Saturday, May 25, 2013

कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमला,कर्मा- मुदलियार सहित 16 की मौत

0 प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल व उनके बेटे दिनेश पटेल का अपहरण
0 पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल गंभीर

सुकमा में परिवर्तन यात्रा से लौट रहे कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर शनिवार को दरभा-जिरम घाट पर घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने हमला कर दिया। हमले में कांग्रेस के मुखर नक्सल विरोधी नेता महेंद्र कर्मा, राजनांदगांव विधायक उदय मुदलियार सहित 16 लोगांे की मौत हो गई। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, कांेटा विधायक कवासी लखमा सहित दो दर्जन से ज्यादा कांग्रेसी घायल हो गए। लौटते हुए नक्सलियों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश पटेल को अगवा कर लिया। बाद में दिनेश पटेल को रिहा करने की अपुष्ट सूचना मिली। घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपनी विकास यात्रा स्थगित कर दी। राजधानी में उन्होंने सुुरक्षा व्यवस्था को लेकर आपात बैठक बुलाई। इधर हमले की जानकारी मिलते ही कांग्रेसी सड़क पर उतर आए। जगह-जगह प्रदर्शन और हंगामें के बीच रायपुर मेंं  कांगे्रस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भक्तचरण दास के साथ राजभवन पहुंचे कांग्रेसियों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की। घटना की जानकारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दी गई। घटना की गंभीरता को देखते हुए एआईसीसी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद देर रात सवा बजे विशेष विमान से रायपुर पहुुंचे।आते ही घायलों से मिलने रामकृष्ण केयर अस्पताल गए। वहीं रविवार सुबह एआईसीसी अध्यक्ष श्रीमती गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह केंद्रीय गृह सचिव आरपीएन सिंह के भी रायपुर आने की सूचना है। राज्य सरकार ने तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित कर दिया है।
 रायपुर (ब्यूरो)। नक्सलियों ने योजनाबद्ध तरीके से पूरी घटना को अंजाम दिया। सुकमा में परिवर्तन यात्रा खत्म होने के बाद कांगे्रसियों का काफिला जगदलपुर के लिए रवाना हुआ। जीरम घाट  पर पहुंचते ही वहां घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने पहले विस्फोट किया, फिर उनकी गाड़ियों पर  ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। काफिला वहीं ठहर गया और नेताओं के साथ चल रहे पीएसओ के जवानों ने भी जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। गोलियां खत्म होने पर नक्सलियों ने काफिले को घेर लिया और दिग्गज कांग्रेसियों का नाम लेकर तलाश शुरू कर दी। बाकी साथ्ाियांे को बचाने के लिए महेंद्र कर्मा अपने वाहन से आत्म समर्पण करने के उद्देश्य से हाथ खड़े कर बाहर आए। नक्सलियों ने उनको पहचानते ही गोलियांे से छलनी कर दिया। मिली जानकारी के मुताबिक कर्मा को 56 गोलियां मारी गई।

पटेल की तलाश
इसके बाद नक्सली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल को तलाशने लगे। श्री पटेल की पहचान होते ही उन्होंने पटेल और उनके बेटे दिनेश को रस्सी से बांधकर अपने साथ ले गए। आधी रात को टीवी चैनल से मिली जानकारी के मुताबिक श्री पटेल के बेटे को नक्सलियों ने छोड़ दिया है। वहीं घटना के सात घंटे बाद भी पीसीसी अध्यक्ष का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
