Saturday, March 6, 2010

पिस्टल उड़ाने वाले एएसआई को जबरिया सेवानिवृत्ति


पांच साल पहले थाने के शस्त्रागार से गायब हुआ था पिस्टल, अब तक नहीं मिला

सतीश पाण्डेय

रायपुर। नए कारनामों के लिए हमेशा विवाद मिश्रित सुर्खियों में रहने वाले पुलिस विभाग ने इस बार सारे रिकार्ड तोड़ डाले हैं। एक सहायक उपनिरीक्षक द्वारा पांच साल पूर्व शस्त्रागार से लिए गए पिस्टल और कारतूस के गायब होने के संगीन मामले में लंबी विभागीय जांच पड़ताल के बाद लीपापोती कर दी गई। आरोपी एएसआई को ऐच्छिक सेवानिवृत्ति की सजा देकर अफसरों ने बख्श दिया। बात-बात पर अपने कर्मचारियों को सस्पेंड और लाइन अटैच करने के लिए कुख्यात विभाग ने शासकीय संपत्ति की खयानत करने वाले इस एएसआई को न तो कभी निलंबित किया और न ही थाने से हटाया। शुक्रवार पांच फरवरी तक वह मंदिर हसौद थाने में सीना तानकर ड्यूटी बजा रहा था। खबर है कि शनिवार को दी गई सजा के मुताबिक उसे ऐच्छिक सेवानिवृत्ति देकर विभाग से विदा कर दिया गया। मिली जानकारी के अनुसार महासमुंद पुलिस थाने में पदस्थ तत्कालीन सहायक उपनिरीक्षक उदयपाल सिंह भदौरिया ने 21 जून 2005 को ड्यूटी के नाम पर माल मोहर्रिर दाऊराम सागर व मददगार आरक्षक की मौजूदगी में शस्त्रागार से रिवाल्वर बट नंबर 06(175) बाडी नंबर 97665 व पांच नग जिंदा कारतूस लिए। इस दौरान एएसआई ने शस्त्र पावती रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं किया। यही नहीं, रोजनामचा सान्हा क्रमांक 1094 में रवानगी और वापसी की दर्ज रिपोर्ट में भी प्रधान आरक्षक कृष्ण कुमार वर्मा ने एएसआई के कहने पर शस्त्र व कारतूस की प्राप्ति तथा जमा का कोई उल्लेख नहीं किया। एएसआई ने मददगारों को ड्यूटी में जल्दी पहुंचना है, आकर हस्ताक्षर कर दूंगा, कहकर भरमा दिया था। मामले में निरीक्षक प्रेमकांत अवस्थी, एएसआई उदपाल सिंह भदौरिया, प्रधान आरक्षक दाऊराम सागर क्रमांक 15, प्रधान आरक्षक कृष्ण कुमार वर्मा क्रमांक 32 तथा आरक्षक शिवचरण नेताम क्रमांक 112 के खिलाफ षड़यंत्र के तहत शासकीय संपत्ति की खयानत करके घोर अनुशासनहीनता और लापरवाही बरतने की विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू की गई। जांच अधिकारी तत्कालीन एसपी महासमुंद डॉ।आनंद छाबड़ा ने पांचों पुलिस कर्मचारियों पर लगाए गए आरोप को पूर्णरूप से प्रमाणित पाया था। आरोपी बनाए गए निरीक्षक प्रेमकांत अवस्थी ने अपने अभ्यावेदन में बताया कि पिता का निधन हो जाने के कारण वे 1 जून से 21 जून 05 तक अवकाश पर थे। इस दौरान उपनिरीक्षक सहदेव ठाकुर थाने के प्रभार में थे। घटना दिनांक को प्रधान आरक्षक दाऊराम सागर के निर्देश पर आरक्षक शिवचरण द्वारा रिवाल्वर व कारतूस एएसआई भदौरिया को दिया गया था, जिसका उल्लेख उसने शस्त्र वितरण रजिस्टर में किया है, परंतु बट नंबर का उल्लेख नहीं है और न ही भदौरिया से पावती ली गई। रोजनामचे में भी इसका कोई जिक्र नहीं है। शस्त्र वितरण रजिस्टर में इस रिवाल्वर की वापसी