Thursday, February 18, 2010

किसी भी बड़े त्यौहार के समीप आते ही बाजार में मिलावटी वस्तुओं की भरमार हो जाती है, जिसका सीधा प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे समय में ग्राहकों को दूध, घी और मावे के अलावा मिलावटी और केमिकल युक्त रंगों से सबसे ज्यादा दो-चार होना पड़ता है। असली मावे के स्थान पर सेंथेटिक मावा, असली घी के स्थान पर नकली घी, हर्बल रंगों के स्थान पर केमिकल युक्त रंग और चांदी के वर्क के स्थान पर एल्यूमिनियम के वर्क आदि ऐसी चीजें हैं, जो न केवल ग्राहकों की ठगी का कारण बनते हैं, बल्कि त्यौहार की खुशी के माहौल को भी खराब कर देते हैं। दिवाली के समय प्रशासन द्वारा छापेमार कार्रवाई में जहां सैकड़ों क्विंटल नकली मावा पकड़ा गया था, वहीं हजारों लीटर नकली घी भी जब्त किया गया था। ऐसे में ग्राहकों को सचेत रहकर ही खरीदारी करनी चाहिए। किस में किस चीज की मिलावट दूध में जहां पानी और स्टार्च की मिलावट कर दी जाती है, वहीं मावे, छेना और पनीर में स्टार्च, वनस्पति, आलू और शकरकंद की मिलावट कर मुनाफा वसूला जाता है। इसके अलावा घी में वनस्पति एवं आलू की और मक्खन में मसले हुए आलू, शकरकंद की मिलावट कर दी जाती है। शक्कर में खडि़या, मिट्टी का चूरा और कपड़े धोने के सोडे की मिलावट की जाती है। चांदी का वर्क न कर दे बीमार होली में मिठाईयों, लस्सी और पानों पर लगे चमचमाते हुए चांदी के वर्क बरबस ही ग्राहकों को अपनी और आकर्षित कर लेते हैं। चांदी के इन वर्को की उजालेपन के पीछे का सच यह है कि अधिकांश वर्क शुद्धता के पैमाने पर खरे नहीं उतरते और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैंद्ध आम व्यक्ति इस बात से अनजान है, लेकिन जो लोग इस सच को जानते हैं वे भी इसे नजरअंदाज कर मिठाई खाते और खिलाते रहते हैं। मिठाईयों पर चढ़ा हुआ चांदी का वर्क शरीर के लिए घातक भी हो सकता है, अगर वह निर्धारित शुद्धता के पैमाने पर खरा नहीं उतरे तो। शुद्ध न होने पर चांदी का वर्क हमारे शरीर में एक ऐसा जहर घोलता है, जिससे कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है। हाल ही में विष विज्ञान केंद्र इंडस ने चांदी के वर्क पर एक अनुसंधान किया है और अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अशुद्ध चांदी के वर्क के सेवन से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। बाजार में बिकने वाली चांदी के वर्क में से आधे से अधिक जांच में शुद्धता के पैमाने पर खरे नहीं उतरते। बाजार में जिस चांदी से वर्क तैयार किए जा रहे हैं, उनमें निकल और जस्ता जैसे नुकसान पहुंचाने वाले रासायनिक तत्व भी शामिल होते हैं और इन रासायनिक तत्वों में ही कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा बना रहता है। क्या वाकई में यह चांदी है आज के समय में जब सोने और चांदी की कीमत आसमान को छू रही है, ऐसे में क्या कोई दुकानदार मिठाईयों पर वाकई चांदी के वर्क लगा रहे हैं? यह सवाल स्वयं ग्राहक को सोचना चाहिए। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां दुकानदार अपने उत्पाद में एक-एक पैसे की बचत करता है और चांदी का थोड़ा सा वर्क लगाकर भी काम चला सकता है, वहां वह इतनी अधिक चांदी का वर्क लगाकर अपना नुकसान क्यों कर रहा है? पहले जहां मिठाईयों पर थोड़ा सा चांदी का वर्क लगा दिया जाता था, वहीं अब पूरी मिठाई चांदी के वर्क पर लिपटी मिल रही है। एल्यूमिनियम से तैयार होता वर्क इस संबंध में कारीगरों का मानना है कि चांदी के वर्क को बनाना बहुत ही मेहनत वाला और महीन काम है और मिलावटी चांदी का वर्क तो तैयार किया ही नहीं जा सकता, जबकि एक अन्य कारीगर मुकेश परिवर्तित नाम का इस संबंध में कहना है कि सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाले वर्क एल्युमिनियम को पीटकर तैयार किए जाते हैं। आज के समय में चांदी इतनी महंगी है, तो चांदी का वर्क तो बहुत ही कम तैयार होता है।
होली और रंगों का चोली दामन का साथ है। पहले हर्बल होली का जमाना था, पर अब तो केमिकल होली का दौर चल रहा है। होली में प्रयोग किए जाने वाले रंगों में जो केमिकल मिले होते हैं, उसका स्वास्थ पर गहरा प्रभाव पड़ता है, खासकर त्वचा पर। इस त्यौहार में मुख्य भूमिका में नजर आने वाले रंग आपके जीवन को बेरंग कर सकते हैं। इसलिए रंगों के इस्तेमाल से पहले सावधानी रखना जरूरी है। काला रंग - काले रंग को बनाने के लिए लेड आक्सॉइड का प्रयोग किया जाता है। लेड ऑक्साइड से बौद्धिक क्षमता क्षीण होती है। हरा- हरा रंग बनाने के लिए कॉपर सल्फेट का प्रयोग किया जाता है। अगर हरा रंग आखों में पड़ जाए, तो एलर्जी हो सकती है, या फिर कुदरत का अनमोल तोहफा आप अपनीआंखों से भी हाथ धो सकते हैं। पर्पल- यह रंग क्रोमियम आयोडाइड की मात्रा ज्यादा होती है, इससे श्र्वास संबधित बिमारियों के शिकार हो सकते हैं। लाल- मर्करी सल्फेट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। मर्करी सल्फेट के वजह से स्किन कैंसर, मस्तिष्क कमजोरी, लकवा और आंखों की कमजोरी जैसी समस्याओं से दो चार होना पड़ सकता है। नीला- त्वचा शोध में यह बात सामने आई है कि नीले रंग से त्वचा कैंसर जैसी भयावह बीमारी के शिकार हो सकते हैं। स्किन पर असर ड्राई स्किन वाले लोगों को होली सावधानी बरतकर ही खेलना चाहिए। इन रंगों की वजह से स्किन में जलन होने लगती है, जो एलर्जी के रूप में भी दिख सकता है। इसकी वजह से चेहरा लाल हो जाना या फिर बहुत खुजली होने जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।

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