Friday, February 5, 2010
थाना है या कबाड़खाना
रायपुर। राजधानी के 23 थाने कबाड़खाने का रुप ले चुके हैं। थानों में जब्त कर रखे गए दोपहिया व चार पहिया वाहनों को देखकर कोई भी यह कहने लगा है,यह थाना है या कबाड़खाना। थाना परिसर में वर्षों से विभिन्न मामलों में जब्त कर रखे गए वाहनों के कलपुर्जे धीरे-धीरे चोरी होती जाती है और पुलिस को इसका पता भी नहीं चलता। वाहन मालिक सब कुछ जानते हुए भी चुप्पी साधने को विवश हैं।00 यहां हैं लाखों के जब्त वाहन 00राजधानी के प्रमुख पुलिस थानों में सिविल लाइन, पंडरी, गंज, कोतवाली,गोलबाजार, सरस्वतीनगर, आमानाका,गुढ़ियारी, आजाद चौक, तेलीबांधा, राजेन्द्रनगर, टिकरापारा सहित आउटर के थाने शामिल हंै। इन थानों में वर्षों से विभिन्न मामलों में जब्त वाहनों को रखा तो गया है परंतु इनकी सुरक्षा व रखरखाव को लेकर किसी को कोई लेना देना नहीं है। यही वजह है कि जब वाहन मालिक न्यायालय का आदेश लेकर वाहन लेने थाने पहुंचता है तो वह अपनी ही गाड़ी को पहली नजर में नहीं पहचान पाता। वाहन के महंगे कलपुर्जे निकले होते हैं। सिविल लाइन थाना परिसर में खड़ी यात्री बस, कार, दो पहिया वाहन धूल, धूप और बारिश के कारण जंग खा चुके हैं। कई तो आगजनी की भेंट चढ़कर केवल बॉडी के साथ ही खड़े हैं। 00 दूसरे दिन ही गायब हो जाते हैं मंहगे सामान 00दुर्घटनाग्रस्त या चोरी के मामले में जब्त वाहन जैसे ही थाने लाया जाता है। लोगों की नजर उसमें लगी महंगे सामान पर पहले जाती है। बैटरी, डिस्क, टायर, ट्यूब, म्यूजिक सिस्टम, साइलेंसर दूसरे दिन वाहन में नजर ही नहीं आती। शेष मोटर पार्ट्स धीरे-धीरे कर निकाले जाते हैं। 00 अफसर क्या करें 00पुलिस थाने में खड़ी वाहनों से कलपुर्जे के चोरी आम हैं फिर भी अफसर इससे अनजान बने हुए हैं। ऐसा नहीं है कि अफसरों को इसकी जानकारी नहीं होती लेकिन वे क्या करें,जब घर में ही चोर हो तो दूसरों को दोष देने से क्या फायदा। अफसर इस बात को स्वीकार करते हैं कि जब्त वाहनों से कलपुर्जे चोरी किए जा रहे हैं और इस पर रोक लगा पाना जरा मुश्किल है। फिर भी समय-समय पर थानेदार को इसके लिए ताकीद किया जाता है। 00 लाइन में भी रखे गए हैं वाहन 00पुलिस थानों में पर्याप्त जगह न होने की स्थिति में कई यात्री बस व अन्य चार पहिया वाहनों को पुलिस लाइन में भी रखा गया है। यहां भी जब्त वाहनों के रख-रखाव की कोई व्यवस्था न होने से ये कबाड़ का रुप ले चुके हंै। लाइन में खड़ी सद्दाम बस के अलावा कई अन्य जब्त वाहनों की दुर्दशा को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। 00 न्यायालयीन प्रक्रिया में फंसी है जब्त वाहनें 00राजधानी के सभी थानों में करीब पांच करोड़ से अधिक की छोटी व बड़ी वाहनें जब्त खड़ी हैं। इन वाहनों को उनके मालिक को सुपुर्द और नीलाम करने का अधिकार न्यायालय के पास है,ऐसे में कई मामलों का फैसला होने में वर्षों का समय लग जाता है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 10 से 15 साल प्रकरणों के न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझे रहने से जब्त वाहन थानें में पड़े-पड़े कबाड़ में तब्दील हो जाते हैं। कई प्रकरणों में जल्दी फैसला होने के बाद भी वाहन को कबाड़ में बदला देख गाड़ी मालिक नहीं ले जाते।00 जब्त वाहन रखने जगह नहीं 00एएसपी सिटी रजनेश सिंह ने बताया कि जब्तशुदा वाहनों को लंबी अवधि तक थाना परिसर में खुले आसमान के नीचे रखना मजबूरी है। थाने में वैसे ही जगह की कमी होती है। थाना स्टाफ तक के लिए जगह का अभाव है। ऐसी स्थिति में जब्त वाहनों को लाकर परिसर में ही जैसे-तैसे रख दिया जाता है। वाहनों से कलपुर्जे की चोरी पर उन्होंने कहा इस तरह की कोई शिकायत अब तक उनके सामने नहीं आई है,शिकायत आने पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। 00 आगजनी साजिश?सिविल लाइन थाना परिसर में रखे गए वाहनों में आगजनी की घटनाएं अक्सर होती रहती है। सूत्रों का कहना है कि यहां रखे कई वाहनों से मंहगे सामान चुराने के बाद इस पर पर्दा डालने साजिश के क्रम में वाहनों में आग लगा दी जाती है ताकि पता न चल सके कि कौन से पार्ट्स गायब हो गए हैं। विभाग के लोग ही रात के अंधेरे में गाड़ी मिस्त्री को लेकर आते हैं और अपने मनपसंद पार्ट्स निकलवाकर चलते बनते है।
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