Friday, April 30, 2010
Wednesday, April 28, 2010
Tuesday, April 27, 2010
Monday, April 26, 2010
Saturday, April 24, 2010
संपन्न घरानों के बच्चे बने अपराधी
रायपुर। शौक की पूर्ति के लिए परिजनों से पर्याप्त जेब खर्च न मिलने पर संपन्न घरानों के नाबालिगों ने अपराध का रास्ता पकड़ लिया। एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें सालेम स्कूल के तीन छात्र लुटेरे निकले। क्राइम ब्रांच के अनुसार छात्रों ने लूट की पांच वारदातों को अंजाम दिया। तीनों एक साथ बाइक पर घूमते थे और सूनसान स्थानों पर महिलाओं को अकेला पैदल जाते देख मोबाइल, नकदी लूटकर भाग निकलते थे।
पांच मोबाइल व लूट की घटना में प्रयुक्त बाइक समेत क्राइम ब्रांच की पकड़ में आए अर्पित लाल मरकाम वल्द दिनेश लाल (17) बूढ़ापारा, अनुराग उर्फ मोहित शर्मा वल्द अश्विनी शर्मा (16) ब्राह्मणपारा तथा शाहरुख अहमद खान उर्फ सन्नी वल्द शफी अहमद खान (16) छोटापारा सालेम स्कूल में दसवीं में पढ़ते हैं। संपन्न घरानों से तालुकात रखने वाले तीनों छात्र गहरे मित्र हैं। इनके बताए अनुसार परिजनों से पर्याप्त जेब खर्च न मिलने और स्कूल के अन्य बच्चों के हाथों में महंगे मोबाइल हैंडसेट देख अपना शौक पूरा करने लूट करते थे। वे स्कूल से भागकर शाहरुख की सीबीजेड बाइक क्रमांक सीजी 04 डीके 4560 पर सवार होकर लूट की वारदात को अंजाम देने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निकल जाते थे। इन्होंने 20 दिन पूर्व श्यामनगर में तारण सिंह चौक पर एक महिला से तीन हजार रुपए व मोबाइल लूटने के बाद शैलेंद्रनगर में शाम को मकान नंबर डी 297 के सामने पैदल जा रही एक महिला का मोबाइल व तीन सौ रुपए से भरा पर्स लूटा था। दो वारदातों के बाद इनके हौसले बढ़ने लगे। दस दिन पूर्व टैगौरनगर पारसी कब्रिस्तान के सामने सुधा सक्सेना का रास्ता रोककर नोकिया 3110 व सौ रुपए लूटने के बाद हफ्ते दिन पहले टैगौरनगर मेन रोड पर मकान नंबर सी 116 के सामने एक साइकिल सवार को रोककर मोबाइल व 26 सौ रुपए तथा पखवाड़े भर पहले ओसीएम चौक पर प्लेजर सवार महिला एक्का जैन से मोबाइल व दो हजार रुपए लूटकर पुलिस की नाक में दम कर दिया। आरोपियों से घटना में प्रयुक्त बाइक के साथ लूट के पांच मोबाइल बरामद कर लिए गए। रुपए इन्होंने खर्च कर दिए।
बैंक कैशियर, कांग्रेस नेत्री और ठेकेदार के पुत्र हैं आरोपी :
शाहरुख खान के पिता जहां उरला स्टेट बैंक में कैशियर हैं, वहीं अनुराग शर्मा के पिता ठेकेदार तथा अर्पित लाल की मां कांग्रेस नेत्री बताई गई हैं।
पांच मोबाइल व लूट की घटना में प्रयुक्त बाइक समेत क्राइम ब्रांच की पकड़ में आए अर्पित लाल मरकाम वल्द दिनेश लाल (17) बूढ़ापारा, अनुराग उर्फ मोहित शर्मा वल्द अश्विनी शर्मा (16) ब्राह्मणपारा तथा शाहरुख अहमद खान उर्फ सन्नी वल्द शफी अहमद खान (16) छोटापारा सालेम स्कूल में दसवीं में पढ़ते हैं। संपन्न घरानों से तालुकात रखने वाले तीनों छात्र गहरे मित्र हैं। इनके बताए अनुसार परिजनों से पर्याप्त जेब खर्च न मिलने और स्कूल के अन्य बच्चों के हाथों में महंगे मोबाइल हैंडसेट देख अपना शौक पूरा करने लूट करते थे। वे स्कूल से भागकर शाहरुख की सीबीजेड बाइक क्रमांक सीजी 04 डीके 4560 पर सवार होकर लूट की वारदात को अंजाम