Sunday, February 14, 2010

मानवाधिकार का डंडा पुलिस पर फेल

रायपुर। प्रदेश के थानों में मानवाधिकारों का कितना पालन हो रहा है, इसका अनुमान राजभवन और मुख्यमंत्री निवास में पहुंची शिकायत से ही लगाया जा सकता है। मानव आधिकार दिवस के आते ही एक सप्ताह पूर्व थानों में मानव अधिकार नियमों का पालन करने का बोर्ड लगाकर एक बार फिर इसके निर्देशों का भली भांति पालन करने का ड्रामा रचाया है। यह ड्रामा पुलिस एक लंबे अर्से से खेलती आ रही है। मानव अधिकार आयोग के निर्देशों का पालन पुलिस थानों में कड़ाई से नहीं किए जाने के कई उदाहरण पिछले महीने पुलिस मुख्यालय में हुई बैठक से ही लगाया जा सकता है। डीजीपी विश्वरंजन ने थाना स्तर पर ही प्रकरणों को निपटने का आदेश देते हुए थानेदारों को राजधानी तक शिकायत पहुंचने पर कड़ी कार्रवाई के संकेत दिया था। इसके बावजूद थानों में मनमानी करने का नया तरीका निकाल लिया गया है। आयोग द्वारा प्रथम सूचना रिर्पोट (एफआईआर) लिखने के निर्देश दिए गए हैं। इसका पालन पुलिस बड़े ही चतुराई के साथ कर रही है। एएफआईआर तो लिखी रही है, लेकिन जिन्हें बचाना है उन्हें बचाने से भी नहीं चूक रही है। अधिकांश मामले में रिर्पोट लिखने के बाद छोटी धारा लगाती है। वहीं राजनीतिक एप्रोच के चलते ऐसे कई प्रकरणों में गंभीर धाराए लगाई गई हैं। ऐसे प्रकरणों में न्यायालय में धारा 307 जैसे गंभीर धाराए तब्दील होकर 324,325 में बदल चुकी हैं। इसी तरह कई प्रकरणों में धारा 324, 325 न्यायालय की फटकार और मेडिकल रिर्पोट के आधार पर 307 में तब्दील हुए हैं।
आठ महीने बाद हुआ मामला दर्ज
कुकरबेड़ा निवासी वृद्ध महिला विभारानी चक्रवर्ती और उसकी तीन पुत्रियों और घायल पुत्र ने जानलेवा हमला करने की नामजद शिकायत सरस्वती नगर थाने में दर्ज करवाई थी। पुलिस ने इस मामले में आरोपियों को बचाते हुए काउंटर रिर्पोट दर्ज कर मामूली धारा लगाकर आरोपी को मुचलके पर छोड़ दिया था। वहीं इस हमले में गंभीर रूप से घायल वृद्धा और उसके पुत्र को महीने भर बाद अस्पताल से छुट्टी मिली थी। मेडिकल रिर्पोट में विभारानी के सिर पर घातक चोट बताई गई थी। इस रिर्पोट को लेकर वह सरस्वती नगर थाना के महीनों चक्कर लगाती रही। लेकिन आरोपियों की गंभीर धारा में गिरफ्तारी नहीं की गई। पीड़िता ने इस मामले में अखिल भारतीय मानवाधिकार संगठन के सहयोग से घटना की शिकायत डीजीपी विश्वरंजन से की गई। इस दौरान पूरे आठ महीने बीत गए थे। पीड़िता के लंबे संघर्ष के बाद सरस्वती नगर पुलिस ने धारा 307 के तहत अपराध कायम कर दो आरोपियों की गिरफ्तारी की है। चक्रवर्ती परिवार का आरोप है कि आरोपी आधा दर्जन से अधिक थे।
बदसलूकी के मामले में इजाफा
पुलिस द्वारा राह चलते लोगों से पूछताछ के आड़ में बदसलूकी करने और लाठी प्रहर की शिकायत थानों में पेडिंग पड़ी है। ऐसे मामले में दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास भी चल रहा है। यातायात पुलिस द्वारा भी वाहन के दस्तावेज जांच करने के नाम पर बदसूलकी करने की शिकायत गृह मंत्री ननकीराम कंवर तक पहुंची है। टिकारापारा थाने में पेट्रोलिंग स्टाप द्वारा बदसूलकी किए जाने की पांच महीने पहले की गई शिकायत में अब तक जांच चल रही है। वहीं पिछले सप्ताह गोल बाजार थाने के स्टाप ने भी आधी रात पूछताछ की आड़ में बदसलूकी कर नागरिकों को धमकाने का प्रयास किया। बंजारी रोड निवासी हर्षवर्धन पुरोहित उर्फ डब्बू व अजय पाटिल उर्फ जिप्सी व दिनेश सोनी ने इसकी शिकायत पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय में लिखित रूप से की है।

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