नहीं दर्शाई गई और न ही 21 जून के बाद भदौरिया को रिवाल्वर, कारतूस इश्यू हुआ है। थानेदार ने साफ कहा है कि भदौरिया ने या तो शस्त्र गुमा दिया या कोई और बात हो सकती है। जबकि एएसआई भदौरिया का कहना था कि उसे षड़यंत्रपूर्वक फंसाया जा रहा है, उसे शस्त्र इश्यू ही नहीं किया गया था। एसपी के वार्षिक निरीक्षण के दौरान रिवाल्वर गुमने की बात सामने आई थी। प्रधान आरक्षक वर्मा ने बताया कि वारंटी को पकड़ने वह राजनांदगांव जाने के लिए वाहन में स्टाफ के साथ बैठ गए थे, उसी समय उससे रवानगी डालने कहा गया। शस्त्र के बारे में किसी ने कुछ नहीं बताया था, इसलिए उसका उल्लेख रवानगी में नहीं है। वहीं माल मोहर्रिर दाऊराम ने अपने आप को निर्दोष बताते हुए कहा है कि एएसआई को छेदीलाल, वर्मा व नेताम द्वारा शस्त्र इश्यू किया गया था। एएसआई को ड्यूटी पर जाते समय शस्त्र के साथ अन्य कर्मचारियों ने देखा था। आरक्षक शिवचरण का कहना था एएसआई को शस्त्र मैंने दिया था, लेकिन उन्होंने जल्दीबाजी में हूं कहकर पावती नहीं दी। वरिष्ठ अधिकारी होने के कारण वह पावती के लिए जिद नहीं कर सका। सभी आरोपी पुलिस कर्मचारियों के अभ्यावेदन उपरांत मामले में 23 फरवरी 2010 को आईजी दुर्ग क्षेत्र द्वारा 253 पन्ने के फैसले में निरीक्षक अवस्थी को जहां कर्तव्यपालन में लापरवाही बरतने का आरोपी पाकर एक हजार रुपए का अर्थदंड दिया, वहीं एएसआई भदौरिया को इस गंभीर त्रुटि के लिए सेवा से बर्खास्त करना उपयुक्त मानते हुए भी आदेश में कहा गया कि लंबी सेवा अवधि को दृष्टिगत रखते हुए और मानवीय आधार पर विचार करने के बाद बाध्य सेवानिवृत्ति का दंड और गायब शस्त्र की कीमत उसके देय स्वत्वों से वसूली करने, प्रधान आरक्षक दाऊराम को जुलाई माह में देय एक वेतनवृद्धि एक साल तक रोकने के आदेश के साथ प्रधान आरक्षक कृष्ण कुमार वर्मा तथा शिवचरण की इस मामले में कोई गंभीर त्रुटि न पाकर इनके खिलाफ आदेशित विभागीय जांच नस्तीबद्ध कर दिया गया।

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-शस्त्रागार से पिस्टल,कारतूस लेकर वापस न लौटाने के मामले में एएसआई उदयपाल सिंह भदौरिया समेत अन्य पुलिस कर्मियों को दोषी पाया गया था। मैंने जांच रिपोर्ट आईजी कार्यालय को सौंप दी थी। इसमें आगे क्या कार्रवाई हुई इसकी जानकारी मुझे नहीं है।

-डॉ.आनंद छाबड़ा पुलिस अधीक्षक (तत्कालीन जांच अधिकारी)

विभागीय जांच में मंदिर हसौद थाने में पदस्थ एएसआई उदयभान सिंह भदौरिया को दोषी पाकर उसे जबरिया सेवानिवृत्त कर दिया गया है। गायब शस्त्र की कीमत उसके देय स्वत्वों से वसूला जाएगा। दोषी को पर्याप्त सजा दी गई है या नहीं, यह तो सजा देने वाले का आउटलुक है।

-अमित कुमार (एसपी,रायपुर)

-आईजी दुर्ग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, फिलहाल मैं अभी नौकरी में हूं। मुझे साजिश के तहत फंसाया गया है।

-उदयपाल सिंह भदौरिया (सहायक उपनिरीक्षक )


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