Friday, April 12, 2013

इनमें पड़ गई है फूट, फायदा उठाएगी पुलिस...

 नक्सलियों में वैचारिक मतभेद, पैसों को लेकर दलों  में पड़ रही फूट और प्रताडऩा के शिकार नक्सलियों का नक्सलवाद से मोह भंग होने का फायदा पुलिस उठाने को तैयार है। वह आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए विशेष पैकेज घोषित कर उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे मुहिम शुरू करने जा रही है।
पुलिस के सामने यह बात आई है कि नक्सली अपने दलम में रहने वाली युवतियों के साथ घृणित कृत्य करने से भी नहीं चूकते। महिलाओं का गर्भपात कराया जा रहा है और पुरुषों को नसबंदी के लिए मजबूर किया जा रहा है। नक्सलियों के चंगुल में फंसे भोले-भाले आदिवासी दुर्गम इलाकों में मूलभूत जरूरतों की पूर्ति न होने, प्रताडऩा से तंग आकर नक्सली संगठन छोड़कर पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण करा चाहते हैं। इनमें से कई मुख्यधारा में लौटकर सुखमय जीवन बीता रहे हैं। सरकार की ओर से उन्हें पुनर्वास राशि दी जा रही है। पड़ोसी राज्यों झारखंड आदि में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के योजना चलाकर विशेष पैकेज दिए जा रहे हैं। पुलिस मुख्यालय भटके नक्सलियों को वापस लाने फिर से उन्हें मौका देने की तैयार कर रहा है।
समर्पण करने वालों को केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले पैकेज का लाभ भी मिलेगा। उनके रोजगार व प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी।
सरकार की नीति का नक्सली लाभ उठाएं : विज
एडीजी नक्सल आपरेशन (सीएफ-एसटीएफ) आरके विज ने कहा कि नक्सलियों के शस्त्र के साथ आत्मसमर्पण पर छत्तीसगढ़ की पालिसी बेहद आकर्षक है। केंद्र सरकार की नीति के प्रावधान भी अच्छे हैं। दोनों नीतियों का भरपूर लाभ नक्सलियों को लेना चाहिए। उम्मीद है कि वे मुख्यधारा से जुडऩे सामने आएंगे।
यह सुविधाएं मिलेगी, शिक्षित नक्सली को योग्यतानुसार शिक्षा कर्मचारी, होमगार्ड, पुलिस में आरक्षक, अर्दली या समकक्ष नौकरी मिलेगी। महिला नक्सली को महिला बाल विकास विभाग की योजनाओं कुटीर उद्योग आदि से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना। उनके बच्चों को स्कॉलरशिप देना। शिक्षित बच्चों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता। नक्सली उन्मूलन में उनके योगदान के आधार पर उनके विरुद्ध लगे आपराधिक प्रकरणों का खात्मा। आत्मसमर्पित को उपलब्धता के आधार पर कृषि भूमि का आबंटन। नक्सली ईनामी है तो उसे ही इनाम की राशि देना। आत्मसमर्पण के बाद सुरक्षा के मद्देनजर शहरों में नजूल के प्लाट देना। नक्सली की स्वयं की जमीन के बदले उतनी ही जमीन दूसरे स्थान पर देना। वन क्षेत्र व राजस्व भूमि के अतिक्रमण की पात्रता के अनुसार व्यवस्थापन

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