Saturday, March 6, 2010

अपराध की कटीली राहों पर बढ़ती कमसिन बालाएं




सत्रह साल की लड़की अपनी सहेली को धोखे से शराब के नशे में मस्त अपने तीन दोस्तों को केवल इसलिए सौंप देती है ताकि वे सब उसके साथ मस्ती कर सकें। संपन्न और सुशिक्षित परिवार की इस शिक्षित लड़की का यह व्यवहार सामान्य नहीं कहा जा सकता। संपन्न परिवार के चिराग उस युवती को जबरन शराब पिलाकर उसके साथ बलात्कार की कोशिश करते हैं और असफल रहने पर उसे रात के दो बजे सुनसान सड़क पर चलती गाड़ी से फेंक देते हैं। इसी तरह मध्यम वर्ग की दो नाबालिग लड़कियां रांग नंबर से आए फोन पर अंजान लड़कों से मस्ती के लिए उनसे यू आसानी से दोस्ती कर लेती है कि जैसे यह सब उनके लिए कोई नई बात नहीं। इतना ही नहीं दोनों लड़कियां उन अंजान लड़कों के बुलावे पर उनके सुनसान घर में अकेले जाने में भी नहीं हिचकती और फिर एक सहेली, दूसरी सहेली का, उसके बॉय फ्रेंड के दोस्त के साथ अंतरंग पलों का एमएमएस बना लेती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि बाहर कमरे में बैठी लड़की की मदद वह युवक करता है खुद जिसकी प्रेमिका अंदर के कमरे में उसके ही दोस्त के साथ एकांत में पल बिता रही थी। यह वे घटनाएं है जो पिछले एक पखवाड़े में राजधानी में घटित हुई और पुलिस के लिए सरदर्द बनी हुई हैं। अपनी ही सहेली को दोस्तों के हवाले करने वाली युवती जहां अब तक पुलिस की पकड़ से दूर है वहीं पुलिस के अनुसार दूसरे मामले में खुद पीडि़त लड़की ही अपने वास्तविक प्रेमी को बचाने के लिए बार-बार बयान बदल कर रोज नए संकट पैदा कर रही है। पुलिस का मानना है कि अब ऐसी लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिन्हें अपराध में अब भय नहीं रोमांच नजर आने लगा है। ऐसी घटनाएं बताती हैं कि अब प्रदेश की अधिकांश लड़कियों की मानसिकता में व्यापक बदलाव आया है। युवतियों को समाज तथा परिवार से अधिक अपने व्यक्तिगत सुख की चिंता अधिक है और इसके लिए वह अपराध की किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार है । प्रदेश की युवतियों में बढ़ रही हर कीमत पर सब कुछ पाने की प्रवृति का सबसे सटीक उदाहरण हैं। लेकिन इसका अर्थ यह कदापि नहीं की केवल उच्च और मध्यम वर्ग की युवतियों में ही यह प्रवृति बढ़ रही है। जब निम्न वर्ग की दो लड़कियों मस्ती के लिए अपने प्रेमियों के साथ भाग गई और पकड़े जाने पर खुद अपने ही पिता के खिलाफ ही उनके बेचे जाने का आरोप लगाकर पिता को गलत और अपने प्रेमियों को सही ठहराने पर तुल गई थी। कहना नहीं होगा की प्रदेश की युवतियों की सोच में अब व्यापक परिवर्तन आता जा रहा है। महानगरों की तरह प्रदेश के छोटे-छोटे नगरों में भी सेक्स से जुड़े ऐसे अपराध देखने में आने लगे हैं जिनमें कहीं न कहीं युवतियों की भी भूमिका भी रही है। यही नहीं महानगरों की तरह युवतियों में समलैंगिक संबंध भी प्रदेश में नई बात नहीं रहे। पिछले वर्ष जहां युवकों में समलैगिकता का केवल एक मामला आया था,इसी तरह प्रेमियों के साथ मिलकर आपराधिक घटनाओं में भाग लेने वाली युवतियों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है।


गलती आखिर किसकी?


हर माता-पिता अपने बच्चों को विद्यालय व कॉलेज इसलिए भेजते हैं कि वहां पढ़ लिखकर वह अपने भविष्य को उह्ववल बना सके। शिक्षण संस्थानों में किसी लड़के व लड़की का दोस्त होना आज आम बात हो गई है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही मालूम होती है। एक छात्र ने अपनी प्रेमिका छात्रा का अश्लील एमएमएस बनाया। इतना ही नहीं उस एमएमएस को इंटरनेट तक पर डाल दिया जाता है। ऐसी अवस्था में समाज के डर से लड़की के परिजन पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाने से भी घबराते हैं। अंत में झेलना केवल उस लड़की व उसके माता-पिता को पड़ता है। कई बार तो इस संबंध में नाबालिग लड़कियों के गर्भवती होने तक की खबरें भी आई हैं। समझ में नहीं आता कि यहां गलती किसकी मानें? यदि विद्या के मंदिर में भक्तों के अंदर स्वच्छ मन की श्रद्धा नहीं होगी तो कैसे ज्ञान प्राप्त किया जाएगा? जिस दिन छात्र-छात्राएं कोई कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोचने लगेंगे, उस दिन से ही इन नादानियों का स्तर गिरने लगेगा। भ्रूण हत्या को रोके नारी सरकार द्वारा अपने स्तर पर कन्या भू्रण हत्याओं का विरोध किया जाता रहा है, लेकिन लोग अपनी करतूतों से बाज नहीं आते हैं। हर साल नवरात्रों में हमारे कुछ धर्म भी कन्या पूजन की महत्ता का गुणगान करते हैं। नवरात्रों का धार्मिक ज्वर उतर जाने के बाद, अल्ट्रासाउंड व स्कैनिंग के शब्द प्रचलित हो उठते हैं। कम से कम हमारी उन महिलाओं को तो इस रक्षा अभियान में सरकार को सहयोग करना चाहिए, जिनकी स्त्री शक्ति में आस्था है। आज हम यूएसए के मंच पर 100 देशों को संबोधित करती हुई युगरत्‍‌ना को देख कर खुश होते हैं। यह अमानवीयता बंद होनी चाहिए, कानून को ठेंगा दिखाने वाले कुछ डाक्टर आज भी भू्रण हत्या का प्रोत्साहन देकर पेशे को दागदार बना रहे हैं। लेकिन कहीं न कहीं इसमें नारी भी जिम्मेदार है इसलिए नारियों को इसका विरोध करना होगा तभी यह भ्रूण हत्याएं रुक सकेंगी।

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