देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी दौरे पर हैं। उन्होंने भोपाल में अटल
बिहारी वाजपेयी हिंदी विवि की आधारशिला रखी तो छत्तीसगढ़ से सटे
अमरकंटक में उनका कार्यक्रम तय है। राष्ट्रपति का दौरा बहुत महत्वपूर्ण
होता है और इसके लिए विशेष प्रोटोकॉल का ध्यान रखा जाता है। छत्तीसगढ़ में
राष्ट्रपति के दौरे के लिए एक स्थायी राष्ट्रपति भवन मौजूद है। इसके देश का
दूसरा राष्ट्रपति भवन कहते हैं। इस भवन का रखरखाव भी ठीक उसी तरह होता है
जिस तरह दिल्ली वाले राष्ट्रपति भवन का। इसकी गरिमा का पूरा ध्यान रखा जाता
है। इस भवन के बनने के पीछे का इतिहास दिलचस्प है। ऐसे समय जब महामहिम
दौरे पर हैं हम आपको इस खास स्टोरी में बता रहे हैं देश के दूसरे
राष्ट्रपति भवन की पूरी कहानी।यह है देश का दूसरा राष्ट्रपति भवन। इस भवन में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ.
राजेंन्द्र प्रसाद ने दो दिन का समय बिताया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद 60
साल पहले जब यहां पहुंचे थे तो उन्होंने गांव वालों से एक वायदा किया था।पहले हम बताते हैं कि आखिर कहां स्थित है यह भवन, जिसके बारे में आप सोच
रहे हैं। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर पंडोनगर
गांव है। भारत की आजादी के बाद 22 नवंबर 1952 को देश के पहले राष्ट्रपति
डॉ. राजेंद्र प्रसाद यहां पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने पंडो जनजाति के एक
व्यक्ति से जब एक सवाल पूछा तो जवाब सुनकर महामहिम राष्ट्रपति खुद हैरान रह
गए थे। क्या था वह जवाब,राजेन्द्रप्रसादजी ने पूछा कि क्या तुमने रोटी खाई है? जवाब में आदिवासी ने
सवाल किया कि साहब रोटी क्या होती है? उस समय यहां पूरा आदिवासी क्षेत्र
हुआ करता था और आदिवासी वनोपज से ही अपना पेट भरा करते थे। इस दशा को देखकर
महामहिम को एक ख्याल आया।पंडो समुदाय के प्रमुख शिवचरण कहते हैं कि राष्ट्रपति ने हमें दत्तक पुत्र
का दर्जा देते हुए कहा था कि गांव के प्रत्येक परिवार को दस एकड़ सरकारी
जमीन दी जाएगी ताकि वे खेती कर सकें। इसे साठ साल हो गए, लेकिन आज तक जमीन
नहीं मिली। वे इसके लिए शासन से कई बार मांग कर चुके हैं। इस गांव को
राष्ट्रपति का गोद लिया गांव जरूर कहते हैं, लेकिन आज राष्ट्रपति भवन होते
हुए भी गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। पंडोनगर की जनसंख्या 750 के
करीब है। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार है तो प्राइमरी स्कूल के भवन
में ही मिडिल स्कूल संचालित है।सामान्य ज्ञान की परीक्षाओं में अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि दूसरा
राष्ट्रपति भवन कहां है? तत्कालीन सरकार ने गांव में ठहरने के लिए इस भवन
का निर्माण करवाया था। इसे राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है। इस भवन
के बाहर भी राष्ट्रपति भवन लिखा हुआ है। इस भवन की देखरेख ग्राम पंचायत और
जिला प्रशासन करता है।
यहां जब राष्ट्रपति पहुंचे थे तब पंडो जनजाति के 30 खपरैल मकान थे। राष्ट्रपति ने उस समय यहां के पंडो जनजाति के महिलाओं के साथ करमा डांस भी किया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ डांस करने वाली जयंती बाई बताती हैं कि उस समय उनकी उम्र 25 साल थी।यहां जब राष्ट्रपति पहुंचे थे तब पंडो जनजाति के 30 खपरैल मकान थे। राष्ट्रपति ने उस समय यहां के पंडो जनजाति के महिलाओं के साथ करमा डांस भी किया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ डांस करने वाली जयंती बाई बताती हैं कि उस समय उनकी उम्र 25 साल थी।गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। यहां एक प्राथमिक चिकित्सा केंद्र तक नहीं है। झोला छाप डाक्टरों के भरोसे चिकित्सा व्यवस्था है। यहां के लोग सामूहिक रूप से हर साल देश के पहले राष्ट्रपति का धूमधाम के साथ जन्मदिन मनाते हैं।
यहां जब राष्ट्रपति पहुंचे थे तब पंडो जनजाति के 30 खपरैल मकान थे। राष्ट्रपति ने उस समय यहां के पंडो जनजाति के महिलाओं के साथ करमा डांस भी किया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ डांस करने वाली जयंती बाई बताती हैं कि उस समय उनकी उम्र 25 साल थी।यहां जब राष्ट्रपति पहुंचे थे तब पंडो जनजाति के 30 खपरैल मकान थे। राष्ट्रपति ने उस समय यहां के पंडो जनजाति के महिलाओं के साथ करमा डांस भी किया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ डांस करने वाली जयंती बाई बताती हैं कि उस समय उनकी उम्र 25 साल थी।गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। यहां एक प्राथमिक चिकित्सा केंद्र तक नहीं है। झोला छाप डाक्टरों के भरोसे चिकित्सा व्यवस्था है। यहां के लोग सामूहिक रूप से हर साल देश के पहले राष्ट्रपति का धूमधाम के साथ जन्मदिन मनाते हैं।
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