पुलिस रिकार्ड में भी मकान के किरायेदार का नाम नहीं मिला है। तेंदूपत्ता व बांस की ट्रांसपोर्टिग व्यवसाय से जुड़े बाबूलाल ने बताया कि उसने मकान में ही रुककर बाजार से 35 हजार रुपए के सामान खरीदे थे। सामान में बोर्ड, डस्टर, मार्कर आदि शामिल था। डेटोनेटर समेत अन्य विस्फोटक सामान भी उसने यही से खरीदारी की, लेकिन पुलिस यह बताने से बच रही है कि किन-किन दुकानों व कारोबारियों से ये सामान खरीदे गए। एएसपी का कहना है कि कमल किशोर व्यास की तलाश की जा रही है। उसका एक मकान सीएम हाउस से लगे पंचशीलनगर में भी है। उसके पकड़े जाने के बाद ही यह साफ होगा कि मामले में उसकी क्या भूमिका है? वह मूलत: महासमुंद जिले का रहने वाला है। पूछताछ के लिए उसे तलब किया गया है।
नौ बाइक भी जब्त
पुलिस ने बताया कि बाबूलाल के पास से 34 हजार रुपए जब्त किए गए हैं। वहीं मकान परिसर में खड़ी नौ बाइक भी बरामद की गईं। इनके मालिकों के नाम खंगाले जा रहे हैं। तबाही का सामान खरीदने के पीछे उनकी मंशा क्या थी? इसकी पड़ताल की जा रही है। सारे सामान को नक्सली कमांडर विनय के कहने पर नक्सलियों के ट्रेनिंग कैंप भेजने की तैयारी थी। पुलिस को शक है कि विस्फोटक राजधानी के आसपास की खदानों से खरीदे गए हंै। मामले में खदान संचालकों से भी पूछताछ कर डेटोनेटर व डाइनामाइट का हिसाब लिया जाएगा।
तीन एकाउंट नंबर किसके?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक बाबूलाल शर्मा ने बैंक तीन एकाउंट नंबर भी पुलिस को बताए हैं, जिनमें पैसा जमा किया जाता था। ये एकाउंट किसके नाम पर हंै, इसका पता लगाया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि नक्सलियों को सप्लाई किए जाने वाले सामान का पूरा खाका तैयार होता था। बाबूलाल कुछ साल से लगातार राजधानी से सामान लेने आता रहा है। उसके साथी पहले से स्थानीय कारोबारियों को सामान की सूची देकर चले जाते थे और बाद में आकर सामान ले जाते। बहुत सारा सामान ट्रांसपोर्ट के जरिए भी राज्य के अलग-अलग इलाकों में भेजने की जानकारी सामने आई है।
गौरतलब है कि दो दिन पहले बाबूलाल शर्मा और तारक कुंडु शंकर नगर स्थित एक तेंदूपत्ता कारोबारी के रेस्ट हाउस में ठहरे थे। दोनों के यहाँ ठहरे होने की जानकारी मिलते ही पुलिस ने रातभर रेस्ट हाउस की निगरानी की। रविवार सुुबह जैसे ही बाबूलाल और तारक कुंडू कांकेर जाने के लिए बोलेरो से निकले। पुलिस व खुफिया विभाग की टीम ने घेराबंदी कर उन्हें मौके पर ही डेटोनेटर, डाइनामाइट के राड आदि विस्फोटकों के साथ दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। बोलेरो बाबूलाल शर्मा के नाम पर है।
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नक्सली मददगारों की तलाश तेज, कई जगह छापे
0 आधा दर्जन लोगों की होगी गिरफ्तारी
रायपुर(निप्र)। नक्सली नेटवर्क तोड़ने में कामयाब हुई राजधानी पुलिस ने शहर और आसपास जिले में मौजूद नक्सली मददगारों की तलाश तेज कर दी है। खबर है कि गुप्त सूचना के आधार पर रायपुर, महासमुंद, सरायपाली, राजनांदगांव तथा आसपास के ग्रामीण इलाकों में मददगारों के होने की सूचना पर गुरुवार को पुलिस और आईबी की टीम ने संयुक्त रूप से कई संभावित ठिकानों पर दबिश दी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है। पुलिस सूत्रों का दावा है कि जल्द ही कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हालांकि इस छापे की अधिकारिक पुष्टि कोई नहीं कर रहा है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि बाबूलाल शर्मा ने एक ट्रांसपोर्टर का नाम बताए हंै, जो उसकी तरह नक्सलियों का मददगार रहा है। पुलिस ने उस ट्रांसपोर्टर के अलावा वन अफसर, ठेकेदार, नेताओं और कुछ ट्रांसपोर्टरों को निशाने पर लिया है। इनमें से आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाएगी। अगर यह साबित होता है कि शहरी नक्सली नेटवर्क को तगड़ा करने में इनकी भूमिका है तो उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
