0 आज कोर्ट में होगा पेश, गोलबाजार पुलिस भी रिमांड पर लेने की तैयारी में
बिल्डर संजय बाजपेयी ने सरकारी जमीन पर कब्जा करने दस्तावेजों में किए गए फर्जीवाड़े में खुद की भूमिका से इंकार किया है। पूछताछ के दौरान वह यही रट लगा रहा है कि उसने कुछ गलत नहीं किया। सारा खेल दूसरों का किया-धरा है। जब्त किए जमीन के दस्तावेजों में बाजपेयी द्वारा दिए जा रहे बयान की कुछ हद तक पुष्टि भी हो रही है। पुलिस का दावा है कि बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए कमल विहार योजना की जमीन में बड़ा खेल किया गया था। इसमें कई अफसरों की संलिप्पता सामने आई है। शनिवार को बाजपेयी की पुलिस रिमांड अवधि समाप्त हो रही है। उसे सुबह 11 बजे कोर्ट में पेश किया जाएगा। इधर गोलबाजार पुलिस अपने मामले में पूछताछ के लिए बिल्डर को रिमांड पर लेने कोर्ट में आवेदन पेश करेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि रिमांड की अनुमति मिल जाएगी।
जानकार सूत्रों ने बताया कि आरडीए की योजना कमल विहार को पहले 22 सौ एकड में लांच करने की तैयारी थी। इसे तैयार करने वाले अफसरों ने इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार और आरडीए को सौंपी थी लेकिन 22 सौ एकड़ की योजना को एक सिरे से खारिज कर दिया गया। अधिकारियों ने इसे खारिज करने के पीछे यह तर्क दिया कि 22 सौ एकड में बस्ती, तालाब, चरागाह जमीन के साथ रास्ता भी आ रहा है, इसके कारण विवाद होने की संभावना है। इसलिए योजना की दोबारा समीक्षा की गई। समिति की फाइनल रिपोर्ट में 6 सौ एकड जमीन को हटा दिया गया। इसी जमीन पर बिल्डर संजय बाजपेयी की न्यू स्वागत विहार प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है। इससे साफ जाहिर होता है कि बाजपेयी को फायदा पहुंचाने के लिए अफसरों ने कमल विहार की 6 सौ एकड़ जमीन को योजना से बाहर कर दिया गया और फिर बाजपेयी ने सरकारी जमीन पर कब्जा जमाकर ले-आउट स्वीकृत करा लिया। यही नहीं, सरकारी जमीन से लगे किसानों की जमीन को भी उसने औने-पौने दाम पर खरीद लिया। उस समय कमल विहार योजना में जमीन कम करने के मामले को राजस्व और नगरीय प्रशासन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया था। मामले के खुलासे के बाद विभाग के उप सचिव ने आरडीए सीईओ को एक चिट्ठी लिखकर जानकारी तलब की है, इससे आरडीए में खलबली मची हुई है।
एडिशनल एसपी, सिटी
बिल्डर संजय बाजपेयी ने सरकारी जमीन पर कब्जा करने दस्तावेजों में किए गए फर्जीवाड़े में खुद की भूमिका से इंकार किया है। पूछताछ के दौरान वह यही रट लगा रहा है कि उसने कुछ गलत नहीं किया। सारा खेल दूसरों का किया-धरा है। जब्त किए जमीन के दस्तावेजों में बाजपेयी द्वारा दिए जा रहे बयान की कुछ हद तक पुष्टि भी हो रही है। पुलिस का दावा है कि बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए कमल विहार योजना की जमीन में बड़ा खेल किया गया था। इसमें कई अफसरों की संलिप्पता सामने आई है। शनिवार को बाजपेयी की पुलिस रिमांड अवधि समाप्त हो रही है। उसे सुबह 11 बजे कोर्ट में पेश किया जाएगा। इधर गोलबाजार पुलिस अपने मामले में पूछताछ के लिए बिल्डर को रिमांड पर लेने कोर्ट में आवेदन पेश करेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि रिमांड की अनुमति मिल जाएगी।
जानकार सूत्रों ने बताया कि आरडीए की योजना कमल विहार को पहले 22 सौ एकड में लांच करने की तैयारी थी। इसे तैयार करने वाले अफसरों ने इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार और आरडीए को सौंपी थी लेकिन 22 सौ एकड़ की योजना को एक सिरे से खारिज कर दिया गया। अधिकारियों ने इसे खारिज करने के पीछे यह तर्क दिया कि 22 सौ एकड में बस्ती, तालाब, चरागाह जमीन के साथ रास्ता भी आ रहा है, इसके कारण विवाद होने की संभावना है। इसलिए योजना की दोबारा समीक्षा की गई। समिति की फाइनल रिपोर्ट में 6 सौ एकड जमीन को हटा दिया गया। इसी जमीन पर बिल्डर संजय बाजपेयी की न्यू स्वागत विहार प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है। इससे साफ जाहिर होता है कि बाजपेयी को फायदा पहुंचाने के लिए अफसरों ने कमल विहार की 6 सौ एकड़ जमीन को योजना से बाहर कर दिया गया और फिर बाजपेयी ने सरकारी जमीन पर कब्जा जमाकर ले-आउट स्वीकृत करा लिया। यही नहीं, सरकारी जमीन से लगे किसानों की जमीन को भी उसने औने-पौने दाम पर खरीद लिया। उस समय कमल विहार योजना में जमीन कम करने के मामले को राजस्व और नगरीय प्रशासन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया था। मामले के खुलासे के बाद विभाग के उप सचिव ने आरडीए सीईओ को एक चिट्ठी लिखकर जानकारी तलब की है, इससे आरडीए में खलबली मची हुई है।
दोषी अफसरों को बचाने का खेलछत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति के अध्यक्ष विश्वजीत मित्रा का कहना है कि नगर तथा ग्राम निवेशक जाहिद अली को निलंबित कर अन्य अफसरों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। जाहिद ने कुल चार अभिन्यासों को स्वीकृत किया है, जबकि रिटायर्ड हो चुके तत्कालीन अफसर केपी बाजपेयी ने दो अभिन्यास तथा संदीप बागड़े ने जून 2012 में सेजबहार क्षेत्र में एक बड़े ले आउट को नियम विरुद्ध पास किया। मित्रा का आरोप है कि मात्र 3 हेक्टेयर ही जमीन बिल्डर बाजपेयी की थी तथा 18 हेक्टेयर अन्य लोगों की जमीन के फर्जी दस्तावेज लगाकर अफसरों की सांठगांठ से अभिन्यास स्वीकृत कराया गया है। पूरे फर्जीवाड़े में नगर निगम के अधिकारी, पटवारी, राजस्व अधिकारी, तहसीलदार, उपपंजीयक, नगर तथा ग्राम निवेश के अफसर शामिल है। इन सभी से कड़ाई से पूछताछ होने पर मामले का खुलासा हो सकेगा।
अभी तक आधा दर्जन लोगों के बयान दर्ज किए गए हंै। पूछताछ में बिल्डर संजय अपने आप को पाक साफ बता रहा है। जब्त दस्तावेजों की जांच और संबंधित अधिकारियों से पूछताछ में लंबा समय लगेगा। फिलहाल बिल्डर को दूसरे मामले में पुलिस रिमांड पर लेने की कोशिश की जाएगी।डॉ.लाल उमेद सिंह
एडिशनल एसपी, सिटी
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