Sunday, July 14, 2013

फैक्ट्री में ही बनाया था सेल का नकली ठप्पा


0 करोड़ों का नकली सरिया खपाया लोहा कारोबारियों ने
0 नकली सरिया खरीदने वाले कारोबारियों की हिटलिस्ट तैयार
रायपुर(निप्र)। सेल का नकली सरिया  बनाकर उसे खपाने वाले लोहा कारोबारी ललित और पकंज अग्रवाल ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले राज पुलिस के सामने खोले हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि सेल का नकली ठप्पा (डाई) उन्होंने अपनी ही फैक्ट्री में बनवाया था। उनकी फैक्ट्री से स्पीड मार्का का सरिया बनता था जिसकी आपूर्ति दिनोदिन कम होने से वे मंदी के दौर से गुजर रहे थे। मंदी से उबरने के लिए ही स्पीड की जगह सेल का मार्का इस्तेमाल करने की योजना बनाई। पंजाब से प्लेन डाई का रोल मंगाकर फैक्ट्री में ही उसे सेल के नाम से तैयार कर उस डाई के जरिए बड़े पैमाने पर सेल का नकली सरिया तैयार कर छत्तीसगढ़ ही नहीं, आसपास के अन्य राज्यों में खपाया गया। इस खुलासे के बाद पुलिस ने नकली सरिया खरीदने वाले कारोबारियों की हिटलिस्ट तैयार की है। आने वाले समय में उन कारोबारियों से पूछताछ की जाएगी। ।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि चार दिनों तक लगातार आरोपी बाप-बेटे से विस्तृत पूछताछ की गई। शुरुआत में तो दोनों ने पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश की। कभी फैक्ट्री मैनेजर तो कभी कर्मचारियों पर नकली सरिया बनाने का दोष मढ़कर बचने की कोशिश करते रहे किंतु पुलिस की सख्ती के आगे दोनों टूट गए और पुलिस को कई अहम जानकारी दी। उनका कहना था सेल का लोहा आसानी से बिक जाता था। लोहे के कारोबार में आई मंदी से उबरने के लिए उन्होंने नकली सरिया बनाकर छत्तीसगढ़ के विभिन्ना जिलों के साथ मप्र, राजस्थान, महाराष्ट्र, चेन्नाई, गोवा, गुजरात, हैदराबाद आदि बड़े शहरों में खपाया है। उनकी फैक्ट्री व समता कालोनी स्थित दफ्तर से जब्त बिल व अन्य दस्तावेजों से यह पता चला है कि सेल का नकली सरिया बनाने का कारोबार करीब सालभर से चल रहा था। इस दौरान बाप-बेटे ने 50 करोड़ रुपए से अधिक का नकली सरिया खपाए। दस्तावेजों की छानबीन से यह पता चला है कि दोनों फैक्ट्रियों का सालाना टर्न ओवर दो से तीन अरब का है।
सीएसपी उरला सुभाष सिंह ने बताया कि आरोपी लोहा कारोबारियों से विस्तृत पूछताछ और एकत्र किए गए  साक्ष्य के आधार पर आगे की विवेचना की जा रही है। फिलहाल उरला में दर्ज प्रकरण में आरोपियों को रिमांड पर लेने की आवश्यकता नहीं है। 
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फरारी में बाप-बेटे ने काटे 200 चेक
0 शहर के दो स्टाकिस्ट के जरिए खपाया करोड़ों का नकली लोहा
0 आज खत्म हो रही पुलिस रिमांड
(नोट-6 अप्रैल के अंक में --फरार लोहा कारोबारी रोज कर रहा लोहे का रेट तय शीर्षक से प्रकाशित खबर का ईपीएस लगाए)
रायपुर(निप्र)। सेल मार्का वाला नकली सरिया बनाने के आरोपी लोहा कारोबारी ललित और उसके बेटे पंकज अग्रवाल ने फरारी के दौरान 200 चेक काटकर कई कारोबारियों की बकाया राशि का भुगतान किया। यह जानकारी देते हुए पुलिस सूत्रों ने बताया कि 25 मार्च से 8 जुलाई के बीच ये सारे चेक काटे गए, जिनमें दोनों के हस्ताक्षर हैं। चेक में दर्शाई गई रकम तीन करोड़ रुपए के आसपास है। पूछताछ में बाप-बेटे ने स्वीकार किया कि शुरुआत में पुलिस का दबाव बढ़ने पर वे अंडरग्राउंड जरूर हुए थे, लेकिन रात के समय समता कालोनी स्थित घर आते थे और सुबह होने से पहले शहर छोड़ देते थे।

