Saturday, June 8, 2013

बाहरी गिरोह का ठिकाना बना छत्तीसगढ़

0 आधा दर्जन गिरोह के मूवमेंट से उड़ी पुलिस की नींद
0 नए चेहरे व संदिग्धों पर टिकी निगाह, जांच में जुटी पुलिस
 राजधानी सहित प्रदेश के कई इलाकों में जनजातीय गिरोह की  दस्तक ने पुलिस की नींद उड़ाकर रख दी है। बाहरी गिरोहों की सक्रियता को देखते हुए राजधानी पुलिस को अलर्ट किया गया है। क्राइम ब्रांच ने आउटर इलाके की बस्ती, कालोनियों, होटल, लॉज समेत रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड में संदिग्ध चेहरे की तलाश में जासूस लगाए है। ये जासूस मुखबिरों के जरिए संदिग्ध और नए चेहरे की तस्दीक में दिन-रात जुटे है।
प्रदेश में साहेबगंज, बिहार के चादर गैंग, ईरानी, सोनझरा, चादर, बावरिया, कन्जर, औरैया, भील और पारधी गिरोह की लंबे समय से सक्रिय होने से पुलिस के कान खड़े हो गए हैं। पिछले छह माह के भीतर राज्य के अलग-अलग इलाके में हुई चोरी, उठाईगिरी व ठगी की वारदातों में इन गिरोहों का हाथ होने के सुराग मिले थे। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने चादर, ईरानी, सोनझरा गैंग, बंगाल, नेपाल तथा ओडिशा के जनजातीय गिरोह के कुछ सदस्यों को लाखों के जेवर के साथ पकड़ा था। हालांकि इनके सरगना अभी भी पकड़ से दूर है। राजधानी में पांच माह के भीतर सिलसिलेवार हुई चोरी, उठाईगिरी और ठगी की वारदातों को इन्हीं गिरोहों से जोड़कर देखा जा रहा है। पुलिस मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि राज्य में आधा दर्जन से भी ज्यादा गिरोह के सदस्य सक्रिय होने की सूचना है। राजधानी में बाहरी गैंग के अलावा लोकल चोर, चेन स्नेचर गिरोह भी सक्रिय है। लोकल गिरोह के लोग तो हाथ लग जाते है लेकिन बाहरी गिरोह के सदस्य वारदात को अंजाम देने के तत्काल बाद दूसरे राज्य की तरफ तत्काल निकल जाते है, इसलिए उन्हें पकड़ने में काफी दिक्कते सामने आती है।
गैंग की महिलाएं भी माहिर
 पिछले दिनों आमानाका, डीडीनगर, पंडरी, पुरानी बस्ती, टिकरापारा, सिविल लाइन, सरस्वतीनगर, न्यू राजेंद्रनगर, कोतवाली, गोलबाजार, देवेंद्रनगर, उरला, खमतराई थानाक्षेत्र के सूने घरों के साथ ज्वेलरी दुकानों में हुई लाखों के जेवरों की चोरी में जनजातीय गिरोह के हाथ होने के सुराग मिले हंै। पुलिस का कहना है कि गिरोह के लोग पहले रैकी करते हैं और बाद में चोरी, उठाईगिरी को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। पुरुषों के गैंग में अब महिलाएं भी शामिल हो गई हंै। इससे पुलिस के लिए उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया है। हालांकि गैंग की कुछ महिलाएं पकड़ी भी जा चुकी है।
आउटर सेफ जोन
पिछले कुछ माह के भीतर रायपुर समेत भिलाई, महासमुंद, जगदलपुर, बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर आदि जिलों में हुई चोरी,लूट, उठाईगिरी व ठगी की वारदातों के बाद पुलिस के माथे पर बल पड़ गया है। सबसे खराब स्थिति राजधानी के आउटर इलाके की है। रात व दिन में पुलिस के गश्त न होने के कारण शहर के आसपास बाहरी इलाकों में बनी कालोनियां गिरोह के निशाने पर है। यहां रहवासी फिर से सुरक्षा को लेकर खासे चितिंत है।
