0 अब नई विधानसभा के गठन के बाद ही आ पाएगी रिपोर्ट
0 संबंधित समितियां चाहेंगी तभी जांच आगे बढ़ सकेगी
करोड़ों स्र्पए के सालबीज खरीदी में गड़बड़ी सहित करीब आधा दर्जन मामलों की जांच फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। छत्तीसगढ़ की तृतीय विधानसभा के विदाई सत्र के बाद अब इन मामलों की जांच रिपोर्ट इस साल नहीं आ पाएगी। अंतिम सत्र होने के कारण इन मामलों की जांच रिपोर्ट की अवधि भी नहीं बढ़ाई जा सकी। विधानसभा की संबंधित समितियां चाहें तो नई विधानसभा के गठन के बाद बनने वाली नई समितियों से इन मामलों की जांच कराने के लिए सिफारिश कर सकती हैं। यदि समितियां ऐसा नहीं करेंगी तो मामले खत्म हो जाएंगे। दूसरा विकल्प यह भी है कि मौजूदा विधानसभा के विघटन के पहले भी समितियां जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप सकती हैं। बाद में उसे नई विधानसभा के आगामी सत्र के दौरान सदन में पेश किया जा सकता है।
विधानसभा की आधा दर्जन कमेटियां इन प्रकरणों की जांच कर रही हैं। प्रश्न एवं संदर्भ समिति साल बीज संग्रहण में अनियिमतता की जांच कर रही है। करोड़ों स्र्पए के साल बीज खरीदी घोटाले में कई बड़े अफसरों पर भी आरोप लगे हैं। समिति की पिछली बैठकों में साल बीज खरीदी मामले में वन विभाग के प्रमुख सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक व राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक का साक्ष्य लिया जा चुका है, लेकिन कुछ जानकारी वे अभी तक नहीं दे पाए हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रश्न एवं संदर्भ समिति को वन विभाग पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहा है, जिससे समिति को जांच करने में दिक्कतें आ रही हैं। समिति ने पिछली बैठकों में अफसरों से कई बिंदुओं पर जवाब मांगा था। जांच प्रतिवेदन को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न् बिंदु तय किए गए हैं।
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क्या है मामला?
साल बीज खरीदी में 57 करोड़ स्र्पए के घोटाले का आरोप है। वर्ष 2009 में हुई साल बीज खरीदी में फर्जी फड़ समिति बनाकर झारखंड का सालबीज तीन स्र्पए में खरीदकर यहां दस स्र्पए में खपाया गया। इसमें खरीदी करने वाले विभिन्न् फर्मों से लगभग 56 करोड़ स्र्पए की वसूली की जानी है। इस मामले में अलग-अलग स्तर पर जांच की गई है। पहले बीके सिन्हा की कमेटी और उसके बाद दिनेश श्रीवास्तव कमेटी ने मामले की जांच की।
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इन मामलों की भी जांच लंबित
कांग्रेस विधायक पद्मा मनहर से सारंगढ़ की तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी रानू साहू मौर्य द्वारा किए गए असम्मानजनक व्यवहार संबंधी प्रकरण पर सदस्य सुविधा एवं सम्मान समिति का प्रतिवेदन भी अभी प्रस्तुत नहीं किया गया है। महिलाओं और बालकों की कल्याण संबंधी समिति रायपुर स्थित गुस्र्कुल बाल आश्रम से एक बच्चा बेचे जाने के संबंध में जांच कर रही है। बिलासपुर के विश्रामगृह व अन्य स्थानों पर ठहरने की व्यवस्था के दौरान शासन के निर्देशों, शिष्टाचार क्रम के पालन संबंधी कार्रवाई पर सदस्य, सुविधा एवं सम्मान समिति का प्रतिवेदन भी अब तक प्रस्तुत नहीं किया जा सका है।
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'विधानसभा की समितियों द्वारा विभिन्न् मामलों की जांच कर रिपोर्ट सौंपी जाती है, लेकिन समिति की सिफारिशों पर राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती। आज तक एक भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। विधानसभा की विभिन्न् समितियों द्वारा जिन मामलों की जांच की जा रही है, उनकी जांच प्रक्रिया नई विधानसभा के गठन के बाद आगे बढ़ेगी।" - मोहम्मद अकबर, कांग्रेस विधायक
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'संबंधित समितियां चाहें तो नई विधानसभा के गठन के बाद बनने वाली नई समितियों से इन मामलों की जांच कराने के लिए सिफारिश कर सकती हैं। मौजूदा विधानसभा के विघटन के पहले भी समितियां जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप सकती हैं। बाद में उसे विधानसभा के आगामी सत्र के दौरान सदन में पेश किया जा सकता है।" - देवेंद्र वर्मा, प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ विधानसभा
पुजेरीपाली की खुदाई में मिलेगी सिरपुर जैसी भव्य नगरी
सारंगढ़ से 36 किमी दूर महानदी के किनारे पुजेरीपाली गांव में मिले दूसरी, छठवीं और सातवीं शताब्दी के पुरातत्व अवशेष
00- शिव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर मौजूद
00- जानकारी के बावजूद छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने नहीं किया सर्वेक्षण
सारंगढ़ से 36 किमी दूर पुजेरीपाली गांव में पुरातत्व वेत्ताओं को एक नई पुरातात्विक साइट मिली है। महानदी तट पर मिली यह साइट दूसरी, सातवीं शताब्दी के अवशेष का भंडार है। पुरातत्व वेत्ताओं का दावा है कि पाण्डुवंशी काल में यह क्षेत्र सिरपुर का ही एक बड़ा केंद्र था। पुजेरीपाली में मिले गोपालदेव राजा के लेख में भारतवर्ष के जिन ग्यारह तीर्थों के नाम हैं, उनमें पुजेरीपाली भी एक है। हालांकि इस साइट पर अभी तक कोई खुदाई शुरू नहीं हुई।
ओडिशा वार्डर से 4 किमी और सारंगढ़ से 36किमी उत्तरपूर्व में है- पुजेरीपाली गांव, जहां 4 फीट ऊंची भगवान विष्णु की ग्रेनाइट की मूर्ति ने पुरातत्ववेत्ताओं का ध्यान आकृष्ट किया। हालांकि करीब 100 साल पहले इस साइट की कुछ जानकारी सामने आई थी, लेकिन दशकों बीत जाने के बाद भी जिम्मेदारों ने इस धरोहर की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। एक सप्ताह पहले पुरातत्ववेत्ता अरुण कुमार शर्मा और उनकी टीम ने इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। इस दौरान जो प्रमाण मिले, उसने सभी को हेरत में डाल दिया है। एक विशाल टीले पर सातवाहन काल के मिट्टी के बर्तन, खिलौने, सिलबट्टे सतह पर ही बिखरे पड़े हैं। गांव वाले ही उन्हें उठा-उठाकर अपने घर में रखे हुए हैं। कुछ मूर्तियां भी स्थानीय लोगों के घरों में हैं। 'नईदुनिया" को मिली जानकारी के मुताबिक यहां विशाल शिवमंदिर है। यहीं पर सिरपुर में खुदाई मंे निकला विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर जैसा ही एक लक्ष्मण मंदिर जमीन में दबा हुआ है, जो सातवीं शताब्दी का बताया जा रहा है। पुरातत्ववेत्ताओं की मानें तो यहां मंदिर ही मंदिर हैं, क्योंकि यह हिंदुओं और जैनिज्स्म का तीर्थ स्थल रहा है। इसी मंदिर के दक्षिण में एक और बड़े मंदिर के अवशेष हैं, जिसे गांववाले रानीझूला कहते हैं। दुर्भाग्य ही कहिए कि आज तक कोई भी विभागीय अफसर यहां नहीं पहुंचा, न ही किसी ने इस धरोहर को सहेजने की कोशिश की। यहां बड़े-बड़े स्तंभ टूटे पड़े हुए हैं। इसी मंदिर के गर्भ ग्रह में प्रवेश वाला द्वार सुरक्षित है। स्तंभों में हुई चित्रकारी के अनुसार मंदिर छठवीं शताब्दी में बनवाया गया होगा, ऐसा माना जा रहा है। जिसे लोग गोपाल मंदिर के नाम से जानते हैं। इस मंदिर का भी गर्भग्रह सुरक्षित है, जिसमें शेषसाई विष्णु की मूर्ति है। ठीक वैसी ही जैसी, सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर में स्थापित है। इस मंदिर के सामने 3 फीट ऊंची जैन तीर्थांकर की मूर्ति भी मिली है। सिरपुर की खुदाई करने वाले पुरातत्ववेत्ता अरुण कुमार शर्मा ने 'नईदुनिया" को बताया कि इस क्षेत्र का उत्खनन करना अति आवश्यक है, ताकि इस पुरातात्विक साइट को संरक्षित किया जा सके और सिरपुर की तर्ज पर विकसित किया जाए।
