Friday, February 5, 2010

नौकरी के नाम पर मंत्रालय में फर्जीवाड़ा

रायपुर। मंत्रालय में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इससे पहले ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। मंत्रालय में सामान्य प्रशासन विभाग के सहायक ग्रेड दो के पद पर कार्यरत कर्मचारी ने आधा दर्जन से अधिक बेरोजगारों को नौकरी दिलाने का सब्जबाग दिखाकर लाखों रुपए ऐंठे। पीड़ितों के सामने आने पर इसका भांडा फूटा। शासकीय कर्मी पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है। रकम की उगाही करने वह पूरा गैंग आपरेट कर रहा था। आरोपी ने बकायदा विभिन्न विभागों के सील-मोहर लगे नियुक्ति पत्र की प्रतियां भी पीड़ितों को थमाई थी। शासकीय कर्मी के इस फर्जीवाड़े में शामिल महिला व एक अन्य शासकीय कर्मी की संलिप्ता भी उजागर हुई है। गोलबाजार पुलिस के हत्थे शासकीय कर्मी के साथ फर्जी अधिकारी बना होम्योपैथिक चिकित्सक भी चढ़ा। एएसपी सिटी शशिमोहन सिंह ने फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए बताया कि हीरापुर कबीरनगर निवासी वीरेन्द्र खूंटे वल्द घनश्याम(28) सहित आधा दर्जन बेरोजगारों को लक्ष्मी दुबे नामक महिला ने यह कहकर झांसे में लिया कि उसका पति मंत्रालय में पदस्थ है और वे किसी की नौकरी लगा सकते हैं,इसके एवज में रकम खर्च करना पड़ेगा। इलेक्ट्रानिक्स का काम करने वाला वीरेन्द्र इस झांसे में आ गया। मूलत: भोपाल निवासी सतीश थावरे यहां मंत्रालय स्थित सामान्य प्रशासन विभाग में सहायक ग्रेड दो पद पर कार्यरत है। लक्ष्मी दुबे को बेरोजगारों को फांसने के काम में उसने लगा रखा है। विश्वास में लेने के लिए बेरोजगारों को यह कहा गया था कि पहले ज्वाईनिंग लेटर हाथ में देंगे तब पैसे देना। फर्जी आदेश पत्र थमायामूलत: ग्राम कचन्दा शिवरीनारायण(जांजगीर) निवासी पीड़ित बेरोजगार वीरेन्द्र ने बताया कि 15 नवम्बर 07 को उसका परिचय कबीरनगर अटल आवास में रहने वाली लक्ष्मी से हुआ। उसने छोटा-मोटा काम छोड़कर सरकारी नौकरी दिलाने का दावा किया। लक्ष्मी ने काशीरामनगर में रह रहे सतीश थावरे से उसकी मुलाकात करवाई। डेढ़ लाख में कम्प्यूटर आपरेटर पद पर नियुक्ति दिलाने का सौदा तय हुआ। 14 मई 08 को पहली किश्त के रुप में 14 हजार रुपए वीरेन्द्र ने थावरे के बैंक एकाउंट में जमा किए। वीरेन्द्र अक्सर थावरे से मंत्रालय जाकर मिलता रहा। थावरे ने शेष रकम देने को कहा। वीरेन्द्र ने गांव जाकर परिजनों से रुपए मांगा और मोबाइल पर थावरे से संपर्क कर मिलने को कहा। दोनों महोबा बाजार में मिले। थावरे के साथ न्यू चंगोराभाठा निवासी बालकृष्ण मुदलियार(55) भी था। थावरे ने वीरेन्द्र से बालकृष्ण का परिचय बड़े बाबू के रुप कराया। दोनों वीरेन्द्र के साथ उसके गांव गए। जहां वीरेन्द्र के पिता से थावरे ने बताया कि वह परिवहन विभाग में कर्मचारी है। वहीं पर थावरे ने वीरेन्द्र के नाम नियुक्ति पत्र थमाकर रुपए मांगे। वीरेन्द्र के पिता ने 1.36 लाख रुपए बालकृष्ण के हाथ में दिए। बताया गया कि बाद में फर्जी नियुक्ति के आदेश की प्रति थावरे ने मेडिकल जांच के समय मेकाहारा में वीरेन्द्र्र से यह कहकर वापस ले लिया कि साहब को दिखाना है। थावरे ने कुछ दिन बाद आदेश पत्र देने को कहा था। 5 जून 09 को 50 रुपए के स्टाम्प में बकायदा रकम लेने का इकरारनामा लिखा। इस इकरारनामे में दलाल बालकृष्ण मुदलियार(55),सतीश थावरे(56) ने हस्ताक्षर किए थे। इकरारनामे में सीएल पारे (वीरेन्द्र के मामा) व शिवकुमार ने गवाह के रुप में हस्ताक्षर किए थे। नौकरी न लगाने पर पूरे पैसे वापस करने की बात आरोपियों ने कही थी। वीरेन्द्र ने आगे बताया कि 18 जुलाई 08 को उसे अभिलेखागार विभाग में कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर नियुक्त करने का एक आदेश पत्र आरोपियों ने थमाया। यह फर्जी पत्र सामान्य प्रशासन विभाग से जारी होना बताया गया था। सरकारी नौकरी गांव में किसी की नहीं वीरेन्द्र ने बताया कि जब उसे मंत्रालय में कम्प्यूटर आपरेटर के पद का ज्वाइनिंग लेटर मिला तो उसकी दुनिया खुशगवार हो गई थी। गांव में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जो सरकारी नौकरी में हो। ऐसे में उसकी खुशी और भी बढ़ गई थी लेकिन कुछ दिनों बाद जब यह पता चला कि सारा कुछ फर्जीवाड़ा है तो पल भर में सारे सपने चकनाचूर होकर रह गए।