गोलियों की बौछार
नक्सलियों की गोलियों की बौछार से राजनांदगांव के पूर्व विधायक उदयमुदलियार,बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी के सक्रिय सदस्य गोपी माधवानी सहित करीब दो दर्जन कांग्रेसियों की मौत हो गई।पूर्व केंद्रीय मंत्री द्यवद्याचरण शुक्ल, विधायक  कवासी लखमा तथा राजीव नारंग बुरी तरह से घायल हो गए।
वफादारीे की मिसाल बन गया अंगरक्षक
इस हादसे में पूर्व केंद्रीय मंत्री द्यवद्याचरण शुक्ल के अंगरक्षक ने अंतिम सांस तक उनकी रक्षा करने की कोशिश की ।अंतिम गोली बचने पर अंगरक्षक ने वीसी से उनकी रक्षा नहीं कर पाने के लिए माफी मांगी और फिर खुद को गोली मार लिया।
केंद्र सरकार भी हिली
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुए माओवादी हमले ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि केंद्र सरकार को हिला कर रख दिया है। कांग्रेस के बड़े नेताओं के नक्सलियों के चंगुल में फंसे होने तथा हमले में 16 लोगों के मारे जाने और अन्य के घायल होने की खबर मिलने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने अफसोस जाहिर किया है। राहुल गांधी विशेष विमान से देर रात छत्तीसगढ़ पहुंचे। उनके साथ प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद भी थे। वहीं रविवार सुबह एआईसीसी अध्यक्ष श्रीमती गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह केंद्रीय गृह सचिव आरपीएन सिंह के भी रायपुर आने की सूचना है।
देर से पहुंची राहत
हादसे की जानकारी मिलने के बाद घटना स्थल तक राहत करीब 3 घंटा देरी से पहुंची। जब तक राहत पहुंंची, रात हो चुकी थी। नाइट विजन क्राफ्ट  नहीं होने के कारण रात में राहत पहुंचाने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा। रात को श्री शुक्ल को रायपुर लाया गया।
शुक्ल गंभीर
हादसे घायल पूर्व केंद्रीय मंत्री द्यवद्याचरण शुक्ल गंभीर हालत में हैं। उनके परिवार की सहमति से उन्हें दिल्ली भेजने की तैयारी हो रही है। श्री शुक्ल को तीन गोलियां लगी हैं। मुख्यमंत्री ने उनके लिए एयरएंबुलेंस बुलवाया और डॉक्टर नरेश त्रेहान से फोन मेंं बात भी की है।
मृतकों की संख्या 16
राज्य सरकार की ओर से इस वारदात में कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित 16 लोगों के मौत की पुष्टि की है। इनमें पुलिस के जवान भी शामिल हैं। वहीं न्यूज एजेंसी ने 17 लोगों के मारे जाने का दावा किया है।
न्यायिक जांच की घोषणा
सीएम हाउस मेंे केबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने न्यायिक जांच कराने की घोषणा की। इसके अलावा राज्य में तीन दिवसीय राजकीय शोक की भी घोषणा की गई है।
सरकार भंग करने की करें अनुशंसा
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भक्तचरण दास जब पार्टी प्रतिनिधि मंडल के साथ राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे तो राज्यपाल शेखर दत्त घटना की जानकारी यूपीए अघ्यक्ष सोनिया गांधी को दे रहे थे। बताया जाता है कि इस बीच श्री दत्त ने फोन का रिसीवर श्री दास को सांैप दिया। श्री दास ने सोनिया गांधी को बताया कि एक ओर कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के लिए राज्य सरकार ने सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की थी। वहीं भाजपा के विकास यात्रा को सुरक्षा प्रदान करने पूरा प्रशासन झोंक दिया गया था। उन्होंने श्रीमती गांधी से रविवार सुबह तक भाजपा सरकार को भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू करने की अनुशंसा करने का आग्रह किया।