देने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निकल जाते थे। इन्होंने 20 दिन पूर्व श्यामनगर में तारण सिंह चौक पर एक महिला से तीन हजार रुपए व मोबाइल लूटने के बाद शैलेंद्रनगर में शाम को मकान नंबर डी 297 के सामने पैदल जा रही एक महिला का मोबाइल व तीन सौ रुपए से भरा पर्स लूटा था। दो वारदातों के बाद इनके हौसले बढ़ने लगे। दस दिन पूर्व टैगौरनगर पारसी कब्रिस्तान के सामने सुधा सक्सेना का रास्ता रोककर नोकिया 3110 व सौ रुपए लूटने के बाद हफ्ते दिन पहले टैगौरनगर मेन रोड पर मकान नंबर सी 116 के सामने एक साइकिल सवार को रोककर मोबाइल व 26 सौ रुपए तथा पखवाड़े भर पहले ओसीएम चौक पर प्लेजर सवार महिला एक्का जैन से मोबाइल व दो हजार रुपए लूटकर पुलिस की नाक में दम कर दिया। आरोपियों से घटना में प्रयुक्त बाइक के साथ लूट के पांच मोबाइल बरामद कर लिए गए। रुपए इन्होंने खर्च कर दिए।
बैंक कैशियर, कांग्रेस नेत्री और ठेकेदार के पुत्र हैं आरोपी :
शाहरुख खान के पिता जहां उरला स्टेट बैंक में कैशियर हैं, वहीं अनुराग शर्मा के पिता ठेकेदार तथा अर्पित लाल की मां कांग्रेस नेत्री बताई गई हैं।
मुन्ना गिरोह पर संदेह मजबूत
बैंक डकैती मामले में बिहार और झारखंड में राजधानी पुलिस का डेरा
रायपुर। सुंदरनगर और उरला के बाद पंडरीतराई बैंक शाखा में दिनदहाड़े हुई लाखों की डकैती के मामले में असली डकैतों तक पहुंचने में नाकामयाब राजधानी पुलिस की टेढ़ी नजर बिहार के मुन्ना गिरोह पर अटक गई है। भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि डकैती का ठीकरा मुन्ना गिरोह के सिर फोड़ने की पूरी तैयारी है। डकैतों की तलाश में पुलिस की आठ टीम पटना, रांची, कोलकत्ता, इलाहाबाद तथा मप्र समेत विभिन्न राज्यों के फेरे लगातार लगा रही है। जानकार बताते हैं कि डकैतों का कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है। हालांकि अफसरों का यह दावा है कि मुन्ना गिरोह ने ही बैंक डकैती की वारदातों को अंजाम दिया है। यही कारण है कि हवा में हाथ पैर मार रही पुलिस टीम की नजर फिलहाल बिहारी गैंग पर अटकी है। 6 अप्रैल 2010 को दिनदहाड़े भीड़-भाड़ वाले पंडरी कपड़ा मार्केट स्थित स्टेट बैंक में पांच नकाबपोश हथियारबंद डकैतों ने ग्राहकों और बैंक कर्मियों को बंधक बनाकर 26.50 लाख रुपए ले भागे। इस मामले में पुलिस यह तक नहीं पता लगा सकी कि किस गिरोह का यह काम है, किस साधन से डकैत बाहर निकलने में सफल रहे और स्थानीय स्तर पर उनका लिंक कहां से जुड़ा था। पुलिसिया जांच अब तक हवा हवाई ही साबित हुई। खानापूर्ति के नाम पर बिहार, झारखंड, इंदौर, यूपी, कोलकत्ता और आसपास के जिलों में पुलिस पार्टी भेजी गई थी जिनमें अंधिकाश टीमें राजधानी लौटने के बाद पुन: रवाना हो गर्इं।
पुलिस के हाथ ऐसी कोई खास जानकारी नहीं लगी है जिसके आधार पर दावा किया जा सके कि बैंक में इसी गिरोह ने डकैती डाली थी। इससे पहले 2 दिसंबर 09 को सेंट्रल बैंक सुंदरनगर शाखा और 2 जनवरी को स्टेट बैंक उरला शाखा में हुई डकैती कांड की जांच भी इसी अंदाज से होने के कारण डकैतों का कोई सुराग नहीं मिल पाया। ऐसे में पंडरी बैंक डकैती को अंजाम देने वाला गिरोह पकड़ में आ पाएगा, इसे लेकर लोगों में संदेह है।