गोपालदेव राजा द्वारा लिखवाया हुआ शिलालेख-
रायपुर स्थिति महंत घांसीदास संग्रहालय मंे रखा एक शिलालेख कल्चुरिकालीन ग्यारहवीं शताब्दी का है, जिसे तत्कालीन राजा गोपालदेव ने लिखवाया था। इसी राजा का लिखवाया हुए शिलालेख कवर्धा जिले के भोरमदेव के मांडवा महल से प्राप्त हुआ है। इन दोनों ही शिलालेखों को इतिहासकार डॉ. विष्णु शास्त्री ने पढ़ा है। ठीक वैसा ही शिलालेख पुजेरीपाली से भी मिला है, जिसमें राजा गोपालदेव ने भारतवर्ष के विभिन्ना तीर्थों के नाम दिए हैं, जिसमें पुजेरीपाली भी एक है।
छत्तीसगढ़ में ईंटों के मंदिरों की एक लंबी श्रृंखला है, जिसका उदाहण सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर भी है। सिर्फ सतह पर ही थोड़ी-बहुत खुदाई करने पर दस-बारह ईंटों के मंदिर मिल जाएंगे। कुछ जमीन के अंदर भी दबे हुए हैं। पुजेरीपाली का इतिहास सदियों पुराना है। हालांकि करीब 100साल पहले इस साइट के बारे में पता चला था, लेकिन किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। अगर वहां पर काम होता है तो अच्छी पहल होगी।
प्रोफेसर एसएल निगम, इतिहासकार
मेरी जानकारी में है
मैं कुछ ही दिनों पहले अरुण शर्मा जी से बात की है। उन्होंने कुछ नई साइट्स का जिक्र किया है, विधानसभा सत्र के बाद संस्कृति, पुरातत्व और पर्यटन तीनों ही विभागों के अफसर सिरपुर जाएंगे और जो भी नई साइट्स है, जहां से मुर्तियां चोरी की सूचना है, वहां पर चौकीदार और नई साइट्स के उत्तखन्न् पर विचार करेंगे। ये सभी बातें मेरी जानकारी में हैं।
आरसी सिन्हा, सचिव, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग
...तो फिर आठ घंटे ड्यूटी करेंगे पुलिस वाले
00- गृहमंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत बीपीआर एंड डी करवा रही पुलिस विभाग में सर्वे
00- 15 बिंदुओं का फॉर्मेट, ली हवलदार से लेकर एसपी, आईजी तक की राय
00- पूछा जा रहा- आठ घंटे ड्यूटी से कितना लाभ, कितना नुकसान
केंद्रीय गृह मंत्रालय, पुलिसवालों से राय ले रहा है कि अगर आठ घंटे यानी तीन शिफ्ट वाली ड्यूटी प्रथा लागू होती है तो उससे क्या लाभ होगा? इसके लिए थाना स्तर से लेकर जिला पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक तक को एक-एक फॉर्मेट दिया गया है, जिसमें तकरीबन 15 सवाल हैं और इन्हीं 15 सवालों मंे मंत्रालय अंतर्गत सर्वे का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। हालांकि छत्तीसगढ़ में इस व्यवस्था के लागू होने में सबसे बड़ा रोड़ा है अमले की कमी।
बीपीआर एंड डी देशभर में एक महत्वपूर्ण सर्वे करवा रही है। इसके लिए भारत सरकार की इस एंजेसी में कार्यरत विशेषज्ञों ने कुछ ऐसे सवाल तैयार किए हंै, जो सीधे एक थाना, चौक-चौराहों पर सिग्नल पर खड़े पुलिसवालों की समस्याओं से जुड़े हुए हैं। इन्हीं सवालों वाले फॉर्मेट की कॉपियां छत्तीसगढ़ भी भेजी गई हैं, जिसमें पूछा गया है कि वर्तमान में आप कितनी घंटे ड्यूटी कर रहे हैं? क्या आप वर्तमान व्यवस्था से खुश हैं? अगर हां तो क्यों, नहीं तो क्यों नहीं? क्या आठ घंटे ड्यूटी वाली व्यवस्था लागू होनी चाहिए? अगर लागू होती है तो इससे क्या फायदे होंगे? वर्तमान में ली जा रही ड्यूटी से आपको किन-किन पारिवारिक, शारीरिक, आर्थिक दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है? और सबसे अंत में कि आप चाहते क्या हैं, व्यवस्था में और कौन-कौन से बदलाव की जरूरत है? रायपुर जिले मंे यह फॉर्मेट 10 प्रमुख थानों में भेजा गया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक थाने में मुंशी, हवलदार के अलावा थाना प्रभारी (टीआई), इनसे ऊपर नगर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी), पुलिस अधीक्षक (एसपी) और पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) ने भी फॉर्मेट भरा है। रायपुर जिले के अलावा सभी 27 जिलों मंे यह सर्वे हुआ है। करीब महीनेभर पहले हुए इस सर्वे की सारी कॉपियां जिलों से पुलिस मुख्यालय भेज दी गई हैं, जहां से ये बीपीआर एंड डी को भेजी जाएंगी। बीपीआर एंड डी प्रत्येक राज्य से आई सर्वे कॉपियों की समीक्षा करेगी और किस राज्य में क्या कमियां हैं, किस राज्य के खाकी वर्दीवाले क्या बदलाव चाहते हैं, रिपोर्ट तैयार कर केंद्रीय गृहमंत्रालय को सौंपेगी। हालांकि 'नईदुनिया" को मिली जानकारी के मुताबिक कुछ साल पहले भी ऐसा एक सर्वे हुआ था, लेकिन बदलाव कुछ भी नहीं हुआ।
प्रदेश में सिर्फ 1490 पद रिक्त- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआईबी) रिपोर्ट 2012 के मुताबिक प्रदेश में डीआईजी से ऊपर रैंक वाले अफसरों के 38पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 37 पर अफसर कार्यरत हैं। इसके अलावा एसपी/एडिशनल एसपी/डीएसपी के 370 में से 271 पर अफसर सेवाएं दे रहे हैं तो वहीं इंस्पेक्टर/सब इंस्पेक्टर/असिस्टेंट सब इंपेक्टर के 3362 में से 2649 पद भरे हुए हैं। वहीं हवलदार के 24269 में से 23602 पद पुलिसवाले सेवाएं दे रहे हैं। यानी प्रदेश में कुल 1490 पद ही खाली हैं। वहीं सिपाहियों की संख्या भी राज्य में लगभग 50 हजार है, भर्ती भी लगातार जारी है।
लेकिन कहां और कैसे आएगी समस्या- पुलिस मामलों के जानकारों का कहना है कि स्वीकृत पदों में से सिर्फ 1490 खाली हैं, जो प्रदेश के लिहाज से रिक्त पदों का कोई बड़ा आंकड़ा नहीं है, न ही चिंता का विषय है। लेकिन 8 घंटे की ड्यूटी व्यवस्था लागू होने के लिए इन्हीं स्वीकृत पदों की कम से कम दोगुनी संख्या चाहिए। बतौर उदाहरण, वर्तमान में अगर एक थाने में 24घंटे में एक थाना प्रभारी, दो एसआई, दो एएसआई, दो हवलदार और दो मुंशी और सिपाही तैनात हैं। यानी इतना ही अमला तीन पालियों में चाहिए, इतना न भी मिल सके दोगुना को कम से कम चाहिए ही, ताकि आठ घंटे की तीन पालियां लगाई जा सकें। इसलिए पुलिस अफसर मान रहे हैं कि बल की कमी है।
सर्वे हो रहा है
बीपीआर एंड डी सर्वे करवा रही है। हालांकि ऐसे सर्वे समय-समय पर पहले भी होते रहे हैं। उन्होंने यह जानने की कोशिश की है कि अगर आठ घंटे ड्यूटी वाली व्यवस्था लागू होती है तो उससे क्या लाभ होगा? इसके लिए एक फॉर्मेट भरवाया गया है, लेकिन जब तक अमले की कमी दूर नहीं होती, यह संभव नहीं है।
रामनिवास, डीजीपी छत्तीसगढ़
आठ घंटे की ड्यूटी होनी ही चाहिए
मैंने भी कई बार कहा है कि आठ घंटे की ड्यूटी तो होनी ही चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय से आठ घंटे की ड्यूटी वाला फॉर्मेट आया है तो इसकी जानकारी मुझे फिलहाल नहीं है।
ननकीराम कंवर, गृहमंत्री, छत्तीसगढ़
बर्खास्त सिपाही ने राज्यपाल से मांगी खुदकुशी की अनुमति
0 नौकरी वापस पाने चार साल से दर-दर भटक रहा
0 चरित्र सत्यापन में तथ्यों की जानकारी नहीं देने पर छीनी नौकरी
पुलिस विभाग से कई प्रशस्ति प्रमाणपत्र पाने वाला एक सिपाही अपनी बर्खास्तगी खत्म कराने के लिए चार साल से मुख्यमंत्री से लेकर पुलिस के तमाम अधिकारियों के चक्कर लगा चुका है। सिपाही की गलती केवल इतनी है कि उसने भर्ती के समय चरित्र सत्यापन वाले कॉलम में तथ्यों की सही जानकारी नहीं दी थी। अंतत: उसने हार मान ली है और अब राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर खुदकुश्ाी की अनुमति मांगी है।