कांग्रेसी सड़क पर
नक्सलियों की इस वारदात के बाद पूरे प्रदेश भर में कांग्रेसी  सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कोंडागांव सहित कुछ स्थानों पर कांग्रेस के कार्यकर्ता भाजपाइयों से भिड़ गए। वहीं राजधानी में विकास यात्रा के पोस्टर बैनरों पर गुस्सा उतरा और आग के हवाले कर दिया।
भाजपा सदमे में
भारतीय जनता पार्टी ने इस नक्सली वारदात की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि राजनीति से उपर उठकर नक्सलियों से डटकर मुकाबला करना चाहिए। घटना में कांग्रेसी नेताओं की शहादत से भाजपा सदमे में है।


कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमले के बाद कांग्रेस भवन में कार्यकर्ताओं का गुस्सा बड़े नेताओं पर फूट पड़ा। कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर मुख्यमंत्री से इस्तीफा और राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करने के लिए कहा। उसके बाद कांग्रेस नेताओं के एक गुट ने जयस्तंभ चौक पर प्रदर्शन किया तो बाकी नेता राजभवन पहुंचे।
शनिवार शाम को घटना की खबर मिलते ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में नेताओं का लगातार आना शुरू हो गया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भक्त चरणदास, प्रदेश सचिव भूपेश बघेल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू समेत तमाम नेता और कार्यकर्ता सैकड़ों की संख्या में जमा हो गए। सभी बड़े नेता टीवी के सामने बैठकर घटना से जुड़ी खबरें देख रहे थे और मोबाइल से परिवर्तन यात्रा में गए नेताओं से संपर्क करने की कोशिश में लगे रहे। रात सवा नौ बजे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का गुस्सा कार्यालय में मौजूद बड़े नेताओं पर फूट पड़ा। कार्यकर्ताओं ने सड़क पर आने की मांग की। जयस्तंभ चौक, राजभवन और सीएम हाउस पर जाने के लिए कहा। प्रदेश सचिव ने कहा कि कार्यकर्ता अपने स्तर पर किसी भी तरह से घटना का विरोध कर सकते हैं। उसके बाद भी कार्यकर्ताओं का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ तब प्रदेश सचिव श्री बघेल और राष्ट्रीय प्रवक्ता को बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं को समझाना पड़ा।
सीएम हाउस व भाजपा कार्यालय की सुरक्षा बढ़ी
दुर्ग के भाजपा कार्यालय में पथराव के बाद राजधानी के रजबंधा मैदान स्थित भाजपा कार्यालय की सुरक्षा बढ़ा दी गई। रात करीब 11 बजे भाजपा कार्यालय के बाहर फोर्स तैनात हुई। सुरक्षा के मद्देनजर सीएम हाउस की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई। राजभवन के चारों तरफ भी अतिरिक्त फोर्स नजर आई।
जयस्तंभ चौक प्रदर्शन किया, फ्लैक्स जलाए
रात सवा नौ बजे कांग्रेस के जिला शहर अध्यक्ष इंदरचंद धाड़ीवाल के साथ सौ-सवा सौ कार्यकर्ता जयस्तंभ चौक पहुंचे। इन कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार, मुख्यमंत्री और विकास यात्रा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसके बाद सड़क पर भाजपा के कुछ फ्लैक्स जला दिए गए। कार्यकर्ताओं ने चौक के आसपास की दुकानें भी बंद करा दीं।
राजभवन के लिए निकला काफिला
कार्यकर्ताओं के भड़कने के बाद बड़े नेता राजभवन जाने के तैयार हुए। रात पौने दस बजे कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के वाहनों का काफिला प्रदेश कार्यालय से निकला। राजभवन पहुंचते ही कांग्रेस कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
नहीं रोक पाए आंसू
