Wednesday, January 18, 2012

आध्यात्म, धर्म, खनिज वन सम्पदा का संगम गरियाबंद

आध्यात्म, धर्म संस्कृति खनिज और वन सम्पदा की संगम स्थली है गरियाबंद यह छत्तीसगढ़ और ओड़िसा की संस्कृति का भ्ाी संगम है। 'ायर्टन की असीम संभ्ाावनाएं, विशाल वन लोगों का सीधापन आकर्षित करता है। पैरी की कल-कल ध्वनी गंूजती हैं तो सोंढुर की मधुर थाप महानदी के साथ मिलकर राजिम में धर्म आध्यत्म संस्कृति का विराट दर्शन कराती है। प्रतिवर्ष यहां संगम स्थल पर राजीवलोचन की धरती पर
राजिम कुंभ्ा का आयोजन होता है। जिले में स्थित चम्पारण में महाप्रभ्ाु वल्लभ्ााचार्य की जन्म स्थली भ्ाी है। यह कुलेश्वर महादेव की पवित्र भ्ाूमि है तो बेहराडीह और पायलीखंड रत्नगर्भ्ाा है, तो सेन्दमुड़ा, अलेक्ज्ोन्डर के लिए प्रसिद्ध है। गरियाबंद के वन शाल व तेन्दुपत्ता से आच्छादित है।
एक जनवरी से अस्त्ाित्व में आ चुके गरियाबंद को बनाने का श्रेय मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह को है। उनकी दूरगामी सोंच का ही परिणाम है कि गरियाबंद के लोगों को अब त्वरित न्याय व सुविधा कम दूरी तय करके मिल जाएगी। इस अेतिहासिक और यादगार लम्हे को जिले का हर नागरिक अपने दिल में संजो कर रखना चाहेगा। क्षेत्र के लोगों को जिला मुख्यालय के लिए ल्ाम्बा सफर तय करना पड़ता था, लेकिन अब यह
दूरी कुछ किलोमीटर में सिमट गई है। गरियाबंद जिला का अधिकांश सीमाई क्षेत्र ओड़िसा से लगा हुआ है, इसलिए यहां ओड़िसा की संस्कृति का प्रभ्ााव दिखता है।
उत्तर पूर्व में महासमुंद, उत्तर-पश्चिम में रायपुर, दक्षिण में धमतरी, पूर्व - दक्षिण में ओड़िसा के नुआपाड़ा व नवरंगपुर जिले की सीमा है। गरियाबंद की आबादी लगभ्ाग 5 लाख 75 हजार 480 है। यहां पांच तहसीलें गरियाबंद, देवभ्ााग, राजिम, मैनपुर और छुरा है। जिले में 306 ग्राम पंचायत, 690 ग्राम एवं 158 पटवारी हल्के शामिल हैं। सामान्य वन मंडल व उदंती वनमंडल सहित दो वनमंडल हैं। लग्ाभ्ाग 4 हजार 220
वर्ग कि।मी। में फैल जिले में 2 हजार 860 वर्ग कि।मी। क्षेत्र, जो कुल भ्ाूमि का 67 प्रतिशत है वनों से आच्छादित है। जिले में 1 हजार 360 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र है। गरियाबंद, छुरा और मैनपरु आदिवासी विकासखंड हैं, जबकि देवभ्ाोग और फिंगेश्वर सामान्य विकासखंडों की श्रेणी में आते हैं। यहां का फसलीय क्षेत्रफल 1 लाख 35 हजार 823 हेक्टेयर है। इनमें खरीफ फसल 11 हजार 521 हेक्टेयर तथा रबी फसल 23
हजार 302 हेक्टेयर बोई जाती है। प्रमुख फसल धान है, साथ ही देवभ्ाोग क्षेत्र में उड़द मंूग, तिल, अरहर तथा मे की खेती भ्ाी होती है।
जिले के मध्य में पड़ने वाले मैनपुर क्षेत्र से पैरी नदी निकलती है, जबकि सोंढुर नदी जिले की सीमा के किनारे बहते हुए राजिम में महानदी से मिलती है। तीसरी मुख्य तेल नदी देवभ्ाोग से निकल कर ओड़िसा में बहती है। मैनपुर व देवभ्ाोग के बीच सुन्दर वन फैला हुआ है जिसका क्षेत्र 1 हजार 842 वगर््ा किलोमीटर है। 'ाशुओं की संख्या और उनके संरक्षण को देखते हुए उदंती अभ्यारण भ्ाी बनाया गया है।
शासन अब इसे टायगर रिजर्व के लिए अधिसूचित कर चुका है। वन भ्ौंसे की शुद्ध नस्ल भ्ाी पायी जाती है, जो छत्तीसगढ़ का राज्ाकीय 'ाशु है। 'ार्यटन के लिए उपयुक्त्ा गरियाबंद में गोडेना जल प्रपात व पैरी नदी पर विशाल सिकासेर डेम है। कमार भ्ाुजिया जनजाति के विकास के लिए सरकार ने जनजाति विकास अभ्ािकरण भ्ाी बनाया है। जिले में गोंड़ जनजाति की बहुलता है। इसके अलावा कमारों की जनसंख्या 13
हजार 469 और भ्ाुंजिया की आबादी 3 हजार 645 है। आदिवासी बहुलता वाले इस जिले में राजा कचनाधुरवा का साम्राज्य था, जिसका केन्द्र बिन्द्रानवागढ़ रहा। इनके बारे में किवदंती हैं कि राजा कचनाधुरवा आजीवन अजेय रहे और उनकी शक्ति व पराक्रम को देखते हुए दुश्मानों ने धोखे से जहर देकर उनकी हत्या कर दी। उनकी स्मृति में यहां कचनाधुरवा मंदिर है।
श्रृद्धा और विश्वास की अविरलधारा गरियाबंद में बहती है। राजिम का त्रिवेणी संगम धर्म ध्वजा का वाहक हैं। जिले में राजीवलोचन मंदिर, कुलेश्वर महादेव, कोपेश्वर महादेव, कर्णेश्वर महादेव एवं पंचकोशी महादेव के मंदिर स्थापित है। छुरा में सिरकट्टी आश्रम, कुटेना माता, जतमई माता व घ्ाटारानी के मंदिर भ्ाी है। देवभ्ाोग इलाके के हर गांव से भ्ागवान जगन्न्ाथ के भ्ाोग के लिए चांवल
जाता है, इसलिए इस इलाके का नाम देवभ्ाोग पड़ा। खनिज के मामले में भ्ाी देवभ्ाोग समृद्ध है। बासिन गांव में फर्सी पत्थर, मैनपुर के करलाझर में नीलम और कंवराबेहरा में क्रिस्टल स्टोन की बहुलता है। इसके अलावा पायलीखंड और बेहाराडीह हीरे के लिए मशहूर हैं। दुनिया में संेन्दमुड़ा अेसी दूसरी जगह है जहां अलेक्जेंडराईट पाया जाता है।

No comments:

Post a Comment