भटगांव जिला सूरजपुर का रहने वाले नंदन कुमार झा के खिलाफ भटगांव थाना में 30 सितंबर, 2000 को बलवा और जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में उसकी गिरफ्तारी भी हुई थी। 21 नवंबर, 2003 को सूरजपुर के तत्कालीन तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए टोप्पो ने नंदन को दोषमुक्त कर दिया था। इसके बाद नंदन ने पुलिस में भर्ती होने के लिए तैयारी की। सिपाही भर्ती में उसका चयन हो गया। शारीरिक परीक्षा में उसने सौ में सौ अंक हासिल किए। 25 सितंबर, 2006 को उसकी यहां ज्वाइनिंग हुई। लगभग ढाई साल उसने रंगरूट रहकर नौकरी की। इसमें से एक साल उसने जगदलपुर में जंगलवार की ट्रेनिंग भी ली। इस दौरान उसे कई अच्छे कामों के लिए प्रश्ास्ति पत्र मिले। कुश्ती में बस्तर केश्ारी का खिताब भी दिया गया। आखिरकार वह दिन आ गया, जो एक सिपाही के लिए हमेशा यादगार रहता है। दीक्षांत परेड का। 12 जनवरी, 2009 को दीक्षांत परेड थी। लेकिन इसके एक दिन पहले रात को नंदन को पुलिस विभाग ने बड़ा झटका दिया। उसे चरित्र सत्यापन में तथ्य छिपाने के कारण बर्खास्त कर दिया गया। नंदन ने बताया कि वह ग्राम सुराज के दौरान चार बार मुख्यमंत्री के सामने अपनी नौकरी वापसी के लिए गुहार लगा चुका है। डीजीपी, आईजी और एसपी रायपुर के दफ्तरों के चक्कर लगाकर थक गया है। इस कारण उसने राज्यपाल से अंतिम गुहार लगाई है।
अधिकारियों ने दुत्कारा
नंदन ने बताया कि अगले दिन वह पूर्व एसपी रायपुर अमित कुमार के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे दुत्कार कर भगा दिया। इसके बाद वह पूर्व आईजी डीएम अवस्थी के पास गया तो उन्होंने धक्के मारकर बाहर करा दिया। पूर्व डीजीपी विश्वरंजन, अनिल एम नवानी और वर्तमान डीजीपी रामनिवास से भी मिल चुका है। किसी भी अधिकारियों ने उसकी नहीं सुनी।
हाईकोर्ट ने नौकरी वापस दिलाई
ऐसे ही एक मामले में तीन माह पहले हाईकोर्ट बिलासपुर ने नौकरी वापस दिलाई। वर्ष 2009 में परमेश्वर विश्वकर्मा की राजनांदगांव बटालियन में सिपाही का चयन हुआ था। उस पर भादंवि की धारा 294 के तहत अर्थदंड लगा था। उसने चरित्र सत्यापन में यह तथ्य नहीं दिया था। इसी कारण उसे बर्खास्त कर दिया गया। उसने हाईकोर्ट में अपील की। दो अप्रैल, 2013 को हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने टीप में लिखा कि पहले और छोटे आपराधिक मामले के लिए किसी को जिंदगीभर की सजा नहीं दी जा सकती।
15 अगस्त को दूंगा जान
एसपी ऑफिस के स्टॉफ से पूछने के बाद मैंने चरित्र सत्यापन में गिरफ्तारी की जानकारी नहीं दी थी, क्योंकि कोर्ट ने मुझे दोषमुक्त कर दिया था। फिर भी मैंने गलती सुधारने के लिए नया आवेदन तथ्य के साथ दिया। साथ में कोर्ट के फैसले की प्रति भी लगाई थी, जिसमें मुझे दोषमुक्त किया गया था। उसके बाद भी मेरी नहीं सुनी गई। यह अन्याय है। मुझ पर अपराध साबित नहीं हुआ, उसके बाद भी बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई। एक माह में मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं 15 अगस्त को खुदकुशी कर लूंगा।
नंदन कुमार झा
बर्खास्त सिपाही
सिरपुर में है वर्ल्ड हेरीटेज की खासियत
0 देशभर के पर्यटन मंत्रियों के सम्मेलन में बृजमोहन ने बताईं राज्य में पर्यटन की विशेषताएं
0 केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री के. चिरंजीवी से नए प्रस्तावों पर मंजूरी का आग्रह किया
सिरपुर में वर्ल्ड हेरीटेज यानी विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने की सारी विशेषताएं हैं। इसे विश्व स्तर पर बौद्ध पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सकता है। जरूरत पर्याप्त प्रचार-प्रसार की है। यह बात राज्य के पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने दिल्ली में जुटे देशभर के पर्यटन मंत्रियों के सम्मेलन में कही। उन्होंने राज्य में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक के अलावा रहस्य और रोमांच पर्यटन की पर्याप्त संभावनाओं के बारे में बताया।
रायपुर(ब्युरो)। पर्यटन मंंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि सिरपुर में 2005 से चल रही खुदाई में आधा दर्जन से अधिक बौद्ध विहार, शैव संप्रदाय के मंदिर सहित प्राचीन नगर के अवशेष मिले हैं। खुदाई में मिले नगर को देखकर लगता है कि यह प्राचीन बौद्ध नगर के रूप में विकसित हो गया था। इसका विश्व स्तर पर बौद्ध पर्यटन केंद्र के रूप में प्रचार होना चाहिए। श्री अग्रवाल ने सिरपुर का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले दिनों तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने सिरपुर की यात्रा की थी और वे पुन: सिरपुर आने वाले हैं। श्रीलंका सरकार ने भी सिरपुर में काफी रुचि दिखाई है। राज्य सरकार अपनी ओर से सिरपुर को बौद्ध, शैव और वैष्णव धर्म के समागम केन्द्र के रूप में विश्व की धरोहर सूची में सम्मिलित करने के लिए उसे उसी अनुरूप विकसित करने की योजना पर काम कर रही है। सिरपुर में अभी उत्खनन का काम चल रहा है। उन्होंने राजिम कुंभ को भी धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने में केन्द्र सरकार के सहयोग का आग्रह किया। सम्मेलन में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक संतोष मिश्रा भी उपस्थित थे। सम्मेलन की अध्यक्षता केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री के. चिरंजीवी ने की।
रहस्य और रोमांच से भरा है छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन के अतिरिक्त रहस्य और रोमांच से भरे पर्यटन स्थलों की बहुतायत है। श्री अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थित कैलाश, कोटमसर और अन्य गुफाओं को जो पूरे देश्ा में अपनी तरह की अनूठी गुफाएं हैं, को विश्वभर में रहस्य और रोमांच से भरे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने लिए पेशेवर और तकनीकी सहायता देने का आग्रह किया । पर्यटन के विकास और विस्तार की असीम संभावनाओं के दोहन के लिए राज्य शासन द्वारा भेजे गए पर्यटन विकास के प्रस्तावों को तत्काल मंजूरी देने की मांग केन्द्र शासन से की है।
तीन साल से नहीं मिली सहायता
बृजमोहन अग्रवाल ने केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि गत तीन वर्षों से राज्य को पर्यटन के क्षेत्र में कोई सहायता नहीं मिली है। राज्य की ओर से भेजे गए किसी नए प्रस्ताव को मंजूरी भी नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अपने वित्तीय स्रोतों से राज्य में व्यापक पर्यटन अधोसंरचना निर्माण का कार्य किया है। पर्यटन मंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ ने अपनी पर्यटन नीति में वन क्षेत्रों और अन्य दूरस्थ पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं के निर्माण के लिए छूट और सहायता देने के प्रावधान किए हैं। श्री अग्रवाल ने केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री श्री के. चिरजीवी से मुलाकात कर व्यक्तिगत रूप से राज्य के पर्यटन विकास के प्रस्तावों को प्राथमिकता के आधार पर मंजूरी देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ वन क्षेत्रों वाला आदिवासी बहुल राज्य है। प्रदेश सरकार द्वारा पर्यटन विकास को प्राथमिकता देते हुए अभी तक राज्य के प्रमुख पर्यटन केन्द्रों में पर्यटकों के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित करने 200 करोड़ रूपए की अधोसंरचनाएं विकसित की गई हंै।
