Friday, February 5, 2010

एटीएस ने थामा डंडा? पुलिस का नया फंडा

रायपुर। आतंकियों से निपटने के लिए गठित एटीएस के जवान अब आंदोलनकारियों से निपट रहे हैं। जवानों को न सिर्फ विभिन्न आंदोलनों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई है बल्कि वे कानून व्यवस्था से जुड़े और तमाम अन्य कार्यक्रमों में ड्यूटी बजाते दिख जाते हैं। कुछ दिनों पहले तक अत्याधुनिक हथियारों से लैस दिखाई देने वाले एटीएस के जवानों के हाथों में अब केवल डंडा दिखाई दे तो चौंकें नहीं क्योंकि यह जिला पुलिस का नया फंडा है। पुलिस अफसरों के इस नए फंडे से गुरिल्ला वार का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले ये जवान अब होमगार्ड की तरह ड्यूटी बजाने को विवश है। कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले दो दर्जन ऐसे जवान अफसरों के इस नए फंडे में फंसकर हाथ में थमा दिए गए डंडे के साथ सड़क पर चहल कदमी करते हुए अपने आप को कोसते नजर आते हैं। जवानों का कहना है कि जब यही काम कराना था तो नक्सलियों से लड़ने की हमें ट्रेनिंग क्यों दी गई?साल के शुरुआत में देश में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट व आंतकवादी घटनाओं को देखते हुए केन्द्रीय गृह विभाग ने सभी राज्यों में एटीएस (आंतकवादी निरोधक दस्ता) के गठन के निर्देश दिए थे। पुलिस मुख्यालय से एटीएस के गठन हेतु आनन-फानन में जनवरी माह में आदेश निकाला गया। इसी क्रम में थानों और रक्षित केन्द्र में पदस्थ कर्मियों को ही एटीएस में नियुक्त कर दिया गया। एटीएस की कमान आईजी रायपुर रेंज को सौंपा गया था। आईजी के दिशा निर्देश पर ही एटीएस की टीम पिछले पांच माह से राजधानी में काम करती आ रही है। टीम के हर सदस्य के हाथ में अत्याधुनिक हथियार दिए गए थे ताकि इन हथियारों के बल पर नक्सली घटना से निपटा जा सके। लेकिन राजधानी में एटीएस ने पांच माह में कोई उल्लेखनीय काम किया हो, इसका जिक्र कभी भी सामने नहीं आया। उल्टे थानों व लाइन से एटीएस में लिए गए जवानों के कारण बल की पहले से और कमी हो गई। एटीएस में शामिल जवान कोई काम न होने के कारण पड़े-पड़े मोटे होने लगे। उनकी ड्यूटी मात्र चौक-चौराहों तक ही सिमट कर रह गई थी। यही वजह है कि एटीएस के दो दर्जन जवानों के हाथों में हमेशा दिखाई देने वाला अत्याधुनिक हथियार हाल ही में छीन लिए गए हैं। सूत्रों ने बताया कि रक्षित निरीक्षक केन्द्र(पुलिस लाइन) से इन जवानों को राजधानी में होने वाले आंदोलन, आमसभा को संभालने की जिम्मेदारी दी गई है। एटीएस के जवान अब हथियार छोड़कर हाथ में डंडा थाम आंतकियों के बजाए आंदोलनकारियों से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। अचानक पुलिस अफसरों के इस फैसले से प्रशिक्षित जवान भौंचक्क हैं। सामान्य पुलिसकर्मियों को तो इस फैसले से कोई गुरेज नही है लेकिन गुृरिल्ला वार की ट्रेनिंग हासिल कर कुछ करने की चाह लेकर विभाग में भर्ती होने वाले नए जवानों का खून उबाल मारने लगा है। नाम न छापने की शर्त पर कई जवानों ने हरिभूमि से कहा कि अब तो हद ही हो गई। एटीएस की आड़ में जिला पुलिस अपना काम करा रही है। जिस काम के लिए रखा गया था उसे छोडकर डंडा, जाली गार्ड, बॉडी गार्ड थामकर हम लोग अब विभिन्न कार्यक्रमों में कानून व्यवस्था संभालने में लगे हैं, यह हमारी विवशता है। 00 जवाब देने से बच रहे अफसर 00एटीएस जवानों के हाथों से अत्याधुनिक हथियार छीनकर डंडा थमाए जाने के मामले में पुलिस अफसर जवाब देने से बच रहे हैं। आईजी से संंर्पक करने पर उन्होंने मोबाईल रिसीव कर तुरंत काट दिया। इसी तरह एटीएस जवानों की ड्यूटी लगाने वाले रक्षित निरीक्षक(आरआई) ने भी जवाब देने में आनाकानी की। हालांकि एक अफसर ने स्वीकार किया कि ऐसा नहीं होना चाहिए। एटीएस की टीम दिन-रात अलग-अलग पेट्रोलिंग प्वाइंट पर तैनात की गई है। कमांडो ड्रेस में जवान चौकस रहते हैं। बल की कमी के कारण मजबूरी में इनकी अन्यत्र ड्यूटी लगाई जा सकती है।

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