रायपुर: छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को चना बांटने के लिये जिन कंपनियों को चना आपूर्ति का ठेका मिला है, वे दोनों कंपनियां लिकर किंग कहे जाने वाले पोंटी चड्ढा से जुड़ी हुई कंपनियां हैं. कभी शराब ठेके के सामने चने बेचने वाले पोंटी चड्ढा द्वारा खड़ी की गई कंपनियों ने छत्तीसगढ में चना घोटाले को अंजाम दिया और सरकार ने इन कंपनियों की हकीकत भी जानने की कोशिश नहीं की. गुरदीप सिंह यानी पोंटी चड्ढा और उसके भाई हरदीप की पिछले साल 17 नवंबर को दिल्ली के नंबर 42 सेंट्रल ड्राइव फार्म हाउस में हत्या कर दी गई थी.
पोंटी चड्ढा की ये कंपनियां बेहद बदनाम रही हैं और करोड़ों-अरबों के बड़े-बड़े घोटालों का आरोप इन कंपनियों पर है. जिन कंपनियों पर उत्तरप्रदेश में हजारों करोड़ रुपये के गोलमाल का आरोप था, उन्हीं कंपनियों ने छत्तीसगढ़ में भी भ्रष्टाचार का खेल खेला और चना वितरण का ठेका हासिल कर लिया.
राज्य के खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले ने विधानसभा में जिन दो कंपनियों से आदिवासियों को वितरित किये जाने के लिये चना खरीदने का दावा किया है, उसमें से एक कंपनी का पता ही सही नहीं है. सरकार ने दावा किया था कि पिछले एक साल में इन दो कंपनियों से 71 करोड़ रुपये का चना खरीदा गया था. मामले में फर्जी कंपनी के नाम पर करोड़ो रुपये की चना खरीदी की आशंका जताई थी.
अब छत्तीसगढ़ खबर को जो दस्तावेज हाथ लगे हैं, उससे पता चला है कि पोंटी चड्ढा और उसके रिश्तेदारों की कंपनियां उत्तरप्रदेश में बड़े घोटाले में लगी रही हैं. सरकारी संस्थाओं ने पोंटी की इन कंपनियों के खिलाफ भयानक आपराधिक षड्यंत्र करने का मामला सामने लाया था और पोंटी की इन्हीं कंपनियों को छत्तीसगढ़ में चना का ठेका दे दिया गया.
पोंटी चड्ढा और उसके रिश्तेदारों से जुड़ी हुई जिन कंपनियों को छत्तीसगढ़ में चना खरीदी का ठेका दिये जाने के दस्तावेज छत्तीसगढ़ खबर के पास हैं, उससे बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. इन दस्तावेजों से यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि छत्तीसगढ़ के दूसरे कारोबार में भी उत्तर प्रदेश के बदनाम शराब व्यापारी पोंटी चड्ढा की भी बड़ी रकम लगी हुई है.
चीनी मिल से लेकर डिस्टिलरी, सार्वजनिक परिवहन और रियल एस्टेट के कारोबार में धंसे इस 20 हजार करोड़ के असामी के छत्तीसगढ़ कनेक्शन की जांच की जाये तो इस बात की आशंका है कि छत्तीसगढ़ में भी अरबों का खेल सामने आये.
कभी मुरादाबाद में ठेला लगाने वाले पोंटी चड्ढा की कंपनियों ने जिस तरीके से नियम कायदे को ताक पर रख कर उत्तरप्रदेश में अपना कारोबार जमाया, वही काम छत्तीसगढ़ में भी किया गया. दागदार कंपनियों और उसके मालिकों का इतिहास जानने-समझने के बाद भी छत्तीसगढ़ में पोंटी चड्ढा की कंपनियों को ठेका दिया गया. मायावती और मुलायम सिंह की नाक के बाल कहे जाने वाले पोंटी चड्ढा को छत्तीसगढ़ में किस राजनेता का आशीर्वाद मिला, यह जांच का विषय हो सकता है.
कुलवंत सिंह के तीन बेटों पोंटी ऊर्फ गुरदीप, राजिंदर ऊर्फ राजू और हरदीप ऊर्फ सतनाम ने कई कंपनियां बनाईं और इसमें कई तरह के गोलमाल किये. आयकर विभाग से लेकर कैग तक ने पोंटी और उनके भाइयों और उनके रिश्तेदारों की इन साजिशों का भंडाफोड़ किया था.
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को बांटने के लिये चने की आपूर्ति मेसर्स प्राईम विजन शुगर लिमिटेड, 574 मगरवाड़ा, उन्नाव, उत्तरप्रदेश द्वारा 44.22 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से और मेसर्स डिवाईन क्राप्स एंड एलाईड प्रोडक्ट्स प्राईवेट लिमिटेड, अस्तबल कैम्प, थाना गंज, रामपुर, उत्तरप्रदेश द्वारा 48.47 रुपये प्रतिकिलो की दर से की गई.
लेकिन छत्तीसगढ़ खबर ने पाया कि मेसर्स प्राईम विजन शुगर लिमिटेड, 574 मगरवारा, उन्नाव, उत्तरप्रदेश नाम से कोई कंपनी उस पते पर नहीं है. वहां नीलगिरी फूड प्रोडक्ट्स प्राईवेट लिमिटेड का कार्यालय है. अब रामपुर की दूसरी कंपनी मेसर्स डिवाईन क्राप्स एंड एलाईड प्रोडक्ट्स प्राईवेट लिमिटेड के दस्तावेजों से यह सनसनीखेज राज खुला है कि इस कंपनी की होल्डिंग कंपनी पीबीएस फूड्स प्राईवेट लिमिटेड है, जो पोंटी और उसके रिश्तेदारों की कंपनी है. पोंटी और उसके रिश्तेदारों ने इन दो कंपनियों के अलावा वेब इंडस्ट्रिज प्राईवेट लिमिटेड जैसी दर्जनों कंपनियां बनाई और इन कंपनियों ने भयावह साजिशें रचते हुये भ्रष्ट अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से 11 चीनी मिलों की खरीदी में जम कर चांदी काटी.
इसके अलावा पोंटी चड्ढा और उसकी सहयोगी सुनीता की कंपनियों पीबीएस फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (जिसे छत्तीसगढ़ में ठेका मिला), डी ग्रेट वेल्यु, हेल्थ केयर एनर्जी फूड प्राइवेट लिमिटेड, क्रिस्टी फ्रीड ग्राम इंडस्ट्रीज, त्रिकाल फूड्स एंड प्राइवेट लिमिटेड को उत्तर प्रदेश के बाल विकास पुष्टाहार में करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले में जिम्मेवार पाया गया.
पोंटी चड्ढा की इन कंपनियों के खिलाफ सीबीआई की जांच चल रही थी, आयकर की जांच चल रही थी, अदालतों में भयावह भ्रष्टाचार के मामले थे और संसद में तो रिपोर्टें रखी ही गई थी. इसके बाद भी छत्तीसगढ़ में पोंटी की कंपनियों को किसके इशारे पर काम मिला ?
No comments:
Post a Comment