उबड़-खाबड़ सड़कें दे रही हादसे को न्योता
0 सड़क बराबर न होने से उछलते हैं दोपहिया सवार
राजधानी की उबड़-खाबड़ सड़कें हादसे को न्योता दे रही हैं। सड़कों का निर्माण करने वाली एजेंसियां ऐसी डामरी और क्रांक्रीटीकरण कर रही हैं कि सड़कें समतल नहीं बन रही हैं और वाहन चालक आए दिन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। दो दिन पहले गुरुकुल कॉम्पलेक्स व नगर निगम गार्डन के सामने नाले पर बनी पुलिया को पार करते समय एक्टीवा उछलने से उस पर पीछे बैठी अधेड़ महिला सड़क पर गिर गई और उसकी मौत हो गई। इस घटने ने बिना मापदंड के हो रहे डामरीकरण की पोल खोल दी है। शहर में ऐसे कई स्थान हैं, जहां दोपहिया सवार लगातार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम और पीडब्ल्यूडी विभाग सड़कें सुधारने की दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं।
ये हैं खतरनार स्पॉट
कालीबाड़ी और महिला थाने के बीच गुरुकुल काम्पलेक्स के ठीक सामने नाले पर बनी पुलिया काफी खतरनाक है। कुछ महीने पहले ही इस सड़क पर डामरीकरण किया गया, लेकिन पुलिया और सड़क को बराबर नहीं किया गया। वाहन चालकों का कहना है कि यहां से गुजरते समय गाड़ी उछलती है। यहां पर थोड़ी सी असावधानी खतरनाक साबित हो सकती है। हमेशा व्यस्त रहने वाली इस सड़क पर पुलिया को पार करते समय ब्रेकर पार करने जैसा एहसास होता है।
रोज हादसा
नगर निगम मुख्यालय व्हाइट हाउस के सामने मुख्य द्वार के दोनों तरफ सड़क पर किया गया क्रांक्रीटीकरण बराबर नहीं है। यहां पर रोज कोई न कोई दोपहिया सवार अनियंत्रित होकर गिरता है। पुजारी पार्क के बाजू से टैगौरनगर की ओर जाने वाली क्रांकीट सड़क का भी हाल कुछ ऐसा ही है। दोनों तरफ की सड़क बराबर न होने के कारण बड़ी सावधानी गाड़ी चलानी पड़ती है। इसके अलावा शहर में कई और स्थान खतरनाक हैं।
केस वन- 30 मार्च की शाम 4 बजे
कुष्ठ अस्पताल लालपुर में पंप मैकेनिक व लालपुर निवासी श्यामलाल दत्ता की पत्नी काजल दत्ता (50) बेटी सोनाली के साथ एक्टीवा पर पीछे बैठाकर रेलवे स्टेशन ले जा रही थी। कालीबाड़ी चौक से आगे गुरुकुल काम्पलेक्स के मुहाने से लगी पुलिया को पार करते समय अचानक एक्टीवा उछली और काजल दत्ता बीच सड़क पर गिर गई। इस घटना में उनके सिर में चोट लगी थी। अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
केस टू- 27 मार्च की शाम
उरला निवासी फैक्ट्री कर्मी रमेश यादव (32) बाइक समेत अनियंत्रित होकर उरला थानाक्षेत्र के गोमची पुलिया के नीचे गिर गया था। वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। इलाज के दौरान दूसरे दिन अस्पताल में रमेश की मौत हो गई। पुलिस ने जांच में हादसे के शिकार बाइक चालक की लापरवाही से हादसा होना पाकर मृतक रमेश के खिलाफ ही धारा 304 ए का अपराध कायम कर लिया है।
दस माह में 47 गैंगरेप
प्रदेश के 27 जिलों में बीते दस माह में गैंगरेप के 47 और बलात्कार के 883 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी हवस के भूखे लोग प्रदेश के किसी न किसी कोने में हर छठे दिन सामूहिक दरिंदगी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। वहीं हर रोज तीन महिलाओं या बच्चियांे के साथ बलात्कार हो रहा है।
जिला बलात्कार गैंगरेप
रायपुर 84 04
बलौदाबाजार 40 02
महासमुंद 31 00
धमतरी 20 00
दुर्ग 84 07
बालोद 21 01
बेमेतरा 19 02
राजनांदगांव 27 00
कबीरधाम 17 00
गरियाबंद 16 01
बिलासपुर 41 01
मुंगेली 07 00
रायगढ़ 69 04
जांजगीर-चांपा 29 01
कोरबा 26 00
सरगुजा 59 01
जशपुर 67 03
कोरिया 41 05
बलरामपुर 52 03
सूरजपुर 55 07
जगदलपुर 28 00
कोण्डागांव 11 00
दंतेवाड़ा 05 01
सुकमा 02 00
कांकेर 24 02
बीजापुर 02 02
नारायणपुर 04 00
रेल रायपुर 02 00
कुल 883 47
(आंकड़े 28 जनवरी 2013 की स्थिति में)
फास्ट ट्रैक कोर्ट में बच्चों के आपराधिक मामलों की भी होगी सुनवाई
0 जिला एवं सत्र न्यायालय के स्तर पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की तैयारी शुरू
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ होने वाले आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए जल्द प्रत्येक जिले में जिला सत्र न्यायालय के स्तर पर फास्ट ट्रैककोर्ट की स्थापना की तैयारी चल रही है। फास्ट ट्रैक कोर्ट में बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम तथा 'लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012" के तहत दर्ज मामलों की भी सुनवाई की जा सकेगी। फास्ट ट्रैक कोर्ट में जहां तक संभव हो सकेगा, महिला जजों की नियुक्ति की जाएगी।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले में जिला सत्र न्यायालय के स्तर पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना के लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिल चुकी है। इसके बाद राज्य सरकार द्वारा सभी सोलह जिला एवं सत्र न्यायालयों के स्तर पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। वित्त विभाग की मंजूरी मिलने के बाद सोलह जिलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट अस्तित्व में आ जाएंगी। प्रत्येक फास्ट ट्रैक कोर्ट में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की पदस्थापना की जाएगी।
दिल्ली गैंगरैप कांड के अलावा हाल ही में कांकेर व बालोद जिले के कन्या आश्रम में आदिवासी बच्चियों के साथ हुई दुष्कर्म की घटना के बाद ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रदेश सरकार यह कदम उठा रही है। प्रदेश में महिलाओं व बालिकाओं पर अत्याचार व छेड़छाड़ की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने और दोषी व्यक्तियों को सजा दिलाने के लिए विधानसभा के बजट सत्र में संशोधन विधेयक भी पारित किया गया। ऐसे मामलों में पुलिस थानों में थानेदारों के साथ महिला अधिकारी की मौजूदगी में एफआईआर दर्ज होगी।
वर्जन...
महिला उत्पीड़न व छेड़छाड़ से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना जल्द से जल्द करने की तैयारी चल रही है। फास्ट ट्रैक कोर्ट में बच्चों के खिलाफ होने वाले आपराधिक मामलों की भी सुनवाई की जा सकेगी। फास्ट ट्रैक कोर्ट में जहां तक संभव हो सकेगा, महिला जजों की नियुक्ति का प्रस्ताव है।
- एके सामंतरे, प्रमुख सचिव, विधि विभाग
छत्तीसगढ़ के जंगल में घोर अमंगल
-लुप्तप्राय वन्य प्राणियों की जान खतरे में ,2 साल में 91घटनाएं
-वन अपराधों को पूरी तरह से रोक पाना नामुमकिन -मुख्य वन संरक्षक
-वन विभाग लेगा वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की मदद