गिरफ्तार नक्सली मददगार बाबूलाल शर्मा और तारक कुंडू से लगातार पूछताछ चल रही है। पूछताछ में रोज नए खुलासे हो रहे हंै। पुलिस को पहली बार पुख्ता और नई जानकारी मिली है। नक्सलियों को आर्थिक मदद के साथ रसद पहुंचाने वाले मददगारों के नाम सामने आने से पुलिस व आईबी के अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। बाबूलाल शर्मा ने खुद स्वीकार किया है कि उसने नेताओं, आईएफएस अफसरों, ठेकेदार की कई बार नक्सली कमांडरों के साथ बैठक करा चुका है। उसने मध्यस्थ की भूमिका निभाकर डीलिंग भी कराई है। कमांडर के निर्देश पर चाहे गए सामान की शहर से खरीददारी कर नक्सलियों तक पहुंचाता रहा है। बाबूलाल के खुलासे के बाद खुफिया विभाग की टीम अलर्ट है। शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों में मुखबिरों को लगाकर सूचनाएं एकत्र की जा रही हैं। जिन वन अफसरों के मददगार होने की बात सामने आई है, उनकी हरेक गतिविधियों पर आईबी की निगाह टिकी है। बताया जा रहा है कि बाबूलाल शर्मा जिस रेस्टहाउस में ठहरा था, वह मप्र में पदस्थ एक डीएफओ की है, जिसने तेंदूपत्ता ठेकेदार  कमलकिशोर व्यास ने किराए पर ले रखा है। हालांकि पुलिस उस डीएफओ का नाम बताने से साफ बच रही है, लेकिन डीएफओ को पूछताछ के लिए तलब करने की पुष्टि अफसर कर रहे हंै। बाबूलाल की गिरफ्तारी के बाद से कमलकिशोर व्यास गायब है, उसकी तलाश संभावित स्थानों पर की गई, लेकिन वह हाथ नहीं लगा। नक्सली मददगारों के हिट लिस्ट में शामिल 20 लोगों की सूची पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अफसरों को दिए गए हैं। वहां से मिल रहे निर्देश के आधार पर पुलिस व आईबी के अफसर कार्रवाई कर रहे हैं। 
कॉल डिटेल से खुले राज
पुलिस सूत्रों की मानंे तो बाबूलाल व तारक के जब्त मोबाइल के काल डिटेल खंगालने पर चार-पांच ऐसे नंबर मिले हैं, जो लगातार इनके संपर्क में रहे हैं। इनमें दो वन अफसर,एक तेंदूपत्ता ठेकेदार तथा विपक्ष के एक नेता का बताया जा रहा है। बाबूलाल के तीन बैंक एकाउंट में करीब बीस लाख रुपए जमा होने की जानकारी भी सामने आई है।
बाबूलाल की गाड़ी से होता था नक्सलियों को सामान सप्लाई
- राजधानी में सामान छोड़ने वाले युवक की तलाश
रायपुर (निप्र)। श्ांकर नगर इलाके से गिरफ्तार कथित माओवादी सहयोगी बाबूलाल शर्मा और तारक कुंडू ने राजधानी पुलिस के अलावा पुलिस के खुफिया विभ्ााग और अन्य टीम पूछताछ कर रही है। दोनों ने ही आरोपी से पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है। पुलिस शहरी नेटवर्क को ध्वस्त करने की कोशिश में लग गए है। पुलिस ने बताया कि बाबूलाल के ट्रक और ट्रैक्टर से माओवादियों  को सामान पहुंचाया था। इसके अलावा माओवादी उसके वाहन को उपयोग भी करते थे। एएसपी सिटी डॉ. लाल उमेद सिंह ने बताया कि बाहर का एक व्यक्ति आकर बाबूलाल को सामान देकर गया था। पुलिस उसे व्यक्ति की भी पूछताछ कर रही है। उन्होंने बताया कि दोनों ने गोलबाजार के कुछ दुकानों से खरीदारी की है। उन्हें व्यापारियों से पुलिस ने पूछताछ की है। लेकिन उनसे ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है।
कॉल डिटेल के आधार पर छानबीन
पुलिस ने बाबूलाल के फोन की कॉल डिटेल निकाल ली है। नम्बर के आधार पर उससे जुड़े लोगों से भी पूछताछ की जा रही है। पुलिस सूत्रों की मानंे तो बाबूलाल के राजनांदगांव, महासमुंद, भिलाई और बिलासपुर के ट्रांसपोर्टर, कारोबारियों, नेताओं और कई अधिकारियों से संबंध है। पुलिस उनसे भी पूछताछ की तैयारी में है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि दोनों आरोपियों के रायपुर में किस-किस से संपर्क था। और उनसे क्या बाते होती थी।
सालों से माओवादियों से संपर्क में
पुलिस ने बताया कि बाबूलाल लगभग 10 साल से माओवादियों के संपर्क में था। इस दौरान वह उन्हें कई तहर से सहायता पहुंचाता था। माओवादी बाबूलाल को इसके एवज में आर्थिक रूप से भी सहयोग भ्ाी करते थे। बाबूलाल अन्य तेंदूपत्ता ठेकेदारों से वसूली कर माओवादी को देता था। वहीं बिगड़ जंगलों में जाकर उन्हें सामान पहुंचाता था।
पॉश कॉलोनी में रुके थे दोनों आरोपी
कथित माओवादी सहयोगी बाबूलाल और तारक शहर की पॉश कॉलोनी शंकर में ठहरे हुए थे। इस इलाके में कई सरकारी कर्मचारी और कारोबारी रहते हंै। पॉश कॉलोनी के दो कमरों में माओवादी अपने गतिविधियां चला रहे थे। पुलिस रेस्ट हाउस के मालिक कमल किशोर व्यास से जल्द ही पूछताछ करेगी। पुलिस ने व्यास को दो दिन के अंदर सिविल लाइन में उपस्थित होने को कहा है।