प्रदेश कांग्रेस भवन में महिला कार्यकर्ताओं की भीड़ थी। कुछ नेताओं की मौत और घायल की सूचना मिलने पर वे अपने आंसू नहीं रोक पाईं। दो-तीन महिला कार्यकर्ता तो फफकता दिखाई दीं।
एक गुट जयस्तंभ चौक पहुुंचा
रात सवा नौ बजे कांग्र ेस के जिला शहर अध्यक्ष इंदरचंद धा डीवाल के साथ सौ-सवा सौ कार्यकर्ता जयस्तंभ चौक पहुंचे। इन कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार, मुख्यमंत्री और विकास यात्रा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसके बाद स डक पर भाजपा के कुछ फ्लैक्स जला दिए गए। कार्यकर्ताओं ने चौक के आसपास की दुकानें भी बंद करा दीं।
राजभवन के निकला काफिला
कार्यकर्ताओं के भ डकने के बाद ब डे नेता राजभवन जाने का तैयार हुए। रात पौने दस बजे कांग्र ेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के वाहनों का काफिला प्रदेश कार्यालय से निकला। राजभवन पहुंचते ही कांग्र ेस कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
नेताओं के बंगले में लगी भी ड
कांग्र ेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ नेता वीसी शुक्ल, महेंद्र कर्मा और विधायक कवासी लख्मा के राजधानी स्थित आवास में भी कांग्र ेस कार्यकर्ताओं की भी ड देखी गई। इन नेताओं आवास में लगातार फोन की घंटियां भी बजती रहीं।
नहीं रोक पाए आंसू
प्रदेश कांग्र ेस भवन में महिला कार्यकर्ताओं की भी ड थी। कुछ नेताओं की मौत और घायल की सूचना मिलने पर वे अपने आंसू नहीं रोक पाईं। दो-तीन महिला कार्यकर्ता तो फफककर रोती देखी गईं।
कांग्र ेस भवन में नेताओं की जमाव डा
घटना की खबर मिलते ही प्रदेश कांग्र ेस कमेटी के कार्यालय में नेताओं का लगातार आना शुरू हो गया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भक्त चरणदास, प्रदेश सचिव भूपेश बघेल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू समेत तमाम नेता और कार्यकर्ता सैक डों की संख्या में जमा हो गए।
सीएम हाउस व भाजपा कार्यालय की सुरक्षा ब ढी
दुर्ग के भाजपा कार्यालय में पथराव के बाद राजधानी के रजबंधा मैदान स्थित भाजपा कार्यालय की सुरक्षा ब ढा दी गई। रात करीब 11 बजे भाजपा कार्यालय के बाहर फोर्स तैनात हुई। सुरक्षा के मद्देनजर सीएम हाउस की सुरक्षा भी ब ढा दी गई। राजभवन के चारों तरफ भी अतिरिक्त फोर्स नजर आई।
कार्यकर्ता ब डे नेताओं पर भ डके
रात सवा नौ बजे कांग्र ेस कार्यकर्ताओं का गुस्सा कार्यालय में मौजूद ब डे नेताओं पर फूट प डा। कार्यकर्ताओं ने स डक पर आने की मांग की। जयस्तंभ चौक, राजभवन और सीएम हाउस पर जाने के लिए कहा। प्रदेश सचिव ने कहा कि कार्यकर्ता अपने स्तर पर किसी भी तरह से घटना का विरोध कर सकते हैं। उसके बाद भी कार्यकर्ताओं का गुस्सा शांत नहीं प डा। तब, प्रदेश सचिव श्री बघेल और राष्ट्रीय प्रवक्ता को बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं को समझाना प डा।
ये राजनीति का समय नहीं : राहुल ..संशोधित
माना एयरपोर्ट से निकलने के बाद राहुल गांधी सीधे रामकृष्ण केयर अस्पताल पहुंचे। वे श्री शुक्ल को देखने के लिए अस्पताल के रूम नम्बर-28 गए। अस्पताल में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल को देखकर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, लेकिन अस्पताल में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था के चलते कार्यकर्ता राहुल के पास नहीं पहुंच पाए। श्री शुक्ल के कमरे में जाने के लिए दूसरे लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। श्री शुक्ल का तत्काल सिटी स्कैन कराया गया। यहां से राहुल कांग्रेस भवन गए और उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। आम कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की मांग पर श्री गांधी ने कहा कि अभी ये राजनीति का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर नक्सली ऐसा सोचते हैं कि वे बंदूक के दम पर हमें  धमका लेंगे तो ऐसा न सोचें।  