Friday, February 5, 2010
साइबर क्राइम पर लगी पुलिस की नजर
रायपुर। राजधानी में साइबर क्राइम की बढ़ती संख्या पर पुलिस ने अब सख्ती बरतने की तैयारी कर ली है। साइबर क्राइम की रोकथाम करने के लिए छत्तीसगढ़ साइबर नियम बनकर तैयार हो चुका है। गृह विभाग ने कैफे संचालकों और यूूजर्स के खिलाफ सख्ती के संकेत दिए हैं। राजधानी के गली-कूचे में खुले साइबर कैफे में बेधड़क घंटों बगैर किसी आईडी प्रूफ के नेट पर चैटिंग करने वाले अब कैफे में जाने से घबरा रहे हैं। जल्द ही इस सख्त नियम को पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ छत्तीसगढ़ आईटी एक्ट 2009 के तहत कार्रवाई की जाएगी। नए नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति अब अपनी पहचान बताए बगैर साइबर कैफे की सेवाएं नहीं ले सकता, अगर ऐसा करते पकड़ा गया तो उसके साथ कैफे संचालक के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। कैफे में आने वाले यूजर्स को स्कूल, कॉलेज या फिर बैंक द्वारा जारी फोटोयुक्त पहचान पत्र के आलावा के्रडिट कार्ड, मतदाता परिचय पत्र सहित अन्य पहचान से संबंधित दस्तावेज कैफे संचालक को उपलब्ध कराना होगा। यूजर्स का बायोमेट्रिक आईडेंटीफिकेशन भी किया जा सकता है। यूजर्स के बारे में पर्याप्त विवरण जुटाने के बाद संचालक को रजिस्टर में इसे दर्ज करना पड़ेगा। रिकार्ड की दस्तावेजी जानकारी के साथ रिकार्ड की सॉफ्ट और हार्ड कॉपी कैफे संचालक को संबंधित थाने में हर माह देनी पड़ेगी। कैफे के डिजाइन के बारे में गाइड लाइन भी तैयार की गई है। साथ ही अब नाबालिगों को कंप्यूटर के इस्तेमाल की अनुमति उनके अभिभावकों की मौजूदगी में ही दी जा सकती है। कैफे की निगरानी साइबर क्राइम के विशेषज्ञों की टीम समय-समय पर करेगी। राजधानी में साइबर क्राइम के कई मामलों के फाइल दबे पड़े हैं। डाकघर के कंप्यूटरीकृत खाते से लाख रुपए की निकासी समेत अनेक मामले हैं, जिनकी अब नए सिरे से जांच की जरुरत महसूस की जा रही है ताकि आरोपी पुलिस की पकड़ में आ जाए।
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