Saturday, June 29, 2013

'राजाबंगला" नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना


0बैलाडीला के पहाड़ियों के उस पार लगती है बीजापुर जिले की सीमा
0वारदात कर इसी रास्ते पड़ोसी जिले में प्रवेश करते हैं नक्सली
 दंतेवाड़ा। रियासतकाल में राजा-महाराजाओं के लिए विश्राम स्थली के रूप चर्चित राजा बंगला का समूचा इलाका आज नक्सलियों की गिरफ्त में है, जो बैलाडीला आयरन ओर प्रोजेक्ट के डिपॉजिट 10 अंतर्गत है। इसे नक्सलियों का सेफ जोन माना जाता है, वो इसलिए कि यहां से बैलाडीला की पहाड़ियों को पार करते ही पड़ोसी जिले की सरहद लगती है। विदित हो कि लौह अयस्क के भंडार के रूप में चर्चित बैलाडीला क्षेत्र में बीते वर्षों में जितनी भी नक्सली घटनाएं हुई हैं वारदात के बाद नक्सली राजाबंगला के रास्ते ही जिले की दहलीज लांघने में कामयाब रहे। भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा ही नक्सली अब तक उठाते आए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नक्सलियों का यह सेफ जोन भांसी थाना अंतर्गत आता है। थाने से इस स्थान की दूरी करीब 14 किमी है। यहां शंकनी नदी पर एनएमडीसी परियोजना द्वारा एनीकट व पंप हाउस का निर्माण भी कराया गया था। पंप हाउस को नक्सली क्षतिग्रस्त कर चुके हैं। इसके अलावा सैंपलिंग के दौरान निजी कंपनियों के वाहन तथा मशीनों में आगजनी की घटनाएं भी नक्सली कर चुके हैं।
वारदातों के जरिए इलाके को नक्सलियों ने अपनी गिरफ्त में ले रखा है। नक्सली मूवमेंट के चलते ही डिपॉजिट 10 में सीएएफ का आउटपोस्ट खोला गया है, बावजूद इसके भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर इलाके की सर्चिंग नहीं होती है।
कुछ वर्ष पूर्व इलाके में दो मजदूर प्रेशर बम की चपेट में आए थे। घटना के बाद नक्सलियों द्वारा इलाके में प्रेशर बम लगाए जाने की आशंका भी जताई जाती रही है।

सरहद पार जनताना सरकार
बैलाडीला की पहाड़ियों को पार करते ही बसे गांव मिरतूर थाना के दायरे में आते हैं। गांव सरकारी नक्शे में नजर तो आते हैं, लेकिन सरकार यहां नजर नहीं आती है। सूत्र बताते हैं कि पहाड़ी पार गांवों में नक्सलियों की जनताना सरकार है। अपनी हुकूमत चलाने नक्सलियों ने गांवों को संगठित कर कमेटियां बना रखी है। जंगल की कटाई रोकने से लेकर स्कूल-आश्रम का संचालन कमेटियों के जिम्मे है।
बताया गया कि राजा बंगला से लेकर पड़ोसी जिले की सरहद तक का पूरा इलाका नक्सलियों के पश्चिम बस्तर डिवीजन अंतर्गत है। लोकल स्तर पर भैरमगढ़ एरिया कमेटी सक्रिय है, वहीं राजाबंगला इलाके में नक्सलियों ने भांसी एलओएस का गठन कर रखा है।

नेरली घाटी से इसी रास्ते भागे थे नक्सली
गत शुक्रवार को नेरली घाटी में पुलिस की एएलव्ही को निशाना बनाने के मकसद से पहुंचे नक्सली गोलीबारी करने के बाद राजाबंगला की तरफ भागे थे। घटना को अंजाम देने पहुंचे नक्सली प्लाटून दस्ते के बताए गए थे। इस प्लाटून दस्ता का गठन गंगालूर में किया गया है। पुलिस का कहना है कि नक्सली पड़ोसी जिले से आए थे। मुठभेड़ के दौरान पुलिस को अपने ऊपर भारी पड़ता देख पीछे हटने को मजबूर हुए तो राजा बंगला की तरफ भागे और पहाड़ियों को पार कर पड़ोसी जिले में प्रवेश कर गए।
क्यों कहते हैं राजा बंगला
रियासतकाल में बस्तर के राजा-महाराजाओं की विश्राम स्थली के रूप में इसका उपयोग होता था, लिहाजा इसे राजा बंगला के नाम से जाना गया। स्वतंत्रता के बाद देख-रेख के अभाव में यह भवन जर्जर होता गया जहां कालांतर में एनएमडीसी ने पंप हाउस का निर्माण कराया था। भांसी थाना से करीब 14 किमी दूर स्थित राजा बंगला परिसर के पंप हाउस को नक्सली क्षतिग्रस्त कर चुके हैं।
भौगोलिक परिस्थितियांे का फायदा ही नक्सलियों को मिल रहा है। बैलाडीला की पहाड़ियां बीजापुर सीमा से लगती हैं।  वारदात के बाद भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा उठाते नक्सली इस रास्ते पड़ोसी जिले में प्रवेश कर जाते हैं।
-नरेन्द्र खरे, एसपी दंतेवाड़

 

No comments:

Post a Comment