मौदहापारा, सिविल लाइन गुंडों से आबाद
शहरी क्षेत्रों के थानों से गुण्डे,बदमाश और निगरानीशुदा बदमाशों की सार्वजनिक रूप से चस्पा होने वाली सूची लंबे समय से गायब हो गई हैं। कभी थानों में प्रवेश करते ही सामने दीवार पर सूची टंगी दिखाई देती थी। कुख्यात हिस्ट्री शीटर गुण्डों के फोटो भी लगे होते थे लेकिन अब यह बीते जमाने की बात हो गई हैं। हरिभूमि ने शहरी इलाके के कई थानों का अवलोकन के बाद यह पाया कि जिस स्थान में यह सूची चस्पा की जाती थी,वह स्थान सूना हो चुका हैं। सूचना पटल तक गायब हैं। इस संबंध में पुलिस के आला अधिकारी यह दलील देते नहीं थकते कि मानवाधिकार संगठनों कड़ी आपत्ति और निर्देश के बाद केवल सूचना पटल से गुण्डे,बदमाशों की सूची हटाई गई हैं। पुलिस थानों में यह सूची आज भी उपलब्ध हैं। हिस्ट्रीशीटरों के ऊपर पुलिस की कड़ी निगरानी हैं। समय-समय पर कार्रवाई भी की जाती हैं। शहर के 20 और ग्रामीण क्षेत्रों को मिलाकर रायपुर जिले में 42 पुलिस थाने हैं, इसमें महिला और एजेके पुलिस थाना भी शामिल हैं जबकि पुलिस चौकियों की संख्या नौ हैं। पुलिस थानों में कभी गुण्डे,बदमाश,निगरानीशुदा और हिस्ट्रीशीटरों की सूची सूचना पटल पर चस्पा देख लोगों का ध्यान थोड़ी देर के लिए टिक जाया करती थी। सूची को देख आमजन क्षेत्र के बदमाशों से वाकिफ हो जाया करते थे। अचानक से थाने से यह सूचना पटल हटाकर कोने में रख दिए गए। इससे यहां की दीवार सूनी सी हो गई हैं। मौदहापारा और सिविल लाइन में निगरानीशुदा अधिक: जिले में निगरानी बदमाशों की संख्या जहां 225 हैं, वही गुण्डों का आकंड़ा 343 तक पहुंच चुका हैं। पुलिस की परिभाषा में आदतन अपराधियों को निगरानी सूची में रखा जाता है। वही तात्कालिक अपराध करने वाले को गुण्डों की सूची में शामिल किया जाता हैं। आकंड़ों पर नजर डाले तो सबसे ज्यादा बदमाश और गुण्डे राजधानी के सबसे संवेदनशील माने जाने वाले मौदहापारा और वीआईपी क्षेत्र सिविल लाइन थाना इलाके में हैं।
Sunday, February 7, 2010
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k.k.shrma
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