यह घटते जंगल और बढ़ती आबादी के बीच जन्म ले रहे असंतुलन की कहानी है। यह इंसान की बस्ती के बढ़ने और वन्य जीवों के रहवास के सिकुड़ने की भी कहानी है। छत्तीसगढ़ में वन्य जीवों और इंसान के बीच खुरेंजी का एक नया दौर शुरू हो गया है। वन्य जीव, गांवों -कस्बों में घुसकर इंसानों को मार रहे हैं तो इंसान भी वन्य जीवों की हत्या कर रहे हैं। लगभग 8171 हेक्टेयर में फैले वन्य जीव अभयारण्यों में ऐसा कोई दिन नहीं बीतता, जब वन्य जीवों संबंधी अपराध न हो। दुखद यह है कि छत्तीसगढ़ वन विभाग के पास लुप्तप्राय वन्य जीवों की संख्या का निश्चित आकलन तक उपलब्ध नहीं है। यह वो वक्त है, जब प्रदेश में वन अपराधों की बाढ़ आई हुई है। डोंगरगढ़ के जंगलों में तीन कोटरी का शिकार करने के आरोप में एक पूरा गैंग पकड़ा गया है। अलग -अलग इलाके से वन तस्करों के भी गिरफ्तारी की सूचना मिल रही है। मुख्य वन संरक्षक (वाइल्ड लाइफ )अनूप श्रीवास्तव कहते हैं कि देखिए, ये अपराध रोके नहीं जा सकते। हां, इन्हें नियंत्रित करने की कोशिशभर की जा सकती है। राज्य में अकेले 2009-10 तक के जो अंतिम आंकड़े उपलब्ध हंै, उनके अनुसार इस अवधि में 69 वन्य जीवों की हत्या की गई, वहीं 2010 से 2012 के बीच वन्य जीवों के शिकार की 91 घटनाएं घटने की सूचना है। दुखद यह है कि इस दौरान मारे जाने वाले वन्य जीवों में से तीन दुर्लभ श्रेणी के बाघ और तीन ही जंगली बिल्लियां भी थीं। काबिलेगौर है कि क्रूरतम श्रेणी के वन अपराधों में आदिवासी -गिरिजनों के शामिल होने की तादाद बेहद कम है। ज्यादातर मामलों में शिकार का काम गैर आदिवासी ,आर्थिक लाभ के लिए कर रहे हैं
जहां तक हाथियों का सवाल है, राज्य में पिछले चार वर्षों में हाथियों ने 70 इंसानों को मारा तो केवल दो वर्षों में 30 हाथियों की जान गई है। अगर मौत की प्राकृतिक वजहों को छोड़ दिया जाए तो इंसानों ने इन्हें मारने के लिए बिजली के झटकों और जहरखुरानी तक का इस्तेमाल किया है। गौरतलब है कि वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सरकार अब तक 125 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च कर चुकी है। आलम यह है कि बाघों की संख्या साल दर साल घटती जा रही है। एक तरफ वन विभाग के आंकड़े कहते हैं कि राज्य में 24-27 बाघ हैं, जबकि मुख्य वन संरक्षक छत्तीसगढ़ दूसरी तरफ खुद ही स्वीकार करते हैं कि उनकी गिनती का काम संभव नहीं है ।राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली एवं भारतीय वन्य प्राणी संस्थान-देहरादून द्वारा वन्य प्राणियों के आंकलन के संबंध में प्रकाशित रिपोर्ट बाघों को लेकर वन विभाग के झूठ का पर्दाफाश करती है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में 2008 में 3609 वर्ग किमी बाघ रहवास क्षेत्र था, जो 2008--10 में घटकर 3514 वर्ग किमी रह गया यानी की बाघ मर रहे हैं और उनकी उपस्थिति का क्षेत्र घट रहा है । केन्द्र से मिलने वाली राशि का यदि आकलन करें तो पता चलता है कि वन विभाग हर साल एक बाघ पर करीब 8 लाख रुपए खर्च कर रहा है, लेकिन उनकी संख्या फिर भी निरंतर कम क्यों हो रही है? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
प्रदेश की भूमि का 44 फीसदी हिस्सा जंगल है। इसमें तीन टाईगर रिजर्व - इंद्रावती, अचानकमार, उदंती-सीतानदी, आठ अभयारण्य - बादलखोल, गोमर्डा, बारनवापारा, तमोरपिंगला, सेमरसोत, भैरमगढ़, पामेड़, भोरमदेव, दो राष्ट्रीय उद्यान - कांगेर घाटी और गुरु घासीदास हैं। ये कुल 11310.9977 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो राज्य के कुल वनक्षेत्र का 16.08 फीसदी है।
जंगल चला केपिटल सिटी की ओर
अब जंगल के राजा और जंगल की प्रजा की जान खतरे में है। राज्य सरकार ने नया रायपुर में जंगल सफारी की स्थापना का निर्णय लिया है। इसके लिए नया रायपुर अथॉरिटी द्वारा 202 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गई है। 170 हेक्टेयर भूमि वन विभाग के आधिपत्य में दे दी गई है। शेष 32 हेक्टेयर भूमि का अर्जन किया जा रहा है। इसके लिए राज्य कैम्पा की वार्षिक योजना में वर्ष 2013-14 के लिए 20 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। इस सफारी में शेर ,बाघ ,तेंदुआ ,भालू नीलगाय ,सांभर ,कोटरी ,भेड़िया ,चीतल बायसन आदि रखे जाएंगे
वर्जन-
छत्तीसगढ़ में स्थिति बेहद चिंताजनक है। वन अपराधों से जुड़े जो मामले वन विभाग को देखने चाहिए, उन्हें पुलिस देख रही है। दरअसल वन अपराधों को रोकने के लिए कोई योजनाबद्ध कार्यक्रम ही नहीं है। जब तक वन्य जीवों की रक्षा को लेकर कोई निश्चित लक्ष्य नहीं होगा,अपराध नहीं रुकेंगे। जहां तक आदिवासियों द्वारा अपराध किए जाने की बात है, आदिवासी अगर वन अपराध करते हैं तो भोजन के लिए आर्थिक लाभ के लिए नहीं, वन अपराधियों की श्रेणी विशिष्ट होती है, जो केवल ज्यादा से ज्यादा धन कमाने के लिए अपराध करती है।
मीता गुप्ता, वन्यजीव विशेषज्ञ
वर्जन -
हमने वन अपराधों की रोकथाम के लिए वन्य जीव अपराध बोर्ड के साथ काम करने का निर्णय लिया है। उनका हम छत्तीसगढ़ में वन अपराधों का विस्तृत डाटा बैंक तैयार करने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा वन अपराध में शामिल लोगों को चिह्नित भी किया जा रहा है,जिससे कि उन लोगों की पहचान कर उन पर निगाह रखी जा सके।
मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव )
अनूप श्रीवास्तव
बसों की छत पर ढो रहे खतरा
0 सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बाद भी सामान लोड किया जा रहा
0 परिवहन अधिकारी देखकर भी नहीं करते कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जी उड़ाते हुए बसों की छत पर सामान ढोया जा रहा है। परिवहन अधिकारी बस स्टैंड से निकलते समय यह नजारा रोज देखते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं की जाती है। बसों की छत पर सामान ढोने से दुर्घटना की आशंका रहती है, इसी कारण सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदी लगा दी है।
नईदुनिया ने बस स्टैंड पंडरी और बस स्टॉपेज का दौरा किया। इस दौरान कई बसों ेकी छत पर सामान दिखाई पड़ा। किसी बस में कई साइकिलें रखी थीं तो किसी में लोहे की लंबी-लंबी पाइप। किसी पर बड़े कॉर्टून तो किसी पर बोरियां। कुछ बसों की छत तो सामान से पूरी तरह पैक दिखाई पड़ी। छत में सामान रखने से दुर्घटना हो सकती हैै। गड्ढे या ब्रेकर के कारण कहीं बस उछली तो सामान के छिटककर फेंकाने की संभावना रहती है। ऐसा हुआ तो बस के अगल-बगल या आगे-पीछे चल रहे दूसरे लोग उसकी चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा छत में सामान रखने से बस का संतुलन भी बिगड़ता है। टर्निंग या गड्ढे में बस पलट भी सकती है। लेकिन सुरक्षा को दरकिनार कर बस मालिक कमाई में लगे हुए हैं। परिवहन विभाग भी चुप्पी साधे हुए है।
कमाई के चक्कर में नियम ताक पर
सुप्रीम कोर्ट ने बस में पीछे की तरफ लगेज रखने के लिए जगह बनाने के निर्देश जारी किए हैं। अधिकांश बसों में उस तरह की व्यवस्था कर ली गई है, लेकिन कमाई के चक्कर में अधिक से अधिक सामान की बुकिंग कर ली जाती है। पीछे तरफ की जगह भर जाती है तो छत पर सामान लोड कर दिया जाता है।
सुरक्षा को खतरा
ओडिशा और महासमुंद की तरफ से आने वाली बसों में पुलिस ने कई बार गांजा जब्त किया है। क्राइम ब्रांच ने हथियारों के तस्कर को भी पकड़ा है। जिस तरह से छत पर सामान को ढंककर ढोया जाता है, उससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है। क्योंकि, तिरपाल या पॉलीथिन हटाकर न कभी पुलिस चेक करती है और न ही परिवहन विभाग।
दिखता नहीं या देखना नहीं चाहते
बस स्टैंड के पीछे परिवहन आयुक्त का कार्यालय है। परिवहन आयुक्त से लेकर अतिरिक्त परिवहन आयुक्त, सहायक परिवहन आयुक्त समेत दूसरे अधिकारी-कर्मचारी रोजाना बस स्टैंड से गुजरते हैं। आरटीओ रायपुर का भी अक्सर आना-जाना होता है। तमाम अधिकारी बसों की छत पर सामान देखते हैं। उसके बावजूद जब नईदुनिया ने आरटीओ से चर्चा की तो उन्होंने ऐसा जाहिर किया कि उन्हें पता ही नहीं है।