पुलिस रिमांड पर लिए गए लोहा कारोबारी ललित व पंकज अग्रवाल से गुढ़ियारी थाने में लगातार पूछताछ की जा रही है।  लेकिन अब तक दोनों ने काले कारोबार के बारे में कुछ खास नहीं उगला है। रविवार को रिमांड अवधि पूरा होने पर उन्हें दोपहर में कोर्ट में पेश किया जाएगा। अफसरों का कहना है कि पूछताछ की और जरूरत पड़ेगी, इसलिए कोर्ट से दोबारा रिमांड की मांग करेंगे।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि बाप-बेटे भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। अपने आप को पाक साफ बताकर वे सारा दोष फैक्ट्री मैनेजर व कर्मचारियों पर मढ़ रहे हैं। इस बीच पुलिस को यह जानकारी मिली है कि 2 अप्रैल को गुढ़ियारी व बोरझरा स्थित दोनों फैक्ट्री में छापे की कार्रवाई के बावजूद भी एक दिन भी काम बंद नहीं हुआ था। पुलिस की पकड़ से बचने के लिए बाप-बेटे अंडरग्राउंड होकर रोज लोहे का रेट कोड कर रहे थे और फैक्ट्री मैनेजर, सुपरवाइजर और अपने खास कर्मचारियों से संपर्क बनाए हुए थे। उनके बताए रेट अनुसार सरिया की आपूर्ति विभिन्ना शहरों में की गई थी। नईदुनिया ने 6 अप्रैल के अंक में 'फरार लोहा कारोबारी रोज कर रहा लोहे का रेट तय" शीर्षक से खबर प्रकाशित कर इसका खुलासा भी किया था। 
प्रदेश के बाहर खपाया करोड़ों का माल
लोहा कारोबारियों ने प्रदेश के बाहर करोड़ों का सरिया खपाया है। उन्होंने शहर के दो स्टाकिस्ट के नाम लिए हैं, जिनके माध्यम से सरिया की आपूर्ति शहर के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों, मप्र, हैदराबाद, चेन्नाई, गोवा, गुजरात और राजस्थान में की गई है। फैक्ट्री से जब्त बिल व दस्तावेजों से भी इसकी पुष्टि हो रही है। उनके कारोबारिक लिंक तलाशे जा रहे हैं, ताकि संबंधित कारोबारियों से पूछताछ की जा सके। दोनों से शनिवार देर रात तक उरला सीएसपी सुभाष सिंह, एसआईसी के अधिकारी-कर्मचारियों के अलावा गुढ़ियारी व उरला पुलिस की टीम ने पूछताछ कर बयान दर्ज किया।
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रमन-जोगी के खिलाफ जांच शुरू?
 पुलिस ने कोर्ट से मांगा समय
0 आईपीएल में हार-जीत का दांव लगाने का मामला, 3 अगस्त तक प्रतिवेदन पेश करने कोर्ट के निर्देश
रायपुर(निप्र)। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ स्वाभिमान मंच द्वारा दायर किए गए परिवाद पर सिविल लाइन पुलिस ने मामले की विवेचना अपूर्ण होने का हवाला देते हुए प्रतिवेदन पेश करने के लिए और समय मांगा। सीजेएम कोर्ट ने पुलिस को शुक्रवार तक प्रतिवेदन पेश करने को कहा था। इस पर पुलिस ने एक आवेदन पेश किया था। कोर्ट ने सुनवाई उपरांत 3 अगस्त तक प्रतिवेदन पेश करने के निर्देश पुलिस को दिए हैं। मामला आईपीएल मैच के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. सिंह व पूर्व मुख्यमंत्री जोगी द्वारा सार्वजनिक जगह पर हार-जीत का दांव लगाने का है। 
स्वाभिमान मंच के केंद्रीय प्रवक्ता वकील राजकुमार गुप्ता ने आईपीएल के एक मैच में दोनों पर सट्टा खेलने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में परिवाद दायर किया था, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने पुलिस को प्रतिवेदन पेश करने का आदेश देते हुए शुक्रवार को सुनवाई की तिथि नियत की थी। न्यायालयीन सूत्रों ने बताया कि सीजेएम शैलेष कुमार केतारप की अदालत में मुख्यमंत्री डॉ. सिंह और श्री जोगी के खिलाफ भादंवि की धारा 156(3) के तहत परिवाद आवेदन लगाया गया था। आवेदन के अनुसार 28 