0 मीना, मालती, प्रफुल्ल, प्रतीक व सिद्धार्थ को सात-सात साल की कैद मिली
0 कपड़ा कारोबारी नरेश, रमेश और टेलर दयाराम को तीन-तीन साल कारावास
रायपुर(निप्र)। डंगनिया में साढ़े पांच साल पहले मिला हथियारों का जखीरा मिलने और नक्सली गतिविधि में लिप्त होने के मामले में मंगलवार को यहां की एक अदालत ने आठ आरोपियों को सजा सुनाई। दो महिलाओं समेत पांच आरोपियों को अधिकतम सात-सात साल कैद की सजा मिली है, जबकि जमानत पर रह रहे तीन आरोपियों को तीन-तीन साल के कारावास से दंडित किया गया है। सभी आरोपियों पर एक हजार से पांच हजार स्र्पए तक अर्थदंड भी लगाया गया है।
न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार 21 जनवरी 2008 की शाम सवा सात बजे डंगनिया मोड़ पर लक्ष्मी किराना स्टोर के सामने लावारिस पड़े सात बैग में हथियारों का जखीरा और वायरलेस सेट मिला था। इस मामले में राजधानी पुलिस ने अगले दिन फरीदनगर थाना सुपेला जिला दुर्ग निवासी केएस प्रिया उर्फ मालती, महाराष्ट्र मंडल चौबे कॉलोनी निवासी मीना चौधरी और रोहिणीपुरम डीडीनगर निवासी प्रफुल्ल कुमार झा को गिरफ्तार किया था। डीडीनगर थाना में इनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद पुलिस ने प्रफुल्ल के बेटे प्रतीक झा के अलावा डीडीनगर निवासी सिद्धार्थ श्ार्मा को भी गिरफ्तार किया। नक्सलियों को वर्दी का कपड़ा सप्लाई करने के आरोप में नरेश बाजार बिलासपुर के संचालक रमेश खूबनानी व उसके भाई रमेश और नक्सली वर्दी की सिलाई करने के आरोप में कुशालपुर के टेलर दयाराम साहू की गिरफ्तारी की गई थी। इस मामले में मंगलवार को प्रथम जिला अपर एवं सत्र न्यायाधीश एनडी तिगाला ने फैसला सुनाया। मीना, मालती, प्रफुल्ल, प्रतीक व सिद्धार्थ को अधिकतम सात-सात साल का कारावास और नरेश, रमेश व दयाराम को तीन-तीन साल के कारावास से दंडित किया। नरेश, रमेश व दयाराम को जिला एवं सत्र न्यायालय से जमानत मिली हुई थी। इस कारण नरेश, रमेश के वकील एसके फरहान और दयाराम के वकील राकेश तिवारी ने 389 के तहत आवेदन लगाकर हाईकोर्ट में जमानत की अपील के लिए समय मांगा। न्यायाधीश ने आवेदन को स्वीकार कर तीनों को दस-दस हजार स्र्पए की जमानत राशि पर रिहा कर दिया। अधिवक्ता श्री फरहान के मुताबिक रमेश, नरेश व दयाराम की जमानत पर हाईकोर्ट में आवेदन और उसका फैसला आने के लिए एक माह का समय मिला है।
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पुलिस पार्टी पर हमला करने के लिए हथियारों का जखीरा ले जाया जा रहा था। लेकिन नक्सलियों से हुई चूक के चलते डंगनिया मोड़ पर हथियारों को लोगों ने देख लिया था। देसी कट्टा और वायरलेस सेट से भरे बैगों को देखकर खलबली मच गई थी। इसके बाद राजधानी पुलिस ने नक्सलियों के बड़े शहरी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था।
