Saturday, July 27, 2013

बर्खास्त सिपाही ने राज्यपाल से मांगी खुदकुशी की अनुमति


0 नौकरी वापस पाने चार साल से दर-दर भटक रहा
0 चरित्र सत्यापन में तथ्यों की जानकारी नहीं देने पर छीनी नौकरी
पुलिस विभाग से कई प्रशस्ति प्रमाणपत्र पाने वाला एक सिपाही अपनी बर्खास्तगी खत्म कराने के लिए चार साल से मुख्यमंत्री से लेकर पुलिस के तमाम अधिकारियों के चक्कर लगा चुका है। सिपाही की गलती केवल इतनी है कि उसने भर्ती के समय चरित्र सत्यापन वाले कॉलम में तथ्यों की सही जानकारी नहीं दी थी। अंतत: उसने हार मान ली है और अब राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर खुदकुश्ाी की अनुमति मांगी है।
भटगांव जिला सूरजपुर का रहने वाले नंदन कुमार झा के खिलाफ भटगांव थाना में 30 सितंबर, 2000 को बलवा और जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में उसकी गिरफ्तारी भी हुई थी। 21 नवंबर, 2003 को सूरजपुर के तत्कालीन तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए टोप्पो ने नंदन को दोषमुक्त कर दिया था। इसके बाद नंदन ने पुलिस में भर्ती होने के लिए तैयारी की। सिपाही भर्ती में उसका चयन हो गया। शारीरिक परीक्षा में उसने सौ में सौ अंक हासिल किए। 25 सितंबर, 2006 को उसकी यहां ज्वाइनिंग हुई। लगभग ढाई साल उसने रंगरूट रहकर नौकरी की। इसमें से एक साल उसने जगदलपुर में जंगलवार की ट्रेनिंग भी ली। इस दौरान उसे कई अच्छे कामों के लिए प्रश्ास्ति पत्र मिले। कुश्ती में बस्तर केश्ारी का खिताब भी दिया गया। आखिरकार वह दिन आ गया, जो एक सिपाही के लिए हमेशा यादगार रहता है। दीक्षांत परेड का। 12 जनवरी, 2009 को दीक्षांत परेड थी। लेकिन इसके एक दिन पहले रात को नंदन को पुलिस विभाग ने बड़ा झटका दिया। उसे चरित्र सत्यापन में तथ्य छिपाने के कारण बर्खास्त कर दिया गया। नंदन ने बताया कि वह ग्राम सुराज के दौरान चार बार मुख्यमंत्री के सामने अपनी नौकरी वापसी के लिए गुहार लगा चुका है। डीजीपी, आईजी और एसपी रायपुर के दफ्तरों के चक्कर लगाकर थक गया है। इस कारण उसने राज्यपाल से अंतिम गुहार लगाई है। 
अधिकारियों ने दुत्कारा
नंदन ने बताया कि अगले दिन वह पूर्व एसपी रायपुर अमित कुमार के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे दुत्कार कर भगा दिया। इसके बाद वह पूर्व आईजी डीएम अवस्थी के पास गया तो उन्होंने धक्के मारकर बाहर करा दिया। पूर्व डीजीपी विश्वरंजन, अनिल एम नवानी और वर्तमान डीजीपी रामनिवास से भी मिल चुका है। किसी भी अधिकारियों ने उसकी नहीं सुनी।
हाईकोर्ट ने नौकरी वापस दिलाई
ऐसे ही एक मामले में तीन माह पहले हाईकोर्ट बिलासपुर ने नौकरी वापस दिलाई। वर्ष 2009 में परमेश्वर विश्वकर्मा की राजनांदगांव बटालियन में सिपाही का चयन हुआ था। उस पर भादंवि की धारा 294 के तहत अर्थदंड लगा था। उसने चरित्र सत्यापन में यह तथ्य नहीं दिया था। इसी कारण उसे बर्खास्त कर दिया गया। उसने हाईकोर्ट में अपील की। दो अप्रैल, 2013 को हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने टीप में लिखा कि पहले और छोटे आपराधिक मामले के लिए किसी को जिंदगीभर की सजा नहीं दी जा सकती।
15 अगस्त को दूंगा जान
एसपी ऑफिस के स्टॉफ से पूछने के बाद मैंने चरित्र सत्यापन में गिरफ्तारी की जानकारी नहीं दी थी, क्योंकि कोर्ट ने मुझे दोषमुक्त कर दिया था। फिर भी मैंने गलती सुधारने के लिए नया आवेदन तथ्य के साथ दिया। साथ में कोर्ट के फैसले की प्रति भी लगाई थी, जिसमें मुझे दोषमुक्त किया गया था। उसके बाद भी मेरी नहीं सुनी गई। यह अन्याय है। मुझ पर अपराध साबित नहीं हुआ, उसके बाद भी बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई। एक माह में मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं 15 अगस्त को खुदकुशी कर लूंगा।
नंदन कुमार झा
बर्खास्त सिपाही
 

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