अप्रैल को परसदा स्टेडियम में दिल्ली डेयर डेविल्स और पुणे वॉरियर्स के बीच खेले गए आईपीएल मैच के दौरान मुख्यमंत्री और श्री जोगी ने सौ-सौ स्र्पए का दांव लगाया था। अगले दिन श्री जोगी को जन्मदिन की बधाई देने मुख्यमंत्री सागौन बंगला गए थे। तभी श्री जोगी ने दांव में हार मानते हुए मुख्यमंत्री को सौ स्र्पए का नोट भी दिया था। परिवादी श्री गुप्ता ने आवेदन में इस बात का भी जिक्र किया है कि मुख्यमंत्री को नोट देते हुए श्री जोगी का फोटो कुछ समाचार पत्रों प्रकाशित हुआ था। एक न्यूज चैनल में वीडियो भी दिखाया गया था। इस मामले में श्री गुप्ता ने सार्वजनिक द्युत क्रीड़ा अधिनियम 1967 के तहत मुख्यमंत्री और श्री जोगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आवेदन सिविल लाइन थाने में दिया था। ढाई माह बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज करना तो दूर, मामले की जांच तक नहीं की गई तब, श्री गुप्ता को कोर्ट में परिवाद दायर करना पड़ा।
पुलिस का तर्क 
सिविल लाइन पुलिस ने आज कोर्ट में प्रतिवेदन के बजाय एक आवेदन पेश किया, जिसमें मामले की विवेचना अपूर्ण होने का हवाला देते हुए और समय की मांग की, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद 3 अगस्त तक विवेचना पूरी कर प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया है। परिवादी राजकुमार का कहना है कि इसका मतलब यह हुआ कि मामले को संज्ञान में लेकर पुलिस ने विवेचना शुरू कर दी है। अब पुलिस को मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री का भी बयान लेना चाहिए। न्यायालयीन सूत्रों ने बताया कि कोर्ट की तरफ से दूसरे पक्ष के लोगों को नोटिस भेजी जाएगी। न्यायाधीश उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका देंगे।
वर्जन-
विवेचना अभी चल रही है। जांच पूरी होने के बाद कोर्ट में जांच प्रतिवेदन पेश करेंगे।
टिकाराम कंवर
टीआई, सिविल लाइन
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फरार आरोपियों पर कसेगा पुलिसिया फंदा

0 बालकृष्ण अग्रवाल, मन्नाू नत्थानी समेत फरार जालसाजों की घेराबंदी
0 आईजी की सख्ती से आरोपियों पर बढ़ा पुलिस का दबाव
रायपुर(निप्र)। लोहा कारोबारी बाप-बेटे  ललित व पकंज, नकली सिलेंडर खपाने वाले मंटू तापड़िया, बिल्डर संजय बाजपेयी की गिरफ्तारी के साथ ही अब पुलिस की निगाह लंबे समय से फरार चल रहे आरोपियों पर टिक गई है। आईजी जीपी सिंह के निर्देश पर क्राइम ब्रांच की नजर में अनाचार के दो मामलों समेत 48 अपराधिक प्रकरणों में वांटेड कुख्यात बालकृष्ण अग्रवाल के साथ एमसीएक्स कारोबारी मन्नाू नत्थानी चढ़ गए हैं। उन  दोनों के अलावा छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपए की हेराफेरी कर विदेश में छुपे बैठे जालसाजों को भी गिरफ्त में लेने की कवायद फिर से तेज हो गई है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि लंबे समय से फरार चल रहे आरोपियों को पकड़ने आईजी के सख्त निर्देश के बाद क्राइम ब्रांच की टीम को एसपी ने परिणाम दिखाने को कहा है। इसके बाद से क्राइम ब्रांच की नजर में फरार आरोपी चढ़ गए हैं। पुलिस के लगातार दबाव के कारण ही सरकारी जमीन दबाने के मामले में फंसे बिल्डर संजय बाजपेयी, नकली सरिया बनाने वाले अजीत व पकंज अग्रवाल, नकली गैस सिलेंडर फैक्ट्री चलाने वाले मंटू तापड़िया और आदर्श गैस घोटाले के आरोपी संदीप दयाल आदि को कोर्ट में  सरेंडर होने को मजबूर होना पड़ा। अब बचे हुए आरोपियों की बारी