रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
छत्तीसगढ़ समेत दस राज्यों में चिटफंड कंपनी की आड़ में 75 हजार निवेशकों से एक हजार करोड़ से अधिक की रकम ठगने के मामले में जेल की हवा खा रहे कीम इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं डेवलपर्स लिमिटेड के डायरेक्टर खजान सिंग (46) और सीएमडी रवीन्दर सिंह सिद्धू को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पांच साल पहले अल्टीमेटम दिया था कि अवैध तरीके से स्कीम चलाकर निवेशकों से वसूले गए 444 करोड़ रुपये लौटाएं, नहीं तो कार्रवाई होगी। चौंकाने वाली बात यह है कि चिटफंड कंपनी ने इस फैसले के खिलाफ सेट में अपील की। मामला पांच साल तक वहां लटका रहा और सेबी हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। छह महीने पहले 11 अप्रैल 2018 को सेट ने सेबी के फैसलों को बरकरार रखते हुए चिटफंड कंपनी की अपील खारिज कर दी। तब तक ठगी का आकंड़ा एक हजार करोड़ पहुंच गया।बावजूद इसके सेबी ने कंपनी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि कीम इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं डेवलपर्स लिमिटेड तथा नेक्टर कामर्शियल ग्रुप ऑफ कंपनी ने छत्तीसगढ़ में वर्ष 2007 से 2013 तक रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा और खरियार रोड (ओडिशा) में ठगी का जाल फैलाया। छह साल, तीन महीने में रकम दोगुनी लौटाने और कमीशन देने का झांसा दिया। यही नहीं, समय-समय पर कार, बाइक एवं लैपटॉप भी उपहार के तौर पर कई लोगों देकर विश्वास में लिया। करीब तीन हजार निवेशकों ने विभिन्ना स्कीमों में 35 करोड़ रुपये निवेश किये। सभी निवेशकों को कंपनी ने बांड पेपर दिया। पॉलिसी बांड में अंकित मैच्युरिटी तिथि में जब सभी लोग पैसा लेने कंपनी के दफ्तर पहुंचे तो ब्रांच मैनेजर नरेन्दर सिंह ने बताया कि कंपनी ने गातापार, अभनपुर, बागबहरा, तिल्दा, महासमुंद, रायपुर के बेन्द्री अभनपुर में कुल 80 एकड़ जमीन खरीदी है। आप बांड पेपर की ओरिजनल कॉपी जमा कर दें, सबको पैसा मिलेगा।
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ठगी के शिकार छत्तीसगढ़ के निवेशक वर्ष 2013 से 2016 तक पैसा वापसी की आस में लगातार कंपनी का चक्कर काटते रहे, मिला केवल आश्वासन। जब कुछ हासिल नहीं हुआ तब पिछले महीने पंडरी थाने में पीड़ितों ने शिकायत दर्ज कराई। पुलिस अफसरों ने बताया कि देशभर में 75 हजार निवेशकों से कंपनी ने एक हजार करोड़ रुपये ठगे हैं। कंपनी के डायरेक्टरों के खिलाफ ग्वालियर, मुरैना, भिंड, जम्मू, राजनांदगांव, श्री गंगानगर (राजस्थान), अंबाला (हरियाणा), सिरसा, भाव नगर (गुजरात) में धोखाधड़ी का केस दर्ज है, लेकिन कंपनी के एक भी डायरेक्टर को वहां की पुलिस नहीं पकड़ पाई। पहली बार रायपुर पुलिस कंपनी के डायरेक्टर खजान सिंग, सीएमडी रवीन्दर सिंह सिद्धू तथा ब्रांच मैनेजर नरेन्दर सिंग को जालंधर और दिल्ली से गिरफ्तार करने में सफल रही।
सीबीआई ने कड़ा एक्शन लेने कहा पर सेबी ने नहीं की कार्रव

पुलिस अफसरों ने बताया कि मप्र हाईकोर्ट में वर्ष 2012 में दायर किए एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने करोड़ों की ठगी कर रातोरात दफ्तर बंद करके गायब हुई 50 चिटफंड कंपनियों के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था। इनमें कीम इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं डेवलपर्स लिमिटेड का नाम भी शामिल था। सीबीआई ने जांच के बाद सेबी को कंपनी के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने को कहा था फिर भी सेबी ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसका फायदा उठाकर कंपनी ने निवेशकों के एक हजार करोड़ रुपये दबा लिए।
दो और डायरेक्टरों की तलाश
लिस की तफ्तीश में खुलासा हुआ है कि शुरुआत में चिटफंड कंपनी में कुल सात डायरेक्टर थे, इनमें से एक राजेंन्दर सिंग की मौत हो चुकी है। शेष ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि दो और डायरेक्टर अभी भी कंपनी से जुड़े हुए हैं, जिनकी गिरफ्तारी होनी बाकी है। इसके लिए पुलिस की टीम दिल्ली, पंजाब में कैंप कर रही है।
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छत्तीसगढ़ के निवेशकों से ठगे गए पैसों से कंपनी ने अभनपुर, तिल्दा, बागबाहरा में 80 एकड़ जमीन खरीदी है। वहीं मप्र के ग्वालियर शहर में 40 एकड़, मोहना में 250 एकड़, हरियाणा के शाहाबाद में 10 एकड़ जमीन के साथ डेरा बस्ती पंजाब में दो एकड़ में निर्मित फार्म हाउस है। पुलिस का दावा है कि पंजाब, हरियाणा में ठगे गए करोड़ों रुपये कंपनी ने छत्तीसगढ़ और मप्र में रियल इस्टेट कारोबार में निवेश किया है। सारे जमीन के दस्तावेज पुलिस ने जब्त कर उन्हें कुर्क करने कोर्ट से अनुमति लेने की तैयारी की है।
बेचने की कोशिश से पहले धरे गए
डीएसपी क्राइम अभिषेक माहेश्वरी ने बताया कि करोड़ों की बेशकीमती जमीन को गिरफ्तार डायरेक्टर और सीएमडी बेचने के फिराक में लगे थे। कुछ कारोबारियों से सौदेबाजी भी की थी, लेकिन इससे पहले वे पुलिस के हाथ लग गए।