छत्तीसगढ़ सरकार ने दंतेवाड़ा हत्याकांड में याचिकाकर्ता लापता 12 आदिवासियों में से छह को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली के प्रधान जिला जज जीपी मित्तल ने इन आदिवासियों के बयान दर्ज किए। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट मामले की आगे सुनवाई करेगा। सोमवार को छत्तीसगढ़ सरकार ने कोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए लापता छह याचिकाकर्ता आदिवासियों को न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी व न्यायमूर्ति एसएस निज्झर की पीठ के सामने पेश किया। राज्य सरकार ने कहा कि बाकी के लापता छह आदिवासी आंध्रप्रदेश भाग गए हैं।
पीठ ने जिला जज को इन आदिवासियों के बयान द्विभाषिये के जरिए दर्ज करने का निर्देश दिया और मंगलवार तक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश भी दिया कि वह इन आदिवासियों को समुचित सुरक्षा मुहैया कराए।
दंतेवाड़ा जिले में गत वर्ष अक्टूबर में नक्सल विरोधी कार्रवाई के दौरान दस आदिवासियों की मौत हो गई थी। 13 आदिवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी। लेकिन 13 में से 12 याचिकाकर्ता याचिका दाखिल करने के बाद से ही लापता थे।
पिछली सुनवाई पर जब कोर्ट को इस तथ्य का पता चला तो पीठ ने राज्य सरकार को लापता याचिकाकर्ताओं को ढूंढ कर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था।
सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने बयान दर्ज करने के लिए आदिवासियों को जिला जज के पास भेजे जाने के बजाय सुप्रीम कोर्ट से स्वयं उनके बयान दर्ज करने का अनुरोध किया। राज्य सरकार की पैरवी कर रहे
सालीसीटर जनरल गोपाल सुब्रामण्यम ने नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों को निशाना बनाए जाने की बात भी कही। उन्होंने दर्ज टेलीफोन बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस और सुरक्षा बल कोबरा नक्सलियों की हिट लिस्ट में हैं। वे सिर पर कफन बांध कर काम करते हैं आखिर वे भी इंसान हैं।
पीठ ने उनकी बात से सहमति जरूर जताई, लेकिन कहा कि इन आदिवासियों की सुरक्षा करना उनकी प्राथमिकता है। राज्य का भी दायित्व बनता है कि वह पता करे कि इस मामले में सच्चाई क्या है। सुब्रमण्यम ने प्रभावित इलाके की जमीनी हकीकत बयान करते हुए वहां इन आदिवासियों को पूर्ण सुरक्षा दे पाने में असमर्थता भी जताई।
पीठ ने आदिवासियों को बयान दर्ज कराने के लिए जिला जज के पास पेश करने का आदेश देते हुए मामले को मंगलवार को दोपहर 1.55 पर फिर सुनवाई के लिए लगाए जाने का निर्देश दिया।
पीठ ने जिला जज को इन आदिवासियों के बयान द्विभाषिये के जरिए दर्ज करने का निर्देश दिया और मंगलवार तक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश भी दिया कि वह इन आदिवासियों को समुचित सुरक्षा मुहैया कराए।
दंतेवाड़ा जिले में गत वर्ष अक्टूबर में नक्सल विरोधी कार्रवाई के दौरान दस आदिवासियों की मौत हो गई थी। 13 आदिवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी। लेकिन 13 में से 12 याचिकाकर्ता याचिका दाखिल करने के बाद से ही लापता थे।
पिछली सुनवाई पर जब कोर्ट को इस तथ्य का पता चला तो पीठ ने राज्य सरकार को लापता याचिकाकर्ताओं को ढूंढ कर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था।
सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने बयान दर्ज करने के लिए आदिवासियों को जिला जज के पास भेजे जाने के बजाय सुप्रीम कोर्ट से स्वयं उनके बयान दर्ज करने का अनुरोध किया। राज्य सरकार की पैरवी कर रहे
सालीसीटर जनरल गोपाल सुब्रामण्यम ने नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों को निशाना बनाए जाने की बात भी कही। उन्होंने दर्ज टेलीफोन बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस और सुरक्षा बल कोबरा नक्सलियों की हिट लिस्ट में हैं। वे सिर पर कफन बांध कर काम करते हैं आखिर वे भी इंसान हैं।
पीठ ने उनकी बात से सहमति जरूर जताई, लेकिन कहा कि इन आदिवासियों की सुरक्षा करना उनकी प्राथमिकता है। राज्य का भी दायित्व बनता है कि वह पता करे कि इस मामले में सच्चाई क्या है। सुब्रमण्यम ने प्रभावित इलाके की जमीनी हकीकत बयान करते हुए वहां इन आदिवासियों को पूर्ण सुरक्षा दे पाने में असमर्थता भी जताई।
पीठ ने आदिवासियों को बयान दर्ज कराने के लिए जिला जज के पास पेश करने का आदेश देते हुए मामले को मंगलवार को दोपहर 1.55 पर फिर सुनवाई के लिए लगाए जाने का निर्देश दिया।
No comments:
Post a Comment