है। जानकारी के मुताबिक मलेशिया और अमेरिका में छुपे आरोपी जालसाजों को इंटरपोल की मदद से पकड़ने की मंद पड़ी कवायद को फिर से सीआईडी के माध्यम से पुलिस ने शुरू की है। पुलिस अफसरों का कहना है कि करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने वाली यूनीपे टूयू कंपनी के डायरेक्टर मूगुनधन गंगम, चेन्नाई निवासी रामकृष्ण मूर्ति वेत्रीयचलन और तमिलनाडु के बास्कर सिल्ला तथा राजधानी की दो कंपनियों से आयरन ओर की खरीद फरोख्त में करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में फरार बहल बंधुओं को पकड़ने इंटरपोल से संपर्क किया जा रहा है। इन आरोपियों के विदेश में छुपे होने की आशंका है। दो माह पूर्व सीबीआई दिल्ली ने फरार जालसाजों के स्पष्ट फोटो भेजने सीआईडी को पत्र लिखा था। इसके बाद जालसाजों के फोटो दोबारा भेज दिए गए। इसी तरह ऑनलाइन सर्वे के नाम पर धोखाधड़ी करने वाली कंपनी स्पीक एशिया से जुड़े लोगों के विदेश में होने की खबर है। इनकी तलाश भी की जाएगी। इस कंपनी ने 11 महीने के कारोबार में पूरे देश से 5 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। वहीं अमेरिका के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में सहायक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर सिंह बीरा की भी तलाश होगी। वह दहेज प्रताड़ना के मामले में आरोपी है। प्रोफेसर पर आरोप है कि उसने राजधानी में एक महिला से शादी करने के बाद उसे साथ रखने से साफ मना कर दिया। पत्नी से पीछा छुड़ाने वह अमेरिका जाकर बस गया। पीड़िता की शिकायत पर महिला थाना में 2010 में दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया गया था।
शर्मा दंपति घेरे में
पुलिस सूत्रों ने बताया कि डॉल्फिन स्कूल के फरार संचालक राजेश शर्मा के साउथ अफ्रीकामें होने का पता लगा है। उसके खिलाफ भी रेड कार्नर नोटिस जारी करने सीबीआई को पत्र लिखा गया है। राजेश पर स्कूल की आड़ में करीब 70 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है।
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पुजेरीपाली की खुदाई में मिलेगी सिरपुर जैसी भव्य नगरी
0 सारंगढ़ से 36 किमी दूर महानदी के किनारे पुजेरीपाली गांव में मिले दूसरी, छठवीं और सातवीं शताब्दी के पुरातत्व अवशेष
00- शिव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर मौजूद
00- जानकारी के बावजूद छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने नहीं किया सर्वेक्षण

सारंगढ़ से 36 किमी दूर पुजेरीपाली गांव में पुरातत्व वेत्ताओं को एक नई पुरातात्विक साइट मिली है। महानदी तट पर मिली यह साइट दूसरी, सातवीं शताब्दी के अवशेष का भंडार है। पुरातत्व वेत्ताओं का दावा है कि पाण्डुवंशी काल में यह क्षेत्र सिरपुर का ही एक बड़ा केंद्र था। पुजेरीपाली में मिले गोपालदेव राजा के लेख में भारतवर्ष के जिन ग्यारह तीर्थों के नाम हैं, उनमें पुजेरीपाली भी एक है। हालांकि इस साइट पर अभी तक कोई खुदाई शुरू नहीं हुई।
