Tuesday, December 25, 2012

1847 में बनी ये तोपें, एक यहां और दूसरी लंदन में




तब आजादी की अलख भी नहीं जगी थी, पर यह तोप तैनात थीं। छत्तीसगढ़ के सरगुजा राजमहल में यह तोप गुलामी की बर्बर जंजीरों की याद दिलाती हैं। इन तोपों ने आजादी के मतवाले भी देखे और अत्याचार भी। सरगुजा के राजमहल में आज भी 1847 में इन तोपों को रखा गया है। इनका निर्माण कोलकाता के काशीपुर स्थित गन एंड शेल फैक्टरी में किया गया था। यहां से निर्मित ऐसे ही तोप लंदन के दी रॉयल हॉस्पिटल चेलसा में भी है। सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर में राजमहल परिसर में दो तोप रखी हैं। इनमें 1847 का निर्मित होना लिखा गया है। तोप का निर्माण ब्रिटिश कंपनी ऑफ इंडिया द्वारा संचालित गन एंड शेल फैक्टरी में किया गया। इस कंपनी की शुरूवात 1801 में इसके लिए भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई के साथ शुरू हुई थी। इस कंपनी ने भूमि अधिग्रहण के बाद 18 मार्च 1802 में निर्माण का काम शुरू कर दिया था। शुरूवात में यहां आयुध हथियारों की मरम्मत होती थी।इस कंपनी ने 2002 में दो सौ साल पूरे किए। इसे आईएसओ से सर्टिफिकेट भी मिला हुआ है। यहां 1840 में पीतल और लोहे दोनों से तोप का बनाना शुरू हुआ। राजमहल में रखी तोप 165 साल पुरानी हैं। हालांकि देखरेख के अभाव में इनमें जंग लग गई है। अब यहां से सेना को मीडियम कैलिबर तोप, भेदी तोप के लिए मोर्टार, राकेट लांचर समेत दूसरे हथियारों का निर्माण किया जाता है। अंग्रेजों द्वारा स्थापित यह कंपनी आज भी चल रही है।

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