Saturday, June 15, 2013

आधी रात बाद तक बाजपेयी से पूछताछ

0 पत्नी सरिता कहां? नहीं मालूम
0 अपने आप को बताया निर्दोष, कहा- फंसाया गया
जमीन हेराफेरी के मामले में घिरे बिल्डर संजय बाजपेयी से गुरुवार को आधी रात बाद तक पुलिस अफसरों ने पूछताछ की। अफसरों ने उसकी पत्नी सरिता बाजपेयी के बारे में पूछा तो उसका कहना था कि पखवाड़ेभर से पत्नी से बात नहीं हुई है और न ही उसे यह मालूम है कि फिलहाल वह कहां है। हालांकि पुलिस को आशंका है कि वह पत्नी के बारे में सबकुछ जानकर भी अंजान बन रहा है। पुलिस का मानना है कि आने वाले दिनों में पति की तरह वह भी कोर्ट में सरेंडर करने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि बिल्डर संजय के साथ उसकी पत्नी सरिता के खिलाफ भी पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला कायम किया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कोर्ट में सरेंडर करने के बाद बिल्डर को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। पूछताछ के लिए बिल्डर संजय को मौदहापारा थाने के एक कमरे में रखा गया है। गुरुवार की रात ढाई बजे तक एएसपी सिटी डा.लाल उमेद सिंह, आईएच खान तथा टीआई आरके दुबे ने उससे पूछताछ की। अफसरों ने बिल्डर से यह जानने की कोशिश की कि किस-किस को  प्रॉपर्टी बेची, उसका पैसा कहां निवेश किया, बाजार से कितना पैसा उठाया, किसका-किसका बकाया है, उसके प्रोजेक्ट में कितने पार्टनर हैं और फर्जीवाड़े में कौन-कौन से अफसरों की संलिप्तता रही है। हालांकि बिल्डर वाजपेयी ने कहा कि सरकारी जमीन पर कब्जा जमाने में उसका कोई हाथ नहीं है। उसने कहा कि उसे फंसाया जा रहा है। वह इलाज कराने के लिए बाहर गया था, इसी दौरान सारा खेल हो गया। उसने कहा कि उसका इरादा विदेश भागने का बिल्कुल नहीं था, इसलिए कोर्ट में सरेंडर कर अपना पक्ष रखना चाह रहा है।
आईजी ने की रिपोर्ट तलब
आईजी जीपी सिंह ने शुक्रवार को सभी एएसपी आईएच खान, टीआई शमशेर खान, आरके दुबे को सरकारी जमीन घोटाले की जांच रिपोर्ट के साथ अपने दफ्तर में बुलवाया और उनसे चर्चा की। उन्होंने प्रकरण की सूक्ष्मता से जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। सूत्रों ने बताया कि आईजी ने चर्चा के दौरान डाल्फिन स्कूल के फरार संचालक राजेश शर्मा और उसकी पत्नी उमा शर्मा के प्रकरण की फाइल का अवलोकन किया और अब तक पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी ली। 
थाने के बाहर जमे रहे लोग
बिल्डर संजय वाजपेयी के मौदहापारा थाने में होने की जानकारी लगते ही लोगों की भीड़ गुरुवार शाम से ही थाने के पास जुटनी शुरू हो गई थी। देर रात तक लोग थाना के बाहर खड़े होकर भीतर चल रही गतिविधियों की टोह लेते रहे। भीड़ के कारण सड़क पर जाम की स्थिति निर्मित होते देख पुलिस को बेरीकेट्स लगाना पड़ा। बाद में भीड़ को वहां से हटाया गया। भीड़ में बिल्डर बाजपेयी के डूंडा स्थित स्वागत विहार प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वालों के साथ ही प्लाट खरीदने वाले शामिल थे।
बड़ी मछली कौन?, यूथ इंटक ने उठाए सवाल
राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के सचिव व प्रदेश प्रवक्ता रोशन श्रीवास ने जारी एक बयान में सवाल उठाया है कि बिल्डर के पीछे बड़ी मछली कौन है? जांच कर उसका नाम सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिल्डर के खिलाफ चल रही जांच की सारी जानकारी मीडिया को तत्काल दी जा रही है, इससे ऐसा लगता है कि इस प्रकरण के पीछे कोई न कोई बड़ी मछली जरूर है, जो पूरा आरोप बिल्डर व अफसरों के सिर पर मढ़ना चाह रही है। उन्होंने सवाल उठाया है कि बिल्डर संजय बाजपेयी इतना रसूखदार था कि वह अफसरों को प्रभावित कर अनुमोदन पत्र व अन्य दस्तावेज आसानी से हासिल करने में सक्षम था? आशंका है कि बड़ी मछली से व्यावसायिक संबंध खराब होने के कारण ही इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। यूथ इंटक ने मांग की है कि प्रभावित लोगों को तत्काल शासन मद से पैसे वापस दिलाया जाए।
