रायपुर। अविभाजित मप्र के समय से छत्तीसगढ़ के हीरा खदान तस्करी के शिकार है। स्थानीय ग्रामीणों की मिलीभगत से तस्कर उनके अज्ञानता का लाभ उठाकर कच्चे हीरे की तस्करी कर रहे हैं। पिछले दस सालों में पुलिस ने करीब दर्जन भर मामले दर्ज किए हैं। सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले हीरे की चमक विदेशों तक फैली है। यही वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग बढ़ने से बाहरी तस्कर स्थानीय लोगों की मदद से देवभोग,मैनपुर के खदानों तक पहुंचने में कामयाब हो गए। छत्तीसगढ़ी हीरे को तराश कर मुबंई,गुजरात,दिल्ली सहित अन्य महानगरों के तस्करों तक भेजा जाता है,वहां से ये हीरे विदेशों तक पहुंचते हैं। बुधवार को भारी मात्रा में हीरे के साथ क्राइम ब्रांच की पकड़ में आए मो.असलम के तार यहां के सर्राफा व्यापारियों के साथ दीगर प्रांतों के तस्करों से जुड़े होने का खुलासा पूछताछ में हो चुका है।
लंबे समय से था तस्करी में लिप्त मैनपुर में किराने की दुकान चलाने की आड़ में असलम हीरा तस्करी लंबे समय से कर रहा था। यही नहीं उसके परिवार के कुछ लोग भी यही काम करते हैं। पूर्व में असलम का चचेरा भाई इस मामले में पकड़ा भी जा चुका है। असलम के पीछे पुलिस उस वक्त भी लगी थी लेकिन उसके पास से हीरे नहीं मिले थे। सेम्पल लेकर आया था हीरा तस्कर असलम राजधानी के सराफा बाजार में हीरे को बेचने सेम्पल लेकर मैनपुर से बस में आया था। उसके साथ एक नाबालिग लड़का भी था जिसे पुलिस ने गवाह बनाया है। हीरे का सौदा तय न होने पर असलम इसे लेकर वापस घर जाने बस का इंतजार कर रहा था, तभी पुलिस की पकड़ में आ गया। दस पैकेट में रखे थे हीरे असलम के पास से बरामद हीरे कागज के दस पैकेट में रखे थे। दस पैकेटों में क्रमश: 513, 125, 95, 119, 22, 3, 30, 1, 2 तथा 5 नग कुल 915 नग हीरे थे। 00 मुबंई के व्यापारी ने दिए थे 00असलम ने बताया कि तराशे हुए करीब 50 बड़े हीरे उसे मुबंई के एक व्यापारी ने बेचने के लिए दिए थे। इसे वह अफ्रीकन डायमंड बताता है। इसका बिल भी उसके पास है। असलम ने बिल पुलिस को सौंपने की बात कही। छत्तीसगढ़ी हीरा नहीं एएसपी क्राइम अजातशत्रु बहादुर सिंह ने बताया कि तस्कर से बरामद हीरे मैनपुर,देवभोग व गरियाबंद इलाके के खदानों का नहीं लगता। यहां पाए जाने वाला हीरा शुद्ध और अच्छे क्वालिटी के होते हैं। तस्कर हमेशा छत्तीसगढ़ का हीरा कहकर व्यापारी को बेचता है ताकि इसकी उंची कीमत मिल सके। उड़ीसा के रास्ते तस्करीछत्तीसगढ़ पुलिस की कड़ाई बरतने और धमतरी रायपुर मार्ग में चैकिंग के कारण तस्करों ने मैनपुर से देवभोग होते हुए उड़ीसा के रास्ते बाहर निकलना शुरु किया है। इस रास्ते लाखों रुपए का हीरा तस्करी कर मुंबई और गुजरात के बाजार में ले जाया जाता है। जिसमें स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। बारिश से पूर्व यहां बाहरी राज्यों के तस्करों को देखा जा सकता है। स्थानीय ग्रामीणों की अज्ञानता का लाभ उठाकर गुजरात,महाराष्ट्र के तस्करों ने यहां अपना जाल फैला रखा है। नक्सलियों की भी नजर पिछले तीन साल से नक्सलियों ने इस इलाके में अपनी घुसपैठ शुरु कर दी थी। केन्द्रीय खुफिया विभाग ने राज्य पुलिस को पहले ही सतर्क कर गरियाबंद इलाके क ी हीरा खदानों की सुरक्षा बढ़ाने को कहा था। इसके बाद 2008 में रायपुर जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक ने यहां का दौरा कर छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के जवानों को यहां तैनात किया था। हाल ही में एसपी गरियाबंद नक्सल आपरेशन का पद घोषित कर एसपी नियुक्ति किया गया है। तस्करी के कई मामले दर्ज राज्य निर्माण से पूर्व ही रायपुर और धमतरी पुलिस हीरा तस्करों के खिलाफ अपराध कायम करती आई है। अब तक लगभग एक दर्जन मामले राजधानी क्राइम ब्रांच और धमतरी पुलिस दर्ज कर चुकी है।
Friday, February 5, 2010
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