वर्जन---
कार्रवाई होगी
बस की छत पर कोई भी सामान लोड कर ले जाने पर पाबंदी है। उसके बाद भी बसों की छत पर सामान ढोए जा रहे हैं तो यह गलत है। परिवहन विभाग कार्रवाई करेगा।
डोमन सिंह
आरटीओ, रायपुर
365 दिन में अवैध उत्खनन के 273 मामले
0 छत्तीसगढ़ मंे चरम पर है खनिज का बेजा कारोबार
0 अवैध परिवहन के लगभग दो हजार मामले
खनिज संपदा से भरपूर छत्तीसगढ़ मंे अवैध खुदाई का कारोबार जोरों पर है। इस साल 365 दिनों में 273 मामले दर्ज किए गए हैं। अवैध खुदाई के सबसे अधिक मामले सरगुजा जिले में दर्ज किए गए हैं। रायगढ़ और दुर्ग में भी अवैध उत्खनन के अधिक मामले सामने आए हैं।
छत्तीसगढ़ में लगभग 28 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। प्रदेश के उत्तर में कोयला, बॉक्साइट, ग्रेफाइट, दक्षिण में लौह अयस्क, टिन, कोरण्डम, तांबा एवं सीसा, पूर्व में हीरा, एलेक्जेंड्राइट एवं गार्नेट और पश्चिम में फ्लोराइट, लौह अयस्क, तांबा आदि खनिज पाए जाते हैं। प्रदेश के मध्य भाग में सीमेंट बनाने के पत्थर,लाइम स्टोन, डोलोमाइट, क्वार्ट्ज, क्ले, टाल्क, मार्बल आदि पाए जाते हैं।
अवैध परिवहन के मामले भी बढ़े
प्रदेश में अवैध खनन के कारण अवैध परिवहन के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में अवैध परिवहन के कुल 1819 मामले दर्ज किए गए हैं, सबसे अधिक अवैध परिवहन के मामले प्रदेश के जांजगीर जिले में दर्ज किए गए हैं। दुर्ग और राजधानी रायपुर में अवैध परिवहन के मामले अधिक संख्या में दर्ज किए गए हैं।
राजस्व वसूली में पिछड़ा विभाग
खनिज विभाग द्वारा वर्ष 2012-13 में 3105 करोड़ रुपए राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसके विरुद्ध विभाग द्वारा साल 2012 में सिर्फ 2155 करोड़ 3 लाख 82 हजार रुपए ही वसूल किए जा सके। इस तरह विभाग लगभग एक हजार करोड़ रुपए की वसूली नहीं कर पाया। मुख्य खनिज जैसे कोयला, चूना पत्थर, लौह अयस्क, डोलोमाइट, बाक्साइट, क्वार्टज एवं क्वार्टजाइट, मोल्डिंग सैण्ड, टिन अयस्क और विविध खनिज तथा गौण खनिज चूना पत्थर, मुरुम, रेत, मिट्टी से वर्ष 2010-11 मंे कुल 246145.78 लाख रुपए खनिज राजस्व के रूप में मिला है। इसमें सबसे अधिक राजस्व कोयला से 107731 लाख रुपए तथा लौह अयस्क से 35898 लाख रुपए प्राप्त हुआ है।
पिछले दो साल में प्रदेश में अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन के मामले और वसूला गया जुर्माना
वर्ष - अवैध उत्खनन - वसूली गई राशि - अवैध परिवहन - वसूली गई राशि
2009-2010 - 397 - 6422831 - 2403 - 20013500
2010-2011 - 465 - 6529405 - 2421 - 13671573
2011-2012 - 273 - 1383900 - 1819 - 15239000
डिब्बा ट्रेनिंग में डूबे साढ़े तीन सौ करोड़
0 राजधानी में एमसीएक्स का पांच साल में व्यापक फैलाव हुआ
0 सोना ट्रेडिंग का 70 फीसदी कारोबार अवैध चल रहा
0 रोजाना ढाई से तीन करोड़ की होती है बुकिंग
0 16 से 50 साल की उम्र वाले फंस चुके हैं जाल में
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में सोने का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है। बोलचाल में डिब्बा ट्रेडिंग कहे जाने वाले इस कारोबार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां रोजाना ढाई से तीन करोड़ के सोने की अवैध ट्रेडिंग होती है। हालत यह है कि 65 से 70 फीसदी छोटे-बड़े सराफा कारोबारी एमसीएक्स की जाल में फंस चुके हैं। इसमें 16 साल की उम्र के किशोर भी शामिल हैं। इसी कारण पिछले सात-आठ सालों में एमसीएक्स के जरिए साढ़े तीन सौ करोड़ से अधिक रकम यहां से बाहर जा चुकी है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज का काम करने के लिए लाइसेंस जारी होता है। बिना लाइसेंस के यह काम अवैध है। लेकिन इस अवैध कारोबार की जड़ें राजधानी में काफी फैल चुकी हैं। एमसीएक्स को बोलचाल में डिब्बा ट्रेडिंग कहा जाता है। न केवल सराफा कारोबारी, बल्कि जमीन कारोबारी, कुछ नेता, बिल्डर और अन्य लोग भी एमसीएक्स में एक झटके में करोड़ों का वारान्यारा करने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं, जो इस सपने में फंसकर बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। न केवल उन्हें, बल्कि परिवार के लोगों को भी अब कई तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है। तगादेदार अलग घर में आकर धमकी दे रहे हैं। एमसीएक्स का रोज का कारोबार पांच साल पहले तक लाखों में होता था। लेकिन अब करोड़ों में पहुंच गया है।
पूरा कारोबार टैक्स चोरी के लिए
एमसीएक्स का अवैध कारोबार टैक्स चोरी के लिए चल रहा है। एमसीएक्स पूरा कारोबार कच्चा होता है। इसकी कोई लिखा-पढ़ी नहीं होती है। यह काम आपसी विश्वास पर होता है। ग्राहक बाजार देखकर बुकी को सोना बेचता या खरीदने के लिए लाट बुक कराता है। दाम घटने या बढ़ने पर ग्राहक का नफा-नुकसान तय होता है। बुकी तो कैसे भी अपनी रकम ग्राहक से निकाल लेते हैं, लेकिन अगर, उसे ग्राहक को देना हो तो कई बार मुकर जाते हैं। एमसीएक्स बाजा में ऐसी काफी शिकायतें हैं।
गुजरात है एमसीएक्स का हब
जानकारों के अनुसार स्टॉक मार्केट की तरह एमसीएक्स का बड़ा बाजार गुजरात है। वहीं से एमसीएक्स के भाव बुकियों तक पहुंचते हैं। एमसीएक्स के बुकियों को हर तरह से ऐश कराया जाता है। मालूम हुआ है कि कुछ समय पहले गोवा में देशभर के बुकियों की पार्टी रखी गई थी। रायपुर के भी कुछ बड़े बुकी उसमें शामिल हुए थे। इस पार्टी में बुकियों को विदेशी कॉलगर्ल उपलब्ध कराई गई थीं।
केवल सोना नहीं, और भी बहुत कुछ
एमसीएक्स में केवल सोने पर पैसा नहीं लग रहा है। अनाज, दूसरी धातु अ ौर प्रोडक्ट्स का भी एमसीएक्स होता है। इस कारोबार में पैसा लगाने वालों को डुबाने के लिए डिमांड बढ़ाकर सामान का दाम एकदम ऊंचाई पर पहुंचा दिया जाता है। फिर एक झटके से दाम तोड़ देते हैं। इससे पैसा लगाने वाले डूब जाते हैं।
पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही
वर्ष 2011 में एमसीएक्स के खिलाफ राजधानी पुलिस ने पहली कार्रवाई की थी। तत्कालीन सीएसपी कोतवाली श्वेता सिन्हा के नेतृत्व में रामसागर पारा के एक ट्रैवल्स कारोबारी के कार्यालय में छापा मारा गया था। तभी, न केवल शहर, बल्कि प्रदेश के कई बड़े शहरों में अवैध रूप से चल रहे एमसीएक्स कारोबार की भंडाफोड़ हो गया था। लेकिन, उसके बाद पुलिस हाथ पर हाथ धरकर बैठी रही। एमसीएक्स बाजार के बड़े मगरमच्छों तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं हुई।
दो इनामी बुकी अब तक गिरफ्तार नहीं
राजधानी में मन्न्ू उर्फ अभिनंदन नत्थानी और नितिन चोपड़ा का नाम तीन-चार सालों से चर्चा में है। दोनों ही एमसीएक्स बुकी हैं। इन्होंने वसूली के लिए गुंडे हायर किए। इनके खिलाफ कई शिकायतें हैं। इस कारण पुलिस ने दोनों पर दस-दस हजार स्र्पए के इनाम की घोषणा भी की है। दोनों अंडरग्राउंड रहकर एमसीएक्स का कारोबार चला रहे हैं। मन्न्ू खुद को लाइसेंसी एमसीएक्स कारोबारी बताता था। उसके एजेंट के रूप में अनिल भंडारी, सन्न्ी नायडू, जीतू कोचर और प्रशांत कोचर काम करते थे।
गुंडागर्दी पर उतरे