हम कांग्रेस के लोग किसी से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये हमला सिर्फ छत्तीसगढ़ नहीं, पूरे देश और प्रजातंत्र पर हुआ है। इसे हमें राजनीतिक आधार पर नहीं देखना चाहिए। मारे गए व घायल लोगों के साथ पूरी कांग्रेस खड़ी है। नईदुनिया द्वारा व्यक्तिगत तौर पर यह पूछे जाने पर कि बिना पर्याप्त सुरक्षा के परिवर्तन यात्रा की इजाजत कैसे दी गई? श्री गांधी ने कहा कि इस बात की पूरी जानकारी है कि राज्य सरकार ने सुरक्षा मुहैया कराने में हीलहवाला किया। श्री गांधी कांग्रेस भवन से सर्किट हाउस गए।
चौपर से रायपुर लाए गए वीसी
जगदलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से वीसी शुक्ल को रायपुर रेफर कर दिया गया। उसके बाद उन्हें चौपर से माना एयरपोर्ट लाया गया। इसके कुछ ही देर पहले राहुल गांधी भी विशेष प्लेन से एयरपोर्ट पहुंच थे। उन्होंने एयरपोर्ट में ही श्री शुक्ल के आने का इंतजार किया। श्री शुक्ल को 108 संजीवनी एम्बुलेंस से रामकृष्ण केयर अस्पताल रवाना किया गया। रात दो बजकर पांच मिनट पर श्री शुक्ल अस्पताल पहुंचे। उन्हें अस्पताल के रूम नम्बर-28 में रखा गया। इसके बाद कलेक्टर रायपुर सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी और आईजी जीपी सिंह भी अस्पताल पहुंचे।
सीधे वीसी से मिलने पहुंचे राहुल
माना एयरपोर्ट से निकलने के बाद राहुल गांधी सीधे रामकृष्ण केयर अस्पताल पहुंचे। वे श्री शुक्ल को देखने के लिए अस्पताल के रूम नम्बर-28 गए। अस्पताल में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राहुल को देखकर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। लेकिन, पुलिस ने अस्पताल में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था लगा दी थी, इस कारण कार्यकर्ता राहुल के पास नहीं पहुंच पाए। श्री शुक्ल के कमरे में जाने के लिए दूसरे लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। श्री शुक्ल का तत्काल सिटी स्कैन कराया गया।
आठ लोग रामकृष्ण लाए गए
नक्सली हमले में घायल आठ लोगों को रामकृष्ण केयर अस्पताल लाया गया। इसमें राजीव नारंग को पहले अस्पताल लाया गया था। इसके बाद धमतरी के पूर्व विधायक हर्षद मेहता लाए गए। फिर, कांग्रेस कार्यकर्ता निकेतन दास, मोतीलाल साहू, कुंजूलाल, एक अन्य कार्यकर्ता, असिस्टेंट प्लाटून कमांडेंट सियाराम, असिस्टेंट प्लाटून कमांडेंट मोहम्मद शरीफ को लाया गया।
देर रात राज्यपाल अस्पताल पहुंचे
घायलों को देखने के लिए रात पौने दो बजे राज्यपाल शेखरदत्त रामकृष्ण केयर अस्पताल पहुंचे। उन्होंने पहले डॉक्टरों से घायलों की स्थिति के बारे में जानकारी ली। इसके बाद दो-तीन घायलों से मुलाकात भी की। राज्यपाल के सामने आक्रोशित कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने राज्यपाल से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कराने की मांग की।
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महेंद्र कर्मा-जीवन परिचय

जन्म - 5 अगस्त, 1950
जन्म स्थान- फरसपाल, दंतेवाड़ा
मृत्यु- 25 मई, 2013
