आउटर में फलने-फूलने लगा है धंधा, बड़े कारोबारी पकड़ से बाहर
रायपुर। एक समय कबाड़ के अवैध कारोबार में जुड़े लोगों के पीछे राजधानी पुलिस हाथ धोकर पीछे पड़ी हुई थी। उस समय बड़े कारोबारियों के यार्ड में मारे गए छापे के दौरान करोड़ों का लौहा पकड़ा गया था। इससे बड़े से लेकर छोटे कबाड़ी धंधा बंदकर भूमिगत हो गए थे। लेकिन पुलिस की धरपकड़ की कार्रवाई बंद होते ही राजधानी के आउटर में कबाड़ का धंधा फिर से फलने फूलने लगा है। पुलिसिया कार्रवाई से कई लोहा कारोबारियों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी, इसकी भरपाई करने में अब वे दिन रात एक करने में जुट गए है। राजधानी के उरला, खमतराई, टाटीबंध ,आमानाका क्षेत्र सहित अन्य स्थानों में रात के समय कबाड़ का खुला खेल होते देखा जा सकता है। छह माह पूर्व टाटीबंध चौक के समीप जीई रोड से लगे दिनेश अग्रवाल के यार्ड में पुलिसिया छापे में मिले करोड़ों के लौह अयस्क के बाद राजधानी पुलिस ने बड़े कबाड़ियों पर सीधे नकेल कसने के संकेत दिए थे। उस समय करीब आधा दर्जन से अधिक बड़े लोहा कारोबारियों के यार्डों में हुई छापामार कार्रवाई में हालांकि बड़े कारोबारी मौके पर नहीं मिले पर छोटे कर्मचारियों व मजदूरों पर पुलिस ने जरूर कार्रवाई की थी। पुलिस अफसरों ने अवैध लोहे की जप्ती के बजाए सीधे चोरी का अपराध दर्ज कर यार्ड संचालक को गिरफ्तार करने का ऐलान किया था पर अच्छेलाल जायसवाल को छोड़कर कोई बड़ा कारोबारी,यार्ड संचालक व ट्रांसपोर्टर की गिरफ्तारी नहीं हो पाई। दिनेश अग्रवाल के यार्ड में छापे की कार्रवाई में करीब पांच करोड़ का अवैध लोहा, कापर, रेलपांत व बीएसपी के सेल की सील लगे लोहे के कई तरह के सामानों को जब्त किया गया था। काफी प्रयास के बाद भी दिनेश अग्रवाल पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका। जबकि उसके राजधानी में ही रहने की लगातार खबरें आ रही थीं। पुलिस का मानना है कि हर गंभीर अपराध के पीछे कबाड़ का अवैध कारोबार ही वजह बनती है। यह संगठित अपराध की श्रेणी में आ चुका है। लोहे के कारण कई ट्रक चालकों की हत्या तक हो चुकी हैं। खमतराई इलाके में खलासी की लाश मिलना, सिमगा में हुई घटना, भिलाई में हुई हत्या में कबाड़ी सलीम की गिरफ्तारी के साथ अनेक ऐसे मामले सामने आ चुके है। जिसका संबंध कबाड़ के अवैध कारोबार से जुड़ा हुआ पाया गया है। पुलिस सूत्रों का दावा है कि जब तक इस कारोबार से जुड़ी बड़ी मछलियों पर नकेल नहीं कसा जाएगा, यह संगठित अपराध रुकने वाला नहीं है। नकेल कसना जरूरी : छह माह पूर्व एएसपी सिटी रजनेश सिंह ने पदभार संभालते ही कबाड़ियों पर नकेल कसने के क्रम में जब दिनेश अग्रवाल के यार्ड में छापा मारा था तब बड़े लोहा कारोबारियों में हड़कंप मचा गया था। कबाड़ के खेल में वर्षों से लाल हो रहे बड़े कबाड़ियों पर पुलिस की नजर क्या लगी, अच्छेलाल जायसवाल, रामप्रसाद जायसवाल, कैलाश अग्रवाल,दिनेश अग्रवाल,शकील कबाड़ी सहित अन्य बड़े कारोबारी रातों-रात शहर से गायब हो गए। हालांकि बाद में इनमें कुछ को पकड़कर जेल भेजा गया था। लोहे के कारोबार में दीगर प्रांत के लोगों के भी शामिल हो जाने से स्थिति बिगड़ने लगी है। भिलाई के हैवी ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन के संचालक वीरा सिंह सहित अन्य की तलाश पुलिस अब तक कर रही है। सूत्रों का दावा है कि राजनैतिक दबाव में धरपकड़ की कार्रवाई पुलिस ने बंद कर रखी है।
बिल, दस्तावेजों से होता है खेल
पुलिस सूत्रों ने के अनुसार जब भी अवैध लोहा पकड़ा जाता है, यार्ड संचालक बिल लेकर पुलिस के पास पहुंच जाते हैं। ऐसे में जप्त माल को छोड़ना पड़ता है। लेकिन बिलों की सघन जांच पड़ताल होने से कबाड़ियों की होशियारी पकड़ में आने लगी है। पुलिस का कहना है कि लोहा अगर एक नंबर में बीएसपी से निकला होगा तो नियमत: कंपनी द्वारा इसका लेटर जारी किया जाता है। जिसकी पुष्टि पत्रों के आधार पर करने में आसानी होती है।
Sunday, February 14, 2010
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