Thursday, April 18, 2013

परम्परा के नाम पर रोज बहाया जाता है खून..





रायपुर। धर्म और आस्था के नाम पर पशुओं के साथ अत्याचार का वीभत्स रूप यहां देखने को मिल रहा है। यूं तो देश में बलि प्रथा पर लगाम लगाने की कोशिशें हुई हैं, लेकिन उसके बावजूद अभी भी देश में कई जगह पशुओं की बलि बदस्तूर जारी है। मूक पशुओं को आस्था के नाम पर काटा जा रहा है।छत्तीसगढ़ में कई शक्तिपीठों पर बलि देने का सिलसिला जारी है। ऐसा माना जाता है कि बलि देने से देवी मां प्रसन्न होकर मनोकामना पूरी करती हैं। बलि में मुख्य रूप से बकरों की बलि दी जा रही है।छत्तीसगढ़ में गरियाबंद जिले से 12 किलोमीटर की दूरी पर निरईमाता मंदिर है। यहां पर नवरात्र में रोज हजारों की संख्या में बकरों को काटा जा रहा है।इस शक्तिपीठ की कुछ खास बातें हैं। इस पीठ की सबसे खास बात तो यह है कि यहां केवल नवरात्र में ही देवी मां के दर्शन किए जा सकते हैं।बाकी समय यहां पर आम लोगों को जाने की इजाजत नहीं होती है, इसलिए इन नौ दिनों में यहां पर बड़ी भीड़ होती है।इस मंदिर से जुड़ी एक बात यह भी है कि यहां महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं होती, केवल पुरुष ही यहां पर प्रवेश करते हैं और दर्शन करते हैं, यहां तक कि महिलाओं को यहां का प्रसाद भी नहीं दिया जाता है।मनोकामना पूरी होने पर यहां सोने-चांदी के बर्तन या सोने चांदी का श्रीफल भेंट किया जाता है।देश के अन्य मंदिरों में जहां दिन भर मातारानी के दर्शन होते हैं वहीं इससे उलट यहां पर माता के दर्शन का समय भी सुबह 4 बजे से शुरू होकर 9 बजे तक ही है।श्रद्धा व आस्था के मंदिर स्थल तक पहुंचने में लोगों को तीन किमी के रास्ते को पार करने में  घंटों लग जाते हैं।गत वर्ष के मुकाबले इस जात्रा में लोगों की अपार भीड़ देखी गई । अनुमान के मुताबिक दूर दूर से लगभग 40 हजार लोग दर्शनार्थ पहुंचे ।गरियाबंद, धमतरी, मगरलोड, रायपुर,राजिम, छुरा, कुरूद, पोड़, पाण्डुका, कोपरा, श्याम नगर ,सुरसाबांधा,मालगांव ,बारूका ,मेघा, फिंगेश्वर,नगरी,दुगली,जबर्रा सहित सैकड़ो गांवो से लोग यहां पहुंचे। इस साल भी यहां आस्था के नाम पर बड़ी संख्या में बकरों की भेंट चढ़ाई गई। 

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