Sunday, February 7, 2010
बिन कलाई एमए की पढ़ाई
बिन कलाई एमए की पढ़ाई यह असंभव सा लगता है, लेकिन इस असंभव को सच कर दिखाया है हजारीबाग जिले के चौपारण स्थित बोंगा गांव निवासी मनोज कुमार ने। हौसले व जुनून के कारण विकलांगता उन पर कभी हावी नहीं हो पाई। दोनों हाथ आधा कटे रहने के बावजूद उन्होंने हिम्मत का परिचय देते हुए एमए के साथ-साथ बीएड व व्याख्याता पात्रता की परीक्षा उत्तीर्ण की, हालांकि योग्यता के अनुरूप उन्हें नौकरी नहीं मिली। फिलवक्त वह रोजगार सेवक के रूप में कार्यरत हैं, परंतु अब भी उनके हौसले बुलंद हैं और कुछ कर गुजरने की तमन्ना दिल में संजोए हुए हैं। वर्तमान में झारखंड विकलांग विकास संस्था, चौपारण से जुड़े मनोज विकलांगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। दोनों हाथों का आधा भाग नहीं होने के बावजूद मनोज बड़े मजे से अपने रोजमर्रा के सभी कार्य तो करते ही हैं, मोबाइल से बातचीत और पढ़ाई-लिखाई आदि सभी कार्य स्वाभाविक रूप से करते हैं। रोजगार सेवक के रूप में विकास योजनाओं को सुचारू रूप से चलाना, नरेगा के अंतर्गत मस्टर रोल व मजदूरों कीबेहतरी के लिए कार्य कर रहे हैं। उनके अच्छे कामों को देखकर तत्कालीन उपायुक्त हिमानी पांडेय द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र भी दिया गया। विकलांग होकर भी इनकी लिखावट अच्छे-अच्छों को चौंका जाती है। यही वजह है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार साव ने इन्हें बड़ी पंचायत में नियुक्त किया है। वह 26 पंचायतों के रोजगार सेवक संघ के उपाध्यक्ष भी हैं। भविष्य में राजनीति के क्षेत्र में भविष्य आजमाकर विकलांगों के लिए कुछ विशेष करने की तमन्ना है। इसी वर्ष उनका विवाह भी संपन्न हुआ तथा सामान्य जिंदगी जी रहे हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
 
 Posts
Posts
 
 
 
No comments:
Post a Comment