Sunday, February 14, 2010

यूं ही नहीं बनी मधुर भंडारकर की जेल




मोबाइल पर बात करने में था मशगुल
रायपुर। जेल की मोटी दीवारों के भीतर कैदियों को सारी सुख,सुविधाएं मिलने के मामले में प्रदेश की जेल पहले से बदनाम है। लेकिन गुरुवार की शाम को अदालत परिसर से बाहर निकलते समय सरेआम हथकड़ी लगे एक कैदी को मोबाइल पर घंटों बात करते देख लोगों के मुंह से निकला वाह क्या बात है। कैदी को मोबाइल पर बतियाते देखकर कई लोगों को मधुर भंडारकर की हालिया रीलिज फिल्म जेल की भी याद आई। दुर्ग जेल से स्थानीय जिला न्यायालय में पेशी पर आए राजेश्वर उर्फ छोटू नामक इस कैदी के हाथ में हथकड़ी लगी थी। क्लेक्ट्रेट चौराहे के पास दो पुलिस कर्मी उसे पकड़ रखे थे लेकिन वह एक हाथ में मोबाइल पकड़ कर बातचीत करने में मशगूल था। इसी दौरान मीडियाकर्मियों की नजर उस पर पड़ी। तत्काल कैमरे में उसकी तस्वीर कैद किया जाने लगा। तभी कैदी के साथ हथकड़ी पकड़े खड़े प्रधान आरक्षक द्वारिका प्रसाद और आरक्षक हीरालाल की नजर मीडिया पर गई। तीनों एक साथ अलर्ट हो गए थे। इस संबंध में जब मीडिया कर्मी ने कैदी से बात की तो उसने साफ कहा कि वह परिवार वालों से बात कर रहा था,मोबाइल परिजनों ने उसे दी है। मारपीट के मामले में दुर्ग जेल में बंद राजेश्वर उर्फ छोटू टिकरापारा का निवासी है। उसने कहा कि वह बहुचर्चित मामले में रायपुर से दुर्ग जेल स्थानांतरित किया गया था। गुरुवार को न्यायालय में मारपीट के प्रकरण में पेशी थी। इसलिए वह यहां आया था। फुर्सत मिलते ही परिजनों द्वारा दिए गए मोबाइल से वह बात करने लगा था। कैदी ने यह भी कहा कि जब जेल में कैदी बात कर सकते तो बाहर बात करने में क्या बुराई है? हालांकि इस दौरान कैदी को लेकर आए पुलिस कर्मी एक दूसरे की जिम्मेदारी बता कर बचने का प्रयास कर रहे


योजना को ठेंगा


पिछले दो साल से प्रदेश के पांच सेंट्रल जेल में मोबाइल जैमर लगने की योजना बनाई गई है। जैमर खरीद भी लिया गया है। लेकिन कैदियों को मिलने वाली ऐसी सुविधा से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जैमर की योजना कितनी कारगर साबित होगी।

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