Friday, February 5, 2010

रायपुर। जेल का एक बर्खास्त प्रहरी अपने विभाग से पिछले 22 सालों से लड़ाई लड़ता रहा। अंतत: जिंदगी से हार कर गुरुवार की रात उसने विषपान कर अपने प्राण त्याग दिए। बिलासपुर हाईकोर्ट से मिली जीत के बावजूद प्रहरी को नौकरी में बहाल नहीं किया गया था। प्रहरी के आत्महत्या प्रकरण को लेकर जेल विभाग में हड़कंप मच गया है। प्रहरी ने आत्महत्या से पूर्व लिखे चार पन्नों के सुसाइड नोट में अधिकारियों के रवैये पर क्षोभ व्यक्त किया था। उसकी जेब से गृह सचिव की पर्ची भी मिली। इस पूरे मामले के जांच के आदेश के साथ तीन को निलंबित कर दिया गया है। एकता चौक, दुबे कालोनी (मोवा) निवासी जयनारायण पटनायक(52) वर्ष 1988 में कांकेर जेल में प्रहरी के पद पर पदस्थ था। इस दौरान जेल में बंदियों और प्रहरी के बीच हुई मारपीट की एक घटना में एक बंदी की मौत हो गई थी। मामले की जांच के बाद जयनारायण पटनायक समेत पांच जेल कर्मचारी बर्खास्त किए गए थे। इसके खिलाफ जयनारायण ने कोर्ट में वाद दायर किया था। 21 साल तक यह प्रकरण न्यायालय में चलता रहा। चार माह पहले ही हाईकोर्ट ने जयनारायण पटनायक को दोषमुक्त कर उसकी बहाली के निर्देश जेल विभाग को दिए थे। तब से वह अपनी बहाली को लेकर जेल अधिकारियों के पास चक्कर लगाता आ रहा था। अधिकारी सिर्फ आश्वासन दे रहे थे। कोर्ट के आदेश के चार माह बाद भी नियुक्ति नहीं मिलने से वह मानसिक रुप से परेशान था। गुरुवार को सुबह जयनारायण घर से निकला था। देर शाम तक वापस न लौटने पर परिजनों को चिंता हुई। इस बीच रात 11 बजे क्लोट्रोरेट गार्डन में जयनारायण को अचेत अवस्था में पड़ा देख पुलिस ने उसे अस्पताल पहुंचाया। उसके मुंह से झाग निकला हुआ था। बाद में उसकी मौत हो गई। चिकित्सकों ने जहर सेवन से मौत होने की पुष्टि की। मृतक के पास मिले पत्र व दस्तावेजों से पुलिस ने परिवार वालों को इसकी जानकारी दी। मृतक के दो पुत्र विकास और विवेक मंत्रालय में कार्यरत हैं। उन्होंने अस्पताल आकर शिनाख्त की। शुक्रवार को शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सुपुर्द किए जाने के बाद गमगीन माहौल में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। घर में मातमघर के मुखिया जयनारायण पटनायक के आत्महत्या कर लेने से परिजन स्तब्ध हैं। घर में शोक और मातम के माहौल के बीच लोग शोकाकुल परिवार को ढांढस बंधाने में लगे हैं। मृतक के पुत्र विकास पटनायक का कहना है बहाली न होने के चलते पापा ने जान दी है। और भी हुए हैं मजबूर22 सालों की लंबी लड़ाई के बाद आखिर में मौत को गले लगाने वालों में जयनारायण पटनायक अकेला नहीं है। इसके पहले भी कई कर्मचारी आत्मघाती कदम उठा चुके हैं। छविराम साहू की खुदकुशी का मामला प्रदेश में सुखिर्यों में छाया था, जिसकी गूंज विधानसभा तक सुनाई दी थी। लेकिन जयनारायण पटनायक जिन हालातों में यह कदम उठाने के लिए मजबूर हुआ, वह काफी चौंकाने वाला है।
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पूरे मामले की रिपोर्ट डीजीपी जेल से मांगी गई है। जांच में दोषी पाए गए अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित परिवार को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ देने के लिए प्रकरण बनाया जा रहा है। मामले में तीन लोगों को निलंबित किया गया है। yenakeअसवाल, प्रमुख सचिव,गृह एवं जेल

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