Tuesday, May 4, 2010

छत्तीसगढ़ में आतंकवादी महफूज



पनाहगार बना राजधानी
छत्तीसगढ़ राज्य और उसकी राजधानी शांत और सुरक्षित इलाका है, देश के किसी भी कोने में इस नवोदित राज्य का जिक्र छिड़ते ही लोगों की जुबान से ऐसे ही शब्द निकलते हैं। पर हाल की वारदातों के बाद यह सवाल उठने लगा है कि हमारा राज्य किनके लिए शांत व सुरक्षित है? क्या अपराधियों के लिए?

सतीश पांडेय
रायपुर। शहरी नक्सली नेटवर्क, राजधानी के रास्ते बस्तर के नक्सलियों को हथियार आपूर्ति के खुलासे के बाद मोस्ट वांटेड इनामी खालिस्तानी आतंकवादी निर्मल सिंह उर्फ निम्मा की राजधानी में उपस्थिति और पंजाब पुलिस के सहयोग से उसका पकड़ा जाना राज्य की पुलिस और खुफिया विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े करता है। नक्सल समस्या से जूझ रहे छत्तीसगढ़ राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। आए दिन चोरी, बैंक डकैती, लूट से परेशान हो चुके नागरिकों को नक्सलियों के साथ अब आतंकवादी गतिविधियों का भय सताने लगा है। शांत और सुरक्षित ठिकाना मानकर बाहरी अपराधी यहां पनाह ले रहे हैं और इन सब से परे राज्य की पुलिस और खुफिया विभाग की नींद है कि टूटने का नाम ही नहीं ले रही है।
बब्बर खालसा गुट के हार्डकोर इनामी मोस्ट वांटेड आतंकवादी निर्मल सिंह उर्फ निम्मा का पिछले 15 दिनों से राजधानी में आकर रहना कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वह लंबे समय तक गी्रस (यूनान) में रहकर भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करता रहा। फरवरी माह में भारत लौटने के बाद अचानक पंजाब से वह भूमिगत हो गया। पंजाब पुलिस को पिछले महिने यह जानकारी मिली थी कि निम्मा छत्तीसगढ़ में कही छिपा है। इसकी जानकारी जब राज्य की खुफिया एजेंसी को पंजाब पुलिस के जरिए मिली तो आला अफसरों के कान खड़े हो गए। आतंकी हमलों की चेतावनी के बाद गृह मंत्रालय की सतर्कता और बढ़ते दबाव को देखते हुए आतंकवादी और उनके सहयोगी सुरक्षित पनाह की तलाश में देश के कई शहरों की ओर फैल गए। इसी क्रम में शांत और सुरक्षित समझे जाने वाले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपने एक रिश्तेदार धरम सिंह उर्फ पप्पू के घर निर्मल सिंह ने अपना ठिया बनाया। जानकारों का कहना है कि वह राज्य की बेपरवाह हो चुकी सुरक्षा एजेंसिया की कमजोरी का फायदा उठाकर माह भर से देवेन्द्र नगर इलाके के फोकटपारा बस्ती में रह रहे निम्मा को माना एयरपोर्ट इलाके में सक्रिय देखा गया था। उसके दो तीन साथी भी यहीं पनाह लेकर रह रहे थे, जो उसके पकड़े जाने के बाद से गायब है। इसकी भनक खुफिया विभाग को कैसे नही लगी,यह सवाल आज हवा में तैर रहे हैं। निम्मा के यहां आने का मकसद क्या था? इसका खुलासा तो नहीं हुआ है लेकिन पुलिस की यह बात भी गले से नहीं उतर रही कि निम्मा यहां फरारी काट रहा था। राजधानी में रहकर संदिग्ध गतिविधियों में उसके लिप्त होने से आशंका जताई जा रही है कि किसी खतरनाक योजना को अंजाम देने के उद्देश्य से वह आया हो सकता था। पूछताछ में उसने आला अफसरों को कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है। जिसे देश की सुरक्षा का हवाला बताकर अधिकारियों ने अधिकृत रूप से बताने से इंकार किया है।
खुफिया तंत्र फेल
एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि साल भर पहले बिहार से छत्तीसगढ़ के जशपुर के रास्ते से ट्रकों में लाए जा रहे आयुध फैक्ट्रियों के रसायन, हथियार बस्तर के नक्सलियों तक पहुंचाने का खुलासा होने के बाद भी राज्य की खुफिया एजेंसी बेपरवाह रही। लोदाम बेरियर में इन ट्रकों के पकड़े जाने के बाद इसके पीछे किन लोगों का हाथ है, इसका पता आज तक नहीं लगाया जा सका और कुछ दिनों तक चली जांच के बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जबकि हथियार से भरे कुछ ट्रकों को रायपुर के रास्ते बस्तर पहुंचाए जाने की रिपोर्ट खुफिया विभाग ने सौंपे थे। राजधानी में शहरी नक्सली नेटवर्क के खुलासे, महासंमुद, नांदगांव में पंजाब के आतंकवादियों की गिरफ्तारी के साथ राजधानी में हथियारों की बरामदगी और सिमी की गतिविधियां, बांग्लादेशी घुसपैठियों के राजधानी के आसपास होने के बावजूद खुफिया तंत्र अलर्ट नहीं है। पंजाब पुलिस की सूचना नही होती तो शायद ही निम्मा कभी पकड़ में आ पाता।
वारदात की फिराक में था
मोस्ट वांटेड आतंकवादी निर्मल सिंह के संबंध में जो जानकारी आई है उसके मुताबिक वर्तमान में खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के चीफ रणजीत नीटा गु्रप से वह जुड़ा हुआ था। पंजाब में लंबे समय तक आतंक का पर्याय बने बब्बर खालसा इंटरनेशनल,खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और खालिस्तान कंमाडो फोर्स संगठन एक बार फिर से सक्रिय होने के फिराक में है लेकिन हाल की आतंकी घटनाओं को ध्यान में रख गृह मंत्रालय द्वारा आतंकवादियों पर दबाव बनाए जाने से गु्रप के सदस्य सुरक्षित पनाह पाने देश के विभिन्न राज्यों में शरण ले चुके है। निम्मा ने अपनी पहचान छुपाने बाल कटवा लिया था। उसने दाढ़ी रखी थी। उसके खिलाफ पंजाब में थलसेना अध्यक्ष जनरल वैद्य की हत्या,आरडीएक्स,हैंड ग्रेनेड्स समेत दर्जन भर से अधिक मामले दर्ज है। वह विस्फोटक उपकरणों का बेहद जानकार बताया गया है। आशंका जताई जा रही है कि वह अपने कुछ साथियों के साथ यहां रहकर देश के किसी शहर में वारदात को अंजाम देने के फिराक में लगा था। इससे पहले पंजाब पुलिस की सूचना पर उसे पकड़ लिया गया।

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