 ओडिशा वार्डर से 4 किमी और सारंगढ़ से 36किमी उत्तरपूर्व में है- पुजेरीपाली गांव, जहां 4 फीट ऊंची भगवान विष्णु की ग्रेनाइट की मूर्ति ने पुरातत्ववेत्ताओं का ध्यान आकृष्ट किया। हालांकि करीब 100 साल पहले इस साइट की कुछ जानकारी सामने आई थी, लेकिन दशकों बीत जाने के बाद भी जिम्मेदारों ने इस धरोहर की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। एक सप्ताह पहले पुरातत्ववेत्ता अरुण कुमार शर्मा और उनकी टीम ने इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। इस दौरान जो प्रमाण मिले, उसने सभी को हेरत में डाल दिया है। एक विशाल टीले पर सातवाहन काल के मिट्टी के बर्तन, खिलौने, सिलबट्टे सतह पर ही बिखरे पड़े हैं। गांव वाले ही उन्हें उठा-उठाकर अपने घर में रखे हुए हैं। कुछ मूर्तियां भी स्थानीय लोगों के घरों में हैं। मिली जानकारी के मुताबिक यहां विशाल शिवमंदिर है। यहीं पर सिरपुर में खुदाई मंे निकला विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर जैसा ही एक लक्ष्मण मंदिर जमीन में दबा हुआ है, जो सातवीं शताब्दी का बताया जा रहा है। पुरातत्ववेत्ताओं की मानें तो यहां मंदिर ही मंदिर हैं, क्योंकि यह हिंदुओं और जैनिज्स्म का तीर्थ स्थल रहा है। इसी मंदिर के दक्षिण में एक और बड़े मंदिर के अवशेष हैं, जिसे गांववाले रानीझूला कहते हैं। दुर्भाग्य ही कहिए कि आज तक कोई भी विभागीय अफसर यहां नहीं पहुंचा, न ही किसी ने इस धरोहर को सहेजने की कोशिश की। यहां बड़े-बड़े स्तंभ टूटे पड़े हुए हैं। इसी मंदिर के गर्भ ग्रह में प्रवेश वाला द्वार सुरक्षित है। स्तंभों में हुई चित्रकारी के अनुसार मंदिर छठवीं शताब्दी में बनवाया गया होगा, ऐसा माना जा रहा है। जिसे लोग गोपाल मंदिर के नाम से जानते हैं। इस मंदिर का भी गर्भग्रह सुरक्षित है, जिसमें शेषसाई विष्णु की मूर्ति है। ठीक वैसी ही जैसी, सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर में स्थापित है। इस मंदिर के सामने 3 फीट ऊंची जैन तीर्थांकर की मूर्ति भी मिली है। सिरपुर की खुदाई करने वाले पुरातत्ववेत्ता अरुण कुमार शर्मा ने 'नईदुनिया" को बताया कि इस क्षेत्र का उत्खनन करना अति आवश्यक है, ताकि इस पुरातात्विक साइट को संरक्षित किया जा सके और सिरपुर की तर्ज पर विकसित किया जाए।
गोपालदेव राजा द्वारा लिखवाया हुआ शिलालेख-
रायपुर स्थिति महंत घांसीदास संग्रहालय मंे रखा एक शिलालेख कल्चुरिकालीन ग्यारहवीं शताब्दी का है, जिसे तत्कालीन राजा गोपालदेव ने लिखवाया था। इसी राजा का लिखवाया हुए शिलालेख कवर्धा जिले के भोरमदेव के मांडवा महल से प्राप्त हुआ है। इन दोनों ही शिलालेखों को इतिहासकार डॉ. विष्णु शास्त्री ने पढ़ा है। ठीक वैसा ही शिलालेख पुजेरीपाली से भी मिला है, जिसमें राजा गोपालदेव ने भारतवर्ष के विभिन्ना तीर्थों के नाम दिए हैं, जिसमें पुजेरीपाली भी एक है।
छत्तीसगढ़ में ईंटों के मंदिरों की एक लंबी श्रृंखला है, जिसका उदाहण सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर भी है। सिर्फ सतह पर ही थोड़ी-बहुत खुदाई करने पर दस-बारह ईंटों के मंदिर मिल जाएंगे। कुछ जमीन के अंदर भी दबे हुए हैं। पुजेरीपाली का इतिहास सदियों पुराना है। हालांकि करीब 100साल पहले इस साइट के बारे में पता चला था, लेकिन किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। अगर वहां पर काम होता है तो अच्छी पहल होगी।
प्रोफेसर एसएल निगम, इतिहासकार
मेरी जानकारी में है
मैं कुछ ही दिनों पहले अरुण शर्मा जी से बात की है। उन्होंने कुछ नई साइट्स का जिक्र किया है, विधानसभा सत्र के बाद संस्कृति, पुरातत्व और पर्यटन तीनों ही विभागों के अफसर सिरपुर जाएंगे और जो भी नई साइट्स है, जहां से मुर्तियां चोरी की सूचना है, वहां पर चौकीदार और नई साइट्स के उत्तखन्न् पर विचार करेंगे। ये सभी बातें मेरी जानकारी में हैं।
आरसी सिन्हा, सचिव, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग
 

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