हालांकि पुलिस अफसर कहते हैं, तीनों बैंक डकैतियों में डकैतों द्वारा अपनाए गए तरीके में कई समानताएं पाई गई हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अध्ययन के बाद चिन्हांकित गिरोहों की पतासाजी में विभिन्न राज्यों को भेजी गई पुलिस टीम को कई गिरोहों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। इसमें बिहार के मुन्ना सिंह गिरोह का तौर-तरीका काफी कुछ मिलता-जुलता पाया गया है। मुन्ना गिरोह को पकड़ने पटना और रांची में एएसपी रजनेश सिंह के नेतृत्व में पुलिस पार्टी लगातार कैंप कर रही है।
रायपुर। सुंदरनगर और उरला के बाद पंडरीतराई बैंक शाखा में दिनदहाड़े हुई लाखों की डकैती के मामले में असली डकैतों तक पहुंचने में नाकामयाब राजधानी पुलिस की टेढ़ी नजर बिहार के मुन्ना गिरोह पर अटक गई है। भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि डकैती का ठीकरा मुन्ना गिरोह के सिर फोड़ने की पूरी तैयारी है। डकैतों की तलाश में पुलिस की आठ टीम पटना, रांची, कोलकत्ता, इलाहाबाद तथा मप्र समेत विभिन्न राज्यों के फेरे लगातार लगा रही है। जानकार बताते हैं कि डकैतों का कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया है। हालांकि अफसरों का यह दावा है कि मुन्ना गिरोह ने ही बैंक डकैती की वारदातों को अंजाम दिया है। यही कारण है कि हवा में हाथ पैर मार रही पुलिस टीम की नजर फिलहाल बिहारी गैंग पर अटकी है। 6 अप्रैल 2010 को दिनदहाड़े भीड़-भाड़ वाले पंडरी कपड़ा मार्केट स्थित स्टेट बैंक में पांच नकाबपोश हथियारबंद डकैतों ने ग्राहकों और बैंक कर्मियों को बंधक बनाकर 26.50 लाख रुपए ले भागे। इस मामले में पुलिस यह तक नहीं पता लगा सकी कि किस गिरोह का यह काम है, किस साधन से डकैत बाहर निकलने में सफल रहे और स्थानीय स्तर पर उनका लिंक कहां से जुड़ा था। पुलिसिया जांच अब तक हवा हवाई ही साबित हुई। खानापूर्ति के नाम पर बिहार, झारखंड, इंदौर, यूपी, कोलकत्ता और आसपास के जिलों में पुलिस पार्टी भेजी गई थी जिनमें अंधिकाश टीमें राजधानी लौटने के बाद पुन: रवाना हो गर्इं।
पुलिस के हाथ ऐसी कोई खास जानकारी नहीं लगी है जिसके आधार पर दावा किया जा सके कि बैंक में इसी गिरोह ने डकैती डाली थी। इससे पहले 2 दिसंबर 09 को सेंट्रल बैंक सुंदरनगर शाखा और 2 जनवरी को स्टेट बैंक उरला शाखा में हुई डकैती कांड की जांच भी इसी अंदाज से होने के कारण डकैतों का कोई सुराग नहीं मिल पाया। ऐसे में पंडरी बैंक डकैती को अंजाम देने वाला गिरोह पकड़ में आ पाएगा, इसे लेकर लोगों में संदेह है।
हालांकि पुलिस अफसर कहते हैं, तीनों बैंक डकैतियों में डकैतों द्वारा अपनाए गए तरीके में कई समानताएं पाई गई हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अध्ययन के बाद चिन्हांकित गिरोहों की पतासाजी में विभिन्न राज्यों को भेजी गई पुलिस टीम को कई गिरोहों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। इसमें बिहार के मुन्ना सिंह गिरोह का तौर-तरीका काफी कुछ मिलता-जुलता पाया गया है। मुन्ना गिरोह को पकड़ने पटना और रांची में एएसपी रजनेश सिंह के नेतृत्व में पुलिस पार्टी लगातार कैंप कर रही है।
Thursday, April 22, 2010
Tuesday, April 20, 2010
Sunday, April 18, 2010
Saturday, April 17, 2010
Tuesday, April 13, 2010
Saturday, April 10, 2010
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