satish pandey
छत्तीसगढ़ का एक राजा जो शेर मारने जाता था विदेश !
रायपुर। क्या आप जानते हैं दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा शिकारी कौन था ? हम आपको बताते हैं, दुनिया का सबसे बड़ा तीसरा शिकारी छत्तीसगढ़ से आता है। यह शिकारी कोई ऐसा-वैसा नहीं था, इनके नाम जो रिकॉर्ड दर्ज है उसे सुनकर आप दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे। जी हां, इस शिकार ने एक दो नहीं पूरे 1100 शेरों का शिकार किया। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला कभी सरगुजा स्टेट के नाम से जाना जाता था। यहां के महाराजा थे रामानुज शरण सिंह देव। इनकी वीरता की कहानियां पूरे संसार में मशहूर हैं, ग्यारह सौ शेरों के अलावा दो हजार लेपड्स और पैंथर मारने का भी रिकॉर्डउनके नाम पर है। रामानुज शरण सिंह देव उस समय के दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे बड़े शिकारी माने जाते थे। सरगुजा जिले में रामानुज शरण सिंह देव का जन्म 1917 में हुआ था। वह बचपन से ही धीर-वीर थे। इन्होंने 1950 तक शिकार किया। ग्यारह सौ शेरों के अलावा दो हजार लेपड्स और पैंथर मारने का भी रिकॉर्डउनके नाम पर है। रामानुज शरण सिंह देव उस समय के दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे बड़े शिकारी माने जाते थे।
सरगुजा के कई बुजुर्ग बताते हैं कि पचास के दशक में राजा जंगलों में जाकर शिकार करते थे। शिकार करने के लिए बकरे और दूसरे छोटे जानवरों का उपयोग किया जाता था। जब शेर इन्हें खाने में व्यस्त रहता था तब शिकार कर लिया जाता था।सरगुजा जिला मुख्यालय स्थित राज महल में अभी भी चीते और दूसरे वन्य जीवों के सिर दीवारों में लगाए गए हैं। इसमें राज परिवार का स्वामित्व है।
कुछ साल पहले तक महल की दीवारों पर शेर के भी सिर लगे हुए थे। अब उन्हें प्रदर्शनी से अलग रख सुरक्षित रख दिया गया है।दशहरा के समय महल में लगाए गए जानवरों के सिर और दूसरी प्राचीन वस्तुओं को देखने के लिए जनता यहां आज भी पहुंचती है, बाकी समय आम लोगों के लिए महल खुला नहीं रहता है। सरगुजा महाराजा के बारे में इंडिया वाइल्ड लाइफ हिस्ट्री नामक किताब में भी दी गई है। इसमें उनके शिकार का वर्णन है।1965 में दुनिया के तीसरे सबसे बड़े शिकारी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।उन्होंने केवल भारत में ही शिकार नहीं किया, उनके शिकार करने की कला इतनी मशहूर थी कि इसके लिए वे साउथ अफ्रीका सहित कई देशों में भी गए।
छत्तीसगढ़ का एक राजा जो शेर मारने जाता था विदेश !
रायपुर। क्या आप जानते हैं दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा शिकारी कौन था ? हम आपको बताते हैं, दुनिया का सबसे बड़ा तीसरा शिकारी छत्तीसगढ़ से आता है। यह शिकारी कोई ऐसा-वैसा नहीं था, इनके नाम जो रिकॉर्ड दर्ज है उसे सुनकर आप दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे। जी हां, इस शिकार ने एक दो नहीं पूरे 1100 शेरों का शिकार किया। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला कभी सरगुजा स्टेट के नाम से जाना जाता था। यहां के महाराजा थे रामानुज शरण सिंह देव। इनकी वीरता की कहानियां पूरे संसार में मशहूर हैं, ग्यारह सौ शेरों के अलावा दो हजार लेपड्स और पैंथर मारने का भी रिकॉर्डउनके नाम पर है। रामानुज शरण सिंह देव उस समय के दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे बड़े शिकारी माने जाते थे। सरगुजा जिले में रामानुज शरण सिंह देव का जन्म 1917 में हुआ था। वह बचपन से ही धीर-वीर थे। इन्होंने 1950 तक शिकार किया। ग्यारह सौ शेरों के अलावा दो हजार लेपड्स और पैंथर मारने का भी रिकॉर्डउनके नाम पर है। रामानुज शरण सिंह देव उस समय के दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे बड़े शिकारी माने जाते थे।
सरगुजा के कई बुजुर्ग बताते हैं कि पचास के दशक में राजा जंगलों में जाकर शिकार करते थे। शिकार करने के लिए बकरे और दूसरे छोटे जानवरों का उपयोग किया जाता था। जब शेर इन्हें खाने में व्यस्त रहता था तब शिकार कर लिया जाता था।सरगुजा जिला मुख्यालय स्थित राज महल में अभी भी चीते और दूसरे वन्य जीवों के सिर दीवारों में लगाए गए हैं। इसमें राज परिवार का स्वामित्व है।
कुछ साल पहले तक महल की दीवारों पर शेर के भी सिर लगे हुए थे। अब उन्हें प्रदर्शनी से अलग रख सुरक्षित रख दिया गया है।दशहरा के समय महल में लगाए गए जानवरों के सिर और दूसरी प्राचीन वस्तुओं को देखने के लिए जनता यहां आज भी पहुंचती है, बाकी समय आम लोगों के लिए महल खुला नहीं रहता है। सरगुजा महाराजा के बारे में इंडिया वाइल्ड लाइफ हिस्ट्री नामक किताब में भी दी गई है। इसमें उनके शिकार का वर्णन है।1965 में दुनिया के तीसरे सबसे बड़े शिकारी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।उन्होंने केवल भारत में ही शिकार नहीं किया, उनके शिकार करने की कला इतनी मशहूर थी कि इसके लिए वे साउथ अफ्रीका सहित कई देशों में भी गए।
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