Sunday, July 7, 2013

.एमपीवी.पर छत्तीसगढ़ पुलिस तो इस्तेमाल करेगी

 0 एंबुस में फंसने पर कारगार है एमपीवी
0 सीआरपीएफ ने उपयोग बंद किया
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने नक्सल प्रभावित  इलाकों में इस्तेमाल किए जाने वाले माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल (एमपीवी) का उपयोग भले ही बंद कर दिया है, लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस नक्सल मोर्चे पर इस व्हीकल का उपयोग करेगी । छत्तीसगढ़ पुलिस का स्पष्ट मानना है कि एंबुस में फंसने पर एमपीवी कारगार साबित होती है। इससे जवानों को जान बचाने व फायरिंग का मौका मिल जाता है।
उल्लेखनीय है सीआरपीएफ के प्रमुख सहाय ने नक्सल प्रभावित राज्यों में तैनात करीब 50 बख्तरबंद वाहनों को वापस बुला लिया है। साथ ही इन वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध का आदेश जारी किया है। इसके पीछे श्री सहाय ने तर्क दिया है कि आईईडी ब्लास्ट या फिर छिपे हुए लैंडमाइंस विस्फोट में ये वाहन कारगार नहीं हैं। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ पुलिस के एक वरिष्ठ अफसर ने नाम नहीं छापने के आग्रह पर बताया कि बख्तरबंद वाहन एंबुस में फंसने के दौरान जवानों की जान बचाने में काफी मददगार साबित होते हैं। जवानों को फायरिंग का मौका मिल जाता है। पिछले दिनों नेरली घाटी में युवक कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हुए नक्सली हमले में बख्तरबंद वाहन की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। नक्सलियों ने बख्तरबंद वाहन को ब्लास्ट किया था, जिससे वाहन उछलकर वहीं जस का तस खड़ा हो गया। इससे वाहन में सवार और उनके पीछे चल जवानों को संभलने का मौका मिल गया। मोर्चा संभालते हुए जवानों ने जवाबी कार्रवाई की और नक्सलियों को भागने पर मजबूर कर दिया। इस अधिकारी का यहां तक कहना है कि 25 मई को झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में नक्सली हमला के दौरान बख्तरबंद गाड़ी पहुंच जाती तो, जवाबी फायरिंग की जा सकती थी। वाहनों की उपयोगिता को देखते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में हुई यूनिफाइट कमांड की बैठक में 24 वाहनों की मांग की थी। इतना ही नहीं पुलिस अधिकारियों ने चुनाव के पहले 12 और वाहनों पर जोर दिया है।
असमंजस की स्थिति
एमपीवी वाहनों की उपयोगिता को लेकर सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस की अपनी-अपनी सोच है। ऐसे में असमंजस इस बात को लेकर है कि छत्तीसगढ़ पुलिस नीतिगत तौर पर इन वाहनों के इस्तेमाल को जरूरी मानती है। काल्पनिक स्थिति के तौर पर अगर सीआरपीएफ के जवानों को किसी नक्सली मोर्चे पर इन वाहनों में भेजना हो तो क्या होगा? क्या सीआरपीएफ के जवान एसपी के निर्देशों का पालन करेंगे, जिनके नेतृत्व में वे काम करते हैं या फिर अपनी नीति पर चलेंगे?
फैक्ट फाइल
0 राज्य में तैनात सीआरपीएफ की 25 बटालियन।
0 नक्सल मोर्चे पर तैनात 24 माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल।
0 24 माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल की जरूरत।
0 12 व्हीकल चुनाव के पहले जरूरी।

'' एंबुस में फंसने और फायरिंग के दौरान एमपीवी की आवश्यकता रहेगी।""
आरके विज, एडीजी नक्सल ऑपरेशन
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फायर अमले के भरोसे बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ
0 नोडल अधिकारियों की नहीं लगती हाजिरी
0 कंट्रोल रूम में नियमित रूप से नहीं बैठते कर्मचारी
 नगर निगम का बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ फायर अमले के भरोसे चल रहा है। जब से प्रकोष्ठ अस्तित्व में आया है, तब से तीनों नोडल अधिकारियों की कंट्रोल रूम में नियमित रूप से हाजिरी नहीं लग रही है, वहीं अन्य कर्मचारियों का भी यही हाल है। इस तरह फायर अमले के कंधे पर दोहरी जिम्मेदारी आ गई है।
नगर निगम के कर्मशाला में एक जून से बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ बनाए जाने की घोषणा आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा ने की थी। प्रकोष्ठ के संचालन के लिए आठ-आठ घंटे की तीन पाली में ड्यूटी करने के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए थे। बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ फायर ब्रिगेड के कार्यालय से ही चल रहा है। उसका हेल्प लाइन नम्बर भी फायर ब्रिगेड का है। इसी का फायदा बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ के लिए नियुक्त अधिकारी और कर्मचारी उठा रहे हैं। क्योंकि, फायर ब्रिगेड के कंट्रोल रूम में चौबीस घंटे कर्मचारी मौजूद रहते हैं, इस कारण प्रकोष्ठ के लोग गायब रहते हैं। ऐसी स्थिति में फायर ब्रिगेड के कर्मचारी को ही आम लोगों की शिकायत दर्ज करनी पड़ती है। फिर, फायर ब्रिगेड के कर्मचारी ही बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ के अमले तक शिकायत पहुंचाते हैं।
कभी-कभार आते हैं साहब लोग
नईदुनिया ने बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ की व्यवस्था जानने के लिए रविवार को अलग-अलग समय पर तीन-चार कॉल किए। हर बार फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने ही कॉल रिसीव किया। उनसे पता चला कि बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ को कोई भी अधिकारी या कर्मचारी उपस्थित नहीं है। नोडल अधिकारियों के बारे में पूछा गया तो मालूम हुआ कि साहब लोगों का पिछले एक माह में दो-तीन बार ही आना हुआ है।
कंट्रोल रूम में व्यवस्था नहीं
कर्मचारियों से पता चला है कि बाढ़ नियंत्रण प्रकोष्ठ के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम में संसाधनों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। केवल दो मोटर पंप हैं। इसके अलावा रेत की बोरियां पड़ी हैं। कर्मचारियों ने बताया कि राहत कार्य के लिए आवश्यक संसाधन जोन कार्यालयों में हैं।
तीन पाली में ड्यूटी
- सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक कार्यपालन अभियंता एमएमएन ठाकुर
- दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे तक कार्यपालन अभियंता मनोज सिंह ठाकुर
- रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक प्रभारी अधीक्षक अभियंता भागीरथ वर्मा
बाढ़ प्रभावित 298 बस्ती
जोन-बस्ती संख्या
1-46
2-44
3-43
4-28
5-39
6-41
7-18
8-38
 

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