न्यायालय में पुलिस द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार 21 जनवरी 2008 की शाम लगभग सवा सात बजे थे। डंगनिया मोड़ पर एक सेंट्रो कार क्रमांक सीजी 04-बी 4628 पहुंची। कार न्म सवार लोगों ने वहीं लक्ष्मी किराना स्टोर के सामने सात बैग उतारे। उन बैगों को नक्सलियों की दूसरी पार्टी को उठाकर ले जाना था। लेकिन दूसरी पार्टी के पहुंचने से पहले लावारिस हालत में सड़क पर बैगों को देखकर भीड़ जमा हो गई। कुछ लोगों ने बैग को खोलकर देखा तो दंग रह गए। बैगों में 81 देसी कट्टा, 22 केनवुड कंपनी के वायरलेस सेट, चार्जर और एरियल भरे थे। इसकी सूचना मिलने पर तत्कालीन डीडीनगर थाना प्रभारी एए अंसारी बम निरोधक दस्ते के साथ पहुंचे। आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर मालूम हुआ के बैगों को एक महिला और एक पुस्र्ष ने उतारा था। मौके पर ही एक लेडीस बैग भी मिला। उसकी तलाशी लेने पर केएस शांतिप्रिया का ड्राइविंग लाइसेंस और दो पत्र मिले थे। पत्र में नक्सलियों द्वारा जारा घाटी में पुलिस पार्टी पर हमला और उसके लिए हथियारों की जल्द सप्लाई की बात लिखी थी। एक किताब सेंट्रल मिलिट्री कमीशन की मिली, जिसमें सरकार के खिलाफ युद्ध व षड्यंत्र लिखा हुआ था। ड्राइविंग लाइसेंस के आधार पर पुलिस शांतिप्रिया की तलाश में लगी थी। तभी, मुखबिर की सूचना पर महाराष्ट्र मंडल के महिला छात्रावास में छापा मारा और शांतिप्रिया व मीना को गिरफ्तार किया था। इनके खिलाफ डीडीनगर थाना में मामला दर्ज हुआ था।
महिलाओं से हथियार बरामद
- महाराष्ट्र मंडल में मीना के कमरे में छापा मारकर पुलिस ने एक कारतूस, नक्सली साहित्य, 64 सौ स्र्पए नकद व दो मोबाइल बरामद किए थे।
- केएस शांतिप्रिया के फरीदनगर वाले मकान से नौ पिस्तौल, पांच देसी कट्टा, 53 कारतूस, 13 आईफोन, वायरलेस, नक्सलियों द्वारा छोड़े गए पांच लाख स्र्पए नकद, प्रतीक के नाम से रजिस्टर्ड स्कूटर क्रमांक सीजी 04-सीएन 3014 और सिद्धार्थ शर्मा के नाम से रजिस्टर्ड सेंट्रो कार क्रमांक सीजी 04-एच 5876 जब्त की गई।
- प्रफुल्ल झा से एक देसी कट्टा, एक केनवुड कंपनी का वायरलेस सेट, एक लैपटॉप, एक मोबाइल मिला।
- प्रतीक झा के किराए के मकान से एक देसी कट्टा व एक वायरलेस सेट जब्त हुआ।
- सिद्धार्थ शर्मा से नक्सलियों के पैसों से खरीदी एक बोलेरो, एक टाटा सफारी, पुराना टेम्पो, एक जिप्सी वाहन, एसएलआर के दो कारतूस जब्त किए गए थे।
- रमेश व नरेश की दुकान से नक्सली वर्दी बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले कपड़े का थान, सीपीयू व मोबाइल जब्त हुआ था।
- दयाराम की आकर्षक टेलरिंग शॉप से नक्सलियों के लिए तैयार वर्दी जब्त की गई थी।
आठ वकीलों ने लड़ा केस
शासन की ओर से अधिवक्ता एसके शर्मा थे। जबकि, प्रफुल्ल व प्रतीक के अमीन खान, सिद्धार्थ शर्मा के बीपी शुक्ला, नरेश व रमेश खूबनानी के एसके फरहान, दयाराम साहू के राकेश तिवारी और मालती व मीना के वकील सादिक अली थे। मीना और मालती की तरफ से बीच में वकील रेखा परगनिया और वकील अलीम खान भी कोर्ट में उपस्थित हुए थे।
17 आरोपी फरार
पुलिस ने मीना और मालती से पूछताछ की तब 17 और ऐसे लोगों को पता चला, जो कि नक्सली गतिविधि में लिप्त थे। उन्होंने पुलिस को बताया था कि वे लोग नक्सली संगठन सीपीआई माओवादी की सक्रिय सदस्य हैं। मालती के पति गुड्सा उसेंडी उर्फ विजय रेड्डी के नेतृत्व में सीपीआई का काम करते रहे हैं। प्रतीक और सिद्धार्थ प्रमुख सहयोगी हैं। यही नक्सलियों के लिए हथियार लाते-ले जाते थे। प्रफुल्ल समेत कुछ और लोगों की नक्सलियों की शहरी गतिविधि में संलिप्तता बताई थी। उसके आधार पर फरार आरोपियों की सूची बनाई गई है। उसमें गुड्सा उसेंडी, रमेश उर्फ कटकम सुदर्शन (50) आंध्रप्रदेश, प्रशांत उर्फ मालू (62) प. बंगाल, सोनू उर्फ भूपति (45) आंध्रप्रदेश, कोसा उर्फ गोत्तम उर्फ साधु (50) आंध्रप्रदेश, गणपत उर्फ भुपला (52) आंध्रप्रदेश, अजय उर्फ अजय दा (60) कोलकाता, आनंद, सुमीत नायक टाटानगर, उषा, महेश, हनुमत, सादेर, रामू, नैनू, रामवती, पवन का नाम शामिल है।
