Saturday, June 15, 2013

नक्सली कोड वर्ड में जनता को कहते हैं मिट्टी

छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के लोगों को भले ही हिंदी या अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान नहीं है, परंतु इन भाषाओं के कुछ अक्षर नक्सल गतिविधियों में शामिल लोगों की जुबान पर चढे़ हुए हैं। पुलिस की गतिविधियों को अपने साथियों तक पहुंचाने के लिए नक्सलियों द्वारा कोड वर्ड तैयार किया गया है, जिससे जंगल के अंदर ए बी सी डी में ही बात करके नक्सली अपना काम चला लेते हैं। हॉल ही में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के दौरान बरामद दस्तावेज से नक्सलियों की कोड भाषा का खुलासा हुआ है। नक्सलियों द्वारा तैयार कोड वर्ड में अंग्रेजी अक्षर 'ए' को 'पुलिस' कहा जाता है। 'बी' को गोंडी भाषा में मंदेर कहा जाता है जिसका मतलब 'है' होता है। 'सी' यानी अंतोर, जिसका मतलब 'पुलिस आ रही है'। 'डी' यानी 'वावोर' का मतलब है 'पुलिस नहीं आ रही है'। इसी प्रकार नक्सलियों द्वारा गांवों के नामों को अंकों के आधार पर कोड दिया गया है। नक्सलियों की कोड भाषा में जनता को मिट्टी कहा जाता है।नक्सलियों की इस गोपनीय भाषा में संघम सदस्य को पानी, पीएलजीए सदस्य को चावल, एरिया कमांडर को दाल, डीवीसी को प्याज कहा जाता है। नक्सलियों के शीर्ष नेताओं का डबल कोड वर्ड होता है। केंद्रीय मिलिट्री कमीशन, राज्य मिलिट्री कमीशन, डिविजनल कमेटी, एरिया कमेटी, मिलिट्री प्लाटून, एलजीएस, कंपनी एवं बटालियन के शीर्ष नेताओं को चाय एवं शक्कर के साथ डबल कोड वर्ड देकर संवाद कायम किया जाता है।पुलिस विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, अबूझमाड़ में नक्सली वॉकी-टॉकी से एक और नौ नंबर के चैनल का इस्तेमाल कर रहे हैं। स्थानीय नक्सली नेताओं से बात करने के लिए गोंडी भाषा एवं आंध्र प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के नक्सलियों से बात करने के लिए अंग्रेजी, तेलगू व हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं।

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