 किसने क्या कहा...
खास नहीं बता पाया
एएसपी आईएच खान ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में मीडिया को बताया कि बिल्डर संजय बाजपेयी से प्रारंभिक पूछताछ की गई है। पूछताछ में उसने कोई खास जानकारी नहीं दी है। उसका यह जरूर कहना है कि वह निर्दोष है। पत्नी सरिता के बारे में फिलहाल नहीं पूछा गया है। शुक्रवार को संजय को साथ लेकर पुलिस उसके कृष्णा कॉम्पलेक्स स्थित दफ्तर भी गई थी। वहां से जमीन के कुछ दस्तावेज, कम्प्यूटर और सीपीयू जब्त किए गए हैं। कम्प्यूटर हार्ड डिस्क को जांच के लिए साइबर सेल को सौंपा गया है।
एक दो दिन बाद चलेगा पता
एएसपी सिटी डॉ.लाल उमेद सिंह ने कहा कि पूछताछ प्रारंभिक चरण में है, इसलिए ज्यादा कुछ बताया नहीं जा सकता। एक दो दिनों बाद ही क्लीयर हो पाएगा आखिर में किस-किस की संलिप्तता से फर्जीवाड़ा हुआ है।
क्या बताया-नहीं मालूम
एसपी ओपी पाल ने कहा कि बिल्डर से पूछताछ चल रही है। इस संबंध में मुझे जानकारी नहीं है कि बिल्डर ने क्या बताया है। इस बारे में विवेचना अधिकारी ही बता सकते हैं, क्योंकि उन्होंने ही पूछताछ की है। जब्त दस्तावेजों की जांच की जा रही है। बिल्डर ने फर्जीवाड़े में अपने आपको निर्दोष बताया है। यह पूछे जाने पर एसपी पाल का कहना है कि किसी के निर्दोष बोल देने से वह निर्दोष साबित नहीं हो सकता। दस्तावेजों से सारी सच्चाई सामने आ जाएगी। किसकी मदद से फर्जीवाड़ा हुआ है, इसका खुलासा जरूर होगा।
बयान से पलटने की आशंका
जानकारों का कहना है कि बिल्डर संजय बाजपेयी से की जा रही पूछताछ की पुलिस द्वारा वीडियो रिर्काडिंग न कराए जाने से आशंका है कि वह बाद में कोर्ट में अपने बयान से पलट सकता है। इससे प्रकरण प्रभावित होगा। एएसपी आईएच खान ने वीडियो रिर्काडिंग कराने या न कराए जाने के बारे कुछ भी जानकारी नहीं दी।
जाहिद अली सस्पेंड -बिल्डर के फर्जी दस्तावेजों में पूर्व अफसर बाजपेयी के भी हस्ताक्षर
बिल्डर संजय बाजपेयी द्वारा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से अनुमोदित कराए गए अधिकांश अभिन्यास में तत्कालीन अफसर केसी बाजपेयी के हस्ताक्षर पाए गए हैं। यह खुलासा जब्त दस्तावेजों की जांच में हुआ है। पुलिस अफसरों ने इसकी पुष्टि की है।
 दस्तावेजों की जांच में जुटे पुलिस के आला अफसर यह देखकर दंग रह गए कि बिल्डर संजय बाजपेयी ने ग्राम डूंडा, सेजबहार और बोरियाकला गांव की 24 एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन ही नहीं, नाले व  सिटी पार्क की जमीन पर भी कब्जा कर उसका अभिन्यास स्वीकृत करा लिया था। जारी किए गए विकास अनुज्ञा में अधिकांश भूमि बाजपेयी के स्वामित्व की ही नहीं थी, उसके बाद भी उसने अवैध तरीके से प्लाटिंग कर ढाई सौ लोगों को बेच दी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अधिकांश ले-आउट के दस्तावेजों में तत्कालीन अफसर केसी बाजपेयी के हस्ताक्षर हैं। फिलहाल श्री बाजपेयी रिटायर्ड हो चुके हैं। गौरतलब है कि केसी बाजपेयी के पहले रहे अफसर जाहिद अली को इस मामले में राज्य सरकार ने दोषी मानकर निलंबित कर दिया है।
रिटायर्ड अफसर बाजपेयी ने पल्ला झाड़ा
 कहां दस्तावेज जांचने का जिम्मा हमारा नहीं
ने इस संबंध में रिटायर्ड अफसर केसी बाजपेयी से बात की। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि दस्तावेजों का परीक्षण करने का काम हमारा नहीं है। नक्शा पास करते समय सर्टीफाइड कॉपी देखकर नोटशीट पर लिखते हैं। मेरे कार्यकाल में बोरियाकला के ले आउट पास हुए थे। ले-आउट पास कराने की फाइल डायरेक्टर तक जाती है। मैने फाइल नहीं देखी है, जब तक फाइल नहीं देखूंगा बता नहीं सकता कि किस आधार पर ले-आउट पास किए गए थे।

 

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