संदिग्धों पर रखे नजर
बढ़ते अपराध पर लगाम कसने के लिए राजधानी पुलिस ने बाहर से आने वालों नए चेहरों, संदिग्धों की नियमित जांच करना शुरू किया है। हाल ही में सूने मकान में ताला तोड़ने वाले बंगाल के गिरोह के कुछ सदस्य हत्थे चढ़े थे। ये लोग मकानों और गैरेज में चौकीदारी करते थे, इनमें से किसी का न तो वेरिफिकेशन किया गया था और न पुलिस को इनके बारे में सूचना दी गई थी। थानेदारों को अपने क्षेत्र में सुरक्षा गार्ड से लेकर चौड़ी और निर्माणाधीन मकान में काम करने वाले मजदूरी के वेरिफिकेशन की जानकारी अपडेट रखने को कहा है।
अधिक खतरा यहां
राजधानी के सरस्वतीनगर, आमानाका, डीडीनगर, पंडरी, आमानाका, राजेंद्रनगर, टिकारापारा, उरला, खमताई मंदिर हसौद, खरोरा आदि क्षेत्रों में पिछले छह महीने में चोरी, लूट व ठगी की करीब पचास से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। इन इलाकों के सूने घर गिरोह के निशाने पर हैं। कुछ माह पहले बिहार के चादर, सोनझरा गैंग तथा हाल में महाराष्ट्र, बंगाल व कर्नाटक के ईरानी गैंग के सदस्य लाखों के जेवर के साथ पकड़े भी गए हैं। अन्य फरार सदस्य को पकड़ने कई बार दबिश दी गई लेकिन सफलता नहीं मिली। आशंका है कि फरार सदस्यों ने फिर से नया समूह तैयार कर वारदात को अंजाम देना शुरू कर दिया है।
 प्रदेश में जनजातीय गिरोहों की मूवमेंट को देखते हुए क्राइम ब्रांच व थानों की पुलिस को अलर्ट किया गया है। हाल में राजधानी समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में हुई चोरी, ठगी की वारदातों को अंजाम देने जनजातीय गैंग के संबंध में सुराग मिले हंै। संभावित स्थानों पर टीम भेजी गई है।
आईएच खान
एडिशनल एसपी
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चिटफंड कंपनियों पर टिकी निगाह
0 अभियान चलाकर पुलिस करेगी सख्त कार्रवाई
0 दो साल में छत्तीसगढ़ से 5 सौ करोड़ बटोर ले गईं कंपनियां
0 छत्तीसगढ़ में सख्त कानून न होने से कंपनियों की पौ बारह
राजधानी समेत प्रदेश के अन्य जिलों में संचालित चिटफंड कंपनियों पर निगरानी रखने के निर्देश के बाद पुलिस की निगाह इन कंपनियों पर टिक गई है। पुलिस मुख्यालय से सभी एसपी को यह कार्रवाई करने को कहा गया है। राजधानी में करीब दर्जनभर ऐसी कंपनियां संचालित हैं। हाल ही में राजेंद्रनगर स्थित एचबीएन डेरी एंड प्रालि कंपनी के खिलाफ शिकायत सामने आ चुकी है। कंपनी के खिलाफ पुलिस ने जुर्म तो कायम कर लिया लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई। मामले में कार्रवाई को लेकर युकां ने मोर्चा खोल रखा है। पुलिस अफसरों का कहना है कि राजधानी में संचालित कुछ कंपनियों के खिलाफ शिकायत मिली है, इसके आधार पर जांच कराई जा रही है। यह कंपनियां कहां-कहां पर हैं, इसमें कितने लोग जुड़े हंै और रोजाना इनका कारोबार कितने का है, इसकी पूरी जानकारी सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी।