पिता- स्व. बोड़ा माझी
पत्नी- देवती कर्मा
संतान- तीन पुत्र और तीन पुत्रियां
शिक्षा- स्नातक
राजनीतिक सफर- 1980- 84, विधायक मध्यप्रदेश विधानसभा
1993- जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित
1996 - लोकसभा के लिए निर्दलीय निर्वाचित
1998-2003 - जेलमंत्री, मध्यप्रदेश शासन, उद्योग मंत्री
2000-2004 उद्योग और वाणिज्य मंत्री छत्तीसगढ़
22 दिसंबर, 2003 से 5 जनवरी, 2009 तक वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष थे।
कर्मा ने सन 2005 में सलवा जुडूम की स्थापना की थी।
उपनाम- बस्तर टाइगर के रूप में विख्यात
हेडिंग- नक्सलियों के टारगेट में रहे 'बस्तर टाइगर" महेंद्र कर्मा की हत्या
रायपुर (ब्यूरो)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा को छत्तीसगढ़  में नक्सलियों के खिलाफ आंदोलन का सबसे मुखर और जुझारू नेता माना जाता था। जब सलवा जुडूम आंदोलन की शुरुआत हुई तो महेंद्र कर्मा को ही उसका नेता माना गया। छत्तीसगढ़ विधानसभा में 2003 से 2008 के बीच नेता प्रतिपक्ष रहे महेंद्र कर्मा ने अपने परिवार के दर्जनों लोगों को नक्सली हमले में खोया। वे 2000 से 2004 के बीच अजित जोगी सरकार में उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री रहे। इससे पूर्व भी नक्सली चार बार कर्मा पर प्राणघातक हमला कर चुके थे, जिनमें वे बच गए थे। यह उन पर 5 वां हमला हुआ, जिसमें वे नहीं बच पाए। 8 नवंबर, 2012 को हुए एक नक्सली हमले में वे बाल-बाल बच गए थे। हमला दंतेवाड़ा में उनके काफिले पर उस समय हुआ, जब वे अपने घर से जिला मुख्यालय जा रहे थे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य के रूप में अपनी राजनीति शुरू करने वाले महेंद्र कर्मा चार बार विधानसभा के सदस्य रहे। इसके अलावा वे 1996 में लोकसभा के भी सदस्य रहे। हवाला कांड के बाद जब माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर मध्यप्रदेश विकास कांग्रेस की स्थापना की तो महेंद्र कर्मा उनके साथ चले गए। बाद में वे कांग्रेस में लौट आए। राज्य के पहले मुख्यमंत्री के शासनकाल में उद्योग और वाणिज्यमंत्री के रूप में काम किया। इसके बाद 2004 में जब भाजपा की सरकार बनी तो उन्हंे कांग्रेस पार्षद दल का नेता चुना गया। इस पद पर वे 22 दिसंबर, 2003 से 5 जनवरी, 2009 तक रहे। इसी दौरान 2005 में उन्हांेने नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुडूम शुरू किया। आठ हजार प्रभावित आदिवासियों के साथ शुरू हुए इस नक्सल विरोधी अभियान को राज्य सरकार का समर्थन था। उनका यह आंदोलन पूरी दुनिया में विख्यात रहा। 
पांचवां हमला नहीं झेल पाए
श्री कर्मा और उनका परिवार नक्सल विरोधी परिवार के रूप में शुरू से जाना जाता रहा है। इससे पहले चार बार कर्मा पर हमला हो चुका था। वे हर बार बाल-बाल बचते रहे। इस दौरान उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक सदस्यों की मौत हो गई।  तीसरी बार उन पर छह महीने पहले 8 नवंबर, 2012 को हमला हुआ था। दंतेवाड़ा से महज 4 किमी दूर कंवलनार के पास कर्मा के काफिले को निशाना बनाते नक्सलियों ने सड़क पर बारूदी विस्फोट किया। चौथे नंबर पर चल रही बुलेट प्रूफ वाहन क्रमांक सीजी 18 डी 2873, जिसमें महेन्द्र कर्मा सवार थे, इसकी जद में आ गई। विस्फोट में वाहन का इंजन क्षतिग्रस्त हो गया। मौत हथेली पर रखकर राजनीति करने वाले संसदीय लोकतंत्र का यह जुझारू कार्यकर्ता आखिरी नक्सली बुलेट को नहीं झेल पाया...!
 

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