Saturday, June 8, 2013

बिल्डर संजय बाजपेयी के खिलाफ एफआईआर दर्ज

0 कमल विहार की जमीन पर कब्जा का मामला
  राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट कमल विहार की जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले बिल्डर संजय बाजपेयी के खिलाफ शुक्रवार को महौदहापारा थाना में धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई। नगर तथा ग्राम  निवेश के संयुक्त संचालक की सूचना पर पुलिस ने बिल्डर के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करने और सरकारी जमीन को अपना बता कर बेचने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज किया है। सरकार ने गुस्र्वार को इस बिल्डर के खिलाफ एफआईआर कराने का निर्देश दिया था। इस फर्जीवाड़े में बिल्डर की मदद करने के आरोप से घिरे संयुक्त संचालक जाहिद अली को सरकार पहले ही निलंबित कर चुकी है।
महौदहापारा थाना प्रभारी आरके दुबे ने बताया कि नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक संदीप बांगड़े की सूचना पर क्रमश: संजय बाजपेयी और उनके फर्म मेसर्स संजय बाजपेयी प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा कायम किया गया है। रिपोर्ट में बिल्डर पर डूंडा, सेजबहार और बोरियाखुर्द में सरकारी जमीन के अलग- अलग टुकड़ों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपना बताकर बेचने का आरोप है। उन्होंने बताया कि सरकारी जमीन की रजिस्ट्री हुई है या नहीं, अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। टीआई श्री दुबे ने बताया कि बिल्डर के खिलाफ आईपीसी की धारा- 420, 467, 488 और 471 के तहत जुर्म पंजीबद्ध कर मामला जांच में लिया गया है। फिलहाल आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। गौरतलब है कि कमल विहार की जमीन पर बिल्डर द्वारा अवैध कब्जा करने क खुलासे के बाद ही रायपुर विकास प्राधिकरण हरकत में आया और मामले की जांच श्ाुरू की। जांच रिपोर्ट में डूंडा, सेजबहार और बोरियाकला में आवंटित सरकारी जमीन 9.714 हेक्टेयर  पर संजय बाजपेयी द्वारा अवैध कब्जा कर 250 से ज्यादा भू-खण्ड काटने और इस जमीन को अपनी जमीन बताकर 250 लोगों को बेचने का खुलासा हुआ है। इस मामले में आवास एवं पर्यावरण विभाग ने आरडीए के सीईओ एलेक्स पॉल मेनन की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
धोखाधड़ी और दस्तावेजों में कूट रचना
जांच रिपोर्ट के मुताबिक कमल विहार योजना के लिए ग्राम डूंडा, सेजबहार और बोरियाकला में आवंटित सरकारी जमीन के 9.714 हेक्टेयर पर संजय बाजपेयी ने अवैध कब्जा कर 250 से ज्यादा भू-खण्ड काटे और इस जमीन को अपना बताकर लोगों को बेच दिया। संजय बाजपेयी ने इन गांवों में कुल आठ अभिन्यास अनुमोदित कराए थे, जिनमें  सरकारी जमीन और नाले का भी अभिन्यास स्वीकृत करा लिया गया था, जबकि जारी किए गए विकास अनुज्ञा में अधिकांश भूमि श्री बाजपेयी के स्वामित्व की ही नहीं है। बोरियाकला में स्वीकृत विकास अनुज्ञा क्रमांक 33/10 में कुल रकबा 20.582 हेक्टेयर में से केवल 3.749 हेक्टेयर संजय बाजपेयी के स्वामित्व की है। शासकीय और अन्य लोगों की निजी भूमि को अपना बताकर बी-1, खसरा पांच साला, सीमांकन प्रतिवेदन और आम दस्तावेजों की कूटरचना कर विकास अनुज्ञा प्राप्त की गई है। इसी तरह जिला पंजीयन कार्यालय में बिना दस्तावेज क्रमांक और बगैर तारीख अंकित किए, पंजीयन करवा लिया गया है। कुछ दस्तावेजों में तारीख तो अंकित हैं, लेकिन शेष पृष्ठ किसी अन्य दस्तावेज की फोटो कॉपी है। जांच समिति की रिपोर्ट के मुताबिक प्रथम दृष्टि में ही कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बिल्डर ने जमीन की रजिस्ट्री करा ली है।
जानबूझकर विकास अनुज्ञा दी अली ने
  जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के अधिकारी जाहिद अली ने जानबूझकर संजय बाजपेयी को लाभ पहंुचाने के लिए जमीन की विकास अनुज्ञा दी है और मास्टर प्लान में सुरक्षित कृषि भूमि पर उनके द्वारा अभिन्यास का अनुमोदन किया गया।जांच समिति ने अपने रिपोर्ट में इस मामले में सरकारी अधिकारियों के भी शामिल होने की बात कही है। जांच समिति ने इस गंभीर कृत्य में शामिल दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की है।
नईदुनिया सबसे पहले
 इस मामले का खुलासा 5 मार्च 2013 के अंक में सबसे पहले किया था।  डूंडा में 15 एकड़ सरकारी जमीन पर बिल्डर संजय बाजपेयी द्वारा कब्जा कर अपनी आवासीय कालोनी स्वागत विहार में शामिल करने की जानकारी दी थी। इसके साथ ही यह भी बताया गया था कि नहर और उससे लगी सरकारी जमीन भी बिल्डर के प्रोजेक्ट में दबाई गई है। मामले की जांच केबाद नईदुनिया का खुलासा सही साबित हुआ।
कड़ी कार्रवाई होगी
जांच रिपोर्ट से साफ है कि बिल्डर संजय बाजपेयी ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर और उसे अपना बताकर 250 लोगों को बेच दिया। उसने न केवल दस्तावेजों से छेड़छाड़ की है, बल्कि 250 लोगों से धोखाधड़ी भी की है। नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक ने अपने पद पर रहते हुए बिल्डर बाजपेयी को कुछ सरकारी और निजी जमीन के लिए भी विकास अनुज्ञा जारी कर दिया, जिसे उन्होंने खरीदा ही नहीं था। कुछ और अफसर व कर्मचारी इस मामले में शामिल हो सकते हैं, पुलिस मामले की जांच करेगी। इसके अलावा राजस्व और विधि विभाग अलग से जांच करेगा। दोषी अफसर-कर्मचारियों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी।
एन बैजेंद्र कुमार, प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण
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कमल विहार के 11 सेक्टरों का  सीमांकन किया तो जमीन दबी होने की जानकारी मिली। रिपोर्ट हमने सरकार को भेज दी। सरकार ने जो फैसला किया है, वह स्वागत योग्य है। यह रियल इस्टेट का कारोबार करने वालों के लिए एक सबक  है।  जो लोग नहीं समझ रहे हैं, वे जेल जाएंगे। आरडीए ने ईमानदारी से जांच की और फैसला लिया है, हमारी इसमें कोई दुर्भावना नहीं है ।  
सुनील सोनी, अध्यक्ष रायपुर विकास प्राधिकरण
संजय बाजपेयी का फोन बंद
इस संबंध में बिल्डर संजय बाजपेयी से लगातार उनके मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन हर बार उनका मोबाइल बंद मिला।

 

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