रायपुर। अमेरिकी कंपनी द्वारा सेना या स्पेशल फोर्सेस के लिए तैयार किए जाने वाले अत्याधुनिक नाइट विजन डिवाइस झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सलियों के हाथ लग गए हैं। नक्सलियों ने बेंगलुरू और दिल्ली में काम करने वाली एक कंपनी से मिलीभगत कर झारखंड सरकार के फर्जी दस्तावेजों की मदद से ये उपकरण आयात किए।नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) की दिल्ली यूनिट ने 19 मार्च को इस मामले में केस दर्ज किया है। एनआईए अब संबंधित राज्यों से भी जानकारी जुटा रही है। छत्तीसगढ़ पुलिस के एक आला अफसर ने इस तरह की बरामदगी की पुष्टि की है। उसका कहना है कि एनआईए से इस बारे में जानकारी मांगी जा रही है, ताकि राज्य में इस दिशा में जांच आगे बढ़े। ये डिवाइस जंगल की लड़ाई में घात लगाकर हमला करने वाले नक्सलियों की मारक क्षमता को कहीं ज्यादा बढ़ा देंगे।
एनआईए यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ऐसे कितने उपकरण आयात किए गए और झारखंड, छत्तीसगढ़ को इसमें से कितने की सप्लाई की गई। बिहार के औरंगाबाद जिले में पिछले साल अगस्त में पुलिस ने कुछ विदेशी हथियार बरामद किए थे। इसकी पड़ताल के दौरान ही एनआईए को इन डिवाइस की सप्लाई के बारे में पता चला।
दूरबीननुमा डिवाइस को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये आसानी से सेल्फ लोडिंग राइफलों से अटैच किए जा सकते हैं। इनकी मदद से घुप अंधेरे में 200 से 300 मीटर की दूरी तक एकदम साफ देखा जा सकता है। सामान्य तौर पर दो तरह के नाइट विजन डिवाइस होते हैं-एक दूरबीन जैसा दूसरा मोनोकुलर। मोनोकुलर को बंदूकों के ऊपर लगाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ पुलिस और सीआरपीएफ दोनों के पास इस तरह के उपकरण हैं।
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