कोर्ट में पुलिस बल तैनात
सुरक्षा के मद्देनजर कोर्ट में मंगलवार दोपहर को जब आरोपियों को जेल से लाया गया, तभी से पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। सीएसपी कोतवाली ओपी शर्मा, टीआई गुढ़ियारी आशीष शुक्ला, टीआई कोतवाली कुमारी चंद्राकर के अलावा सादे लिबास में क्राइम ब्रांच का अमला और हथियारबंद जवान तैनात थे।
सजा सुन आंखों से निकले आंसू
प्रफुल्ल और प्रतीक झा की सजा सुनकर उनके परिवार के लोगों के आंसू निकल गए। जबकि, कोर्ट का फैसला जानने के लिए मालती की सास-ससुर, बेटी स्नेहा चंद्रा (19) और बेटा राजा चंद्रा (18) भी हैदराबाद से आए थे। स्नेहा ने बताया कि उसके पिता विजय रेड्डी उर्फ गुड्सा उसेंडी मां (मालती) की गिरफ्तारी के पहले से गायब हैं। दादा-दादी के साथ रहकर उनकी पढ़ाई चल रही है। उन्हें कोई तकलीफ नहीं है। स्नेहा ने कहा कि मां की रिहाई के लिए हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इधर, प्रफुल्ल और प्रतीक के वकील अमीन खान ने भी हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है।
तीन माह बाद ही छूट गए थे कारोबारी
कपड़ा कारोबारी नरेश, रमेश और टेलर दयाराम गिरफ्तारी के तीन माह बाद ही जेल से छूट गए थे। उन्हें तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश सनमान सिंह की अदालत से जमानत मिली गई थी। जबकि मीना, मालती, प्रफुल्ल, प्रतीक और सिद्धार्थ अब तक लगभग साढ़े पांच साल जेल में रह चुके हैं।
पुलिस की विशेष टीम बनी थी
तत्कालीन एसपी के निर्देश्ा पर 22 जनवरी 2008 को विश्ोष टीम बनाई गई थी। टीम के प्रभारी तत्कालीन सीएसपी पुरानी बस्ती आईएच खान थे। उनके अलावा निरीक्षक नरेश पटेल, उपनिरीक्षक एए अंसारी, निरीक्षक कुमारी चंद्राकर, प्रधान आरक्षक झाम सिंह, आरक्षक लाल यदु भी टीम में थे।
मालती को दस साल की सजा पहले से
पुलिस के मुताबिक 22 फरवरी 2006 को विधायक विश्राम गृह में विधायकों को कुरियर से आपत्तिजनक सीडी और नक्सली साहित्य मिला था, जो कि कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया माओवादी द्वारा भेजा गया था। इस मामले में गुड्सा उसेंडी के खिलाफ टिकरापारा थाना में मामला दर्ज हुआ था। मालती की वर्ष 2008 में गिरफ्तारी हुई, तब डीडीनगर पुलिस ने विधायक विश्राम गृह वाले मामले में जांच की। उसमें मालती की लिप्तता पाई गई थी। डीडीनगर पुलिस ने मालती के अलावा सुरेंद्र कुमार कोसरिया (40) निवासी संजयनगर कुम्हारी जिला दुर्ग और प्रतीक झा को भी आरोपी बनाया था। 29 अक्टूबर 2010 को तत्कालीन चतुर्दश अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी बीपी पांडे ने मालती और सुरेंद्र के खिलाफ दोष सिद्ध पाते हुए दोनों को अधिकतम दस-दस साल की सजा सुनाई थी। न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार 27 जून 2013 को हाईकोर्ट ने इस मामले में मालती की अपील को खारिज कर दिया।