भाई भी आया झांसे में वीरेन्द्र के साथ उसका भाई सुरेश खुंटे भी आरोपियों के झांसे में आया। भृत्य पद पर नौकरी लगाने के नाम पर उससे 40 हजार रुपए ऐंठे गए। जनसंपर्क संचालनालय में भृत्य पद पर नियुक्त करने उसे ज्वाइंनिग लेटर दिया गया। जिसमें राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार छत्तीसगढ़ शासन का सील-मोहर लगा हुआ था। और भी हैं पीड़ित एएसपी शशिमोहन सिंह ने बताया कि मंत्रालयकर्मी के फर्जीवाड़े का शिकार वीरेन्द्र के अलावा आधा दर्जन बेरोजगार हो चुके हैं। आरोपियों ने वीरेन्द्र, सुरेश के साथ गिरौदपुरी के कौशलेश मिरी तथा बिलासपुर के गणेश राम सोनवानी से करीब पांच लाख लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र थमाया था। इन्हें पशु चिकित्सा विभाग में सहायक ग्रेड तीन में नियुक्ति दिलाने का झांसा दिया गया था। जबकि कबीरनगर निवासी संतोष कुमार अजय वल्द जगदीश अजय(25) से रकम लिया गया। बड़े अफसर भी शामिल पूछताछ में सतीश थावरे ने इस फर्जीवाड़े में कई बड़े अफसरों के नाम लिए हैं। पुलिस ने इसकी पुष्टि की है। थावरे ने बताया कि आयकट विभाग के एक अफसर के बैंक खाते में उसने लाखों रुपए जमा कराए हैं। पुलिस ने इसकी तस्दीक करने की कार्रवाई शुरु कर दी है। एएसपी का कहना है कि मामले में जिसकी संलिप्ता होगी, वह सलाखों के पीछे होगा। सालों से चल रहा फर्जीवाड़ाबेरोजगारों से लाखों ऐंठने वाले सतीश थावरे का फर्जीवाड़ा सालों से चला आ रहा है हालांकि उसने सालभर से ही ठगी करने की बात स्वीकारी। मप्र की राजधानी भोपाल में लगातार 28 साल तक संवाद में बतौर लिपिक काम कर चुके सतीश थावरे का तबादला रायपुर में हुआ। 22 जून 08 को विभाग बदले जाने पर सामान्य प्रशासन विभाग में उसकी नियुक्ति हुई। फर्जीवाड़े के काम में लगने के बाद से वह मंत्रालय में केवल हाजरी लगाने जाता था। वह भी लुकछिपकर, ताकि कोई पीड़ित उसे न पकड़ ले। हिरासत में आरोपी,महिला की तलाश गोलबाजार पुलिस ने वीरेन्द्र खुंटे की रिपोर्ट पर मामले में धारा 420, 467, 468 के तहत अपराध कायम कर लिया है। दोनों आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ के साथ फरार महिला लक्ष्मी दुबे की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। पहले भी हो चुकी है ठगी शिक्षाकर्मी बनाने का झांसा देकर लाखों की ठगी का एक मामला जून माह में भी सामने आ चुका है। कांकेर जिला पंचायत में अधीक्षक पद पर पदस्थ लियाकत अली खान ने कई बेरोगारों से लाखों की उगाही की थी। एसपी अमित कुमार से पीड़ितों ने शिकायत की तब जाकर ठगराज को पकड़कर जेल के सलाखों के पीछे डाला गया था। प्रदेश भर में शिक्षाकर्मी भर्ती के दौरान जिला पंचायत कांकेर के अधीक्षक लियाकत अली खान ने अपनी ऊंची पहुंच का दंभभरकर अप्रैल 2008 में रायपुर समेत भानुप्रतापुर, नगरी सिहावा, धमतरी और प्रदेश के अन्य जिलों के दर्जनों बेरोजगारों को नौकरी का सब्जबाग दिखाकर एक से डेढ़ लाख रुपए की उगाही की। व्यापमं के माध्यम से शिक्षाकर्मी भर्ती के लिए हुए परीक्षा में जब बेरोजगारों का चयन नहीं हुआ तो वे पैसा वापस पाने भटकने लगे। बाद में लोगों के दबाव में अधीक्षक ने दो किश्तों में आठ लाख वापस लौटा दिए थे। बेरोजगारों से करीब तीस लाख रुपए उगाही की गई थी। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज होने पर आरोपी लियाकत उल्ला खान को गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया गया था। इसी तरह जून माह में ही पुरानीबस्ती पुलिस ने बिलासपुर जिले की एक युवती को शिक्षाकर्मी बनाने का झांसा देकर डेढ़ लाख वसूलने वाले प्रोफेसर कालोनी निवासी गौकरण वर्मा को गिरफ्तार किया था जबकि उसका साथी नरेन्द्र निहाल फरार बताया गया है।

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