Friday, June 28, 2013

हफ्तेभर में अपहरण के 217 मामले दर्ज

0 सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद जागी पुलिस
0 गुमइंसान के मामलों पर विभिन्ना थानों में दर्ज हो रहा अपहरण का केस
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद अब जाकर रायपुर जिले की पुलिस की नींद टूटी है। गुमइंसान के मामलों की जांच में लापरवाही बरतने पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी पुलिस महकमे पर भारी पड़ी है। डीजीपी के निर्देश पर जिले के विभिन्न् थानों में फाइलों में धूल खा रहे गुम इंसान के मामले खंगाले गए। इसके बाद एक ही दिन में जहां अपहरण के 131 अपराध दर्ज किए गए, वहीं हफ्तेभर में यह आकंड़ा 217 तक पहुंच गया है। अगवा होने वालों में सबसे ज्यादा बालिकाएं हैं। इनकी संख्या 170 है जबकि 47 बालकों के अपहरण का केस दर्ज किए जा चुके हैं। सबसे अधिक अपहरण के मामले मंदिर हसौद, आरंग, खरोरा, नेवरा तथा उरला में दर्ज हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक नाबालिग बालक-बालिकाओं के लापता होने के मामलों में सामान्यत: गुमइंसान का मामला बनाकर प्रकरण को लंबे समय तक लंबित रखा जाता है। गुमइंसान की विवेचना में पुलिस की उदासीनता की वजह से लापता बालक-बालिकाओं का कुछ पता नहीं चल पाता। कई बार यह भी देखने में आता है कि लापता बालक-बालिकाओं का शारीरिक व मानसिक शोषण होता है और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगती। पुलिस की लापरवाही व उदासीनता के चलते थानों में इस तरह के सैकड़ों मामलों की फाइलें आज भी धूल खाती पड़ी हंै।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गुमइंसान के मामलों की जांच में लापरवाही बरतने पर छत्तीसगढ़ पुलिस को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने देश के सभी राज्यों की पुलिस को आदेश दिया था कि नाबालिग बालक-बालिकाओं के गुमइंसान के लंबित मामलों में अपहरण का अपराध दर्ज किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के डीजीपी को आदेश जारी किया। इसी आदेश का पालन करते हुए डीजीपी रामनिवास ने पिछले हफ्ते  प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को नाबालिगों के गुमइंसान के मामलों में अपहरण का अपराध दर्ज कर पुलिस मुख्यालय को सूचित करने को कहा था। इसके बाद एसपी ओमप्रकाश पाल ने इस आदेश का हवाला देकर सभी थाना प्रभारियों को अपराध दर्ज कर गुमइंसान नाबालिगों की सूची बनाने के निर्देश दिए । थानेदारों ने अपराध दर्ज कर दो दिन पहले पुलिस अफसरों को इसकी पूरी जानकारी दी।
विस में उठा था मामला
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक शक्राजीत नायक द्वारा लापता बालक-बालिकाओं के संबंध में सवाल उठाया गया था। जवाब में गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने बताया था कि प्रदेशभर में ढाई साल में 6 हजार 72 लड़कियों के गुम होने की रिपोर्ट लिखाई गई है। इनमें से 47 सौ लड़कियां अपने घर वापस लौंट गई हैं और 13 सौ लड़कियां अभी भी गायब हैं। आंकड़े के हिसाब से औसतन रोजाना पांच से अधिक लड़कियां गायब हो रही हैं। लड़कियों के गायब होने के 764 मामलों में 825 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है।
 बाक्स-
      वर्षवार लापता बालिकाएं
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1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2011 तक
2167 बालिकाएं लापता।
 1 अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2012 तक
2407 बालिकाएं लापता।
1 अप्रैल 2012 से मार्च 1013 तक
 1498 बालिकाएं लापता।
( कुल 6 हजार 72 बालिकाएं लापता)
सरकार के उपाय
लड़कियों के गायब होने के मामले को रोकने के लिए प्रत्येक पुलिस थाना में बाल कल्याण अधिकारी एवं राज्य के 8 जिलों में मानव तस्करी निरोधक सेल का गठन केन्द्र सरकार की स्वीकृति से किया गया है। वहीं मानव तस्करी निरोधक इकाई भी गठित की गई है। इसके अलावा कुछ जिलों में हेल्प लाइन और टोलफ्री सेवा भी शुरू की गई है।
अब देना होगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपहरण का अपराध दर्ज होने पर पुलिस के साथ ही थानेदार व अफसरों की जवाबदेही तय हो जाएगी। उन्हें कोर्ट में जवाब देना पड़ेगा कि लंबित अपराध व जांच में उन्होंने क्या कार्रवाई की है। अपराध दर्ज होने के साथ ही इस तरह के मामलों की जांच का दायरा बढ़ जाएगा और पुलिस नाबालिगों के गुमइंसान के  मामलों को गंभीरता से लेगी।
बाक्स-
कहां कितने प्रकरण दर्ज हुए-
टिकरापारा-6
पुरानी बस्ती-2
डीडीनगर-9
आमानाका-4
सिविल लाइन-4
देवेंद्रनगर-3
न्यू राजेंद्रनगर-3
सरस्वतीनगर-8
आजादचौक-4
नेवरा-18
खरोरा-19
खमतराई-10
धरसींवा-7
उरला-17
गुढ़ियारी-4
आरंग-24
मंदिर हसौद-36
अभनपुर-8
गोबरा नवापारा-10
माना कैंप-6
मौदहापारा-4
गोलबाजार-1
गंज-7
कोतवाली-5
कुल-217
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुम इंसान के प्रकरणों में अपहरण का मामला दर्ज किया जा रहा है। अब तक विभिन्ना थानों में ढाई सौ मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
डॉ. लाल उमेद सिंह
एडिशनल एसपी(सिटी)
 

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