Saturday, June 15, 2013

छत्तीसगढ़ में क्षणिक आवेश में हत्या के मामले सबसे ज्यादा

0 26 हत्याओं का कारण किसी बात पर आवेश में आना था
0 देशभर में दूसरे नम्बर पर झारखंड और तीसरे नम्बर पर गुजरात
0 नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2012 की रिपोर्ट में खुलासा
देश के दूसरे राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में क्षणिक आवेश या उन्माद में आकर हत्या करने वाले सबसे ज्यादा हैं। पिछले साल यानी वर्ष 2012 में यहां आवेश में आकर 26 हत्याएं की गईं। इस मामले में दूसरे नम्बर पर झारखंड में 20 हत्याएं और तीसरे नम्बर पर गुजरात में 12 हत्याएं हुईं, जबकि 35 में से 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां क्षणिक आवेश में आकर हत्या करने के एक भी मामले नहीं हुए।
प्रदेश के लोग कितनी तेजी से दिलो-दिमाग पर से नियंत्रण खोते जा रहे हैं, यह बता रही है नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट। एनसीआरबी की नई रिपोर्ट हाल ही में जारी की गई है। उसके आंकड़े यहां के समाज को चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2010 और 2011 में यहां आवेश में आकर हत्या करने के केवल दो-दो मामले ही हुए थे, लेकिन वर्ष 2012 में इस तरह की हत्या के मामले 13 गुना अधिक हुए। इस स्थिति को मनोचिकित्सक और समाजशास्त्री चिंतनीय बता रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों की दिनचर्या और प्रवृत्ति में बदलाव कर हालात सुधारे जा सकते हैं।
तीसरे से पहले पायदान पर
वर्ष 2011 में आवेश में आकर हत्या करने के मामले छत्तीसगढ़ में केवल दो ही हुए थे। तब पहले नम्बर पर गुजरात में छह हत्याएं और दूसरे नम्बर पर आंध्रप्रदेश में पांच हत्याएं हुई थीं। छत्तीसगढ़ तीसरे पायदान पर था, लेकिन वर्ष 2012 के आंकड़ों में पहले पायदान पर पहुंच गया है।
नक्सल हत्या में भी पहला नम्बर
वर्ष 2012 के आंकड़ों के अनुसार आतंकी या नक्सल हत्या में भी छत्तीसगढ़ देशभर में पहले नम्बर पर रहा है। यहां पिछले साल 71 नक्सल हत्याएं हुईं। दूसरे नम्बर पर झारखंड में 54 नक्सल हत्याएं और जम्मू कश्मीर में 23 आतंकी हत्याएं की गईं। वर्ष 2010 में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने 131 और 2011 में 216 लोगों की हत्या कर दी थी।
प्यार की बलि में 13वां स्थान
प्रेम संबंध या यौन कारणों से हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ 13वें स्थान पर है, लेकिन यहां प्रेम संबंध या यौन कारणों से हत्या की घटनाएं लगातार कम भी हुई हैं। वर्ष 2010 में इस तरह के मामले में 72 लोगों की हत्या हुई थी। वर्ष 2011 में 59 लोगों को मार डाला गया, वहीं वर्ष 2012 में यह आंकड़ा 45 पहुंच गया।
हत्या के कारण व संख्या
- 36 हत्याएं किसी लाभ के उद्देश्य से की गईं
- 77 लोगों को संपत्ति विवाद पर मार डाला गया
- 78 लोगों की जान ली व्यक्तिगत लाभ को साधने के लिए
- 45 लोग मारे गए प्रेम संबंध और यौन कारणों से
- 16 महिलाओं को मौत के घाट उतारा दहेज लोभियों ने
- 26 लोगों की जान आरोपियों के सनकीपन ने ले ली
- 8 लोगों को मार डाला जादूटोने के संदेह में
- 1 की साम्प्रदायिकता के चलते तो 2 की जातिवाद में जान गई
- 71 लोगों की हत्या नक्सलियों ने कर दी
- 638 लोगों के कत्ल अन्य मकसद से कर दिए गए
 

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