एमसीएक्स के कारोबार में खुलेआम गुंडागर्दी चल रही है। पैसा वसूली के लिए गुंडे हायर किए जा रहे हैं। पहले लोकल और अब एक-डेढ़ साल से बाहर के गुंडों को भी वसूली का ठेका दिया जाने लगा है।
- अक्टूबर-नवंबर 2011 में देवेंद्रनगर के एक एमसीएक्स कारोबारी से 35-40 लाख स्र्पयों की वसूली करने के लिए एमसीएक्स बुकी नितिन चोपड़ा ने स्टेशन इलाके के गुंडे गुड्डा उर्फ रविंद्र पांडे और पिंकू उर्फ पंकज दास को हायर किया था। इन्होंने एमसीएक्स कारोबारी के कार्यालय में तोड़फोड़ की थी।
- पंडरी के टाइल्स कारोबारी अमित शेरवानी ने एमसीएक्स में ढाई लाख स्र्पए वसूलने के लिए एमसीएक्स बुकी मन्न्ू नत्थानी ने तीन लोकल गुंडों को हायर किया था। इन गुंडों ने पुराना बस स्टैंड में एएसपी सिटी के पुराने ऑफिस के सामने अमित से मारपीट की थी।
- विपुल जैन से पांच लाख स्र्पए की वसूलने के लिए बुकी की तरफ से उसे लगातार धमकियां मिल रही थीं। तब, लगभग पौने दो साल पहले उसके पिता विमल जैन ने सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
- जमीन कारोबारी अभय नाहर पर एमसीएक्स कारोबारी ने डेढ़ करोड़ की देनदारी निकाल दी थी। लगभग एक करोड़ उसने ज्वलेरी और अपने प्लॉट बेचकर दिए थे। 50 लाख की वसूली के लिए अभय का अपहरण कर मारपीट की गई थी।
एमसीएक्स ने कई को डुबाया
- डॉल्फिन स्कूल के संचालक राजेश शर्मा के 120 करोड़ स्र्पए एमसीएक्स में डुबने की चर्चा है। बुकियों से धमकी मिलने के कारण ही वह पत्नी उमा और बच्ची के साथ यहां से भाग गया।
- कुछ माह पहले एक कारोबारी ने अपनी कार को महादेव घाट के किनारे छोड़कर खास्र्न नदी में छलांग लगा दी थी। वह अब तक नहीं मिला है। चर्चा है कि एमसीएक्स में उसके सात करोड़ डूब गए थे।
- एमसीएक्स में डुबने के कारण सदर बाजार का सोनू उर्फ शशिकांत पवार अंडरग्राउंड हुआ तो उसके भाई दिलीप पवार पर बुकियों ने दबाव बनाया। तब, दिलीप को खुदकुशी करनी पड़ी।
फ्लाइट से भेजे जाते थे बॉक्स में पैसे
सराफा कारोबारियों के बीच चर्चा है कि अशोक गोलछा की एक निजी एयरलाइंस कंपनी से सांठगांठ थी। गोलछा एमसीएक्स के करोड़ों स्र्पयों को इस एयरलाइंस की फ्लाइट्स से दिल्ली भेजता था। स्र्पयों को बॉक्स में पार्सल की तरह बंद करता था। उस बॉक्स की न यहां और न ही दिल्ली के एयरपोर्ट में चेकिंग होती थी। बॉक्स सीधे स्कैनर से पार हो चुके दूसरे लगेज तक पहुंचाए जाते थे।
महाराष्ट्र से पुलिस पर दबाव
इस बात की चर्चा है कि महाराष्ट्र के कुछ बड़े राजनेताओं के कॉल यहां की पुलिस को आ रहे हैं। इनमें एक मंत्री भी शामिल है। पुलिस पर पवार परिवार के पक्ष में कार्रवाई करने का दबाव लगातार बनाया जा रहा है।
सोने के अवैध कारोबार में फंसे 70 फीसदी सराफा व्यवसायी
0 राजधानी में एमसीएक्स का पांच साल में व्यापक फैलाव हुआ
0 रोज तीन करोड़ के सोने की अवैध ट्रेडिंग
0 सोना ट्रेडिंग का 70 फीसदी कारोबार अवैध चल रहा
0 रोजाना ढाई से तीन करोड़ की होती है बुकिंग
0 16 से 50 साल की उम्र वाले फंस चुके हैं जाल में
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में सोने का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है। बोलचाल में डिब्बा ट्रेडिंग कहे जाने वाले इस कारोबार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां रोजाना ढाई से तीन करोड़ के सोने की अवैध ट्रेडिंग होती है। हालत यह है कि लगभग 70 फीसदी छोटे-बड़े सराफा कारोबारी एमसीएक्स के जाल में फंस चुके हैं। इसमें 16 से लेकर 50 साल की उम्र वाले लोग शामिल हैं। पिछले सात-आठ सालों में एमसीएक्स के जरिए साढ़े तीन सौ करोड़ से अधिक रकम यहां से बाहर जा चुकी है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज का काम करने के लिए लाइसेंस जारी होता है। बिना लाइसेंस के यह काम अवैध है। लेकिन इसके अवैध कारोबार की जड़ें राजधानी में काफी फैल चुकी हैं। एमसीएक्स को बोलचाल में डिब्बा ट्रेडिंग कहा जाता है। न केवल सराफा कारोबारी, बल्कि जमीन कारोबारी, कुछ नेता, बिल्डर और अन्य लोग भी एमसीएक्स में एक झटके में करोड़ों का वारान्यारा करने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं, जो इस सपने में फंसकर बर्बाद होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। न केवल उन्हें, बल्कि परिवार के लोगों को भी अब कई तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है। तगादेदार अलग घर में आकर धमकी दे रहे हैं। एमसीएक्स का रोज का कारोबार पांच साल पहले तक लाखों में होता था। लेकिन अब करोड़ों में पहुंच गया है।
पूरा कारोबार टैक्स चोरी के लिए
एमसीएक्स का अवैध कारोबार टैक्स चोरी के लिए चल रहा है। एमसीएक्स पूरा कारोबार कच्चा होता है। इसकी कोई लिखा-पढ़ी नहीं होती है। यह काम आपसी विश्वास पर होता है। ग्राहक बाजार देखकर बुकी को सोना बेचता या खरीदने के लिए लाट बुक कराता है। दाम घटने या बढ़ने पर ग्राहक का नफा-नुकसान तय होता है। बुकी तो किसी भी तरह अपनी रकम ग्राहक से निकाल लेते हैं, लेकिन अगर उसे ग्राहक को देना हो तो कई बार मुकर जाते हैं। एमसीएक्स बाजार में ऐसी काफी शिकायतें हैं।
गुजरात है एमसीएक्स का हब
जानकारों के अनुसार स्टॉक मार्केट की तरह एमसीएक्स का बड़ा बाजार गुजरात है। वहीं से एमसीएक्स के भाव बुकियों तक पहुंचते हैं। एमसीएक्स के बुकियों को हर तरह से ऐश कराया जाता है। मालूम हुआ है कि कुछ समय पहले गोवा में देशभर के बुकियों की पार्टी रखी गई थी। रायपुर के भी कुछ बड़े बुकी उसमें शामिल हुए थे। इस पार्टी में बुकियों को विदेशी कॉलगर्ल उपलब्ध कराई गई थीं।
केवल सोना नहीं और भी बहुत कुछ
एमसीएक्स में केवल सोने पर पैसा नहीं लग रहा है। अनाज, दूसरी धातु और प्रोडक्ट्स का भी एमसीएक्स होता है। इस कारोबार में पैसा लगाने वालों को डुबाने के लिए डिमांड बढ़ाकर सामान का दाम एकदम ऊंचाई पर पहुंचा दिया जाता है। फिर एक झटके से दाम तोड़ देते हैं। इससे पैसा लगाने वाले डूब जाते हैं।
पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही
वर्ष 2011 में एमसीएक्स के खिलाफ राजधानी पुलिस ने पहली कार्रवाई की थी। तत्कालीन सीएसपी कोतवाली श्वेता सिन्हा के नेतृत्व में रामसागर पारा के एक ट्रैवल कारोबारी के कार्यालय में छापा मारा गया था। तब न केवल शहर, बल्कि प्रदेश के कई बड़े शहरों में अवैध रूप से चल रहे एमसीएक्स कारोबार का भंडाफोड़ हुआ था। लेकिन उसके बाद पुलिस हाथ पर हाथ धरकर बैठी रही। एमसीएक्स बाजार के बड़े मगरमच्छों तक पहुंचने की कोशिश ही नहीं हुई।
दो इनामी बुकी अब तक गिरफ्त से बाहर
राजधानी में मन्न्ू उर्फ अभिनंदन नत्थानी और नितिन चोपड़ा के नाम तीन-चार सालों से चर्चा में हैं। दोनों एमसीएक्स बुकी हैं। इन्होंने वसूली के लिए गुंडे हायर किए। इनके खिलाफ कई शिकायतें हैं। इस कारण पुलिस ने दोनों पर दस-दस हजार स्र्पए के इनाम की घोषणा भी की है। दोनों अंडरग्राउंड रहकर एमसीएक्स का कारोबार चला रहे हैं। मन्न्ू खुद को लाइसेंसी एमसीएक्स कारोबारी बताता था। उसके एजेंट के रूप में अनिल भंडारी, सन्न्ी नायडू, जीतू कोचर और प्रशांत कोचर काम करते थे।
गुंडागर्दी पर उतरे
एमसीएक्स के कारोबार में खुलेआम गुंडागर्दी चल रही है। पैसा वसूली के लिए गुंडे हायर किए जा रहे हैं। पहले लोकल और अब एक-डेढ़ साल से बाहर के गुंडों को भी वसूली का ठेका दिया जाने लगा है।