वन अफसर, नेता और कारोबारी भी नक्सली मददगार
0 बाबूलाल ने उगले कई राज
रायपुर(निप्र)। गिरफ्तार नक्सली मददगार बाबूलाल शर्मा ने यह खुलासा कर चौंका दिया है राजधानी समेत राजनांदगांव, महासमुंद, भिलाई और बिलासपुर के कारोबारियों, नेताओं और कुछ आईएफएस अफसरों के लिंक नक्सली लीडरों से जुड़े हैं। ये लोग शहरी नक्सली नेटवर्क को तगड़ा करने का काम कर रहे हैं।  नक्सली कमांडरों के कहने पर वे लोग ही आर्थिक मदद के साथ उनके साजो-सामान का प्रबंध करवाते हैं। खुफिया विभाग ने ऐसे करीब दो दर्जन नक्सली मददगार कारोबारियों, आईएफएस अफसरों और नेताओं को शार्ट लिस्ट करके  इन पर निगाह रखना शुरू कर दिया है, आने वाले दिनों में इन पर शिकंजा कसा जाएगा।
पुलिस के खास जानकार सूत्रों के मुताबिक ट्रांसपोर्ट व्यवसायी बाबूलाल ने बताया है कि दो साल पहले आमानाका इलाके में पॉल ट्रांसपोर्ट से भारी मात्रा में जब्त किए गए राकेट लांचर के कलपुर्जे उसी ने कोलकाता से फर्जी नाम व बिल्टी से मंगवाए थे। एक ट्रक कलपुर्जे वह माड़ के जंगलों में भेज भी चुका था। बाद में ट्रांसपोर्ट में पहुंची खेप पकड़ी गई थी। पुलिस सूत्रों ने बताया कि बाबूलाल सालों से नक्सलियों के लिए काम करता आ रहा है। वह तेंदूपत्ता, सड़क ठेकेदार,  अफसरों व नेताओं का कांकेर में नक्सली लीडरों से सेटिंग कराकर बैठक करवाता था तथा पैसा वसूलकर उन तक पहुंचाता था। उसकी राजधानी के कई ट्रांसपोर्टर से अच्छे संबंध हैं। संबंधों की बदौलत उसने कई बार तबाही का सामान बस्तर के जंगलों में पहुंचाया है।
बीमार नक्सलियों का इलाज भी कराता था बाबूलाल
पूछताछ में बाबूलाल ने स्वीकार किया कि वह जंगलों से बीमार नक्सलियों को लेकर राजधानी और आसपास के जिलों में इलाज कराने आता रहा है। शहरी नेटवर्क के माध्यम दवाएं, वर्दी, जूते, डायनामाइट और विस्फोटक सामग्री आसानी नक्सलियों तक वह पहुंचाता रहा है। शहरी नेटवर्क का पूरा काम बंटा हुआ है। हर व्यक्ति को अलग-अलग सामान पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली हुई है। विस्फोटक सामान के अलग-अलग पार्ट्स आसपास के राज्यों से मंगवाकर राजधानी के रास्ते जंगलों तक पहुंचते हैं। खदान में उपयोग होने वाली विस्फोटक सामाग्री को खरीदकर वह खुद भेजता रहा है।

 

Thursday, August 29, 2013














Tuesday, August 20, 2013



















Saturday, August 10, 2013