विस्वस्त सूत्रों के अनुसार चिटफंड कंपनियां पिछले दो साल के भीतर छत्तीसगढ़ से पांच सौ करोड़ रुपए बटोरकर लापता हो गई हैं। राज्य सरकार का ऐसी कंपनियों पर कोई अंकुश नहीं है। कंपनियां आ रही हैं, शहरों-गांवों में स्थानीय युवकों को एजेंट बना रही हैं और पैसे बटोरकर गायब हो जा रही हैं। धोखाधड़ी के मामलों की फेहरिस्त लंबी होने के बाद भी मप्र की तरह छग में कंपनियों पर लगाम कसने के लिए कड़े कानून नहीं बन पाए हैं। हालांकि इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। चिटफंड कंपनियों पर लगाम कसने के लिए गृह विभाग ने अफसरों की बैठक बुलाई थी। ऐसी कंपनियों के संचालकों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने सख्त रवैया अपनाने का फरमान जारी किया है। इस निर्देश के बाद पुलिस अभियान छेड़ने जा रही है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि राज्य में फर्जी चिटफंड कंपनियों द्वारा लोगों को चूना लगाने के दर्जनभर से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। कई कंपनियों पर जुर्म भी दर्ज हो चुके हैं। कंपनियों के धोखाधड़ी के शिकार आम लोग, किसान ही नहीं शहर के कई व्यवसायी और प्रशासनिक लोग भी हैं, जिन्होंने चिटफंड कंपनियों में लाखों रुपए निवेश किया था, अब पछता रहे हैं। राजधानी के कई कबाड़ियों द्वारा 10 करोड़ रुपए निवेश करने की जानकारी पुलिस को लगी है, जिसकी तस्दीक की जा रही है। फर्जीवाड़े के बाद कंपनियों के दफ्तर बंद होने से निवेशकर्ताओं के होश उड़ गए हैं। पुलिस को अंदेशा है कि कारोबारियों द्वारा चिटफंड कंपनियांे में लगाए गए पैसे दो नंबर के हो सकते हैं, इस कारण पैसे डूबने के बाद भी पुलिस के पास कोई शिकायत लेकर नहीं आ रहा।
सरकार का अंकुश नहीं
चिटफंड कंपनियों की आड़ में फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाली कंपनियों पर राज्य सरकार का कोई अंकुश नहीं है। कभी इंटरनेट तो कभी चेन बनाकर लोगों को ठगने वाली कंपनियों को राज्य में दाखिल होने से पहले ही रोकने के लिए सरकार ने भी कोई खास इंतजाम नहीं किया है। जानकारों का मानना है कि यदि कोई कंपनी बैंकिंग का काम कर रही है तो उसे भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी पड़ती है, लेकिन अधिकांश कंपनियों के पास आरबीआई का परमिशन नहीं होता।
लोकल एजेंट से वसूली का हथकंडा
स्थानीय बेरोजगार युवकों को स्कीम बताकर चिटफंड कंपनियां झांसे में ले लेती हैं। युवक इलाके में अपनी जान-पहचान का फायदा उठाकर कंपनी के लिए कलेक्शन करते हैं। कई मामले ऐसे आए हैं, जिनमें कंपनी रकम लेकर चलती बनी और एजेंट फंस गए। 
इन कंपनियों पर दर्ज है धोखाधड़ी
कल्चुरी इनवेस्टमेंट, माइक्रो प्लान एसोसिएशन व बाबूजी चेरिटेबल ट्रस्ट, रॉयल केयर विजन कंपनी, जीजेएस इनवेस्टमेंट, स्माइल रिटेल इंडिया प्रालि, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिकल, आईवा कंपनी, बीएनपी आदि कंपनियों ने करीब तीन सौ करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। इनके खिलाफ थानों में मामले दर्ज हैं। कुछ अन्य कंपनियों ने करोड़ों का चूना लगाया है।
 चिटफंड कंपनियों पर नजर रखी जा रही है। एसआईसी भी लगातार कार्रवाई कर रही है। कंपनियों के खिलाफ कड़े कानून बनाने की जरूरत है।
 ओपी पाल
एसपी, रायपुर

 

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