घटना-1- अक्टूबर-नवंबर 2011 में देवेंद्रनगर के एक एमसीएक्स कारोबारी से 35-40 लाख स्र्पयों की वसूली करने के लिए एमसीएक्स बुकी नितिन चोपड़ा ने स्टेशन इलाके के गुंडे गुड्डा उर्फ रविंद्र पांडे और पिंकू उर्फ पंकज दास को हायर किया था। इन्होंने एमसीएक्स कारोबारी के कार्यालय में तोड़फोड़ की थी।
घटना-2- पंडरी के टाइल्स कारोबारी अमित शेरवानी से एमसीएक्स के ढाई लाख स्र्पए वसूलने के लिए एमसीएक्स बुकी मन्न्ू नत्थानी ने तीन लोकल गुंडों को हायर किया था। इन गुंडों ने पुराना बस स्टैंड में एएसपी सिटी के पुराने ऑफिस के सामने अमित से मारपीट की थी।
घटना-3- विपुल जैन से पांच लाख स्र्पए की वसूली के लिए बुकी की तरफ से उसे लगातार धमकियां मिल रही थीं। तब, लगभग पौने दो साल पहले उसके पिता विमल जैन ने सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
घटना-4 - जमीन कारोबारी अभय नाहर पर एमसीएक्स कारोबारी ने डेढ़ करोड़ की देनदारी निकाल दी थी। लगभग एक करोड़ उसने ज्वलेरी और अपने प्लॉट बेचकर दिए थे। 50 लाख की वसूली के लिए अभय का अपहरण कर मारपीट की गई थी।
एमसीएक्स ने कई को डुबाया
घटना-1- डॉल्फिन स्कूल के संचालक राजेश शर्मा के 120 करोड़ स्र्पए एमसीएक्स में डुबने की चर्चा है। बुकियों से धमकी मिलने के कारण ही वह पत्नी उमा और बच्ची के साथ यहां से भाग गया।
घटना-2- कुछ माह पहले एक कारोबारी ने अपनी कार को महादेव घाट के किनारे छोड़कर खास्र्न नदी में छलांग लगा दी थी। वह अब तक नहीं मिला है। चर्चा है कि एमसीएक्स में उसके सात करोड़ डूब गए थे।
घटना-3 - एमसीएक्स में डूबने के कारण सदर बाजार का सोनू उर्फ शशिकांत पवार अंडरग्राउंड हुआ तो उसके भाई दिलीप पवार पर बुकियों ने दबाव बनाया। तब दिलीप को खुदकुशी करनी पड़ी।
हृदयस्थल पर गर्म गोश्त का कारोबार
राजधानी के हृदय स्थल कहे जाने वाले जयस्तंभ चौक का क्षेत्र अब सभ्य लोगों के लिए चलने का स्थान नहीं रह गया है। रविवार या अन्य दिनों में परिवार के साथ फुरसत के साथ यदि आप यहां खड;े रह कर कुछ पल ऑटो का इंतजार करते हैं या कुछ सामान खरीदते हैं तो सावधान। जयस्तंभ चौक पर चौकन्ने रहिए अन्यथा परिवार के बीच शर्मींदगी का सामना करना पड;ेगा। जी हां जयस्तंभ चौक के आस-पास देह-व्यापार से जुड;ी संदिग्ध महिलाएं डेरा जमाएं रहती हैं। देर रात 'गेय (समलैंगिक) लोगों का जमावड;ा रहता है। शिकायत मिलने पर तरूण छत्तीसगढ; ने जयस्तंभ चौक के आस-पास दो घंटे गुजारे तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। दिन में देह व्यापार से जुड;ी महिलाएं इशारे-बाजी कर ग्राहक तलाशती हैं। वहीं रात के 8 बजते ही संदिग्ध युवतियों का गु्रप ऑटो में युवकों को इशारे बाजी से आकर्षित करती हैं। इस गु्रप में टिनेजर से लेकर उम्र दराज महिलाएं भी होती हैं। जैसे-जैसे रात का अंधेरा घना होता है इनकी अश्लील हरकतें शुरु हो जाती है। इतना ही नहीं रवि भवन के अंदर की गलियों में कई संदिग्ध समलैंगिकों को अश्लील हरकतें करते देखा जा सकता है। कॉलेज छात्रों से लेकर प्रोफेशनल सेक्टर के लोग भी इसमें शामिल हैं। जयस्तंभ के पास शराब दुकान होने व सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने के कारण देर रात तक असमाजिक तत्वों की भीड; लगी रहती है। देह व्यापार से जुड;ी महिलाएं और दलाल यहां सालों से अड्डा बनाये हुए हैं। महिलाओं की परेशानी शहर के मुख्य चौक होने की वजह से मोवा, सड्डू व अन्य जगह के लिए ऑटो यहां से ही पकड)ा होता है। प्रतिदिन हजारों महिलाएं यहां से ऑटो-टैक्सी में आना-जाना करती हैं। इस बीच अनैतिक कार्यों से जुड;े लोगों की वजह से खासकर महिलाओं और उनके साथ आए लोगों को शर्मंिदगी का सामना करना पड;ता है। हालांकि इन असमाजिक तत्वों का काम इशारों में होता है लेकिन कई बार इनकी हरकतें कुछ इतनी स्पष्ट हो जाती हैं कि सभ्य लोगों के सामने असहज स्थिति निर्मित हो जाती है। संगठित हो रहे दलाल जयस्तंभ चौक पर भीड; की वजह से कोई किसी पर ज्यादा ध्यान नहीं देता। सभी अपने काम में व्यस्त रहते हैं। जिसके चलते दलालों का संगठन मजबूत होता जा रहा है हालांकि इस संगठन के लोग सामने नहीं आये हैं। दलालों के हौसले हो रहे बुलंद इतना ही नहीं ये दलाल देह व्यापार के लिए आने वाले ग्राहकों को अपने दम पर मकान व अन्य चीजों की पर्याप्त व्यवस्था करवाते हैं। एड्स का खतरा जानकारों की मानें तो राजधानी में समलैंगिकों में एड्स की बीमारी सर्वाधिक पाई गई है। इस प्रकार की वेश्यावृति के चलते कुंठित सेक्स पीडि;त किशोरवय युवक इसके शिकार हो रहे हैं।
नक्सलियों को बिहार से हथियार
0 मुंगेर में बने अवैध हथियारों की छत्तीसगढ; में भी हो रही है खपत, पिस्टल से लेकर ए के 47 तक की सप्लाई
देश की राजधानी में दो दिन पहले 99 अवैध पिस्टलों के जखीरे के साथ जो अपराधी पकड;े गए, उन्होंने जो जानकारी दी वो बेहद चौंकाने वाली हैं। पकड;े गए बिहारी अपराधियों ने बताया कि बिहार के मुंगेर में प्वाइंट 32 बोर के पिस्टल से लेकर ए के 47 और कारबाइन तक बन रहीं हैं। पिस्टल 5-6 हजार की और ए के 47 पचास हजार तक। उत्तर भारत के साथ-साथ छत्तीसगढ;, मध्यप्रदेश , ओडिसा के कुछ गैंग विदेशी हथियारों की बजाय मुंगेर के बने इन्हीं हथियारों को खरीदने के लिए लालायित रहते हैं। इतना ही नहीं नक्सलियों के तार भी मुंगेर से जुड;े हैं। जिन हथियारों को नक्सली झारखंड व छत्तीसगढ; में इस्तेमाल कर रहे हैं वो मुंगेर से मिल रहे हैं। वैसे छत्तीसगढ; पुलिस इस तरह की खबरों से इनकार करती है। लेकिन दिल्ली पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन अपराधियों ने कबूल किया है कि छत्तीसगढ; में अब चुनाव नजदीक होने की वजह से आर्डर ज्यादा मिल रहे हैं। वहां के कई जिलों के अपराधी मुंगेर मुंगेर के हथियार के लिए लगातार संपर्क में रहते हैं। यही कारण है कि ना केवल बनाने वालों की चांदी है बल्कि सप्लाई करने वाले कैरियर की संख्या भी लगातार बढ;ती जा रही है। एडवांस 2-3 महीनें पहले दे दिया जाता है। बिहार से लेकर दिल्ली तक तमाम प्रभावशाली लोगों का इन्हें आर्शीवाद भी मिल रहा है। मुंगेर के अवैध हथियारों की बढ;ती मांग का कारण पुलिस से जुड;े लगो यही मानते हैं कि एक तो क्वालिटी अच्छी होती है और कीमत कम।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक अंग्रेजों के समय में मुंगेर में बंदूक बनाने का कारखाना लगा था। देश आजाद होने के बाद भी वहां बंदूक बनती रही। यहां काम करने वाले तमाम कारीगर रिटायर हो गए। वो भी इस काम में लग गए । उम्दा किस्म की बंदूक और पिस्टल बनाने में उन्हें जो महारत थी उसका ही नतीजा है कि ज्यादा कमाई के लालच में तमाम ये काम करने लगे। मुंगेर में ये धंधा कुटीर उद्योग की तरह फैल गया है। जिसे कुछ नेताओं और सफेदपोशों का सरंक्षण मिला हुआ है। दिल्ली पुलिस ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक गिरफ्तार अपराधियों ने बताया कि वो 5-6 हजार प्रति पिस्टल की दर से खरीदते थे और फिर उत्तर भारत में 10-12 हजार में बेच देते थे। यानी एजेंट और कैरियर तक प्रति पिस्टल 5 हजार कमा रहा है। जिसे ये बेचते थे वो आगे 30-35 हजार में बेच रहा था। ये गिरोह कार की हैडलाइटों के पीछे छिपाकर पिस्टल लाते पकड;ा गया था। इसी तरह ये अवैध हथियार छत्तीसगढ; भी लाए जा रहे हैं। अपराधियों से लेकर नक्सली तक खरीद रहे हैं। पर छत्तीसगढ; पुलिस इसे सच नहीं मानती।
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