Monday, June 3, 2013

विधायक विश्राम गृह की सुरक्षा में पोल


0 चार जवानों के भरोसे सुरक्षा
0 कमरे में विधायकों के रिश्तेदारों, परिचितों व छात्रों का कब्जा
0 देररात तक होती है अनजान लोगों की आवाजाही, पूछताछ करने पर जवानों से होती है बहस
रायपुर(निप्र)। नक्सली हमले में कांग्रेस के बड़े नेताओं के मारे जाने के बाद राजधानी में विशेष सतर्कता बरतने के साथ वीआईपी और उनके आवास की कड़ी सुरक्षा के लाख लाख दावे किए जाएं, लेकिन असलियत कुछ और है। शनिवार दोपहर  रिंग रोड राजेंद्रनगर से लगे टैगोरनगर स्थित विधायक विश्रामगृह की 'नईदुनिया" ने लाइव रिपोर्टिंग की तो पाया कि यहां की सुरक्षा में पोल ही पोल है। 57 विधायकों के रहने के लिए बनाए गए इस विश्राम गृह की सुरक्षा में सीएएफ के कुल चार जवान तैनात हैं। एक-एक जवान की तीन-तीन घंटे की शिफ्ट में ड्यूटी लगती है। यानी हर तीन घंटे में एक जवान के भरोसे विश्राम गृह की सुरक्षा की जा रही है। यह सुरक्षा व्यवस्था लंबे समय से चली आ रही है।
 कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुए नक्सली हमले के बावजूद विधायक विश्रामगृह टैगोरनगर की सुरक्षा बढ़ाने की फ्रिक न तो जिला प्रशासन को है, न राजधानी पुलिस को। जवानों की संख्या बढ़ाना तो दूर की बात, विश्रामगृह में बेरोक-टोक कोई भी आ-जा रहा है। रोकने व पूछताछ करने पर वहां रहने वाले विधायकों के संबंधी जवानों पर रौब झाड़ने से पीछे नहीं हटते। किसी तरह के विवाद से बचने के लिए जवान भी चुप्पी साधने को विवश हो जाते हैं। जवानों का कहना है कि विधानसभा सत्र के दौरान ही विधायक आकर रुकते हैं। बाकी समय उनका कभी-कभार ही आना होता है। वे भी मानते हैं कि विश्रामगृह की सुरक्षा के प्रर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। कम से कम दस हथियारबंद जवान तो होने ही चाहिए।
न रोका न टोका
नईदुनिया टीम जबविश्रामगृह के मेन गेट से होकर भीतर घुसी तो उस समय गेट पर कोई जवान नहीं दिखा। परिसर में बाइक खड़ी करने के बाद पूरे विश्रामगृह में दस मिनट तक मुआयना करते समय किसी ने न तो रोका न टोका, जबकि वहां कई कर्मचारी व लोग खड़े थे। कैंटीन में बैठे लोगों से सुरक्षा में जवान तैनाती के बारे में पूछने के बाद टीम कार्यालय में घुसी। वहां एक जवान बैठा मिला। परिचय देने पर वह तत्काल अलर्ट होकर बताने लगा। मेनगेट पर बनाए गए हाल में इस गर्मी में बैठना मुश्किल है, इसलिए कार्यालय आ गया था। वास्तव में जवानों के लिए बना हाल तप रहा था। न तो वहां कूलर था न पंखा। ऐसे में किसी का घंटों वहां बैठना संभव नहीं है, बावजूद जवानों को ड्यूटी बजानी पड़ रही है। जवानों ने बताया कि रात के समय होमगार्ड के चार जवान रहते हैं। दिन में वे नहीं आते।
विधायक रूम में दूसरों का कब्जा
विश्रामगृह के अलग-अलग ब्लाक में 57 रूम हैं। मौके पर तीन विधायक देवेंद्र बहादुर सिंह बसना, पदमा मनहर सारंगढ़ और शिवराज उसारे मोहला मानपुर रूम में मिले। विधायकों के पीएसओ ने बताया कि विधायकजी सो रहे हैं, शाम को ही मिलेंगे। टीम के निरीक्षण में खुलासा हुआ कि वर्तमान में छह रूम खाली व बंद पड़े हुए हैं। शेष रूम विधायकों के नाम पर आवंटित तो हैं, लेकिन उनका कभी-कभार ही आना होता है। रूम में विधायकों के रिश्तेदार, परिचित, समर्थक तथा क्षेत्र के लोगों का कब्जा है। अधिकांश रूम में पढ़ने वाले छात्र रह रहे हैं। यही हाल तेलीबांधा इलाके में बने 107 नए विधायक आवास गृह का है। सुरक्षा के नाम पर यहां भी नाममात्र के जवान तैनात हैं।
देर रात तक आना-जाना
निरीक्षण करने पर टीम को विधायक विश्राम गृह की सुरक्षा में छेद ही छेद नजर आया। यहां अवैध तरीके रहने वाले लोगों का आना-जाना देर रात तक होता है। अक्सर जवान जब किसी अनजान चेहरे को छात्रों के साथ विश्रामगृह में प्रवेश करते समय रोककर पूछताछ करते हैं तो विधायकों के रिश्तेदार व छात्र उन पर रौब झाड़ते हुए बहसबाजी पर उतर आते हैं। सूत्रों का कहना है कि रात में कई रूम में शराबखोरी की शिकायत आम है। बाहरी लड़के यहां आकर माहौल गंदा करते हैं। सबकुछ जानते हुए जवान विवाद से बचने चुप्पी साध लेते हैं। फिलहाल थाने की पेट्रोलिंग पार्टी के रात में गश्त करने से यह गतिविधियां काफी कम हो गई हैं।
बंट चुका है नक्सली साहित्य और सीडी
वर्ष 2006 में इसी विश्रामगृह की सुरक्षा व्यवस्था को दरकिनार कर नक्सलियों ने सभी विधायकों के नाम पर डाक के माध्यम से लिफाफे में बंद नक्सली साहित्य व सीडी भेजी थी। उस समय विधानसभा का सत्र चलने से हड़कंप मच गया था। उसके बाद यहां की सुरक्षा कुछ सालों तक बढ़ा दी गई थी। अब फिर से सुरक्षा व्यवस्था पुराने ढर्रे पर चल रही है। जिरमघाटी में नेताओं पर हुए हमले के बाद सुरक्षा में लगे जवान हमेशा अशंकित रहते हैं न जाने कब, क्या हो जाए? विश्रामगृह के रिंग रोड से लगे होने और नक्सलियों के शहरी नक्सली नेटवर्क मजबूत होने से अनहोनी की आशंका से इंकार भी नहीं किया जा सकता।
वर्जन-
विधायक विश्रामगृह की सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। सीएएफ व होमगार्ड के आठ जवान तैनात किए गए हैं। नियमित पेट्रोलिंग कर  संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है।
अशोक शर्मा
टीआई, टिकरापारा
 

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