27 माह बाद नक्सली मामले में बड़ा फैसला
नक्सली मामले में लगभग 27 माह बाद बड़ा फैसला आया है। 24 दिसंबर 2010 को तत्कालीन द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश एवं फास्ट ट्रैक कोर्ट बीपी शर्मा ने मुर्शीदाबाद कोलकाता निवासी पीजूष गुहा, सूर्या अपार्टमेंट कटोरा तालाब रायपुर निवासी डॉ. विनायक सेन और कोलकाता निवासी नारायण सान्याल को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर 19 अप्रैल 2011 को डॉ. सेन रिहा कर दिए गए। सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर 13 जून 2011 को पीजूष भी रिहा हो गया। सान्याल जेल में है। 24 दिसंबर 2010 को ही तत्कालीन नवम अपर सत्र न्यायाधीश एवं फास्ट ट्रैक कोर्ट ओपी गुप्ता ने गभरापारा टिकरापारा निवासी असित कुमार सेन को अधिकतम आठ साल कारावास की सजा सुनाई थी। असित सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर है।
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आरोपी-
1. केएस प्रिया उर्फ मालती उर्फ शांतिप्रिया पति रामचंद रेड्डी उर्फ रमेश उर्फ विजय उर्फ गुड्सा उसेंडी उर्फ सुनील चौधरी
उम्र- 40 साल
पता- फरीदनगर थाना सुपेला, जिला दुर्ग (स्थायी पता- चादरघाट हैदराबाद)
गिरफ्तारी- 22 जनवरी 2008
2. मीना चौधरी उर्फ गीता पिता राजाराम चौधरी
उम्र- 24 साल
पता- कामकाजी महिला छात्रावास महाराष्ट्र मंडल चौबे कॉलोनी, रायपुर (स्थायी पता- अम्बेडकरनगर चंद्रपुर, महाराष्ट्र)
गिरफ्तारी- 22 जनवरी 2008,
3. प्रफुल्ल कुमार झा पिता स्व. मंगलानंद झा
उम्र- 63
पता- डी-47 रोहिणीपुरम डीडीनगर, रायपुर
गिरफ्तारी- 22 जनवरी 2008
सजा-
0 भादंवि की धारा- 121(ए) के तहत सात साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड, 124 (ए) के तहत सात साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड
0 छत्तीसगढ़ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम 2005 की धारा- 8 (1) के तहत तीन साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड, 8 (2) के तहत दो साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड, 8 (3) के तहत तीन साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड, 8 (5) के तहत पांच साल कारावास व तीन हजार स्र्पए अर्थदंड
0 विधि विस्र्द्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967 की धारा-18 के तहत सात साल कारावास व तीन हजार स्र्पए अर्थदंड, धारा 21 के तहत सात साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड
0 आर्म्स एक्ट की धारा- 25 (1)(ए) के तहत तीन साल कारावास व तीन हजार स्र्पए अर्थदंड
0 वायरलेस एंड टेलीग्राफी एक्ट 1953 की धारा- 3, 6 के तहत दो साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड
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आरोपी-
प्रतीक झा उर्फ बाबा पिता प्रफुल्ल कुमार झा
उम्र- 25 साल
पता- डी-47 रोहिणीपुरम डीडीनगर, रायपुर
गिरफ्तारी- 1 फरवरी 2008
सजा-
0 भादंवि की धारा- 121(ए) के तहत सात साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड, 124 (ए) के तहत सात साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड
0 छत्तीसगढ़ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम 2005 की धारा- 8 (1) के तहत तीन साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड, 8 (2) के तहत दो साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड, 8 (3) के तहत तीन साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड, 8 (5) के तहत पांच साल कारावास व तीन हजार स्र्पए अर्थदंड
0 विधि विस्र्द्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967 की धारा-18 के तहत सात साल कारावास व तीन हजार स्र्पए अर्थदंड, धारा 21 के तहत सात साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड
0 आर्म्स एक्ट की धारा- 25 (1)(ए) के तहत तीन साल कारावास व तीन हजार स्र्पए अर्थदंड
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आरोपी-
सिद्धार्थ शर्मा उर्फ राजाराम उर्फ मोंटू पिता नर्सिंग शर्मा
उम्र- 24 साल
पता- 148 जी/एम, सेक्टर-3 डीडीनगर
गिरफ्तारी- 28 जनवरी 2008
0 भादंवि की धारा- 121(ए) के तहत सात साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड, 124 (ए) के तहत सात साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड
0 छत्तीसगढ़ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम 2005 की धारा- 8(1) के तहत तीन साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड, 8 (2) के तहत दो साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड, 8 (3) के तहत तीन साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड, 8 (5) के तहत पांच साल कारावास व तीन हजार स्र्पए अर्थदंड
0 विधि विस्र्द्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967 की धारा-18 के तहत सात साल कारावास व तीन हजार स्र्पए अर्थदंड, धारा 21 के तहत सात साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड
0 आर्म्स एक्ट की धारा- 25 (1)(ए) के तहत तीन साल कारावास व तीन हजार स्र्पए अर्थदंड
0 वायरलेस एंड टेलीग्राफी एक्ट 1953 की धारा- 3, 6 के तहत दो साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड
0 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा- 4 के तहत सात साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड, 5 के तहत पांच साल कारावास व एक हजार स्र्पए अर्थदंड
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आरोपी-
1. नंदू उर्फ नरेश कुमार खूबनानी पिता सुधामल खूबनानी
उम्र- 40 साल
पता- आदर्श कॉलोनी बिलासपुर (नरेश बाजार बिलासपुर का संचालक)
गिरफ्तारी- 26 जनवरी 2008
2. रमेश कुमार खूबनानी पिता सुधामल खूबनानी
उम्र- 45 साल
पता- आदर्श कॉलोनी बिलासपुर (नरेश बाजार बिलासपुर का संचालक)
3. दयाराम साहू पिता दुखितराम साहू
उम्र- 50 साल
पता- कुशालपुर पुरानी बस्ती रायपुर (स्थायी पता- नगपुरा थाना बेमेतरा, जिला दुर्ग, आकर्षक टेलर कुशालपुर का संचालक)
सजा-
0 छत्तीसगढ़ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम 2005 की धारा- 8( 3) के तहत तीन साल कारावास व पांच हजार स्र्पए अर्थदंड
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फैक्ट फाइल-
- घटना- वर्ष 2008
- कुल आरोपी- 25
- गिरफ्तार- 8
- फरार- 17
- अभियोजन गवाही- 45
- बचाव पक्ष गवाही- 1
- सजा- 8
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